"झारखण्ड": अवतरणों में अंतर
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19:08, 7 सितंबर 2008 का अवतरण
भारत का राज्य | |
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राजधानी | रांची |
सबसे बड़ा शहर | रांची |
जनसंख्या | २६,९०९,४२८ |
- घनत्व | ३३८ /किमी² |
क्षेत्रफल | {{{क्षेत्रफल}}} किमी² |
- ज़िले | {{{ज़िले}}} |
राजभाषा | हिन्दी, सांथाली, मैथिली, भोजपुरी एवं अन्य |
गठन | {{{गठन}}} |
सरकार | |
- राज्यपाल | सैय्यद सिब्ते रजी |
- मुख्यमंत्री | शिबू सोरेन |
- विधानमण्डल | {{{विधानमण्डल}}} |
- भारतीय संसद | {{{भारतीय संसद}}} |
- उच्च न्यायालय | {{{उच्च न्यायालय}}} |
डाक सूचक संख्या | {{{डाक सूचक संख्या}}} |
वाहन अक्षर | {{{वाहन अक्षर}}} |
आइएसओ 3166-2 | {{{आइएसओ}}} |
{{{जालस्थल}}} |
झारखंड,(बांग्ला: ঝাড়খণ্ড,आइपीएdʒʰaːrkʰəɳɖ) यानि झार या झाड़ जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और खंड यानि टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलत: एक वनप्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरुप (जिसे बाद में कुछ लोगों द्वारा वनांचल आंदोलन के नाम से जाना जाता है) सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है। 72 वर्षों पहले आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा की अगुआई में अलग ‘झारखंड’ का सपना देखा. पर वर्ष 2000 में कद्र सरकार ने 15 नवंबर (आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के जन्मदिन) को भारत का अठ्ठाइसवाँ राज्य बना झारखंड भारत के नवीनतम प्रान्तों में से एक है। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड प्रदेश का सृजन किया गया था। औद्योगिक नगरी राँची इसकी राजधानी है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं। झारखंड की सीमाँए उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ, दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती हैं। लगभ संपूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। कोयल, दामोदर, खड़कई, और सुवर्णरेखा। स्वर्णरेखा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये मशहूर है।
झारखंड क्षेत्र विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों एवं धर्मों का संगम क्षेत्र कहा जा सकता है। द्रविड़, आर्य, एवं आस्ट्रो-एशियाई तत्वों के सम्मिश्रण का इससे अच्छा कोई क्षेत्र भारत में शायद ही दिखता है। इस शहर की गतिविधियाँ मुख्य रूप से राजधानी राँची और जमशेदपुर, धनबाद तथा बोकारो जैसे औद्योगिक केन्द्रों से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
इतिहास
झारखंड राज्य की मांग का इतिहास लगभग सौ साल से भी पुराना है जब 1900 इसवी के आसपास जयपाल सिंह जो भारतीय हाकी खिलाड़ी थे और जिन्होंने ओलोम्पिक खेलों में भारतीय हाकी टीम के कप्तान का भी दायित्व निभाया था, ने पहली बार तत्कालीन [[[बिहार]] के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड राज्य बनाने का विचार रखा था। लेकिन यह विचार 2 अगस्त सन 2000 में साकार हुआ जब संसद ने इस संबंध में एक बिल पारित किया और उसी साल 15 नवंबर को झारखंड राज्य ने मूर्त रूप ग्रहण किया और भारत के 28 वें प्रांत के रूप में प्रतिष्ठापित हुआ।
इतिहासविदों का मानना है कि झारखंड की विशिष्ट भू-स्थैतिक संरचना, अलग सांस्कृतिक पहचान इत्यादि को झारखंड क्षेत्र को मगध साम्राज्य से पहले से भी एक अलग इकाई के रूप में चिन्हित किया जाता रहा। किंवदंतियों के अनुसार तेरहवीं सदी में उड़ीसा के राजा जयसिंह देव को इस प्रदेश के लोग अपना राजा मानते थे। झारखंड के प्रारंभिक इतिहास में इस राजवंश की काफी प्रभावशाली भूमिका रही है। इससे पूर्व इस क्षेत्र में मुख्य रूप से कबिलाई सरदारों का बोलबाला रहा करता था लेकिन काफी क्षेत्रों में निरंकुशता एवं उनकी मनमानी की वजह से लोगों ने यहाँ से बाहर के रजवाड़ों से मदद की अपील की जिन्हें उस समय न्यायिक दृष्टि से काफी हद तक निष्पक्ष माना जाता था। इस तरह पहली बार इस क्षेत्र में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप शुरु हुआ जब उड़ीसा एवं अन्य क्षेत्रों के राजाओं ने अपनी सेना के साथ यहाँ दखल देना शुरु किया। कुछ अच्छे कबिलाई सरदार जिनका काम अच्छा था एवं जिनका प्रजा से अच्छा संबंध था उनका प्रभाव इस क्षेत्र में बाद तक कायम रहा, जिनमें मुख्य रुप से बहुत से मुंडा सरदार थे और आज भी बहुत से ईलाकों में ये काफी प्रभावशाली हैं। (देखें: मुंडा मानकी प्रथा)। बाद में मुगल सल्तनत के दौरान झारखंड को कुकरा प्रदेश के नाम से जाना जाता था। 1765 के बाद यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया। ब्रिटिश दासता के अधीन यहाँ काफी अत्याचार हुए और अन्य प्रदेशों से आनेवाले लोगों का काफी दबदबा हो गया था। इस कालखंड में इस प्रदेश में ब्रिटिशों के खिलाफ बहुत से विद्रोह हुए जिसे आदिवासी विद्रोहों के नाम से सामूहिक रूप से जाना जाता है, इनमें से कुछ प्रमुख विद्रोह थे:-
- 1772-1780 पहाड़िया विद्रोह
- 1780-1785 तिलका मांझी के नेतृत्व में मांझी विद्रोह जिसमें भागलपुर में 1785 में तिलका मांझी को फांसी दी गयी थी।
- 1795-1800 तमाड़ विद्रोह
- 1795-1800 मुंडा विद्रोह विष्णु मानकी के नेतृत्व में
- 1800-1802 मुंडा विद्रोह तमाड़ के दुखन मानकी के नेतृत्व में
- 1819-1820 मुंडा विद्रोह पलामू के भूकन सिंह के नेतृत्व में
- 1832-1833 खेवर विद्रोह भागीरथ, दुबाई गोसाई, एवं पटेल सिंह के नेतृत्व में
- 1833-1834 भूमिज विद्रोह वीरभूम के गंगा नारायण के नेतृत्व में
- 1855 लार्ड कार्नवालिस के खिलाफ सांथालों का विद्रोह
- 1855-1860 सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में सांथालों का विद्रोह
- 1856-1857 शहीदलाल, विश्वनाथ सहदेव, शेख भिखारी, गनपतराय एवं बुधु बीर का सिपाही विद्रोह के दौरान आंदोलन
- 1874 खेरवार आंदोलन भागीरथ मांझी के नेतृत्व में
- 1895-1900 बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा विद्रोह
इन सभी विद्रोहों के भारतीय ब्रिटिश सेना द्वारा फौजों की भारी तादाद से निष्फल कर दिया गया था। इसके बाद 1914 में ताना भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था जो बाद में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का हिस्सा बन गया।
भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु
प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा छोटानागपुर पठार का हिस्सा है जो कोयल, दामोदर, ब्रम्हाणी, खड़कई, एवं स्वर्णरेखा नदियों का उदगम स्थल भी है जिनके जलक्षेत्र ज्यादातर झारखंड में है। प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा वन-क्षेत्र है, जहाँ हाथियों एवं बाघों की बहुतायत है।
मिट्टी के वर्गीकरण के अनुसार, प्रदेश की ज्यादातर भूमि चट्टानों एवं पत्थरों के अपरदन से बनी है। जिन्हें इस प्रकार उप-विभाजित किया जा सकता है:-
- लाल मिट्टी, जो ज्यादातर दामोदर घाटी, एवं राजमहल क्षेत्रों में पायी जाती है।
- माइका युक्त मिट्टी, जो कोडरमा, झुमरी तिलैया, बड़कागाँव, एवं मंदार पर्वत के आसपास के क्षेत्रों में पायी जाती है।
- बलुई मिट्टी, ज्यादातर हजारीबाग एवं धनबाद क्षेत्रों की भूमि में पायी जाती है।
- काली मिट्टी, राजमहल क्षेत्र में
- लैटेराइट मिट्टी, जो राँची के पश्चिमी हिस्से, पलामू, संथाल परगना के कुछ क्षेत्र एवं पश्चिमी एवं पूर्वी सिंहभूम में पायी जाती है।
वानस्पतिकी एवं जैविकी
झारखंड वानस्पतिक एवं जैविक विविधताओं का भंडार कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रदेश के अभ्यारण्य एवं वनस्पति उद्यान इसकी बानगी सही मायनों में पेश करते हैं। बेतला राष्ट्रीय अभ्यारण्य (पलामू), जो डाल्टेनगंज से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, लगभग 250 वर्ग किमी में फैला हुआ है। विविध वन्य जीव यथा बाघ, हाथी, भैंसे सांभर, सैंकड़ो तरह के जंगली सूअर एवं 20 फुट लंबा अजगर चित्तीदार हिरणों के झुंड, चीतल एवं अन्य स्तनधारी प्राणी इस पार्क की शोभा बढाते हैं। इस पार्क को 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था।
जनसांख्यिकी
झारखंड की आबादी लगभग 26.90 मिलियन है जिसमें 13.86 मिलियन पुरुष एवं 13.04 मिलियन स्त्री हैं। यहाँ का लिंगानुपात 941 स्त्री प्रति 1000 पुरुष है। यहाँ की आबादी में 28% अनुसूचित जनजाति, 12% अनुसूचित जाति शामिल हैं। प्रतिवर्ग किलोमीटर जनसंख्या का घनत्व लगभग 274 है परंतु इसमें काफी विविधता है क्योंकि राज्य में कहीं कहीं काफी सघन आबादी है तो कहीं वन प्रदेश होने की वजह से घनत्व काफी कम है। गुमला जिले में जहाँ यह मात्र 148 व्यक्ति/वर्ग किमी है तो धनबाद जिले में 1167 व्यक्ति/वर्ग किमी है। [1]
पुरातन काल से ही यह प्रदेश आदिवासी जनजातियों का गृहक्षेत्र रहा है। किसी किसी जिले में तो जनजातिय आबादी ही बहुसंख्यक आबादी है। झारखंड में 32 जनजातिय समूहों का निवास है जिसमें असुर, बैगा, बंजारा, भथुड़ी, बेदिया, बिंझिया, बिरहोर, बिरिजिया, चेरो, चिक-बराईक, गोंड, गोराईत, हो, करमाली, खैरवार, खोंड, किसान, कोरा, कोरवा, लोहरा, महली, मलपहाड़िया, मुंडा, ओरांव, पहाड़िया, सांथाल, सौरिया-पहाड़िया, सावर, भूमिज, कोल एवम कंवर शामिल हैं।
वर्तमान झारखंड का भौगोलिक क्षेत्र दक्षिणी बिहार का हिस्सा था। जमशेदपुर, धनबाद एवं राँची जैसे औद्योगिक एवं खनन क्षेत्रों की वजह सेपिछले कई दशकों में पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं छत्तीसगढ से लोग इस प्रदेश में आते रहे हैं। यद्यपि झारखंड में गरीबी पिछले कुछ सालों 2% की दर से कम हुई है लेकिन भारतीय मानक के अनुसार यह अभी भी काफी पिछड़े क्षेत्रों में गिना जा सकता है।
राज्य की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू धर्म (लगभा 81%) मानती है। दूसरे स्थान पर (13.8%) इस्लाम धर्म है एवं राज्य की लगभग 4.1% आबादी ईसाइयत को मानती है। राज्य में अन्य बहुत से धर्मों की मौजूदगी भी है परंतु ये काफी कम हैं।
अर्थतंत्र
झारखंड की अर्थव्यवस्था मुख्यरूप से खनिज और वन संपदा से निर्देशित है। लोहा, कोयला, माइका, बाक्साइट, फायर-क्ले, ग्रेफाइट, कायनाइट, सेलीमाइट, चूना पत्थर, युरेनियम और दूसरी खनिज संपदाओं की प्रचुरता की वजह से यहाँ उद्योग-धंधों का जाल बिछा है। खनिज उत्पादों के खनन से झारखंड को सालाना तीस हजार करोड़ रुपये की आय होती है। झारखंड न केवल अपने उद्योग-धंधों में इसका इस्तेमाल करता है बल्कि दूसरे राज्यों को भी इसकी पूर्ति करता है। 2004 में बिहार से विभाजन के पश्चात झारखंड का जीडीपी 2004 में चौदह बिलियन डालर आंका गया था।
उद्योग-धंधा
झारखंड में भारत के कुछ सर्वाधिक औद्योगिकृत स्थान यथा - जमशेदपुर, राँची, बोकारो एवं धनबाद इत्यादि स्थित हैं। झारखंड के उद्योगों में कुछ खास:
- भारत का सबसे बड़ा उर्वरक कारखाना सिंदरी में स्थित था जो अब बंद हो चुका है।
- भारत का पहला और विश्व का पाँचवां सबसे बड़ा इस्पात कारखाना टाटा स्टील जमशेदपुर में।
- एशिया का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना बोकारो स्टील प्लांट बोकारो में।
- भारत का सबसे बड़ा आयुध कारखाना गोमिया में।
- मीथेन गैस का पहला प्लांट।
सरकार एवं राजनीति
झारखंड के मुखिया यहाँ के राज्यपालहैं जो राष्ट्रपति द्वार नियुक्त किए जाते हैं परंतु वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ मुख्यमंत्री के हाथों में केन्द्रित होती है जो अपनी सहायता के लिए एक मंत्रीमंडल का भी गठन करता है। राज्य का प्रशासनिक मुखिया राज्य का मुख्य सचिव होता है जो प्रशासनिक सेवा द्वारा चुनकर आते हैं। न्यायिक व्यस्था का प्रमुख राँची स्थित उच्च न्यायलय के प्रमुख न्यायधीश होता है। झारखंड भारत के उन तेरह राज्यों में शामिल है जो नक्सलवाद की समस्या से बुरी तरह जूझ रहा है। अभी हाल ही में 5 मार्च 2007 को चौदहवीं लोकसभा से जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो, की नक्सवादी उग्रवादियों द्वारा गोली मार कर ह्त्या कर दी गयी थी। [2]
झारखंड के मुख्यमंत्री
आरंभ | कब तक | नाम | दल |
---|---|---|---|
15 नवंबर 2000 | 18 मार्च 2003 | बाबूलाल मरांडी | भाजपा |
18 मार्च 2003 | 2 मार्च 2005 | अर्जुन मुंडा | भाजपा |
2 मार्च 2005 | 12 मार्च 2005 | शिबू सोरेन | झामुमो |
12 मार्च 2005 | 18 सितंबर 2006 | अर्जुन मुंडा | भाजपा |
18 सितंबर 2006 | २८ अगस्त २००८ | मधु कोडा | निर्दलीय |
२८ अगस्त २००८ | निवर्तमान | शिबू सोरेन | झामुमो |
मंत्रीमंडल
वर्तमान में झारखंड सरकार में 12 कैबिनेट मंत्री हैं जो राज्य के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों का संचालन करते हैं।
- मधु कोड़ा (मुख्यमंत्री), स्टीफन मरांडी (उपमुख्यमंत्री), सुधीर महतो (उपमुख्यमंत्री), एनोस एक्का, कमलेश कुमार सिंह, हरिनारायण राय, दुलाल भुइयाँ, नलिन सोरेन, जोबा मांझी, बन्धु तिर्की, चंद्रप्रकाश चौधरी एवं भानुप्रताप शाही
प्रशासनिक जिला इकाइयाँ
राज्य का निर्माण होने के समय झारखंड में 18 जिले थे जो पहले दक्षिण बिहार का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से कुछ जिलों को पुनर्गठित करके छह नये जिले सृजित किए गये :- लातेहार, सराईकेला खरसाँवा जामताड़ा साहिबगंज खूँटी एवं रामगढ। वर्तमान में राज्य में चौबीस जिले हैंझारखंड के जिले:
- राँची, लोहरदग्गा, गुमला, सिमडेगा, पलामू, लातेहार, गढवा, पश्चिमी सिंहभूम, सराईकेला खरसाँवा, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, देवघर, खूँटी, रामगढ
यह भी देखें:झारखंड का जिलेवार मानचित्र
यातायात
झारखंड की राजधानी राँची संपूर्ण देश से सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा काफी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2, 27, 33 इस राज्य से होकर गुजरती है। इस प्रदेश का दूसरा प्रमुख शहर टाटानगर (जमशेदपुर) दिल्ली कोलकाता मुख्य रेलमार्ग पर बसा हुआ है जो राँची से 120 किलोमीटर दक्षिण में बसा है। राज्य का में एकमात्र राष्ट्रीय हवाई अड्डा राँची का बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा है जो देश के प्रमुख शहरों; मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और पटना से जुड़ा है। इंडियन एयरलाइन्स और एयर सहारा की नियमित उड़ानें आपको इस शहर से हवाई-मार्ग द्वारा जोड़ती हैं। सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाषचंद्र बोस हवाई अड्डा है।
जिले
झारखंड में 22 जिले हैं जो इस प्रकार हैं:- कोडरमा जिला, गढवा जिला, गिरीडीह जिला, गुमला जिला, चतरा जिला, जामताड़ा जिला, दुमका जिला, देवघर जिला, गोड्डा जिला, धनबाद जिला, पलामू जिला, पश्चिमी सिंहभूम जिला (मुख्यालय:चाईबासा), पूर्वी सिंहभूम जिला (मुख्यालय: जमशेदपुर), बोकारो जिला, पाकुड़ जिला, राँची जिला, लातेहार जिला, लोहरदग्गा जिला, सराइकेला खरसावाँ जिला, साहिबगंज जिला, सिमडेगा जिला, हजारीबाग जिला,
पर्व-त्यौहार
झारखंड में सभी समुदायों के लोगों के होने की वजह से हिन्दू, मुसलमान, और इसाइयों के पर्व त्यौहार तो श्रद्धा और भक्तिपूर्वक तो मनाये ही जाते हैं लेकिन आदिवासियों के कुछ खास पर्वों की छटा अपने आप में मन को मोहने वाली होती है। आदिम काल से चले आ रहे इनके त्यौहारों के रंग को तो वक़्त के थपेड़ों ने बहुत कुछ कुंद किया है लेकिन अभी भी पर्वों की जीवटता किसी तरह कम नहीं हुयी लगती, आदिवासियों के कुछ मुख्य त्यौहार निम्न हैं :-
- झारखंड के लोकनृत्य
पाइका छऊ, जदुर, नाचनी, नटुआ, अगनी, चौकारा, जामदा, घटवारी, मतहा
शिक्षा संस्थान
झारखंड की शिक्षा संस्थाओं में कुछ अत्यंत प्रमुख शिक्षा संस्थान शामिल हैं। जनजातिय प्रदेश होने के बावज़ूद यहां कई नामी सरकारी एवं निजी कॉलेज हैं जो कला, विज्ञान, अभियांत्रिकी, मेडिसिन, कानून और मैनेजमेंट में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं ।
झारखंड की कुछ प्रमुख शिक्षा संस्थायें हैं :
विश्वविद्यालय
- राँची विश्ववविद्यालय राँची, सिद्धू कान्हू विश्वविद्यालय दुमका, विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राँची, बी आई टी मेसरा राँची
अन्य प्रमुख संस्थान
- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर, राष्ट्रीय खनन शोध संस्थान धनबाद, भारतीय लाह शोध संस्थान राँची, राष्ट्रीय मनोचिकत्सा संस्थान राँची, जेवियर प्रबंधन संस्थान । एक्स एल आर आई जमशेदपुर
दर्शनीय स्थल
विभूतियाँ
संचार एवं समाचार-माध्यम
राँची एक्सप्रेस[3] एवं प्रभात खबर[4] जैसे हिन्दी समाचारपत्र राज्य की राजधानी राँची से प्रकाशित होनेवाले प्रमुख समाचारपत्र हैं जो राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध होते हैं। हिन्दी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले देश के अन्य प्रमुख समाचारपत्र भी बड़े शहरों में दोपहर बाद आसानी से मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, उदितवाणी तथा आवाज जैसे हिन्दी समाचारपत्र भी प्रदेश के बहुत से हिस्सों में काफी पढे जाते हैं।
राँची और जमशेदपुर में लगभग पांच रेडियो प्रसारण केन्द्र हैं और आकाशवाणी की पहुँच प्रदेश के हर हिस्से में है। दूरदर्शन का राष्ट्रीय प्रसारण भी प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में पहुँच रखता है। झारखंड के बड़े शहरों में लगभग हर टेलिविजन चैनल उपग्रह एवं केबल के माध्यम से सुलभता से उपलब्ध है।
लैंडलाइन टेलीफोन की उपलब्धता प्रदेश में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), टाटा टेलीसर्विसेज (टाटा इंडिकाम) एवं रिलायंस इन्फोकाम द्वारा हर हिस्से में की जाती है। मोबाईल सेवा प्रदाताओं में बीएसएनएल, एयरसेल, आइडिया, वोदाफोन रिलायंस एवं एयरटेल प्रमुख हैं।
साहित्य
यह भी देखें
बाहरी कड़ियाँ