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'''[[कंबोज]]''' प्राचीन भारत के १६ [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक था। इसका उल्लेख [[पाणिनी]] के अष्टाध्यायी में १५ शक्तिशाली जनपदों में से एक के रूप में भी मिलता है। बौद्ध ग्रन्थ [[अंगुत्तर निकाय]], [[महावस्तु]] मे १६ [[महाजनपद|महाजनपदों]] में भी कम्बोज का कई बार उल्लेख हुआ है - ये गांधारों के समीपवर्ती थे। इनमें कभी निकट संबंध भी रहा होगा, क्यों कि अनेक स्थानों पर गांधार और कांबोज का नाम साथ साथ आता है। इसका क्षेत्र आधुनुक उत्तर पश्चिमी [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] में मिलता है। राजपुर, द्वारका तथा Kapishi <ref>For Kapishi being a city of Kamboja, see: A Comparative Study of Thirty City-state Cultures: An Investigation, 2000, p 388, Dr Hansen, Mogens Herman (ed(d).</ref> इनके प्रमुख नगर थे। इसका उल्लेख इरानी प्रचीन लेखों में भी मिलता है जिसमें इसे ''राजा कम्बीजेस'' के प्रदेश से जोड़ा जाता है।<ref>{{cite book |last=नाहर |first= डॉ रतिभानु सिंह|title= प्राचीन भारत का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास |year= १९७४ |publisher= किताबमहल|location= इलाहाबाद, भारत|id= |page= 112|editor: |accessday= 19|accessmonth=मार्च| accessyear=2008}}</ref>
'''[[कंबोज]]''' प्राचीन भारत के १६ [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक था। इसका उल्लेख [[पाणिनी]] के अष्टाध्यायी में १५ शक्तिशाली जनपदों में से एक के रूप में भी मिलता है। बौद्ध ग्रन्थ [[अंगुत्तर निकाय]], [[महावस्तु]] मे १६ [[महाजनपद|महाजनपदों]] में भी कम्बोज का कई बार उल्लेख हुआ है - ये गांधारों के समीपवर्ती थे। इनमें कभी निकट संबंध भी रहा होगा, क्यों कि अनेक स्थानों पर गांधार और कांबोज का नाम साथ साथ आता है। इसका क्षेत्र आधुनुक उत्तर पश्चिमी [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] में मिलता है। राजपुर, द्वारका तथा Kapishi <ref>For Kapishi being a city of Kamboja, see: A Comparative Study of Thirty City-state Cultures: An Investigation, 2000, p 388, Dr Hansen, Mogens Herman (ed(d).</ref> इनके प्रमुख नगर थे। इसका उल्लेख इरानी प्रचीन लेखों में भी मिलता है जिसमें इसे ''राजा कम्बीजेस'' के प्रदेश से जोड़ा जाता है।<ref>{{cite book |last=नाहर |first= डॉ रतिभानु सिंह|title= प्राचीन भारत का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास |year= १९७४ |publisher= किताबमहल|location= इलाहाबाद, भारत|id= |page= 112|editor: |accessday= 19|accessmonth=मार्च| accessyear=2008}}</ref>
*प्राचीन [[वैदिक]] साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में कई उल्लेख हैं जिनसे ज्ञात होता है कि कंबोज देश का विस्तार उत्तर में [[कश्मीर]] से हिंदूकुश तक था। वंश [[ब्राह्मण]] में कंबोज के औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख है।
* प्राचीन [[वैदिक]] साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में कई उल्लेख हैं जिनसे ज्ञात होता है कि कंबोज देश का विस्तार उत्तर में [[कश्मीर]] से हिंदूकुश तक था। वंश [[ब्राह्मण]] में कंबोज के औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख है।


*शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी।
* शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी।
*वाल्मीकि-[[रामायण]] में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:<!--Start Quote. Please do not change use the उक्ति, template. This has been used here and proved not to work-->
* वाल्मीकि-[[रामायण]] में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:<!--Start Quote. Please do not change use the उक्ति, template. This has been used here and proved not to work-->
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*[[महाभारत]] के अनुसार अर्जुन ने अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय-यात्रा के प्रसंग में दर्दरों या दर्दिस्तान के निवासियों के साथ ही कांबोजों को भी परास्त किया था- 'गृहीत्वा तु बलं सारं फाल्गुन: पांडुनन्दन: दरदान् सह काम्बोजैरजयत् पाकशासनि:'<ref>महाभारत सभा0 27,23। महाभारत शांति0 207,43; </ref>
* [[महाभारत]] के अनुसार अर्जुन ने अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय-यात्रा के प्रसंग में दर्दरों या दर्दिस्तान के निवासियों के साथ ही कांबोजों को भी परास्त किया था- 'गृहीत्वा तु बलं सारं फाल्गुन: पांडुनन्दन: दरदान् सह काम्बोजैरजयत् पाकशासनि:'<ref>महाभारत सभा0 27,23। महाभारत शांति0 207,43; </ref>


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* महाभारत <ref> महाभारत/ शांति0 207,43</ref> और राजतरंगिणी <ref>राजतरंगिणी4,163-165</ref> में कंबोज की स्थिति उत्तरापथ में बताई गई है।


*महाभारत में कहा गया है कि [[कर्ण]] ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। <ref> महाभारत द्रोण0 4,5</ref>
* महाभारत में कहा गया है कि [[कर्ण]] ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। <ref> महाभारत द्रोण0 4,5</ref>


*[[कालिदास]] ने रघुवंश में रघु के द्वारा कांबोजों की पराजय का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है कि :<!--Start Quote. Please do not change use the उक्ति, template. This has been used here and proved not to work-->
* [[कालिदास]] ने रघुवंश में रघु के द्वारा कांबोजों की पराजय का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है कि :<!--Start Quote. Please do not change use the उक्ति, template. This has been used here and proved not to work-->
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इस उद्धरण में कालिदास ने कंबोज देश में अखरोट वृक्षों का जो वर्णन किया है वह बहुत समीचीन है। इससे भी इस देश की स्थिति कश्मीर के आस पास प्रतीत होती हैं।
इस उद्धरण में कालिदास ने कंबोज देश में अखरोट वृक्षों का जो वर्णन किया है वह बहुत समीचीन है। इससे भी इस देश की स्थिति कश्मीर के आस पास प्रतीत होती हैं।
*महाभारत में कहा गया है कि [[कर्ण]] ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। <ref> महाभारत द्रोण0 4,5</ref>
* महाभारत में कहा गया है कि [[कर्ण]] ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। <ref> महाभारत द्रोण0 4,5</ref>
*चीनी यात्री हुएन-सांग ने भी अपनी भारत यात्रा के दोरान कंबोज में किसी राजपुर नगर का उल्लेख किया था। <ref> युवानच्वांग, भाग 1, पृ0 284)</ref>
* चीनी यात्री हुएन-सांग ने भी अपनी भारत यात्रा के दोरान कंबोज में किसी राजपुर नगर का उल्लेख किया था। <ref> युवानच्वांग, भाग 1, पृ0 284)</ref>
*महाभारत में कंबोज के कई राजाओं का वर्णन है जिनमें सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं। [[चाणक्य|कौटिल्य]] अर्थशास्त्र में कंबोज के 'वार्ताशस्त्रोपजीवी' (खेती और शस्त्रों से जीविका चलाने वाले) संघ का उल्लेख है जिससे ज्ञात होता है कि [[मौर्यकाल]] से पूर्व यहां गणराज्य स्थापित था। मौर्यकाल में [[चंद्रगुप्त]] के साम्राज्य में यह गणराज्य विलीन हो गया होगा।
* महाभारत में कंबोज के कई राजाओं का वर्णन है जिनमें सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं। [[चाणक्य|कौटिल्य]] अर्थशास्त्र में कंबोज के 'वार्ताशस्त्रोपजीवी' (खेती और शस्त्रों से जीविका चलाने वाले) संघ का उल्लेख है जिससे ज्ञात होता है कि [[मौर्यकाल]] से पूर्व यहां गणराज्य स्थापित था। मौर्यकाल में [[चंद्रगुप्त]] के साम्राज्य में यह गणराज्य विलीन हो गया होगा।


==संदर्भ==
== संदर्भ ==
<references/>
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==यह भी देखें ==
== यह भी देखें ==
*[[महाजनपद]]
* [[महाजनपद]]


{{महाजनपद}}
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12:45, 10 फ़रवरी 2013 का अवतरण

कंबोज प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था। इसका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी में १५ शक्तिशाली जनपदों में से एक के रूप में भी मिलता है। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु मे १६ महाजनपदों में भी कम्बोज का कई बार उल्लेख हुआ है - ये गांधारों के समीपवर्ती थे। इनमें कभी निकट संबंध भी रहा होगा, क्यों कि अनेक स्थानों पर गांधार और कांबोज का नाम साथ साथ आता है। इसका क्षेत्र आधुनुक उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मिलता है। राजपुर, द्वारका तथा Kapishi [1] इनके प्रमुख नगर थे। इसका उल्लेख इरानी प्रचीन लेखों में भी मिलता है जिसमें इसे राजा कम्बीजेस के प्रदेश से जोड़ा जाता है।[2]

  • प्राचीन वैदिक साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में कई उल्लेख हैं जिनसे ज्ञात होता है कि कंबोज देश का विस्तार उत्तर में कश्मीर से हिंदूकुश तक था। वंश ब्राह्मण में कंबोज के औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख है।
  • शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी।
  • वाल्मीकि-रामायण में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:
'कांबोज विषये जातैर्बाल्हीकैश्च हयोत्तमै: वनायुजैर्नदीजैश्च पूर्णाहरिहयोत्तमै:[3]
  • महाभारत के अनुसार अर्जुन ने अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय-यात्रा के प्रसंग में दर्दरों या दर्दिस्तान के निवासियों के साथ ही कांबोजों को भी परास्त किया था- 'गृहीत्वा तु बलं सारं फाल्गुन: पांडुनन्दन: दरदान् सह काम्बोजैरजयत् पाकशासनि:'[4]
  • महाभारत [5] और राजतरंगिणी [6] में कंबोज की स्थिति उत्तरापथ में बताई गई है।
  • महाभारत में कहा गया है कि कर्ण ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। [7]
  • कालिदास ने रघुवंश में रघु के द्वारा कांबोजों की पराजय का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है कि :
काम्बोजा: समरे सोढुं तस्य वीर्यमनीश्वरा:, गजालान् परिक्लिष्टैरक्षोटै: सार्धमानता:[8]

इस उद्धरण में कालिदास ने कंबोज देश में अखरोट वृक्षों का जो वर्णन किया है वह बहुत समीचीन है। इससे भी इस देश की स्थिति कश्मीर के आस पास प्रतीत होती हैं।

  • महाभारत में कहा गया है कि कर्ण ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'। [9]
  • चीनी यात्री हुएन-सांग ने भी अपनी भारत यात्रा के दोरान कंबोज में किसी राजपुर नगर का उल्लेख किया था। [10]
  • महाभारत में कंबोज के कई राजाओं का वर्णन है जिनमें सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं। कौटिल्य अर्थशास्त्र में कंबोज के 'वार्ताशस्त्रोपजीवी' (खेती और शस्त्रों से जीविका चलाने वाले) संघ का उल्लेख है जिससे ज्ञात होता है कि मौर्यकाल से पूर्व यहां गणराज्य स्थापित था। मौर्यकाल में चंद्रगुप्त के साम्राज्य में यह गणराज्य विलीन हो गया होगा।

संदर्भ

  1. For Kapishi being a city of Kamboja, see: A Comparative Study of Thirty City-state Cultures: An Investigation, 2000, p 388, Dr Hansen, Mogens Herman (ed(d).
  2. नाहर, डॉ रतिभानु सिंह (१९७४). प्राचीन भारत का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास. इलाहाबाद, भारत: किताबमहल. पृ॰ 112. पाठ "editor: " की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |accessday= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonth= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  3. वाल्मीकि-रामायण बाल0 6,22
  4. महाभारत सभा0 27,23। महाभारत शांति0 207,43;
  5. महाभारत/ शांति0 207,43
  6. राजतरंगिणी4,163-165
  7. महाभारत द्रोण0 4,5
  8. वाल्मीकि-रामायण बाल0 6,22
  9. महाभारत द्रोण0 4,5
  10. युवानच्वांग, भाग 1, पृ0 284)

यह भी देखें