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'''आस्त्राख़ान ख़ानत''' (<small>[[तातार भाषा|तातार]]: Хаҗитархан Ханлыгы, ख़ाचीतरख़ान ख़ानलीगी; [[अंग्रेज़ी]]: Astrakhan Khanate</small>) [[वोल्गा नदी]] के [[कैस्पियन सागर]] के साथ बने [[नदीमुख]] (डेल्टा) इलाक़े में स्थित १५वीं और १६वीं सदी ईसवी में एक [[तातार लोगों]] की [[ख़ानत]] (राज्य) थी। यह वही क्षेत्र है जहाँ आधुनिक युग में [[रूस]] का [[आस्त्राख़ान]] शहर स्थित है। यह ख़ानत [[सुनहरे उर्दू ख़ानत]] के पतन के बाद उभरी और इसके [[ख़ान]] (शासक) तोक़ा तैमूर (<small>Toqa Temur</small>) के वंशज थे। तोक़ा तैमूर स्वयं प्रसिद्ध मंगोल नेता [[जोची ख़ान]] का तेरहवाँ पुत्र और [[चंगेज़ ख़ान]] का पोता था। |
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आस्त्राख़ान ख़ानत के संस्थापक का नाम महमूद बिन कूचुक (<small>{{Nastaliq|ur|محمود بن کوچک}}, Mahmud bin Kuchuk</small>) था और उसने इसकी स्थापना १४६६ में करी। इस ख़ानत की राजधानी [[ख़ाचीतरख़ान]] शहर था जिसे रूसी वर्णनों में 'आस्त्राख़ान' लिखा जाता था। इस राज्य में वोल्गा नदी का अंतिम हिस्सा और नदीमुख शामिल थे, जिसमें रूस की आधुनिक [[आस्त्राख़ान ओब्लास्त]] का अधिकांश हिस्सा आता था। इसमें आधुनिक रूस के [[कालमिकिया]] गणतंत्र के [[स्तेपी]] क्षेत्र का भी भाग आता था। आस्त्राख़ान ख़ानत के पूर्व में [[कैस्पियन सागर]] और पश्चिम में [[क्राइमियाई ख़ानत]] थी। उस समय भारत में [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल ज़माना]] चल रहा था और बहुत से भारतीय व्यापारी आस्त्राख़ान ख़ानत से व्यापार करने यहाँ आते थे।<ref name="ref15humof">[http://books.google.com.pk/books?id=Fy-C2gHkpecC The Ottoman Empire And the World Around It], Suraiya Faroqhi, pp. 138, I.B.Tauris, 2006, ISBN 978-1-84511-122-9, ''... something is known about the commercial organization of Indians on Russian territory, particularly in Moscow and Astrakhan ...''</ref> |
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१५३० के दशक में आस्त्राख़ान ख़ानत ने क्राइमियाई ख़ानत और नोगाई उर्दू के साथ मिलकर रूस पर हमला किया, लेकिन बाद में इस ख़ानत की अपने [[तातार लोग|तातार]] साथियों से बहुत झडपें हुई। १५५२ में रूस के [[त्सार]] [[इवान भयानक]] ने [[काज़ान]] के शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। कुछ स्थानीय शक्तियों ने उसका साथ दिया। १५५६ में भारी हमला करके उसने पूरे क्षेत्र को रूस का हिस्सा बना लिया। राजधानी ख़ाचीतरख़ान जला दी गई। |
१५३० के दशक में आस्त्राख़ान ख़ानत ने क्राइमियाई ख़ानत और नोगाई उर्दू के साथ मिलकर रूस पर हमला किया, लेकिन बाद में इस ख़ानत की अपने [[तातार लोग|तातार]] साथियों से बहुत झडपें हुई। १५५२ में रूस के [[त्सार]] [[इवान भयानक]] ने [[काज़ान]] के शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। कुछ स्थानीय शक्तियों ने उसका साथ दिया। १५५६ में भारी हमला करके उसने पूरे क्षेत्र को रूस का हिस्सा बना लिया। राजधानी ख़ाचीतरख़ान जला दी गई। |
19:25, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण
आस्त्राख़ान ख़ानत (तातार: Хаҗитархан Ханлыгы, ख़ाचीतरख़ान ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Astrakhan Khanate) वोल्गा नदी के कैस्पियन सागर के साथ बने नदीमुख (डेल्टा) इलाक़े में स्थित १५वीं और १६वीं सदी ईसवी में एक तातार लोगों की ख़ानत (राज्य) थी। यह वही क्षेत्र है जहाँ आधुनिक युग में रूस का आस्त्राख़ान शहर स्थित है। यह ख़ानत सुनहरे उर्दू ख़ानत के पतन के बाद उभरी और इसके ख़ान (शासक) तोक़ा तैमूर (Toqa Temur) के वंशज थे। तोक़ा तैमूर स्वयं प्रसिद्ध मंगोल नेता जोची ख़ान का तेरहवाँ पुत्र और चंगेज़ ख़ान का पोता था।
विवरण
आस्त्राख़ान ख़ानत के संस्थापक का नाम महमूद बिन कूचुक (محمود بن کوچک, Mahmud bin Kuchuk) था और उसने इसकी स्थापना १४६६ में करी। इस ख़ानत की राजधानी ख़ाचीतरख़ान शहर था जिसे रूसी वर्णनों में 'आस्त्राख़ान' लिखा जाता था। इस राज्य में वोल्गा नदी का अंतिम हिस्सा और नदीमुख शामिल थे, जिसमें रूस की आधुनिक आस्त्राख़ान ओब्लास्त का अधिकांश हिस्सा आता था। इसमें आधुनिक रूस के कालमिकिया गणतंत्र के स्तेपी क्षेत्र का भी भाग आता था। आस्त्राख़ान ख़ानत के पूर्व में कैस्पियन सागर और पश्चिम में क्राइमियाई ख़ानत थी। उस समय भारत में मुग़ल ज़माना चल रहा था और बहुत से भारतीय व्यापारी आस्त्राख़ान ख़ानत से व्यापार करने यहाँ आते थे।[1]
१५३० के दशक में आस्त्राख़ान ख़ानत ने क्राइमियाई ख़ानत और नोगाई उर्दू के साथ मिलकर रूस पर हमला किया, लेकिन बाद में इस ख़ानत की अपने तातार साथियों से बहुत झडपें हुई। १५५२ में रूस के त्सार इवान भयानक ने काज़ान के शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। कुछ स्थानीय शक्तियों ने उसका साथ दिया। १५५६ में भारी हमला करके उसने पूरे क्षेत्र को रूस का हिस्सा बना लिया। राजधानी ख़ाचीतरख़ान जला दी गई।
नाम का उच्चारण
'आस्त्राख़ान' और 'ख़ाचीतरख़ान' में 'ख़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ The Ottoman Empire And the World Around It, Suraiya Faroqhi, pp. 138, I.B.Tauris, 2006, ISBN 978-1-84511-122-9, ... something is known about the commercial organization of Indians on Russian territory, particularly in Moscow and Astrakhan ...