"अच्छे दिन आने वाले हैं": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
at the time of this incidence, Modi was not PM
छो बॉट: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
{{reflist}}
{{reflist}}


==बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ==
* [http://www.jansatta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=68202:2014-05-16-08-01-00&catid=1:2009-08-27-03-35-27 भारत की विजय, अच्छे दिन आने वाले हैं: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी] 16 मई 2014 [[जनसत्ता]]
* [http://www.jansatta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=68202:2014-05-16-08-01-00&catid=1:2009-08-27-03-35-27 भारत की विजय, अच्छे दिन आने वाले हैं: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी] 16 मई 2014 [[जनसत्ता]]



22:27, 2 सितंबर 2014 का अवतरण

प्रवासी भारतीय दिवस के परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अच्छे दिन आने वाले हैं भारतीय जनता पार्टी द्वारा २०१४ के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचारित किया गया एक नारा है जो पूरे भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ। प्रवासी भारतीय दिवस के परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों से चुनावी प्रक्रिया और देश में हो रही क्रान्ति में हिस्सा लेने को कहा था। मोदी ने काँग्रेस प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह द्वारा की गयी टिप्पणी पर चुटकी लेते हुए कहा हमारे प्रधानमन्त्री जी ने कल ही कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं, अच्छे दिन जल्द आने वाले हैं। मैं उनकी बात से सहमत हूँ। मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं। आपको चार-छह महीने इंतजार करना पड़ सकता है। अच्छे दिन निश्चित तौर पर आयेंगे। मोदी का संकेत लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व में बनने वाली अपनी सरकार की ओर था।[1][2]

नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के पहले चरण में जनता माफ नहीं करेगी नारे के साथ लोगों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया और अगले चरण में समस्याओं को सुलझाने के लिये ‘'अच्छे दिन आने वाले हैं'’ जैसा क्रान्तिकारी नारा देकर भारतीय राजनीति में इतिहास रच दिया।[3]

सन्दर्भ

  1. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की बात पर ली चुटकी, कहा- बहुत जल्‍द अच्‍छे दिन आने वाले हैं, 9 जनवरी 2014, जी न्यूज़, अभिगमन तिथि: २३ मई २०१४
  2. वर्गीस के॰ जॉर्ज (१७ मई २०१४). "PRIME MINISTER MODI" (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. अभिगमन तिथि २३ मई २०१४. नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद)
  3. अनिता शरण, मुम्बई (२१ मई २०१४). "पीयूष के नारों से हुए 'अच्छे दिन' साकार". लाइव हिन्दुस्तान डाट काम. अभिगमन तिथि २७ मई २०१४.

बाहरी कड़ियाँ