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[[चित्र:Abdul Ghaffar Khan and Gandhi in 1940.jpg|thumb|230px|[[ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान]] (बायीं ओर) [[महात्मा गांधी]] (दायीं ओर) के साथ (1940 का चित्र)]] |
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'''लाल कुर्ती |
'''लाल कुर्ती आन्दोलन''' भारत में पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रान्त में [[ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान]] द्वारा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के समर्थन में '''खुदाई ख़िदमतगार''' ([[फारसी]] शब्द, अर्थात् ईश्वर के सेवक) के नाम से किया गया आन्दोलन।<ref>[http://sggkstudy.blogspot.in/2013/05/26_15.html सामान्य अध्ययन, प्रश्न-26]</ref> |
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[[ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान]] पख्तून थे |
[[ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान]] एक पख्तून थे जो [[महात्मा गांधी]] तथा उनके अहिंसक सिद्धान्तों के बहुत बड़े प्रशंसक थे। वे काँग्रेस को सीमान्त क्षेत्र में अंग्रेज़ी शासन के बिरुद्ध अपनी शिकायतों पर बल देने का एक रास्ता मानते थे। उन्हें सीमान्त गान्धी कहा जाता था। उनके अनुयायी अहिंसा के प्रति बचनबद्ध थे और उन्हें अपनी कमीजों के लाल रंग के कारण लाल कुर्ती का लोकप्रिय नाम मिला। बताया जाता है कि स्कूली शिक्षा के दौरान फिल्म आभिनेता [[ए के हंगल]] भी फ़्रंटियर गान्धी यानी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के नेतृत्व में चल रहे "लाल कुर्ती' आन्दोलन से वे पेशावर में स्कूली शिक्षा के दौरान ही जुड़ गये थे।<ref>[http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-26/2011-06-03-11-46-05/3068-ak-hangal-ipta-cpi-bollywood हरफनमौला थे हमारे हंगल]</ref> |
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==इतिहास== |
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[[चित्र:Nv-army-gray BG.jpg|thumb|right|200px|लाल कुर्ती संगठन का एक ऐतिहासिक चित्र]] |
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1937 में नए भारत सरकार अधिनियम के अन्तर्गत कराये गए चुनावों में लाल कुर्तियों के समर्थन से कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला और उसने गफ्फार खान के भाई खान साहिब के नेतृत्व में मन्त्रिमण्डल बनाया, जो बीच में थोड़ा अन्तराल छोडकर 1947 में भारत विभाजन तक काम करता रहा। इसी वर्ष सीमान्त प्रान्त को [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] में से एक में विलय का चुनाव करना पड़ा। उसने जनमत संग्रह के माध्यम से [[पाकिस्तान]] में विलय का विकल्प चुना। <ref>भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पॉपुलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4</ref> |
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[[ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान]] ने तब [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] के सीमान्त जिलों को मिलाकर एक स्वतन्त्र पख्तून देश-पख्तूनिस्तान की अवधारणा की वकालत की। [[पाकिस्तान]] सरकार ने इस आन्दोलन और लाल कुर्ती (पोशाक), दोनों का दमन कर दिया। <ref>भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पॉपुलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4</ref> |
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14:30, 24 सितंबर 2013 का अवतरण
लाल कुर्ती आन्दोलन भारत में पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रान्त में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में खुदाई ख़िदमतगार (फारसी शब्द, अर्थात् ईश्वर के सेवक) के नाम से किया गया आन्दोलन।[1]
प्रकृति
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान एक पख्तून थे जो महात्मा गांधी तथा उनके अहिंसक सिद्धान्तों के बहुत बड़े प्रशंसक थे। वे काँग्रेस को सीमान्त क्षेत्र में अंग्रेज़ी शासन के बिरुद्ध अपनी शिकायतों पर बल देने का एक रास्ता मानते थे। उन्हें सीमान्त गान्धी कहा जाता था। उनके अनुयायी अहिंसा के प्रति बचनबद्ध थे और उन्हें अपनी कमीजों के लाल रंग के कारण लाल कुर्ती का लोकप्रिय नाम मिला। बताया जाता है कि स्कूली शिक्षा के दौरान फिल्म आभिनेता ए के हंगल भी फ़्रंटियर गान्धी यानी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के नेतृत्व में चल रहे "लाल कुर्ती' आन्दोलन से वे पेशावर में स्कूली शिक्षा के दौरान ही जुड़ गये थे।[2]
इतिहास
1937 में नए भारत सरकार अधिनियम के अन्तर्गत कराये गए चुनावों में लाल कुर्तियों के समर्थन से कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला और उसने गफ्फार खान के भाई खान साहिब के नेतृत्व में मन्त्रिमण्डल बनाया, जो बीच में थोड़ा अन्तराल छोडकर 1947 में भारत विभाजन तक काम करता रहा। इसी वर्ष सीमान्त प्रान्त को भारत और पाकिस्तान में से एक में विलय का चुनाव करना पड़ा। उसने जनमत संग्रह के माध्यम से पाकिस्तान में विलय का विकल्प चुना। [3]
परिणति
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान ने तब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमान्त जिलों को मिलाकर एक स्वतन्त्र पख्तून देश-पख्तूनिस्तान की अवधारणा की वकालत की। पाकिस्तान सरकार ने इस आन्दोलन और लाल कुर्ती (पोशाक), दोनों का दमन कर दिया। [4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ सामान्य अध्ययन, प्रश्न-26
- ↑ हरफनमौला थे हमारे हंगल
- ↑ भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पॉपुलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4
- ↑ भारत ज्ञानकोश, भाग-5, प्रकाशक: पॉपुलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या: 157,आई एस बी एन 81-7154-993-4