"अवोगाद्रो का नियम": अवतरणों में अंतर

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'''अवोगाद्रो का नियम''' [[गैस]] से सम्बन्धित एक नियम है जिसका नाम [[अमेदिओ अवोगाद्रो]] (Amedeo Avogadro) के नाम पर रखा गया है। इसे "अवोगाद्रो की परिकल्पना" (Avogadro's hypothesis) एवं "अवोगाद्रो का सिद्धान्त" के नाम से भी जाना जाता है। सन् १८११ में अवोगाद्रो ने यह परिकल्पना प्रस्तुत की, जो इस प्रकार है -
'''अवोगाद्रो का नियम''' [[गैस]] से सम्बन्धित एक नियम है जिसका नाम [[अमेदिओ अवोगाद्रो]] (Amedeo Avogadro) के नाम पर रखा गया है। इसे "अवोगाद्रो की परिकल्पना" (Avogadro's hypothesis) एवं "अवोगाद्रो का सिद्धान्त" के नाम से भी जाना जाता है। सन् १८११ में अवोगाद्रो ने यह परिकल्पना प्रस्तुत की, जो इस प्रकार है -


"समान [[ताप]] व [[दाब]] पर सभी [[आदर्श गैस| आदर्श गैसों]] के समान [[आयतन]] में कणों या अणों की संख्या समान होती है। "
"समान [[ताप]] व [[दाब]] पर सभी [[आदर्श गैस|आदर्श गैसों]] के समान [[आयतन]] में कणों या अणों की संख्या समान होती है। "


(Equal volumes of ideal or perfect gases, at the same temperature and pressure, contain the same number of particles, or molecules.)
(Equal volumes of ideal or perfect gases, at the same temperature and pressure, contain the same number of particles, or molecules.)
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==उदाहरण==
==उदाहरण==
[[हाइड्रोजन]] एवं [[नाइट्रोजन]] के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होगी यदि वे एक ही ताप व दाब पर रखीं हो तथा आदर्श गैस के समान व्यवहार कर रही हों। व्यवहार में [[वास्तविक गैस|वास्तविक गैसों]] के लिये यह नियम पूर्णत: सत्य नहीं है बल्कि "लगभग सत्य" है।
[[हाइड्रोजन]] एवं [[नाइट्रोजन]] के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होगी यदि वे एक ही ताप व दाब पर रखीं हो तथा आदर्श गैस के समान व्यवहार कर रही हों। व्यवहार में [[वास्तविक गैस|वास्तविक गैसों]] के लिये यह नियम पूर्णत: सत्य नहीं है बल्कि "लगभग सत्य" है।


==नियम का गणितीय रूप==
==नियम का गणितीय रूप==
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:''k'' एक नियतांक है।
:''k'' एक नियतांक है।


अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि [[आदर्श गैस नियतांक]] (ideal gas constant) का मान सभी गैसों के लिये समान होता है। अर्थात्
अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि [[आदर्श गैस नियतांक]] (ideal gas constant) का मान सभी गैसों के लिये समान होता है। अर्थात्


:<math>\frac{p_1\cdot V_1}{T_1\cdot n_1}=\frac{p_2\cdot V_2}{T_2 \cdot n_2} = constant</math>
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:''T'' गैस का ताप है।
:''T'' गैस का ताप है।


किसी आदर्श गैस का एक [[मोल]] [[मानक ताप व दाब]] (standard temperature and pressure / STP) पर २२.४ [[लीटर]] स्थान घेरता है। इस आयतन को प्राय: आदर्श गैस का [[मोलर आयतन]] (molar volume) कहते हैं।
किसी आदर्श गैस का एक [[मोल]] [[मानक ताप व दाब]] (standard temperature and pressure / STP) पर २२.४ [[लीटर]] स्थान घेरता है। इस आयतन को प्राय: आदर्श गैस का [[मोलर आयतन]] (molar volume) कहते हैं।


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://chimge.unil.ch/En/mat/1mat12.htm एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law] at the University of Fribourg
* [http://chimge.unil.ch/En/mat/1mat12.htm एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law] at the University of Fribourg
*[http://www.rsc.org/chemsoc/timeline//pages/1811.html एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law] at the Royal Society of Chemistry
* [http://www.rsc.org/chemsoc/timeline//pages/1811.html एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law] at the Royal Society of Chemistry




[[श्रेणी:भौतिक रसायन|नियम, अवोगाद्रो का]]
[[श्रेणी:भौतिक रसायन|नियम, अवोगाद्रो का]]

08:33, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण

अवोगाद्रो का नियम गैस से सम्बन्धित एक नियम है जिसका नाम अमेदिओ अवोगाद्रो (Amedeo Avogadro) के नाम पर रखा गया है। इसे "अवोगाद्रो की परिकल्पना" (Avogadro's hypothesis) एवं "अवोगाद्रो का सिद्धान्त" के नाम से भी जाना जाता है। सन् १८११ में अवोगाद्रो ने यह परिकल्पना प्रस्तुत की, जो इस प्रकार है -

"समान तापदाब पर सभी आदर्श गैसों के समान आयतन में कणों या अणों की संख्या समान होती है। "

(Equal volumes of ideal or perfect gases, at the same temperature and pressure, contain the same number of particles, or molecules.)

परिचय

सन् 1811 ई. में इटली के रसायनज्ञ आवोगाड्रो ने अणु और परमाणु में भेद स्पष्ट करते हुए बताया कि परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है जो रासायनिक क्रिया में भाग लेता है और इसका स्वतंत्र अस्तित्व हो भी सकता है और नहीं भी। अणु पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण हे जिसमें पदार्थ के सारे गुण विद्यमान हों और उसका स्वतंत्र अस्तित्व संभव हो।

आवोगाड्रो ने ही सर्वप्रथम कहा कि गैसों में केवल अणुओं का स्वतंत्र अस्तित्व संभव है न कि परमाणुओं का, इसीलिए गैस के आयतन को उसमें उपस्थित अणुओं से व्यक्त करना चाहिए। इस आधार पर आवोगाड्रो ने निम्नलिखित संबंध व्यक्त किया है :

एक ही ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।

प्रारंभ में इस संबंध को आवोगाड्रो की परिकल्पना कहा गया था लेकिन बाद में जब प्रयोगों द्वारा इसका परीक्षण किया गया तो इसे आवोगाड्रो का सिद्धांत कहा जाने लगा। और अब इसे 'आवोगाड्रो का नियम' कहते हैं। परमाणु सिद्धांत के संशोधन में तथा गेलुसाक के नियम की व्याख्या करने में इस नियम का उयपयोग हुआ है। तात्विक गैसों की परमाणुकता निकालने में, अणु भार ज्ञात करने में, गैसों के भार आयतन के संबंध को ज्ञात करने में तथा गैसों के विश्लेषण में इस नियम का उपयोग किया जाता है।

आवोगाड्रो की संख्या-किसी भी गैस के एक ग्राम अणु भार में अणुओं की संख्या समान होती है। इस संख्या को ही आवोगाड्रो की संख्या कहते हैं। विभिन्न विधियों से इसका मान 6.02x1023 निश्चित किया गया है। आवोगाड्रो की संख्या पांच विश्व स्थिरांको (युनिवर्सल कांस्टैंट) में से एक है। इसे रोमन अक्षर एन (N) से निरूपित करते हैं।

उदाहरण

हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होगी यदि वे एक ही ताप व दाब पर रखीं हो तथा आदर्श गैस के समान व्यवहार कर रही हों। व्यवहार में वास्तविक गैसों के लिये यह नियम पूर्णत: सत्य नहीं है बल्कि "लगभग सत्य" है।

नियम का गणितीय रूप

.

जहाँ:

V गैस का आयतन है,
n गैस की मात्रा है,
k एक नियतांक है।

अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि आदर्श गैस नियतांक (ideal gas constant) का मान सभी गैसों के लिये समान होता है। अर्थात्

का मान सभी गैसों के लिये समान है, चाहे उनके अणों का आकार अथवा द्रव्यमान कुछ भी हो।

यहाँ:

p गैस का दाब है,
T गैस का ताप है।

किसी आदर्श गैस का एक मोल मानक ताप व दाब (standard temperature and pressure / STP) पर २२.४ लीटर स्थान घेरता है। इस आयतन को प्राय: आदर्श गैस का मोलर आयतन (molar volume) कहते हैं।

बाहरी कड़ियाँ