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'''के पी सक्सेना''' (1931-31 अक्तूबर 2013) [[लखनऊ]] से एक हिन्दी लेखक,व्यंग्यकार और फिल्मों के पटकथा लेखक थे। <ref name=dna/> He was employed by the [[Indian Railways]] but he is a prolific writer for magazines and newspapers.<ref>{{cite news |title=KP Saxena to write screenplay for Anil Kapoor film|url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2003-02-03/lucknow/27274688_1_anil-kapoor-film-star-bollywood |publisher=[[The Times of India]] |date=Feb 3, 2003 }}</ref>
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के.पी. सक्सेना की गिनती वर्तमान समय के सबसे बड़े व्यंग्यकारों में होती है। [[हरिशंकर परसाई]] और [[शरद जोशी]] के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पहचाने गए व्यंग्यकार है, जिन्होने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन के इर्द-गिर्द अपनी रचनाएं बुनीं। के.पी. साहब के रचना कर्म की शुरूआत उर्दू में अफसानानिगारी के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरू [[अमृत लाल नागर]] के कहने और आशीर्वाद पाने पर वे व्यंग्य के क्षेत्र में आ गए। [[अमृत लाल नागर]] की शैली और आशीर्वाद दोनों ने के.पी. साहब के वयंग्य में खूब असर पैदा किया। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि आज उनके तकरीबन पन्द्रह हजार प्रकाशित व्यंग्य हैं जो कि अपने आप में एक दुर्लभ कीर्तिमान है। उनकी पांच से ज्यादा फुटकर वयंग्य की पुस्तकें प्रकाशित हैं जबकि कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं।<ref>[http://lucknow.me/%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE/ अज़ीमुश्शान शहंशाह – पदमश्री के.पी. सक्सेना]</ref>
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==सन्दर्भ==
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11:16, 31 अक्टूबर 2013 का अवतरण

के पी सक्सेना (1931-31 अक्तूबर 2013) लखनऊ से एक हिन्दी लेखक,व्यंग्यकार और फिल्मों के पटकथा लेखक थे। [1] He was employed by the Indian Railways but he is a prolific writer for magazines and newspapers.[2]

के.पी. सक्सेना की गिनती वर्तमान समय के सबसे बड़े व्यंग्यकारों में होती है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पहचाने गए व्यंग्यकार है, जिन्होने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन के इर्द-गिर्द अपनी रचनाएं बुनीं। के.पी. साहब के रचना कर्म की शुरूआत उर्दू में अफसानानिगारी के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरू अमृत लाल नागर के कहने और आशीर्वाद पाने पर वे व्यंग्य के क्षेत्र में आ गए। अमृत लाल नागर की शैली और आशीर्वाद दोनों ने के.पी. साहब के वयंग्य में खूब असर पैदा किया। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि आज उनके तकरीबन पन्द्रह हजार प्रकाशित व्यंग्य हैं जो कि अपने आप में एक दुर्लभ कीर्तिमान है। उनकी पांच से ज्यादा फुटकर वयंग्य की पुस्तकें प्रकाशित हैं जबकि कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं।[3]

उन्हें भारतीय रेलवे ने नौकरी दी थी।ये पत्रिकाओं के लिए भी लिखते थे। इन्होंने हिन्दी फिल्म लगान (२००१ फ़िल्म), हलचल (2004 फ़िल्म), और स्वदेश (2004 फ़िल्म) की पटकथा लिखी थी।[1]

उन्हें 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।[4]

उनका निधन 31 अक्तूबर 2013 को लखनऊ में हो गया। वे कैंसर से पीड़ित थे। [5]

सन्दर्भ

  1. "BBC to broadcast weekly Hindi programme on bonded labour". DNA (newspaper). May 26, 2010.
  2. "KP Saxena to write screenplay for Anil Kapoor film". The Times of India. Feb 3, 2003.
  3. अज़ीमुश्शान शहंशाह – पदमश्री के.पी. सक्सेना
  4. "Padma Awards Directory (1954-2009)" (PDF). Ministry of Home Affairs.
  5. छतीसगढ़ खबर,31 अक्तूबर 2013, शीर्षक: लेखक के.पी. सक्सेना नही रहे