"शाह अहमद नूरानी": अवतरणों में अंतर

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'''शाह अहमद नूरानी''' ({{lang-ur|{{Nastaliq|شاہ احمد نورانی}}}} ; १९२६, '''अहमद नूरानी सिद्दीकी''' - २००३) पाकिस्तान के धार्मिक और [[पाकिस्तान की राजनीति|राजनीतिक क्षेत्र]] में सक्रिय एक व्यक्ति थे।
'''शाह अहमद नूरानी''' ({{lang-ur|{{Nastaliq|شاہ احمد نورانی}}}} ; १९२६, '''अहमद नूरानी सिद्दीकी''' - २००३) पाकिस्तान के धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय एक व्यक्ति थे।


==शुरुआती जीवन==
==शुरुआती जीवन==

10:01, 19 मार्च 2013 का अवतरण

शाह अहमद नूरानी (उर्दू: شاہ احمد نورانی ; १९२६, अहमद नूरानी सिद्दीकी - २००३) पाकिस्तान के धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय एक व्यक्ति थे।

शुरुआती जीवन

नूरानी मेरठ में मौलाना अब्दुल अलीम सिद्दीकी के घर पैदा हुए, जिनका इतिहास परिवार हज़रत सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु और इतिहास त्रीकत इमाम अहमद रजा खान से जा मिलता है। नेशनल अरबी कॉलेज, मेरठ से स्नातक करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फ़ाज़िल अरबी और दारुल उलूम अरबी से दरस के योग्य के।

शिक्षा

उन्होंने आठ साल की उम्र में पूरा कुरान मजीद हफृ कर लिया था। नेशनल अरबी कॉलेज से स्नातक करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फ़ाज़िल अरबी और दारुल उलूम अरबी से दरस के योग्य के।


पाकिस्तान आना

1947 में संयुक्त ब्रिटिश सरकार में एक छात्र और आंदोलन पाकिस्तान के सक्रिय कार्यकर्ता थे। कुछ समय बाद पाकिस्तान चले आए।

जमीअत उलमा पाकिस्तान

 1948 में अल्लामा अहमद सईद काज़मी ने जमीयत उलेमा पाकिस्तान के नाम से पार्टी बनाई और 1970 में मौलाना नूरानी ने जब पहली बार चुनाव में भाग लिया तो जमीअत में शामिल हुए तब जमीअत प्रमुख ख्वाजा कमरालदीन सयालवी थे। 1970 में जमीअत उलेमा पाकिस्तान के टिकट पर कराची से सदस्य राष्ट्रीय विधानसभा चुने गए। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के सामने उन्होंने प्रधानमंत्री पद के चुनाव में भाग लिया। 1972 में मौलाना नूरानी जमीअत उलमा पाकिस्तान के प्रमुख बने और मौत तक प्रमुख रहे आप दो बार विधायक और दो बार केंद्र चुने गए।

आंदोलन निज़ाम मुस्तफ़ा

नूरानी को सन् १९७७ ई. में टेहरीक निज़ाम मुस्तफ़ा के मंच पर काम करने के कारण जेल जाना पड़ा।[उद्धरण चाहिए]

विश्व इस्लामिक मिशन

मौलाना ने दुनिया भर में इस्लाम का आफ़ाकी संदेश सार्वजनिक करने के लिए 1972 में विश्व इस्लामिक मिशन को बनाया। और विभिन्न देशों में कार्यालय बनाकर उसे सक्रिय किया।  नरम स्वभाव और हलम की वजह से वह दोस्तों और दुश्मनों में समान लोकप्रिय थे।



संदर्भ


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