"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर
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जब किसी [[शब्द]] का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक [[अर्थ]] निकलते हैं तब [[श्लेष]] [[अलंकार]] होता है। |
जब किसी [[शब्द]] का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक [[अर्थ]] निकलते हैं तब [[श्लेष]] [[अलंकार]] होता है। उदाहरण - |
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'श्लेष' का शाब्दिक अर्थ होता है - 'एक में सटने यो लगने का भाव' ; संयोग, जोड़ या मिलान। इस अलंकार में एक ही शब्द में दो अर्थ 'सटे' या मिले होते हैं, इसीलिए इसे श्लेष कहा जाता है। |
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== उदाहरण == |
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अतः यहाँ श्लेष अलंकार है। |
अतः यहाँ श्लेष अलंकार है। |
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[http://kantila.blogspot.com "वह प्रकृति जिसको ढूंढ रहा था मैं अब तक, है संयोग से मेरे साथ मगर मैं तन्हा हूँ।"] <br /> |
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उक्त उद्हरण में प्रकृति का संयोगवश साथ होना सामान्य अर्थ प्रतीत होता है किन्तु इसके दूसरे अर्थ में प्रकृति कवि कंटीला की सुपुत्री व संयोग धर्मपत्नि का नाम है और पत्नी के माध्यम से पुत्री का साथ होना ही इसका वास्तविक अर्थ है। अतः यहाँ भी श्लेष अलंकार है। |
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== इन्हें भी देखें == |
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* [[दृष्टकूट]] |
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== बाहरी कड़ियाँ == |
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* [http://www.sahityashilpi.com/2009/10/blog-post_20.html श्लेष-वक्रिक्ति] (साहित्यशिल्पी) |
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{{रस छन्द अलंकार}} |
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[[श्रेणी:अलंकार]] |
[[श्रेणी: अलंकार]] |
15:04, 21 अक्टूबर 2014 का अवतरण
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। उदाहरण -
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।
यहां पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के लिये पानी का अर्थ चमक, मनुष्य के लिये इज्जत (सम्मान) और चूने के लिये पानी(जल) है। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।