"तुम ही हो": अवतरणों में अंतर

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<br />
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<poem>
हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
तुझ से जुदा अगर हो जायेंगे
तो खुद से ही हो जायेंगे जुदा
क्यों की तुम ही हो, अब तुम ही हो
ज़िंदगी, अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी, अब तुम ही हो


तेरा मेरा रिश्ता हैं कैसा
तुम ही हो
एक पल दूर गवारा नही

हम तेरे बिन अब रेह नहीं सकते,
तेरे लिये हर रोज़ हैं जीते
तुझको दिया मेरा वक़्त सभी
तेरे बिना क्या वज़ूद मेरा
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हम तेरे बिन अब रेह नहीं सकते,
तेरे बिना क्या वज़ूद मेरा

तुझसे जु़दा गर हों जाऐंगे तो,
खुद से ही हो जाऐंगे जुदा

क्योंकि तुम ही हो,
अब तुम ही हो,
ज़िन्दगी अब तुम ही हो,
चैन भी, मेरा दर्द भी,
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता है कैसा,
एक पल दूर गवारा नहीं
तेरे लिए हर रोज़ है जीते,
तुझ को दिया मेरा वक्ता सभी

कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना,
हर साँस पे नाम तेरा
हर साँस पे नाम तेरा
क्यों की तुम ही हो


तेरे लिये ही जिया मैं
क्योंकि तुम ही हो,
खुद को जो यूँ दे दिया हैं
अब तुम ही हो,
जि़न्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी,
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तुम ही हो... हा
तुम ही हो... आ आ

तेरे लिए ही जिया में
खुद को जो यूँ दे दिया है
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मों को दिल से निकाला
सारे ग़मों को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा हैं नसीब जुड़ा
तुझे पाके अधूरा ना रहा
क्यों की तुम ही हो
</poem>|source = '''गीतकार मिथुन"'''}}


तेरे साथ मेरा है नसीब जुड़ा
तुझे पाके अधुरा ना रहा

क्योंकि तुम ही हो,
अब तुम ही हो,
जि़न्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी,
मेरी आशिकी अब तुम ही हो
<br />


गीत - इरशाद कामिल
संगीत - मिथुन, जीत गांगुली
स्वर - अरिजीत सिंग
फिल्म - आशिकी २ (२०१३)


[श्रेणी:गीत]
[श्रेणी:गीत]

13:16, 16 अगस्त 2014 का अवतरण

"तुम ही हो"
गीत द्वारा

हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा
तुझ से जुदा अगर हो जायेंगे
तो खुद से ही हो जायेंगे जुदा
क्यों की तुम ही हो, अब तुम ही हो
ज़िंदगी, अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी, अब तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता हैं कैसा
एक पल दूर गवारा नही
तेरे लिये हर रोज़ हैं जीते
तुझको दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर साँस पे नाम तेरा
क्यों की तुम ही हो

तेरे लिये ही जिया मैं
खुद को जो यूँ दे दिया हैं
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मों को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा हैं नसीब जुड़ा
तुझे पाके अधूरा ना रहा
क्यों की तुम ही हो

गीतकार मिथुन"


[श्रेणी:गीत]