"संगीत नाटक अकादमी": अवतरणों में अंतर
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संगीत नाटक अकादमी की स्थापना संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं को प्रोत्साहन देना तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करना है। संगीत नाटक अकादमी अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में संगीत, नृत्य और नाटक की संस्थाओं को उनकी विभिन्न कार्ययोजनाओं के लिए अनुदान देती है, सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; विचारगोष्ठियों और समारोहों का संगठन करती है तथा इन विषयों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता देती है। |
संगीत नाटक अकादमी की स्थापना संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं को प्रोत्साहन देना तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करना है। संगीत नाटक अकादमी अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में संगीत, नृत्य और नाटक की संस्थाओं को उनकी विभिन्न कार्ययोजनाओं के लिए अनुदान देती है, सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; विचारगोष्ठियों और समारोहों का संगठन करती है तथा इन विषयों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता देती है। |
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संगीत नाटक अकादमी की एक महापरिषद् होती है जिसमें 48 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 सदस्य भारत सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं - एक शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधि, एक सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नियुक्त वित्त सलाहकार (पदेन), 1-1 मनोनीत सदस्य प्रत्येक राज्य सरकार का, 2-2 प्रतिनिधि ललित कला अकादमी और साहित्य अकादमी के होते हैं। इस प्रकार मनोनीत ये 28 सदस्य एक बैठक में 20 और सदस्यों का चुनाव करते हैं। ये व्यक्ति संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में विख्यात कलाकार और विद्वान् होते हैं। इनका चयन इस प्रकार से किया जाता है कि संगीत और नृत्य की विभिन्न पद्धतियों और शैलियों तथा विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व हो सके। इस प्रकार गठित महापरिषद् कार्यकारिणी का चुनाव करती है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। सभापति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। उपसभापति का चुनाव महापरिषद् करती है। सचिव का पद वैतनिक होता है और सचिव की नियुक्ति कार्यकारिणी करती है। |
संगीत नाटक अकादमी की एक महापरिषद् होती है जिसमें 48 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 सदस्य भारत सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं - एक शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधि, एक सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नियुक्त वित्त सलाहकार (पदेन), 1-1 मनोनीत सदस्य प्रत्येक राज्य सरकार का, 2-2 प्रतिनिधि ललित कला अकादमी और साहित्य अकादमी के होते हैं। इस प्रकार मनोनीत ये 28 सदस्य एक बैठक में 20 और सदस्यों का चुनाव करते हैं। ये व्यक्ति संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में विख्यात कलाकार और विद्वान् होते हैं। इनका चयन इस प्रकार से किया जाता है कि संगीत और नृत्य की विभिन्न पद्धतियों और शैलियों तथा विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व हो सके। इस प्रकार गठित महापरिषद् कार्यकारिणी का चुनाव करती है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। सभापति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। उपसभापति का चुनाव महापरिषद् करती है। सचिव का पद वैतनिक होता है और सचिव की नियुक्ति कार्यकारिणी करती है। |
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03:45, 13 सितंबर 2014 का अवतरण
चित्र:SNA logo.PNG | |
संक्षेपाक्षर | SNA |
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स्थापना | 31 मई 1952 |
मुख्यालय | रवींद्र भवन, फिरोजशाह रोड, नई दिल्ली, भारत |
सभापति |
लीला सेमसन[1] |
जालस्थल | SNA official website: sangeetnatak.org |
संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
स्थापना
संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार ने एक संसदीय प्रस्ताव द्वारा एक स्वायत्त संस्था के रूप में संगीत नाटक अकादमी की स्थापना करने का निर्णय किया। तदनुसार 1953 में अकादमी की स्थापना हुई। 1961 में अकादमी भंग कर दी गई और इसका नए रूप में संगठन किया गया। 1860 के सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन के अधीन यह संस्था पंजित हो गई। इसकी नई परिषद् और कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया। अकादमी अब इसी रूप में कार्य कर रही है।
उद्देश्य
संगीत नाटक अकादमी की स्थापना संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं को प्रोत्साहन देना तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करना है। संगीत नाटक अकादमी अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में संगीत, नृत्य और नाटक की संस्थाओं को उनकी विभिन्न कार्ययोजनाओं के लिए अनुदान देती है, सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है; विचारगोष्ठियों और समारोहों का संगठन करती है तथा इन विषयों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता देती है।
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संगठन व्यवस्था
संगीत नाटक अकादमी की एक महापरिषद् होती है जिसमें 48 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 सदस्य भारत सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं - एक शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधि, एक सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नियुक्त वित्त सलाहकार (पदेन), 1-1 मनोनीत सदस्य प्रत्येक राज्य सरकार का, 2-2 प्रतिनिधि ललित कला अकादमी और साहित्य अकादमी के होते हैं। इस प्रकार मनोनीत ये 28 सदस्य एक बैठक में 20 और सदस्यों का चुनाव करते हैं। ये व्यक्ति संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में विख्यात कलाकार और विद्वान् होते हैं। इनका चयन इस प्रकार से किया जाता है कि संगीत और नृत्य की विभिन्न पद्धतियों और शैलियों तथा विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व हो सके। इस प्रकार गठित महापरिषद् कार्यकारिणी का चुनाव करती है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। सभापति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति का मनोनयन शिक्षामंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। उपसभापति का चुनाव महापरिषद् करती है। सचिव का पद वैतनिक होता है और सचिव की नियुक्ति कार्यकारिणी करती है।
कार्यकारिणी कार्य के संचालन के लिए अन्य समितियों का गठन करती है, जैसे वित्त समिति, अनुदान समिति, प्रकाशन समिति आदि। अकादमी के संविधान के अधीन सभी अधिकार सभापति को प्राप्त होते हैं। महापरिषद्, कार्यकारिणी तथा सभापति का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है।
अकादमी के सबसे पहले सभापति श्री पी.वी. राजमन्नार थे। दूसरे सभापति मैसूर के महाराजा श्री जयचामराज वडयर थे।
कार्यक्रम
अकादमी का इन कलाओं के अभिलेखन का एक व्यापक कार्यक्रम है जिसके अधीन पारंपरिक संगीत और नृत्य तथा नाटक के विविध रूपों और शैलियों की फिल्में बनाई जाती हैं, फोटोग्राफ लिए जाते हैं और उनका संगीत टेपरिकार्ड किया जाता है। अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के कार्यक्रम भी प्रस्तुत करती है। अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के कार्यक्रम भी है जिसके अधीन इन विषयों की विशिष्ट पुस्तकें प्रकाशित की जाती है। अकादमी अंग्रेजी में एक त्रैमासिक पत्रिका "संगीत नाटक" का प्रकाशन करती है।
पुरस्कार
अकादमी प्रतिवर्ष संगीत और नृत्य तथा नाटक के क्षेत्र में विशिष्ट कलाकारों को पुरस्कृत करती है। पुरस्कारों का निर्णय अकादमी महापरिषद् करती है। पुरस्कारों का निर्णय अकादमी महापरिषद् करती है। पुरस्कार समारोह में पुरस्कारवितरण राष्ट्रपति द्वारा होता है। संगीत नृत्य और नाटक के क्षेत्र में अकादमी प्रतिवर्ष कुछ रत्नसदस्यों (फेलो) का चुनाव करती है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- The official website of the Sangeet Natak Akademi
- An agenda for the arts, Frontline magazine (The Hindu), February 15 - 28, 2003 - article on 50th anniversary
- Data Bank on Traditional/Folk performances
- Current events page on the website (slightly outdated)
- The Academy's Official List of Award winners.
- D. G. Godse The Academy's Awardee 1988
- carnatic india a portal on Indian classical fine arts.
- Akdemi Music.
- ↑ "Who's who of the Akademi". SNA website.