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'''ट्राइएसिक''' (Triassic) भूवैज्ञानिक काल है जिसका विस्तार लगभग 250 से 200 Ma (million years ago) तक है। यह मध्यजीव कल्प के पहला युग है।
'''ट्राइएसिक''' (Triassic) भूवैज्ञानिक काल है जिसका विस्तार लगभग 250 से 200 Ma (million years ago) तक है। यह मध्यजीव कल्प के पहला युग है।


==परिचय==
== परिचय ==
राइऐसिक प्रणाली (Triassic System) पुराजीवकल्प के अपराह्न मे पृथ्वी की भौगोलिक और भौमिकीय स्थिति में अनेक परिवर्तन हुए। साथ ही जीवविकास का एक नया क्रम आरंभ हुआ, जिसमें आधुनिक वर्ग के पूर्वज जीव भी थे। उन जीवों का, जो पुराजीवकल्प में अत्यधिक संख्या में थे, विलोप हो गया और उनके स्थान पर नए जीव प्रकट हुए। इन्हीं कारणों से इस युग को [[शैलस्तर-क्रम-विज्ञान]] में एक नवीन कल्प का प्रारंभ माना जात है। इस कल्प को [[मध्य-जीव-कल्प]] कहते हैं। इस कल्प के अंतर्गत तीन युग आते हैं, जिन्हें ट्राइऐसिक, जुरैसिक और क्रिटेशियस कहते हैं। ट्राइऐसिक युग इनमें सबसे प्राचीन है।
राइऐसिक प्रणाली (Triassic System) पुराजीवकल्प के अपराह्न मे पृथ्वी की भौगोलिक और भौमिकीय स्थिति में अनेक परिवर्तन हुए। साथ ही जीवविकास का एक नया क्रम आरंभ हुआ, जिसमें आधुनिक वर्ग के पूर्वज जीव भी थे। उन जीवों का, जो पुराजीवकल्प में अत्यधिक संख्या में थे, विलोप हो गया और उनके स्थान पर नए जीव प्रकट हुए। इन्हीं कारणों से इस युग को [[शैलस्तर-क्रम-विज्ञान]] में एक नवीन कल्प का प्रारंभ माना जात है। इस कल्प को [[मध्य-जीव-कल्प]] कहते हैं। इस कल्प के अंतर्गत तीन युग आते हैं, जिन्हें ट्राइऐसिक, जुरैसिक और क्रिटेशियस कहते हैं। ट्राइऐसिक युग इनमें सबसे प्राचीन है।


१८३४ ई. में दक्षिण-पश्चिमी [[जर्मनी]] में स्थित इस प्रणाली के तीन शैलसमूहों के आधार पर फॉन एलबर्टो ने इस प्रणाली को ट्राइऐसिक नाम दिया।
१८३४ ई. में दक्षिण-पश्चिमी [[जर्मनी]] में स्थित इस प्रणाली के तीन शैलसमूहों के आधार पर फॉन एलबर्टो ने इस प्रणाली को ट्राइऐसिक नाम दिया।


==विस्तार तथा इस युग में पृथ्वी के धरातल की अवस्था==
== विस्तार तथा इस युग में पृथ्वी के धरातल की अवस्था ==
इस युग के निक्षेप मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम जर्मनी, दक्षिण-पूर्वी यूरोप,मध्य एशिया, हिमालय प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उतरी अमरिका के पश्चिमी भाग, दक्षिण अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्सवर्ग ओर बीयर टापू में मिलतें हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भुमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिण चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप सागर, न्यूजीलैंड ओर न्यू केलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहतें हैं। दूसरा उतरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उतरी ग्रीनलैंड, उतरी ध्रुव, आल्टिक प्रदेश, उतरी-पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग
इस युग के निक्षेप मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम जर्मनी, दक्षिण-पूर्वी यूरोप,मध्य एशिया, हिमालय प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उतरी अमरिका के पश्चिमी भाग, दक्षिण अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्सवर्ग ओर बीयर टापू में मिलतें हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भुमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिण चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप सागर, न्यूजीलैंड ओर न्यू केलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहतें हैं। दूसरा उतरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उतरी ग्रीनलैंड, उतरी ध्रुव, आल्टिक प्रदेश, उतरी-पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग
स्थल था ।
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मध्य एशिया, हिमाचल प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्रासबर्ग और बीयर टापू में मिलते हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भूमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिणी चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप समूह, न्यूजीलैंड और न्यू कैलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहते हैं। दूसरा उत्तरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उत्तरी ग्रीन लैंड, उत्तरी ध्रुव, बाल्टिक प्रदेश, उत्तर पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग स्थल था।
मध्य एशिया, हिमाचल प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्रासबर्ग और बीयर टापू में मिलते हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भूमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिणी चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप समूह, न्यूजीलैंड और न्यू कैलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहते हैं। दूसरा उत्तरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उत्तरी ग्रीन लैंड, उत्तरी ध्रुव, बाल्टिक प्रदेश, उत्तर पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग स्थल था।


==ट्राइऐसिक युग के जीवजंतु एवं वनस्पतियाँ==
== ट्राइऐसिक युग के जीवजंतु एवं वनस्पतियाँ ==
पुराजीव कल्प के अनेक जीवजंतु, जैसे ट्राइलोबाइट (Trilobites), ग्रैप्टोलाइट (Graptolites), पैलीयोएकिनॉइड (Palacecohinoids), इस युग में विलुप्त हो गए थे। इनकी जगह नए जीवों का जिनमें ऐमोनॉयड (Ammonoids) मुख्य है, प्रादुर्भाव हुआ। इस वर्ग के जीवों का इतना बाहुल्य था कि समस्त ट्राइऐसिक प्रणाली का स्तर वर्गीकरण इन्हीं के आधार पर हुआ है। प्रवालों में इस समय नए प्रकार के छह धारीवाले प्रवाल विशेष रूप से पाए जाते थे। अन्य रीढ़रहित जीवों में ब्रैकियोपाड (Brachiopods) और लैमिलीब्रैंक (Lamelli branchs) का स्थान मुख्य था।
पुराजीव कल्प के अनेक जीवजंतु, जैसे ट्राइलोबाइट (Trilobites), ग्रैप्टोलाइट (Graptolites), पैलीयोएकिनॉइड (Palacecohinoids), इस युग में विलुप्त हो गए थे। इनकी जगह नए जीवों का जिनमें ऐमोनॉयड (Ammonoids) मुख्य है, प्रादुर्भाव हुआ। इस वर्ग के जीवों का इतना बाहुल्य था कि समस्त ट्राइऐसिक प्रणाली का स्तर वर्गीकरण इन्हीं के आधार पर हुआ है। प्रवालों में इस समय नए प्रकार के छह धारीवाले प्रवाल विशेष रूप से पाए जाते थे। अन्य रीढ़रहित जीवों में ब्रैकियोपाड (Brachiopods) और लैमिलीब्रैंक (Lamelli branchs) का स्थान मुख्य था।


ट्राइऐसिक युग वस्तुत: 'रेगनेवाले जीवों का युग' माना जाता है। इस समय स्थल और उथले जल में उन्हीं की प्रधानता थी। इनमें घड़ियाल और डाइनोसार वर्ग के जीव विशेष रूप से मिलते थे। इसी युग में सर्वप्रथम स्तनधारी जीवों का विकास हुआ। वनस्पति में इस समय वोल्टसिया (Voltzia), साइकेड (cycades) और टेरोफाइलम (pterophyllum) प्रधान थे।
ट्राइऐसिक युग वस्तुत: 'रेगनेवाले जीवों का युग' माना जाता है। इस समय स्थल और उथले जल में उन्हीं की प्रधानता थी। इनमें घड़ियाल और डाइनोसार वर्ग के जीव विशेष रूप से मिलते थे। इसी युग में सर्वप्रथम स्तनधारी जीवों का विकास हुआ। वनस्पति में इस समय वोल्टसिया (Voltzia), साइकेड (cycades) और टेरोफाइलम (pterophyllum) प्रधान थे।


==बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://inyo.coffeecup.com/site/ammonitecanyon/ammonitecanyon.html A Visit To Ammonite Canyon, Nevada] Virtual field trip to one of the most famous places on Earth to study the Late Triassic extinction in a marine geologic section.
* [http://inyo.coffeecup.com/site/ammonitecanyon/ammonitecanyon.html A Visit To Ammonite Canyon, Nevada] Virtual field trip to one of the most famous places on Earth to study the Late Triassic extinction in a marine geologic section.
* [http://inyo.coffeecup.com/site/ammonoids/ammonoids.html Middle Triassic Ammonoids From Nevada]
* [http://inyo.coffeecup.com/site/ammonoids/ammonoids.html Middle Triassic Ammonoids From Nevada]
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* [http://inyo.coffeecup.com/site/triassic/triassicfossils.html Late Triassic Ichthyosaur And Invertebrate Fossils In Nevada]
* [http://inyo.coffeecup.com/site/triassic/triassicfossils.html Late Triassic Ichthyosaur And Invertebrate Fossils In Nevada]
* [http://inyo.coffeecup.com/site/thaynes/nevadaammonoids.html Early Triassic Ammonoid Fossils In Nevada]
* [http://inyo.coffeecup.com/site/thaynes/nevadaammonoids.html Early Triassic Ammonoid Fossils In Nevada]
*[http://www.palaeos.com/Mesozoic/Triassic/Triassic.htm Overall introduction]{{dead link|date=July 2012}}
* [http://www.palaeos.com/Mesozoic/Triassic/Triassic.htm Overall introduction]{{dead link|date=July 2012}}
*[http://rainbow.ldgo.columbia.edu/courses/v1001/9.html 'The Triassic world']
* [http://rainbow.ldgo.columbia.edu/courses/v1001/9.html 'The Triassic world']
*[http://gallery.in-tch.com/~earthhistory/triassic%20page%201.html Douglas Henderson's illustrations of Triassic animals]
* [http://gallery.in-tch.com/~earthhistory/triassic%20page%201.html Douglas Henderson's illustrations of Triassic animals]
*[http://palaeo.gly.bris.ac.uk/Palaeofiles/Triassic/triextict.htm Paleofiles page on the Triassic extinctions]
* [http://palaeo.gly.bris.ac.uk/Palaeofiles/Triassic/triextict.htm Paleofiles page on the Triassic extinctions]
*[http://www.geo-lieven.com/erdzeitalter/trias/trias.htm Examples of Triassic Fossils]
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[[zh:三叠纪]]
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04:56, 15 फ़रवरी 2013 का अवतरण

ट्राइएसिक (Triassic) भूवैज्ञानिक काल है जिसका विस्तार लगभग 250 से 200 Ma (million years ago) तक है। यह मध्यजीव कल्प के पहला युग है।

परिचय

राइऐसिक प्रणाली (Triassic System) पुराजीवकल्प के अपराह्न मे पृथ्वी की भौगोलिक और भौमिकीय स्थिति में अनेक परिवर्तन हुए। साथ ही जीवविकास का एक नया क्रम आरंभ हुआ, जिसमें आधुनिक वर्ग के पूर्वज जीव भी थे। उन जीवों का, जो पुराजीवकल्प में अत्यधिक संख्या में थे, विलोप हो गया और उनके स्थान पर नए जीव प्रकट हुए। इन्हीं कारणों से इस युग को शैलस्तर-क्रम-विज्ञान में एक नवीन कल्प का प्रारंभ माना जात है। इस कल्प को मध्य-जीव-कल्प कहते हैं। इस कल्प के अंतर्गत तीन युग आते हैं, जिन्हें ट्राइऐसिक, जुरैसिक और क्रिटेशियस कहते हैं। ट्राइऐसिक युग इनमें सबसे प्राचीन है।

१८३४ ई. में दक्षिण-पश्चिमी जर्मनी में स्थित इस प्रणाली के तीन शैलसमूहों के आधार पर फॉन एलबर्टो ने इस प्रणाली को ट्राइऐसिक नाम दिया।

विस्तार तथा इस युग में पृथ्वी के धरातल की अवस्था

इस युग के निक्षेप मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम जर्मनी, दक्षिण-पूर्वी यूरोप,मध्य एशिया, हिमालय प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उतरी अमरिका के पश्चिमी भाग, दक्षिण अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्सवर्ग ओर बीयर टापू में मिलतें हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भुमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिण चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप सागर, न्यूजीलैंड ओर न्यू केलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहतें हैं। दूसरा उतरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उतरी ग्रीनलैंड, उतरी ध्रुव, आल्टिक प्रदेश, उतरी-पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग स्थल था ।

इस युग में दो मुख्य प्रकार के शैलनिक्षेप मिलते हैं । पहले समुद्री और दुसरे महाद्वीपीय । भारत में इस प्रणाली के अंतर्गत दो प्रकार के शैलसमूह मिलते हैं। एक समुद्री निक्षेप जो हिमालय प्रदेश के स्पिटी, कुँमायू गढ़वाल, कश्मीर और एवरेस्ट प्रदेश में स्थ्ति हें। दुसरे अक्षार जलीय निक्षेप, जो नदियों की लाई हुई मिट्टी से बने हैं । ये भारतीय प्रायद्वीप की गोंडवान संहित में पाए जातें हैं। स्पिटी घाटी में ये शैलसमूह ३,५०० फुट से भी मौटे स्तरों के बने हें ओर इनमें विभिन्न वर्ग के अरीढ़धारी जीव, जिनमें ऐमोनायड (ammonoids) मुख्य हैं, मिलतें हैं। संसार के स्तरशैल में भरतीय शैलसमूह कुछ भिन्न हैं, क्योकि भरतीय स्तरशैल में मध्य-जीव-कल्प नहीं हैं। उसकी जगह आर्य कल्प ही आ जाता है, जो अपर कार्बोंनिफेरस युग के उपरांत शुरू होता हैं। फिर भी जीवविकास की दृष्टि से और भीमक्रीय पविर्तनों से, यह यथार्थ रूप से विदित होता हें कि हिमालय प्रदेश की ट्राइऐसिक प्रणाली दक्षिण-पूर्वी यूरोप के ट्राइऐसिक शैलसमूहों से बहुत मिलती जुलती हैं।

मध्य एशिया, हिमाचल प्रदेश, चीन, यूनान, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमरीका के पश्चिमी भूभाग, स्पिट्रासबर्ग और बीयर टापू में मिलते हैं। इस समय जल के दो भाग थे। एक दक्षिण में, जो मेक्सिको से लेकर ऐटलांटिक होता हुआ वर्तमान भूमध्य सागर, हिमालय प्रदेश, दक्षिणी चीन, यूनान, हिंदचीन, मलाया द्वीप समूह, न्यूजीलैंड और न्यू कैलिडोनिया तक फैला था। इसे टेथिस सागर कहते हैं। दूसरा उत्तरी समुद्र, जो ऐलैस्का से होता हुआ उत्तरी ग्रीन लैंड, उत्तरी ध्रुव, बाल्टिक प्रदेश, उत्तर पूर्वी साइबीरिया और मंचूरिया तक फैला था, पृथ्वी का शेष भाग स्थल था।

ट्राइऐसिक युग के जीवजंतु एवं वनस्पतियाँ

पुराजीव कल्प के अनेक जीवजंतु, जैसे ट्राइलोबाइट (Trilobites), ग्रैप्टोलाइट (Graptolites), पैलीयोएकिनॉइड (Palacecohinoids), इस युग में विलुप्त हो गए थे। इनकी जगह नए जीवों का जिनमें ऐमोनॉयड (Ammonoids) मुख्य है, प्रादुर्भाव हुआ। इस वर्ग के जीवों का इतना बाहुल्य था कि समस्त ट्राइऐसिक प्रणाली का स्तर वर्गीकरण इन्हीं के आधार पर हुआ है। प्रवालों में इस समय नए प्रकार के छह धारीवाले प्रवाल विशेष रूप से पाए जाते थे। अन्य रीढ़रहित जीवों में ब्रैकियोपाड (Brachiopods) और लैमिलीब्रैंक (Lamelli branchs) का स्थान मुख्य था।

ट्राइऐसिक युग वस्तुत: 'रेगनेवाले जीवों का युग' माना जाता है। इस समय स्थल और उथले जल में उन्हीं की प्रधानता थी। इनमें घड़ियाल और डाइनोसार वर्ग के जीव विशेष रूप से मिलते थे। इसी युग में सर्वप्रथम स्तनधारी जीवों का विकास हुआ। वनस्पति में इस समय वोल्टसिया (Voltzia), साइकेड (cycades) और टेरोफाइलम (pterophyllum) प्रधान थे।

बाहरी कड़ियाँ

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