"डेबिट": अवतरणों में अंतर

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18:03, 15 अगस्त 2013 का अवतरण

लेखांकन
मुख्य संकल्पनाएँ
लेखांकक · लेखांकन अवधि · पुस्तपालन · Cash and accrual basis · Cash flow management · Chart of accounts · Constant Purchasing Power Accounting · Cost of goods sold · Credit terms · Debits and credits · Double-entry system · Fair value accounting · FIFO & LIFO · GAAP / IFRS · General ledger · Goodwill · Historical cost · Matching principle · Revenue recognition · Trial balance
लेखांकन के क्षेत्र
लागत · वित्तीय · न्यायालयिक · Fund · प्रबन्ध
वित्तीय विवरण
Statement of Financial Position · Statement of cash flows · Statement of changes in equity · Statement of comprehensive income · Notes · MD&A · XBRL
लेखापरीक्षा
लेखापरीक्षक की रिपोर्ट · वित्तीय लेखापरीक्षा · GAAS / ISA · आन्तरिक लेखापरीक्षा · Sarbanes–Oxley Act
लेखांकन योग्यताएँ
CA · CPA · CCA · CGA · CMA · CAT

(नामे)डेबिट और जमा (क्रेडिट) बहीखाता और लेखा.की औपचारिक शर्तें हैं. ये लेखांकन में सर्वाधिक मौलिक अवधारणाएं हैं,जो लेखा प्रणाली में दर्ज प्रत्येक लेन-देन के दोनों पहलुओं को दर्शाते हैं. एक नामे (डेबिट) लेन-देन एक परिसंपत्ति(आस्ति) या किसी खर्च के लेन-देन,कोइ जमा(क्रेडिट) एक ऐसे लेन-देन की ओर संकेत करता है जो देयता या लाभ का कारण होगा.एक डेबिट लेन-देन का किसी जमा शेष राशि को कम करने अथवा किसी डेबिट शेष राशि को बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एक जमा लेन-देन का एक नामे (डेबिट) शेष राशि को कम करने अथवा जमा (क्रेडिट)शेष राशि को बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

एक लेखा अगर जो अपेक्षित था ठीक उसका उलटा दर्शाता है, जैसेकि एक आस्ति खाते को जमा लेखा के रूप में दर्ज किया जाता है, तो इसे प्रति लेखा के रूप में संदर्भित करते हैं. संचित मूल्यह्रास इसका एक उदाहरण होगा, जो दरअसल एक आस्ति प्रति लेखा है, क्योंकि यह आस्ति (परिसंपत्ति) के मूल्य को कम कर देता है.

परिचय

नामे (डेबिट) और जमा (क्रेडिट) बहीखाते में प्रयोग की जाने वाली अंकन की एक प्रणाली है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी भी वित्तीय लेनदेन का रिकॉर्ड कैसे और कहाँ करें. बहीखाता में, 'अतिरिक्त +' और घटाव '-' प्रतीकों, का उपयोग करने के बजाय एक लेन-देन में DR (डेबिट) या CR (क्रेडिट) का उपयोग होता है. दुहरी-प्रविष्टि वाले बहीखाते में डेबिट को आस्ति(परिसंपत्ति) के लिए प्रयोग किया जाता है और खर्च, लाभ तथा इक्विटी के लेन-देन को देयता के लिए प्रयोग किया जाता है. बैंक लेन-देन के मामले में, मुद्रा (धन) के आने को नामे (डेबिट) लेन-देन और मुद्रा(धन) के बाहर निर्गत होने को जमा (क्रेडिट) लेनदेन के रूप में माना जाता है. परंपरागत रूप से, लेन-देन को दो कॉलमों की संख्या में दर्ज करते हैं: बायीं ओर के कॉलम में नामे (डेबिट्स)प्रविष्टियां, जबकि दाहिनी ओर के कॉलम में जमा (क्रेडिट्स) दर्ज करते हैं. डेबिट्स और क्रेडिट्स को अलग-अलग स्तंभों(कॉलमों) में रखते हुए प्रत्येक दर्ज की गयी प्रविष्टि को दोनों अलग-अलग कॉलमों में कुल-योग करना संभव है. जब डेबिट मूल्य की कुल राशि क्रेडिट मूल्य की कुल राशि से कम होती है तब एक संतुलन डेबिट मूल्य के बराबर की राशि सामान्य बही खाते में दर्ज कर दी जाती है. सामान्य बही खाता अब "संतुलित" हो जाता है. एक खाते में या तो एक क्रेडिट मूल्य का संतुलन(शेष)होगा या फिर एक डेबिट मूल्य का संतुलन(शेष) होगा पर एक साथ दोनों नहीं हो सकते.

डेबिट केवल आस्ति (परिसंपत्ति) और खर्च के लेन-देन के लिए ही प्रयुक्त नहीं होता है. इसका व्यवहार देयताओं और स्वामी की इक्विटी के लिए भी किया जाता है. आस्तियों और खर्च के लिए, वृद्धियों के लिए प्रभावित खातों में एक डेबिट की आवश्यकता होती है, इसलिए, आस्ति(परिसंपत्ति) में वृद्धि या खर्च के लिए प्रभावित खाते में एक डेबिट की आवश्यकता पड़ती है. दूसरे शब्दों में, आप परिसंपत्ति में वृद्धि दिखाने के लिए एक आस्ति( परिसंपत्ति) को डेबिट करते हैं, आप व्यय के खाते में वृद्धि दिखाने के लिए व्यय खाते को डेबिट करते हैं. दूसरी ओर, डेबिट का भी, भी, देयताओं और स्वामी की इक्विटी के खाते के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि,चूंकि देयताएं और स्वामी की इक्विटी लेखांकन समीकरण में क्रेडिट कॉलम (जमा वाले घर)में होता है, देयता के खाते को डेबिट करना देयता खाते में कमी को दर्शाता है. इसी प्रकार, स्वामी की इक्विटी के खाते में एक डेबिट का मतलब है स्वामी की इक्विटी के खाते में कमी.

जमा (क्रेडिट) का उपयोग केवल देयताओं (liabilites) और स्वामी की इक्विटी के खातों के लिए नहीं किया जाता है. जमा (क्रेडिट) का उपयोग आस्तियों और व्यय के खातों के लिए भी किया जा सकता है. देयता खाते में वृद्धि के लिए सम्बद्ध देयता खाते में क्रेडिट की आवश्यकता होती है. इसी तरह, स्वामी की इक्विटी खाते में वृद्धि के लिए स्वामी की इक्विटी खाते में एक क्रेडिट की आवश्यकता होती है. एक आस्ति (परिसंपत्ति) खाते के लिए, सामान्य शेष डेबिट है,प्रभावित परिसंपत्ति खाते में कमी एक क्रेडिट के रूप में दर्ज हो जाएगी. इसी प्रकार, चूंकि एक व्यय खाते में सामान्यतया एक डेबिट शेष रहता है, अतः व्यय खाते में कमी के कारण व्यय खाते में एक क्रेडिट की आवश्यकता होती है.

पिछले अनुभाग में, प्रति लेखा का उल्लेख एक ऐसे खाते (अकाउंट) के रूप में किया गया था "जैसे कि अपेक्षा के विपरीत आस्ति (परिसंपत्ति) खाते को एक क्रेडिट के रूप में दर्ज किया गया था. यह थोड़ा भ्रामक-सा है. एक प्रति लेखा खाता संबंधित खाते में कटौती है. एक आस्ति (परिसंपत्ति) खाते में सामान्य शेष राशि एक डेबिट ही होती है और केवल असाधारण मामलों में एक आस्ति (परिसंपत्ति) खाते में संतुलन के रूप में शेष राशि क्रेडिट होती है. ऐसे मामले में, हालांकि, एक जमा की शेष राशि(क्रेडिट बैलेंस) के साथ आस्ति (परिसंपत्ति) प्रति लेखा (कंट्रा अकाउंट) नहीं है. बैंक में नकद जमा, जो एक परिसंपत्ति है, अगर यह एक जमा की शेष राशि (क्रेडिट बैलेंस)है तो इसका मतलब है यह एक ओवरड्राफ्ट है.एक प्रति लेखा (कंट्रा अकाउंट), जैसाकि यहाँ वर्णित है एक परिसंपत्ति खाते से कटौती है. उदाहरणस्वरुप मूल्यह्रास के लिए छूट(allowance)है जो संबंधित परिसंपत्ति खाते से काटा जाता है जैसेकि फर्नीचर और जुड़नार (फिक्सचर) या मशीनरी और उपकरण अथवा भवन के खाते; इसलिए, हम मूल्यह्रास के लिए छूट, भवन के लिए एक छूट; फर्नीचर और जुड़नार में मूल्यह्रास के लिए छूट; मशीनरी और उपकरण में मूल्यह्रास के लिए छूट को घटा देते हैं. लेनदारी लेखों (अकाउन्ट्स रिसिवेब्ल) के लिए, प्रति लेखा (कंट्रा अकाउंट) के रूप में हमारे पास अशोध्य ऋण (डूबंत क़र्ज़) के लिए छूट(Allowance for Bad Debts) अथवा अवसूल्य (Uncollectible) खातों के लिए भी छूट का प्रावधान है. बिक्रय के लिए,प्रति लेखा (कंट्रा अकाउंट) के रूप में हमारे पास बिक्रय बट्टे (Sales Discounts) और बिक्रय प्रतिलाभ (सेल्स रिटर्न) हैं. इस प्रकार, प्रति लेखा (कंट्रा अकाउन्ट्स) संबंधित खातों से कटौतियां हैं.

डेबिट और क्रेडिट शब्दों की व्युत्पत्ति

डेबिट शब्द "देना आता है" के लिए debere से मध्य फ्रांसीसी शब्द देबेत (debet)से व्युत्पत्त है जो लैटिन के देबीतम "debitum से आया है अर्थात "वह जिसके लिए ऋणी हुआ जाता है"(जो देबेरे (debere) "to owe" का अकर्मक भूतकालिक कृदंत है). डेबिट के लिए संक्षिप्ताक्षर Dr (देनदार के लिए) किया गया है. क्रेडिट शब्द लैटिन के क्रेदितम (creditum) से आया है जिसका अर्थ है "वह जिसे सौंप दिया या उधार दे दिया गया" जो क्रेदेरे (credere) "विश्वास करना या सौंपना" के भूतकालिक कृदंत से आया है. क्रेडिट के लिए संक्षिप्ताक्षर सीआर (Cr) (लेनदार के लिए) किया गया है.

PS संक्षिप्ताक्षरों डीआर.और सीआर.(Dr. and Cr) क्रमशः देनदारों और लेनदारों लिए नहीं हैं बल्कि यह Debere =Dr." तथा "Credere =Cr." के संक्षिप्ताक्षर हैं जो लेनदेन/लेखा प्रविष्टि में डेबिट और क्रेडिट दर्शाते हैं.

परिचालन संबधी सिद्धांत

  • डेबिट आम तौर पर एक इकाई द्वारा संघटित संसाधनोंमें ह्रास (अवक्षय) दर्शाता है जबकि क्रेडिट इकाई द्वारा संघटित संसाधनों में वृद्धि की ओर इंगित करता है. इसलिए, एक खाते में डेबिट्स किसी इकाई के संसाधनों में लेखा के लिए ऋणात्मक / ह्रास हैं जबकि क्रेडिट्स उसी में धनात्मक / वृद्धि हैं.

वास्तविक खाते

  • वास्तविक खातों में एक इकाई द्वारा संघटित आस्तियों( परिसंपत्तियों )में कोई भी वृद्धि सम्बंधित परिसंपत्ति खाते में वृद्धिकर तथा आस्ति (परिसंपत्ति खाते)में ह्रास (रिक्तिकरण) कर दर्शाया जाता है.
  • अगर किसी आस्ति (परिसंपत्ति) खाते को डेबिट किया जाता है तो यह मूल्य में वृद्धि या देयता (दायित्व) अथवा स्वामी की इक्विटी के अधिग्रहण के कारण होता है जो इकाई द्वारा संघटित संसाधनों को घटा देता है.

चूंकि एक इकाई द्वारा संघटित कुल संसाधन देशी तरीके से स्वतः बढ़ नहीं सकते अतः (ह्रास)रिक्तीकरण को इकाई के भीतर संसाधनों में गिरावट के साथ अनुरूपता जरूरी है.

व्यक्तिगत खाते

  • व्यक्तिगत खातों में किसी बाहरी इकाई के व्यक्तिगत खाते को डेबिट करने से उस इकाई से प्राप्य से देनदारियों का मूल्य बढ़ जाता है और इस प्रकार लेखांकन की इकाई के संसाधनों में वृद्धि.की जाती है.
  • इसी प्रकार किसी भी बाह्य इकाई के निजी खाते में क्रेडेटिंग उस लेखा इकाई से प्राप्य राशि के मूल्य में कमी लाता है और इस प्रकार लेखांकन की इकाई के संसाधनों में कमी की जाती है.

अवास्तविक खाते

  • अवास्तविक खातों (नाममात्र खातों)में व्यय लेखा को जब कभी भी खर्च किया हुआ के रूप में डेबिट किया जाता है तो ये किए गए व्यय इकाई के लिए उपार्जित माल और/अथवा सेवाएं दर्शाते हैं और इसलिए उपभोक्ताओं के संसाधनों में अस्थायी वृद्धि हैं.
  • अवास्तविक खातों (नाममात्र खातों) में आय लेखों को अर्जित आय के रूप में जमा (क्रेडिट)करते हैं जो एक इकाई का पत्राकार प्रतिनिधित्व करता है.

विभिन्न प्रकार के खातों में परस्पर-प्रविष्टि

  • खातों के विभिन्न प्रकार के लेखांकन प्रविष्टियों के सभी संयोजनों के लिए जिसमे बदलती परिस्थितियों आधार पर सभी प्रकार के खाते शामिल हैं सिद्धांत एक समान लागू होते हैं.
रियल खाता नामे (डेबिटेड) व्यक्तिगत खाता नामे (डेबिटेड) अवास्तविक खाता नामे (डेबिटेड)
वास्तविक खाता जमा (क्रेडिटेड) एक परिसंपत्ति कानकदी में अधिग्रहण - नामे मशीनरी खाता, जमा नकदी खाता जमा पर एक परिसंपत्ति की बिक्री - नामे क्रेता खाता , जमा मशीनरी खाता ऋण-परिशोधन या एक आस्ति मेंमूल्य ह्रास - नामे मूल्यह्रास खाता, जमा मशीनरी खाता
व्यक्तिगत खाता जमा (क्रेडिटेड) जमा पर एक परिसंपत्ति का अधिग्रहण - नामे मशीनरी खाता, जमा विक्रेता खाता दूसरे को प्राप्यएक ऋण हस्तांतरण के लिए - नामे नई देनदार खाता, जमा पुराना देनदार खाता व्यय का प्रोद्भवन - नामे विद्युत खाता, जमा बिजली कंपनी के खाते
अवास्तविक खाता जमा (क्रेडिटेड) व्यय का पूंजीकरण - नामे मशीनरी खाता,जमा अनुसंधान और विकास खाता जमा पर माल की बिक्री - नामे क्रेता खाता, जमा बिक्री खाता व्यय का अंतर-मद हस्तांतरण -नामे नया व्यय मद , जमा पुराना व्यय मद

अंगुली पर याद रखे जाने वाले सरल नियम कि किन खातों में जमा करना है और किन खातों के नामे करना है:

व्यक्तिगत खाते: नामे: प्राप्तकर्ता; जमा: प्रदाता

वास्तविक/आस्ति खाते: नामे: जो अन्दर आता है; जमा: जो बाहर चला जाता है

अवास्तविक/ व्यय खाते: नामे: सभी व्यय/ हानियां; जमा: सभी आय/लाभ

डेबिट और क्रेडिट का सिद्धांत

प्रत्येक लेनदेन में नामे (डेबिट) और जमा (क्रेडिट) दोनों होते हैं, और हर लेनदेन के लिए दोनों को बराबर होना चाहिए.

प्रत्येक लेनदेन के लिए: डेबिट का मूल्य = क्रेडिट का मूल्य

विस्तारित लेखा समीकरण का भी संतुलन होना चाहिए: 'ए + ई = एल + ओ इ + आर

(जहां ए = आस्तियां , ई = खर्च, एल = देयताएं , ओ इ = स्वामी की इक्विटी और आर = राजस्व)

अतः' डेबिट खाते (ए + ई) = क्रेडिट खाते ( एल + आर + ओ इ )'

नामे (डेबिट्स) बायीं ओर होते हैं और नामे खाते में वृद्धि करते हैं एवं एक जमा खाता को कम करते हैं.

जमा(क्रेडिट्स) दाहिनी ओर होते हैं और जमा खाते में वृद्धि करते हैं एवं एक नामे खाते में कमी लाते हैं.

उदाहरण

  1. जब आप किराए का भुगतान नकदी में करते हैं: व्यय के नामे कर(व्यय को डेबिट कर) तो आप किराए में वृद्धि करते हैं, और जमा (क्रेडिट)के द्वारा (नकद संपत्ति)में कमी लाते हैं.
  2. जब आप एक बिक्री के लिए नकदी प्राप्त करते हैं: आप नामे(डेबिट)कर नकद(परिसंपत्ति)में वृद्धि करते हैं, और जमा के द्वारा बिक्री (राजस्व) में वृद्धि करते हैं.
  3. जब आप उपकरण (संपत्ति) नकदी खरीदने हैं: तो डेबिट द्वारा आप उपकरण (संपत्ति) को बढ़ाते हैं, और जमा के द्वारा नकद (संपत्ति) में कमी लाते हैं.
  4. जब आप नकदी ऋण उधार लेते हैं: डेबिट के द्वारा आप नकद(परिसंपत्ति)में वृद्धि, एवं जमा के द्वारा ऋण (देयता) में वृद्धि करते हैं.
  5. जब आप वेतन का भुगतान नकदी में करते हैं: डेबिट के द्वारा आप वेतन (व्यय)में वृद्धि करते हैं, एवं जमा के द्वारा नकद (संपत्ति) में कमी लाते हैं.
खाता नामे जमा
1. किराया 100
नकद 100
2. नकद 50
विक्रय 50
3. उपकरण 5200
नकद 5200
4. नकद 11000
ऋण 11000
5. वेतन 5000
नकद 5000

लेखा 'टी'

डेबिट और क्रेडिट के उपयोग करने की प्रक्रिया ने एक खाता प्रारूप को जन्म दिया है जो देखने में अक्षर 'टी'(T) के सामान लगता है. जब बहीखाता पर चर्चा होती है सामान्यतः 'शब्द' टी खाता का प्रयोग किया जाता है.

एक 'टी'('T') खाते में दाईं तरफ डेबिट्स और क्रेडिट्स को दाहिनी और दिखाया जाता है.

नामे (डेबिट्स) जमा (क्रेडिट्स)
   
   
   
   
   
प्रकार डेबिट क्रेडिट
आस्ति + -
देयता - +
आय - + - व्यय + -
इक्विटी - +

इसलिए, अगर एक आस्ति(परिसंपत्ति) खाता को नामे( डेबिट)किया जाता है, आस्ति की राशि का (मूल्य) बढ़ जाता है. एक व्यय के खाते के साथ भी यही होता है. अगर कोई देयता या एक आय खाता डेबिट किया जाता है, संख्यात्मक आंकड़ों में कमी आ जाएगी, इत्यादि. अगर एक विशेष खाते में जमा होता है, तो लेनदेन में संतुलन बनाने के लिए दूसरे खाते में अवश्य तदनरूप डेबिट होना चाहिए.

बैंकिंग शब्दावली में "डेबिट्स" का इस्तेमाल आहरण के संदर्भ में किया जाता है, जरूरी नहीं कि उसी सन्दर्भ में जिसकी यहाँ चर्चा की गयी.

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी लिंक्स