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संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं।
संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं।

'''सृष्टि के प्रथम पत्रकार थे देवर्षि नारद'''

भारत प्राचीनतम देश है. धर्म और आध्यात्म की बुनियाद पर स्थित इस देश की परम्पराएं भी विलक्षण हैं. पत्रकारिता भी इस देश की प्राचीनतम परम्पराओं में शामिल है. अगर कहा जाये कि देवर्षि नारद इस सृष्टि के प्रथम पत्रकार थे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. नारद जी का जो चित्रण अब तक सतही साहित्य में किया जाता रहा जिसमें भारतीय धार्मिक चलचित्र भी शामिल हैं, उनमें उन्हें एक मसखरा या विदूषक के रूप में ही चित्रित किया जाता रहा वस्तुत: ऐसा है नहीं. नारद सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा के मानस पुत्र थे. वे प्रथम संवाददाता थे जिन्होंने मौखिक पत्रकारिता के माध्यम से तत्कालीन परिस्थितियों का आकलन और व्याख्याएं कीं. नारद की एक बाह्य रूपाकृति है तो एक आंतरिक. बाह्य रूपाकृति देखने पर वे एक तेजस्वी, हंसमुख व्यक्तित्व हैं जिनके एक हाथ में वीणा तो दूसरे हाथ में खड़ताल है. हर वक्त नारायण-नारायण के उच्चारण से सभाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करने वाले नारद आंतरिक रूपाकृति में एक परम ज्ञाता,दार्शनिक और समस्याओं के समाधानकर्ता के रूप में दिखाई देते हैं. उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है, जिसकी झलक वेदों, पुराणों, उपनिषदों, महाभारत और श्रीमद भागवद में मिलती है. वे त्रिकालदर्शी हैं. विष्णु के अनन्य भक्त नारद चुटकियों में समस्या समाधान करते दिखायी देते हैं. नारद का ज्ञान असीम है. वे सत्य के साथ है. हिरण्यकश्यप के विरुद्ध प्रह्लाद को प्रभु भक्ति की प्रेरणा देने वाले नारद निडर और निर्भीक दिखाई देते हैं. उन्होंने महर्षि वेदव्यास, वृहस्पति आदि को ज्ञान दिया. नारद का शाब्दिक अर्थ ही उनके ज्ञान को स्पष्ट करता है. जिसके अनुसार वे, वे हैं जिन्हें भगवान नारायण ने ज्ञान प्रदान किया और जो सबको ज्ञान प्रदान करने वाले हैं. नारद अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले हैं.
पाठकों को यह जिज्ञासा जरूर होगी कि नारद को सृष्टि का प्रथम पत्रकार क्यों मान जाये. सच्चाई तो यह है कि एक पत्रकार में जितनी विशेषताएं होनी चाहिए या होती हैं वे सब देवर्षि नारद में समाहित थीं. एक पत्रकार को तेजस्वी होना चाहिए और वे ऐसे तेजस्वी थे कि उनके आते ही क्या देव और क्या दानव सभी अपना सिंहासन छोड़कर उनका स्वागत करते थे. इन्द्र की सभा में नारद के पहुँचने पर इन्द्र स्वयं उठकर खड़े हो जाते थे. किसी पत्रकार में तेजस्विता तभी सम्भव है जब वह मानवीय मूल्यों और उसूलों का पैरोकार हो. आज भी यही स्थिति है. स्तरीय पत्रकारों को सत्ता या विपक्ष सभी का सम्मान उसके मूल्यों और उसूलों के कारण ही प्राप्त होता है. नारद सत्य में निष्ठा रखने वाले थे और पत्रकारिता सत्य पर आधारित ही होती है या यूँ कहा जाये कि सत्य पत्रकारिता कि आत्मा होती है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. पत्रकार हमेशा सत्य का साथ देता है यही कारण है कि बड़े से बड़े लोग चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के सत्यनिष्ठ पत्रकार से हमेशा भयभीत रहते हैं. सत्यनिष्ठ पत्रकार निर्लिप्त भाव से अपने काम को अंजाम देता है. यूँ कहा जाये कि वह पक्षपात रहित होता है ज्यादा उचित होगा. नारद पक्षपात रहित संवाददाता/ पत्रकार थे. वे सत्य के उपासक, प्रवक्ता और प्रस्तोता थे.
चाहे कोई भी काल हो पत्रकार हमेशा खतरों से जूझता है इसलिए पत्रकार को निर्भीक और निडर होना ही चाहिए. नारद ऐसे ही व्यक्तित्व थे जो भरी सभा में निडर होकर अपनी बात कहते थे. नारायण ही सत्य है इसलिए वे नारायण की पूजा अर्थात सत्य की पूजा के उपासक थे. निर्भीक इतने कि इन्द्र से भी दो टूक बात करते थे. वे हिरण्यकश्यप या कंस से भी नहीं डरे.
भगवान विष्णु के ही अवतार हैं देविर्ष
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के प्रथम दिन देविर्ष नारद का पूजन किया जाता है. इस दिन नारद जयंती भी मनाई जाती है.
शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं. उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है. वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं. देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं. शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है. ग्रंथों में देवर्षि नारद को भगवान विष्णु का अवतार भी बताया गया है. श्रीमद्भागवतगीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:. अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं.
महाभारत के सभापर्व के पांचवें अध्याय में नारदजी के व्यक्तित्व का परिचय इस प्रकार दिया गया है- देवर्षि नारद वेद और उपनिषदों के मर्मज्ञ, देवताओं के पूज्य, इतिहास-पुराणों के विशेषज्ञ, पूर्व कल्पों (अतीत) की बातों को जानने वाले, शिक्षा, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान, संगीत-विशारद, प्रभावशाली वक्ता, मेधावी, नीतिज्ञ, कवि, महापण्डित, बृहस्पति जैसे महाविद्वानों की शंकाओं का समाधान करने वाले और सर्वत्र गति वाले हैं. अठारह महापुराणों में एक नारदोक्त पुराण; बृहन्नारदीय पुराण के नाम से प्रख्यात है.

== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://spj.org Society of Professional Journalists]
* [http://spj.org Society of Professional Journalists]

01:05, 4 जून 2014 का अवतरण

पत्रकार उस व्यक्ति को कहते हैं जो समसामयिक घटनाओं, लोगों, एवं मुद्दों आदि पर सूचना एकत्र करता है एवं जनता में उसे विभिन्न माध्यमों की मदद से फैलाता है। इस व्यवसाय या कार्य को पत्रकारिता कहते हैं।

संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं।

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