"प्रवेशद्वार:हाल की घटनाएँ": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो मोक्ष
छो Hinduparivar (Talk) के संपादनों को हटाकर Shubhamkanodia के आखिरी अवतरण को पूर्ववत क...
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{pp-template|small=yes}}{{प्रवेशद्वार:हाल की घटनाएँ/मुख्य समाचार}}
{|style="background-color:transparent" cellspacing=0 cellpadding=0
|valign="top" style="width:80%"|
{{प्रवेशद्वार:हाल की घटनाएँ/चालू महीना}}
{{प्रवेशद्वार:हाल की घटनाएँ/पिछला महीना}}
|valign="top" style="width:20%"|
{{प्रवेशद्वार:हाल की घटनाएँ/घटनाएँ/बगली}}
|}


[[श्रेणी:प्रवेशद्वार]]
'''भारतीय दर्शन में नश्वरता को दु:ख का कारण माना गया है। संसार आवागमन, जन्म-मरण और नश्वरता का केंद्र हैं। इस अविद्याकृत प्रपंच से मुक्ति पाना ही मोक्ष है। प्राय: सभी दार्शनिक प्रणालियों ने संसार के दु:ख मय स्वभाव को स्वीकार किया है और इससे मुक्त होने के लिये कर्ममार्ग या ज्ञानमार्ग का रास्ता अपनाया है। मोक्ष इस तरह के जीवन की अंतिम परिणति है। इसे पारपार्थिक मूल्य मानकर जीवन के परम उद्देश्य के रूप में स्वीकार किया गया है। मोक्ष को वस्तुसत्य के रूप में स्वीकार करना कठिन है। फलत: सभी प्रणालियों में मोक्ष की कल्पना प्राय: आत्मवादी है। अंततोगत्वा यह एक वैयक्तिक अनुभूति ही सिद्ध हो पाता है।
[[श्रेणी:हाल की घटनाएँ]]

यद्यपि विभिन्न प्रणालियों ने अपनी-अपनी ज्ञानमीमांसा के अनुसार मोक्ष की अलग अलग कल्पना की है, तथापि अज्ञान, दु:ख से मुक्त हो सकता है। इसे जीवनमुक्ति कहेंगे। किंतु कुछ प्रणालियाँ, जिनमें न्याय, वैशेषिक एवं विशिष्टाद्वैत उल्लेखनीय हैं; जीवनमुक्ति की संभावना को अस्वीकार करते हैं। दूसरे रूप को "विदेहमुक्ति" कहते हैं। जिसके सुख-दु:ख के भावों का विनाश हो गया हो, वह देह त्यागने के बाद आवागमन के चक्र से सर्वदा के लिये मुक्त हो जाता है। उसे निग्रहवादी मार्ग का अनुसरण करना पड़ता है। उपनिषदों में आनंद की स्थिति को ही मोक्ष की स्थिति कहा गया है, क्योंकि आनंद में सारे द्वंद्वों का विलय हो जाता है। यह अद्वैतानुभूति की स्थिति है। इसी जीवन में इसे अनुभव किया जा सकता है। वेदांत में मुमुक्षु को श्रवण, अनन एवं निधिध्यासन, ये तीन प्रकार की मानसिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं। इस प्रक्रिया में नानात्व, का, जो अविद्याकृत है, विनाश होता है और आत्मा, जो ब्रह्मस्वरूप है, उसका साक्षात्कार होता है। मुमुक्षु "तत्वमसि" से "अहंब्रह्यास्मि" की ओर बढ़ता है। यहाँ आत्मसाक्षात्कार को हो मोक्ष माना गया है। वेदांत में यह स्थिति जीवनमुक्ति की स्थिति है। मृत्यूपरांत वह ब्रह्म में विलीन हो जाता है। ईश्वरवाद में ईश्वर का सान्निध्य ही मोक्ष है। अन्य दूसरे वादों में संसार से मुक्ति ही मोक्ष है। लोकायत में मोक्ष को अस्वीकार किया गया है।'''

07:08, 16 अक्टूबर 2014 का अवतरण

मुख्य समाचार
शिंजो आबे
शिंजो आबे
  • काबुल के एक स्कूल के नजदीक बम विस्फोट होने से लगभग 85 लोगों की मृत्यु हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए।


  • स्वीडन आधिकारिक तौर पर नाटो में शामिल हो गया और इसका 32वां सदस्य बन गया।

२०२२

जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०२१

दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०२०: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१९: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१८: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१७: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१६: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१५: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१४: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१३: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१२: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०११: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२०१०: अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२००९: अक्तूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


२००८: दिसम्बर  • नवम्बर  • अक्टूबर  • सितंबर  • अगस्त  • जुलाई  • जून  • मई  • अप्रैल  • मार्च  • फरवरी  • जनवरी


दिसम्बर २००७