"विलियम वर्द्स्वर्थ": अवतरणों में अंतर

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वर्ड्सवर्थ को १८३८ में, डरहम विश्वविद्यालय से सिविल लॉ कि डिग्री प्राप्त हुइ और अग्ले साल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भि वही सम्मान प्राप्त हुइ। सन १८४२ में सर्कार ने उन्हे ३०० कि राशी के नाग्रिक सुची पेन्शन से सम्मानित किया था। १८४३ में, रॉबर्ट सौदी के मृत्यु के बाद, वें राज-कवि बन गये। प्रारंभिक रूप से उन्होने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया, यह केह के कि वें बहुत बुढ़े है, लेकिन प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील के आश्वासन देने पर उन्होने सम्मान स्विकार कर लिया।
वर्ड्सवर्थ को १८३८ में, डरहम विश्वविद्यालय से सिविल लॉ कि डिग्री प्राप्त हुइ और अग्ले साल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भि वही सम्मान प्राप्त हुइ। सन १८४२ में सर्कार ने उन्हे ३०० कि राशी के नाग्रिक सुची पेन्शन से सम्मानित किया था। १८४३ में, रॉबर्ट सौदी के मृत्यु के बाद, वें राज-कवि बन गये। प्रारंभिक रूप से उन्होने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया, यह केह के कि वें बहुत बुढ़े है, लेकिन प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील के आश्वासन देने पर उन्होने सम्मान स्विकार कर लिया।
===मृत्यु===
===मृत्यु===
विलियम वर्ड्सवर्थ कि मृत्यु २३ अप्रैल, १८५० में, परिफुफ्फुसशोथ के गम्भीर होने से हुइ थी और उन्हें ग्रेस्मेर के सेंट ओसवाल्ड चर्च में दफनाया गया था।
विलियम वर्ड्सवर्थ कि मृत्यु २३ अप्रैल, १८५० में, परिफुफ्फुसशोथ के गम्भीर होने से हुइ थी और उन्हें ग्रेस्मेर के सेंट ओसवाल्ड चर्च में दफनाया गया था। उनकी मृत्यु के कई महीनौ बाद , उनकी पत्नी मैरी ने उनके द्वारा लिखी गई आत्म-कथात्मक कविता ' द प्रेल्युड' प्रकाशित किया। १८५० में यह कविता रुची जगाने में विफल रहा, हालांकि अब यह कविता उनकी सर्वोत्कृष्ट रचना मानी जाती हैं।

02:59, 2 फ़रवरी 2014 का अवतरण

विलियम वर्द्स्वर्थ

विलियम वर्द्स्व्र्थ(७ अप्रैल,१७७०-२३ अप्रैल, १८५०) एक प्रमुख रोमचक कवि थे, और उन्होने सेम्युल तेलर कोलरिज कि सहायता से अङ्रेज़ि सहित्य मे सयुक्त प्रकाशन गीतात्मक गथागीत के साथ रोमन्चक युग क आरम्भ किया। वर्द्स्वर्थ कि प्रसिध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्म चरितात्मक कवित माना जाता है। वर्द्स्वर्थ १८४३ से १८५० मे अप्नि म्रित्यु तक ब्रिटेन के महाकवि थे।

प्रारम्भिक जीवन

जॉन वर्ड्सवर्थ और ऐन कूक्सन के ५ बच्चो मे से दूसरे, विलियम वर्द्स्वर्थ का जन्म ७ अप्रैल, १७७० को कौकरमाउथ, कंबरलैंड, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र मे हुआ था। उनके पिता जेम्स लौथर, अर्ल ओफ लोन्स्डेल के कानूनी प्रतिनिधि थे और अपने सम्पर्क से छोटे शेहेर के बङे मकान में रह्ते थे। उनकी मृत्यु १७८३ में हुइ थी। वर्ड्सवर्थ के पिता अक्सर व्यापार के सम्बन्ध में घर से बाहर रेह्ते थे, हालांकि उसे पढने के लिये प्रोत्साहित करते थे और विशेश रूप से मिलटन, शेक्सपियर और स्पेंसर द्वारा रचित कविता प्रतिबध, इसके अतिरिक्त उसे अपने पिता के पुस्तकालय का उपयोग करने के लिए अनुमति दी गई थी।

साहित्यिक सम्मान

वर्ड्सवर्थ को १८३८ में, डरहम विश्वविद्यालय से सिविल लॉ कि डिग्री प्राप्त हुइ और अग्ले साल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भि वही सम्मान प्राप्त हुइ। सन १८४२ में सर्कार ने उन्हे ३०० कि राशी के नाग्रिक सुची पेन्शन से सम्मानित किया था। १८४३ में, रॉबर्ट सौदी के मृत्यु के बाद, वें राज-कवि बन गये। प्रारंभिक रूप से उन्होने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया, यह केह के कि वें बहुत बुढ़े है, लेकिन प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील के आश्वासन देने पर उन्होने सम्मान स्विकार कर लिया।

मृत्यु

विलियम वर्ड्सवर्थ कि मृत्यु २३ अप्रैल, १८५० में, परिफुफ्फुसशोथ के गम्भीर होने से हुइ थी और उन्हें ग्रेस्मेर के सेंट ओसवाल्ड चर्च में दफनाया गया था। उनकी मृत्यु के कई महीनौ बाद , उनकी पत्नी मैरी ने उनके द्वारा लिखी गई आत्म-कथात्मक कविता ' द प्रेल्युड' प्रकाशित किया। १८५० में यह कविता रुची जगाने में विफल रहा, हालांकि अब यह कविता उनकी सर्वोत्कृष्ट रचना मानी जाती हैं।