"तुषारी भाषाएँ": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो r2.7.1) (Robot: Adding sr:Тохарски језици
छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[File:Tocharian.JPG|thumb|240px|एक तख़्ती पर [[ब्राह्मी लिपि]] में लिखी हुई तुषारी 'बी' भाषा (कूचा, [[आक़्सू विभाग]], [[शिनजियांग प्रान्त]], चीन से मिली)]]
[[चित्र:Tocharian.JPG|thumb|240px|एक तख़्ती पर [[ब्राह्मी लिपि]] में लिखी हुई तुषारी 'बी' भाषा (कूचा, [[आक़्सू विभाग]], [[शिनजियांग प्रान्त]], चीन से मिली)]]
[[File:Tocharian3.jpg|thumb|240px|तुषारी पांडुलिपि का अंश]]
[[चित्र:Tocharian3.jpg|thumb|240px|तुषारी पांडुलिपि का अंश]]
'''तुषारी''' या '''तुख़ारी''' (<small>[[अंग्रेज़ी]]: Tocharian, टोचेरियन; [[यूनानी भाषा|यूनानी]]: Τόχαροι, तोख़ारोई</small>) [[मध्य एशिया]] की [[तारिम द्रोणी]] में बसने वाले [[तुषारी लोगों]] द्वारा बोली जाने वाली [[हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार]] की भाषाएँ थीं जो समय के साथ विलुप्त हो गई। एक [[तुर्की भाषाएँ|तुर्की]] ग्रन्थ में तुषारी को 'तुरफ़ानी भाषा' भी बुलाया गया था। इतिहासकारों का मानना है कि जब तुषारी-भाषी क्षेत्रों में [[तुर्की भाषाएँ]] बोलने वाली [[उईग़ुर लोगों]] का क़ब्ज़ा हुआ तो तुषारी भाषाएँ ख़त्म हो गई। तुषारी की लिपियाँ [[भारत]] की [[ब्राह्मी लिपि]] पर आधारित थीं और उन्हें तिरछी ब्राह्मी (<small>Slanted Brahmi</small>) कहा जाता है।<ref name="ref03yamuz">[http://books.google.com/books?id=y3KdxBqjg5cC The Blackwell encyclopedia of writing systems], Florian Coulmas, Wiley-Blackwell, 1999, ISBN 9780631214816, ''... the Gupta script is a direct descendent of Brahmi writing ... a cursive variety was carried to Central Asia where it was further developed into the Tocharian script, also known as 'Central Asian slanting' ...''</ref>
'''तुषारी''' या '''तुख़ारी''' (<small>[[अंग्रेज़ी]]: Tocharian, टोचेरियन; [[यूनानी भाषा|यूनानी]]: Τόχαροι, तोख़ारोई</small>) [[मध्य एशिया]] की [[तारिम द्रोणी]] में बसने वाले [[तुषारी लोगों]] द्वारा बोली जाने वाली [[हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार]] की भाषाएँ थीं जो समय के साथ विलुप्त हो गई। एक [[तुर्की भाषाएँ|तुर्की]] ग्रन्थ में तुषारी को 'तुरफ़ानी भाषा' भी बुलाया गया था। इतिहासकारों का मानना है कि जब तुषारी-भाषी क्षेत्रों में [[तुर्की भाषाएँ]] बोलने वाली [[उईग़ुर लोगों]] का क़ब्ज़ा हुआ तो तुषारी भाषाएँ ख़त्म हो गई। तुषारी की लिपियाँ [[भारत]] की [[ब्राह्मी लिपि]] पर आधारित थीं और उन्हें तिरछी ब्राह्मी (<small>Slanted Brahmi</small>) कहा जाता है।<ref name="ref03yamuz">[http://books.google.com/books?id=y3KdxBqjg5cC The Blackwell encyclopedia of writing systems], Florian Coulmas, Wiley-Blackwell, 1999, ISBN 978-0-631-21481-6, ''... the Gupta script is a direct descendent of Brahmi writing ... a cursive variety was carried to Central Asia where it was further developed into the Tocharian script, also known as 'Central Asian slanting' ...''</ref>


==शाखाएँ==
== शाखाएँ ==
तुषारी में लिखी हुए तीसरी से लेकर नौवी सदी ईसवी तक की पांडुलिपियों के आधार पर तुषारी भाषाओँ की दो शाखाएँ मिलती हैं, जिनके बोलने वाले एक-दुसरे को नहीं समझ सकते थे:
तुषारी में लिखी हुए तीसरी से लेकर नौवी सदी ईसवी तक की पांडुलिपियों के आधार पर तुषारी भाषाओँ की दो शाखाएँ मिलती हैं, जिनके बोलने वाले एक-दुसरे को नहीं समझ सकते थे:
*तुषारी 'ए' (<small>Tocharian A</small>) - इसे अग्नेआई (<small>Agnean</small>) या पूर्वी तुषारी भी कहते हैं, हालाँकि इसे तुषारी में 'आरशी' बुलाया जाता था। यह आधुनिक [[शिनजियांग]] के काराशहर और तुरफ़ान इलाक़े में बोली जाती थी। काराशहर का पुराना नाम 'अग्नि' (<small>Agni</small>) था ([[संस्कृत]] में 'अग्निदेश')।
* तुषारी 'ए' (<small>Tocharian A</small>) - इसे अग्नेआई (<small>Agnean</small>) या पूर्वी तुषारी भी कहते हैं, हालाँकि इसे तुषारी में 'आरशी' बुलाया जाता था। यह आधुनिक [[शिनजियांग]] के काराशहर और तुरफ़ान इलाक़े में बोली जाती थी। काराशहर का पुराना नाम 'अग्नि' (<small>Agni</small>) था ([[संस्कृत]] में 'अग्निदेश')।
*तुषारी 'बी' (<small>Tocharian B</small>) - उसे कूचेआई (<small></small>) या पश्चिमी तुषारी भी कहते हैं। यह शिजियंग के [[आक़्सू विभाग]] के कूचा क्षेत्र में बोली जाती थी और कुछ हद तक तुषारी 'ए' के क्षेत्र में भी बोली जाती थी।
* तुषारी 'बी' (<small>Tocharian B</small>) - उसे कूचेआई (<small></small>) या पश्चिमी तुषारी भी कहते हैं। यह शिजियंग के [[आक़्सू विभाग]] के कूचा क्षेत्र में बोली जाती थी और कुछ हद तक तुषारी 'ए' के क्षेत्र में भी बोली जाती थी।
[[भाषावैज्ञानिक]] मानते हैं की यह दोनों एक ही आदिम-तुषारी भाषा से उत्पन्न हुईं जो शायद १००-१००० ईसापूर्व के काल में बोली जाती हो।
[[भाषावैज्ञानिक]] मानते हैं की यह दोनों एक ही आदिम-तुषारी भाषा से उत्पन्न हुईं जो शायद १००-१००० ईसापूर्व के काल में बोली जाती हो।


==लिखाईयाँ==
== लिखाईयाँ ==
तुषारी में लिखी पांडुलिपियों के अंश ताम्र-पत्रों, लकड़ी के तख़्तों और चीनी काग़ज़ पर मिलते हैं जो ८वीं सदी से [[तारिम द्रोणी]] के अत्यंत शुष्क वातावरण की वजह से बचे हुए हैं। बहुत सी लिखाईयाँ [[बौद्ध धर्म]] से सम्बंधित हैं और [[संस्कृत]] से अनुवादित की गई हैं। १९८९ में चीनी भाषावैज्ञानिक जी शियानलिन (<small>季羡林</small>) ने मैत्रेयसमिति-नाटक का १९७४ में मिली पांडुलिपि का अनुवाद प्रस्तुत किया।<ref name="ref90biyum">[http://books.google.com/books?id=DRrhSQU8emwC Fragments of the Tocharian A Maitreyasamiti-Nāṭaka of the Xinjiang Museum, China], Xianlin Ji, Werner Winter, Georges-Jean Pinault, Walter de Gruyter, 1998, ISBN 9783110149043</ref> धार्मिक लिखाईयों के अलावा कुछ मठों की चिट्ठी-पत्री, कुछ व्यापर-सम्बन्धी दस्तावेज़, कुछ दवाई और जादू सम्बन्धी लिखाईयाँ और एक प्रेम-कविता भी मिली हैं।<ref name="ref59bemic">[http://books.google.com/books?id=ZT4OAQAAMAAJ Encyclopedia of language &amp; linguistics], E. K. Brown, R. E. Asher, J. M. Y. Simpson, Elsevier, 2006, ISBN 9780080442990, ''... a solitary love poem and a large number of monastery records, as well as caravan passes and cave graffiti ...''</ref>
तुषारी में लिखी पांडुलिपियों के अंश ताम्र-पत्रों, लकड़ी के तख़्तों और चीनी काग़ज़ पर मिलते हैं जो ८वीं सदी से [[तारिम द्रोणी]] के अत्यंत शुष्क वातावरण की वजह से बचे हुए हैं। बहुत सी लिखाईयाँ [[बौद्ध धर्म]] से सम्बंधित हैं और [[संस्कृत]] से अनुवादित की गई हैं। १९८९ में चीनी भाषावैज्ञानिक जी शियानलिन (<small>季羡林</small>) ने मैत्रेयसमिति-नाटक का १९७४ में मिली पांडुलिपि का अनुवाद प्रस्तुत किया।<ref name="ref90biyum">[http://books.google.com/books?id=DRrhSQU8emwC Fragments of the Tocharian A Maitreyasamiti-Nāṭaka of the Xinjiang Museum, China], Xianlin Ji, Werner Winter, Georges-Jean Pinault, Walter de Gruyter, 1998, ISBN 978-3-11-014904-3</ref> धार्मिक लिखाईयों के अलावा कुछ मठों की चिट्ठी-पत्री, कुछ व्यापर-सम्बन्धी दस्तावेज़, कुछ दवाई और जादू सम्बन्धी लिखाईयाँ और एक प्रेम-कविता भी मिली हैं।<ref name="ref59bemic">[http://books.google.com/books?id=ZT4OAQAAMAAJ Encyclopedia of language &amp; linguistics], E. K. Brown, R. E. Asher, J. M. Y. Simpson, Elsevier, 2006, ISBN 978-0-08-044299-0, ''... a solitary love poem and a large number of monastery records, as well as caravan passes and cave graffiti ...''</ref>


==इन्हें भी देखें==
== इन्हें भी देखें ==
*[[तुषारी लोग]]
* [[तुषारी लोग]]
*[[तारिम द्रोणी]]
* [[तारिम द्रोणी]]


==सन्दर्भ==
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
<small>{{reflist|2}}</small>



12:05, 12 फ़रवरी 2013 का अवतरण

एक तख़्ती पर ब्राह्मी लिपि में लिखी हुई तुषारी 'बी' भाषा (कूचा, आक़्सू विभाग, शिनजियांग प्रान्त, चीन से मिली)
तुषारी पांडुलिपि का अंश

तुषारी या तुख़ारी (अंग्रेज़ी: Tocharian, टोचेरियन; यूनानी: Τόχαροι, तोख़ारोई) मध्य एशिया की तारिम द्रोणी में बसने वाले तुषारी लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की भाषाएँ थीं जो समय के साथ विलुप्त हो गई। एक तुर्की ग्रन्थ में तुषारी को 'तुरफ़ानी भाषा' भी बुलाया गया था। इतिहासकारों का मानना है कि जब तुषारी-भाषी क्षेत्रों में तुर्की भाषाएँ बोलने वाली उईग़ुर लोगों का क़ब्ज़ा हुआ तो तुषारी भाषाएँ ख़त्म हो गई। तुषारी की लिपियाँ भारत की ब्राह्मी लिपि पर आधारित थीं और उन्हें तिरछी ब्राह्मी (Slanted Brahmi) कहा जाता है।[1]

शाखाएँ

तुषारी में लिखी हुए तीसरी से लेकर नौवी सदी ईसवी तक की पांडुलिपियों के आधार पर तुषारी भाषाओँ की दो शाखाएँ मिलती हैं, जिनके बोलने वाले एक-दुसरे को नहीं समझ सकते थे:

  • तुषारी 'ए' (Tocharian A) - इसे अग्नेआई (Agnean) या पूर्वी तुषारी भी कहते हैं, हालाँकि इसे तुषारी में 'आरशी' बुलाया जाता था। यह आधुनिक शिनजियांग के काराशहर और तुरफ़ान इलाक़े में बोली जाती थी। काराशहर का पुराना नाम 'अग्नि' (Agni) था (संस्कृत में 'अग्निदेश')।
  • तुषारी 'बी' (Tocharian B) - उसे कूचेआई () या पश्चिमी तुषारी भी कहते हैं। यह शिजियंग के आक़्सू विभाग के कूचा क्षेत्र में बोली जाती थी और कुछ हद तक तुषारी 'ए' के क्षेत्र में भी बोली जाती थी।

भाषावैज्ञानिक मानते हैं की यह दोनों एक ही आदिम-तुषारी भाषा से उत्पन्न हुईं जो शायद १००-१००० ईसापूर्व के काल में बोली जाती हो।

लिखाईयाँ

तुषारी में लिखी पांडुलिपियों के अंश ताम्र-पत्रों, लकड़ी के तख़्तों और चीनी काग़ज़ पर मिलते हैं जो ८वीं सदी से तारिम द्रोणी के अत्यंत शुष्क वातावरण की वजह से बचे हुए हैं। बहुत सी लिखाईयाँ बौद्ध धर्म से सम्बंधित हैं और संस्कृत से अनुवादित की गई हैं। १९८९ में चीनी भाषावैज्ञानिक जी शियानलिन (季羡林) ने मैत्रेयसमिति-नाटक का १९७४ में मिली पांडुलिपि का अनुवाद प्रस्तुत किया।[2] धार्मिक लिखाईयों के अलावा कुछ मठों की चिट्ठी-पत्री, कुछ व्यापर-सम्बन्धी दस्तावेज़, कुछ दवाई और जादू सम्बन्धी लिखाईयाँ और एक प्रेम-कविता भी मिली हैं।[3]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. The Blackwell encyclopedia of writing systems, Florian Coulmas, Wiley-Blackwell, 1999, ISBN 978-0-631-21481-6, ... the Gupta script is a direct descendent of Brahmi writing ... a cursive variety was carried to Central Asia where it was further developed into the Tocharian script, also known as 'Central Asian slanting' ...
  2. Fragments of the Tocharian A Maitreyasamiti-Nāṭaka of the Xinjiang Museum, China, Xianlin Ji, Werner Winter, Georges-Jean Pinault, Walter de Gruyter, 1998, ISBN 978-3-11-014904-3
  3. Encyclopedia of language & linguistics, E. K. Brown, R. E. Asher, J. M. Y. Simpson, Elsevier, 2006, ISBN 978-0-08-044299-0, ... a solitary love poem and a large number of monastery records, as well as caravan passes and cave graffiti ...