"तुम ही हो": अवतरणों में अंतर
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13:18, 16 अगस्त 2014 का अवतरण
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"तुम ही हो" | |
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गीत द्वारा | |
हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
तुझ से जुदा अगर हो जायेंगे
तो खुद से ही हो जायेंगे जुदा
क्यों की तुम ही हो, अब तुम ही हो
ज़िंदगी, अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी, अब तुम ही हो
तेरा मेरा रिश्ता हैं कैसा
एक पल दूर गवारा नही
तेरे लिये हर रोज़ हैं जीते
तुझको दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर साँस पे नाम तेरा
क्यों की तुम ही हो
तेरे लिये ही जिया मैं
खुद को जो यूँ दे दिया हैं
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मों को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा हैं नसीब जुड़ा
तुझे पाके अधूरा ना रहा
क्यों की तुम ही हो
“
”
गीतकार मिथुन"[1]
सन्दर्भ
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