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[[चित्र:Geology of Cyprus-Chalk.jpg|300px|thumb|right|साइप्रस में एक चट्टान में चाक की परतें]]
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'''स्तरित शैलविज्ञान''' (Stratigraphy) [[भौमिकी]] की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत [[पृथ्वी]] के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके जन्म से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरित शैलविज्ञान, [[शैलविज्ञान]] (petrology) की सहायता लेता है और [[जीवाश्म]] अवशेषों के अध्ययन में [[पुराजीवविज्ञान]] की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं।
'''स्तरित शैलविज्ञान''' (Stratigraphy) [[भौमिकी]] की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत [[पृथ्वी]] के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके जन्म से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरित शैलविज्ञान, [[शैलविज्ञान]] (petrology) की सहायता लेता है और [[जीवाश्म]] अवशेषों के अध्ययन में [[पुराजीवविज्ञान]] की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं।


स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते।
स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते।
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इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है।
इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है।


==स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम==
== स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम ==
स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम हैं जिनको स्तरित शैलविज्ञान के नियम कहते हैं। प्रथम नियम के अनुसार नीचेवाला शैलस्तर अपने ऊपरवाले से उम्र में पुरातन होता है और दूसरे के अनुसार प्रत्येक शैलसमूह में एक विशिष्ट प्रकार के जीवनिक्षेप संग्रहीत होते हैं।
स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम हैं जिनको स्तरित शैलविज्ञान के नियम कहते हैं। प्रथम नियम के अनुसार नीचेवाला शैलस्तर अपने ऊपरवाले से उम्र में पुरातन होता है और दूसरे के अनुसार प्रत्येक शैलसमूह में एक विशिष्ट प्रकार के जीवनिक्षेप संग्रहीत होते हैं।


वास्तव में ये नियम जो बहुत वर्षों पहले बनाए गए थे, स्तरित शैलविज्ञान के विषय में संपूर्ण विवरण देने में असमर्थ हैं। पृथ्वी के विकास का इतिहास मनुष्य के विकास की भाँति सरल नहीं है। पृथ्वी का इतिहास मनुष्य के इतिहास से कहीं ज्यादा उलझा हुआ है। समय ने बार बार पुराने प्रमाणों को मिटा देने की चेष्टा की है। समय के साथ साथ आग्नेय क्रिया (igneous activity) कायांतरण (metamorphism) और शैलसमूहों के स्थानांतरण ने भी पृथ्वी के रूप को बदल दिया है। इस प्रकार वर्तमान प्रमाणों और ऊपर दिए नियमों के आधार पर पृथ्वी का तीन अरब वर्ष पुराना इतिहास नहीं लिखा जा सकता। पृथ्वी का पुरातन इतिहास जानने के लिए और बहुत सी दूसरी बातों का सहारा लेना पड़ता है।
वास्तव में ये नियम जो बहुत वर्षों पहले बनाए गए थे, स्तरित शैलविज्ञान के विषय में संपूर्ण विवरण देने में असमर्थ हैं। पृथ्वी के विकास का इतिहास मनुष्य के विकास की भाँति सरल नहीं है। पृथ्वी का इतिहास मनुष्य के इतिहास से कहीं ज्यादा उलझा हुआ है। समय ने बार बार पुराने प्रमाणों को मिटा देने की चेष्टा की है। समय के साथ साथ आग्नेय क्रिया (igneous activity) कायांतरण (metamorphism) और शैलसमूहों के स्थानांतरण ने भी पृथ्वी के रूप को बदल दिया है। इस प्रकार वर्तमान प्रमाणों और ऊपर दिए नियमों के आधार पर पृथ्वी का तीन अरब वर्ष पुराना इतिहास नहीं लिखा जा सकता। पृथ्वी का पुरातन इतिहास जानने के लिए और बहुत सी दूसरी बातों का सहारा लेना पड़ता है।


==ध्येय==
== ध्येय ==
स्तरित शैलविज्ञानी का मुख्य ध्येय है किसी स्थान पर पाए जानेवाले शैलसमूहों का विश्लेषण, नामकरण, वर्गीकरण, और विश्व के स्तरशैलों से उनकी समतुल्यता स्थापित करना। उसको पुरातन जीव, भूगोल और जलवायु का भी विस्तृत विवरण देना होता है। उन सभी घटनाओं का जो पृथ्वी के जन्म से लेकर अब तक घटित हुई हैं एक क्रमवार विवरण प्रस्तुत करना ही स्तरित शैलविज्ञानी का लक्ष्य है।
स्तरित शैलविज्ञानी का मुख्य ध्येय है किसी स्थान पर पाए जानेवाले शैलसमूहों का विश्लेषण, नामकरण, वर्गीकरण, और विश्व के स्तरशैलों से उनकी समतुल्यता स्थापित करना। उसको पुरातन जीव, भूगोल और जलवायु का भी विस्तृत विवरण देना होता है। उन सभी घटनाओं का जो पृथ्वी के जन्म से लेकर अब तक घटित हुई हैं एक क्रमवार विवरण प्रस्तुत करना ही स्तरित शैलविज्ञानी का लक्ष्य है।


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पुरातनयुग में जीवों का विकास शकरूपेण और समान नहीं था। वायुमंडलीय दशाएँ भी जीवविकास के क्रम में परिवर्तन लाती हैं। जो जीव समशीतोष्ण जलवायु में बहुतायत से पाए जाते हैं वे ऊष्ण जलवायु में जीवित नहीं रह पाएँगे या उनकी संख्या में भारी कमी हो जाएगी। हममें से कुछ को रेगिस्तानी जलवायु न भाती हो लेकिन बहुत से लोग इसी जलवायु में रहते हैं। इस प्रकार जीवविकास पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक गति से नहीं हुआ है। आजकल आस्ट्रेलिया में पाए जानेवाले कुछ जीवों के अवशेष यूरोप के मध्यजीवकल्प (Mesozoic Era) में पाए गए हैं। इसलिए यह कहना उचित न होगा कि इन दोनों के पृथ्वी पर अवतरण का समय एक है।
पुरातनयुग में जीवों का विकास शकरूपेण और समान नहीं था। वायुमंडलीय दशाएँ भी जीवविकास के क्रम में परिवर्तन लाती हैं। जो जीव समशीतोष्ण जलवायु में बहुतायत से पाए जाते हैं वे ऊष्ण जलवायु में जीवित नहीं रह पाएँगे या उनकी संख्या में भारी कमी हो जाएगी। हममें से कुछ को रेगिस्तानी जलवायु न भाती हो लेकिन बहुत से लोग इसी जलवायु में रहते हैं। इस प्रकार जीवविकास पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक गति से नहीं हुआ है। आजकल आस्ट्रेलिया में पाए जानेवाले कुछ जीवों के अवशेष यूरोप के मध्यजीवकल्प (Mesozoic Era) में पाए गए हैं। इसलिए यह कहना उचित न होगा कि इन दोनों के पृथ्वी पर अवतरण का समय एक है।


==बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
*[http://strata.geol.sc.edu/ University of South Carolina Sequence Stratigraphy Web]
* [http://strata.geol.sc.edu/ University of South Carolina Sequence Stratigraphy Web]
*[http://snobear.colorado.edu/Markw/Mountains/03/week9.html Front Range stratigraphy]
* [http://snobear.colorado.edu/Markw/Mountains/03/week9.html Front Range stratigraphy]
*[http://www.stratigraphy.org International Commission on Stratigraphy]
* [http://www.stratigraphy.org International Commission on Stratigraphy]
*[http://www.uga.edu/~strata/ University of Georgia (USA) Stratigraphy Lab]
* [http://www.uga.edu/~strata/ University of Georgia (USA) Stratigraphy Lab]
*[http://www.stratigraphy.net Stratigraphy.net] A stratigraphic data provider.
* [http://www.stratigraphy.net Stratigraphy.net] A stratigraphic data provider.


[[श्रेणी:शैलविज्ञान]]
[[श्रेणी:शैलविज्ञान]]

12:43, 15 फ़रवरी 2013 का अवतरण

साइप्रस में एक चट्टान में चाक की परतें

स्तरित शैलविज्ञान (Stratigraphy) भौमिकी की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत पृथ्वी के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके जन्म से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरित शैलविज्ञान, शैलविज्ञान (petrology) की सहायता लेता है और जीवाश्म अवशेषों के अध्ययन में पुराजीवविज्ञान की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं।

स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते।

इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है।

स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम

स्तरित शैलविज्ञान के दो नियम हैं जिनको स्तरित शैलविज्ञान के नियम कहते हैं। प्रथम नियम के अनुसार नीचेवाला शैलस्तर अपने ऊपरवाले से उम्र में पुरातन होता है और दूसरे के अनुसार प्रत्येक शैलसमूह में एक विशिष्ट प्रकार के जीवनिक्षेप संग्रहीत होते हैं।

वास्तव में ये नियम जो बहुत वर्षों पहले बनाए गए थे, स्तरित शैलविज्ञान के विषय में संपूर्ण विवरण देने में असमर्थ हैं। पृथ्वी के विकास का इतिहास मनुष्य के विकास की भाँति सरल नहीं है। पृथ्वी का इतिहास मनुष्य के इतिहास से कहीं ज्यादा उलझा हुआ है। समय ने बार बार पुराने प्रमाणों को मिटा देने की चेष्टा की है। समय के साथ साथ आग्नेय क्रिया (igneous activity) कायांतरण (metamorphism) और शैलसमूहों के स्थानांतरण ने भी पृथ्वी के रूप को बदल दिया है। इस प्रकार वर्तमान प्रमाणों और ऊपर दिए नियमों के आधार पर पृथ्वी का तीन अरब वर्ष पुराना इतिहास नहीं लिखा जा सकता। पृथ्वी का पुरातन इतिहास जानने के लिए और बहुत सी दूसरी बातों का सहारा लेना पड़ता है।

ध्येय

स्तरित शैलविज्ञानी का मुख्य ध्येय है किसी स्थान पर पाए जानेवाले शैलसमूहों का विश्लेषण, नामकरण, वर्गीकरण, और विश्व के स्तरशैलों से उनकी समतुल्यता स्थापित करना। उसको पुरातन जीव, भूगोल और जलवायु का भी विस्तृत विवरण देना होता है। उन सभी घटनाओं का जो पृथ्वी के जन्म से लेकर अब तक घटित हुई हैं एक क्रमवार विवरण प्रस्तुत करना ही स्तरित शैलविज्ञानी का लक्ष्य है।

पृथ्वी के आँचल में एक विस्तृत प्रदेश निहित है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि उसके प्रत्येक भाग में एक सी दशाएँ नहीं पाई जाएँगी। बीते हुए युग में बहुत से भौमिकीय और वायुमंडलीय परिवर्तन हुए हैं। इन्हीं कारणों से किसी भी प्रदेश में पृथ्वी का संपूर्ण इतिहास संग्रहीत नहीं है। प्रत्येक महाद्वीप के इतिहास में बहुत सी न्यूनताएँ हैं। इसीलिए प्रत्येक महाद्वीप से मिलनेवाले प्रमाणों को एकत्र करके उनके आधार पर पृथ्वी का संपूर्ण इतिहास निर्मित किया जाता है। किंतु यह ऐसा ढंग है जिसके ऊपर पूर्ण विश्वास नहीं किया जा सकता और इसीलिए पृथ्वी के विभिन्न भागों में पाए जानेवाले शैलसमूहों के बीच बिल्कुल सही समतुल्यता स्थापित करना संभव नहीं है। इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने के लिए स्तरित शैलविज्ञानी समतुल्यता के बदले समस्थानिक (homotaxial) शब्द प्रयोग में लाते हैं जिसका अर्थ है व्यवस्था की सदृशता।

पुरातनयुग में जीवों का विकास शकरूपेण और समान नहीं था। वायुमंडलीय दशाएँ भी जीवविकास के क्रम में परिवर्तन लाती हैं। जो जीव समशीतोष्ण जलवायु में बहुतायत से पाए जाते हैं वे ऊष्ण जलवायु में जीवित नहीं रह पाएँगे या उनकी संख्या में भारी कमी हो जाएगी। हममें से कुछ को रेगिस्तानी जलवायु न भाती हो लेकिन बहुत से लोग इसी जलवायु में रहते हैं। इस प्रकार जीवविकास पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक गति से नहीं हुआ है। आजकल आस्ट्रेलिया में पाए जानेवाले कुछ जीवों के अवशेष यूरोप के मध्यजीवकल्प (Mesozoic Era) में पाए गए हैं। इसलिए यह कहना उचित न होगा कि इन दोनों के पृथ्वी पर अवतरण का समय एक है।

बाहरी कड़ियाँ