"सुखासन": अवतरणों में अंतर
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==सुखासन== |
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ध्यान के लिए सुखासन महत्वपूर्ण आसन है। पद्मासन के लिए यह आसन विकल्प हैं। |
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==आसन के लाभ== |
== आसन के लाभ == |
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सुखासन करने से साधक या रोगी का चित्त शांत होता है। पद्मासन के लिए यह आसन विकल्प हैं। इससे चित्त एकाग्र होता है। चित्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है। |
सुखासन करने से साधक या रोगी का चित्त शांत होता है। पद्मासन के लिए यह आसन विकल्प हैं। इससे चित्त एकाग्र होता है। चित्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है। |
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सुखासन से पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। छाती और पैर मजबूत बनते हैं। वीर्य रक्षा में भी मदद मिलती है। |
सुखासन से पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। छाती और पैर मजबूत बनते हैं। वीर्य रक्षा में भी मदद मिलती है। |
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==सावधानी== |
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पैरों में किसी भी प्रकार का अत्यधिक कष्ट हो तो यह आसन न करें। साइटिका अथवा रीढ़ के निचले भाग के आसपास किसी प्रकार का दर्द हो या घुटने की गंभीर बीमारी में इसका अभ्यास न करें। |
पैरों में किसी भी प्रकार का अत्यधिक कष्ट हो तो यह आसन न करें। साइटिका अथवा रीढ़ के निचले भाग के आसपास किसी प्रकार का दर्द हो या घुटने की गंभीर बीमारी में इसका अभ्यास न करें। |
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==बाहरी कड़ियाँ== |
== बाहरी कड़ियाँ == |
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*[http://www.theholisticcare.com/yoga Yoga] |
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[[श्रेणी:योगासन]] |
[[श्रेणी:योगासन]] |
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05:03, 15 फ़रवरी 2013 का अवतरण
सुखासन
ध्यान के लिए सुखासन महत्वपूर्ण आसन है। पद्मासन के लिए यह आसन विकल्प हैं।
आसन के लाभ
सुखासन करने से साधक या रोगी का चित्त शांत होता है। पद्मासन के लिए यह आसन विकल्प हैं। इससे चित्त एकाग्र होता है। चित्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है। सुखासन से पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। छाती और पैर मजबूत बनते हैं। वीर्य रक्षा में भी मदद मिलती है।
सावधानी
पैरों में किसी भी प्रकार का अत्यधिक कष्ट हो तो यह आसन न करें। साइटिका अथवा रीढ़ के निचले भाग के आसपास किसी प्रकार का दर्द हो या घुटने की गंभीर बीमारी में इसका अभ्यास न करें।