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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}{{स्रोत कम}}
'''सीखना''' या '''अधिगम''' ({{lang-en|learning}}) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया को [[मनोविज्ञान]] में सीखना कहते हैं। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाऐं एवं उपक्रियाऐं करता है। अतः सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया है।<ref>{{cite web|title=मनोविज्ञान में प्रयोग एवं परियोजना |url=http://books.google.co.in/books?id=yGxD8DM5ClMC&pg=PA22|page=22|author=अरुण कुमार सिंह|publisher=मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स|year=2008|isbn=8120833228}}</ref><ref>{{cite web|title=उच्चतर शिक्षा मनोविज्ञान |url=http://books.google.co.in/books?id=RzBL2WXTEkYC&pg=PA304 |page=३०४|author=डॉ॰ मुहम्मद सुलैमान |publisher=|year=2007|isbn=8120824180}}</ref><ref>{{cite web|title=शिक्षा मनोविज्ञान |url=http://books.google.co.in/books?id=39zFbRGy9QgC |page=२०९|author=एस॰के॰ मंगल |publisher=पीएचआई लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड|year=२०१०|isbn=9788120332805}}</ref>
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