"अजित केशकंबली": अवतरणों में अंतर

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==इन्हें भी देखें==
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*[[भौतिकवाद]]
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*[[उच्छेदवाद]]
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[[en:Ajita Kesakambali]]
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[[ml:അജിതകേശകംബളൻ]]
[[ja:アジタ・ケーサカンバリン]]
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[[pl:Adźita Keśakambali]]
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[[zh:阿耆多·翅舍钦婆罗]]
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05:05, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण

भगवान बुद्ध के समकालीन एवं तरह-तरह के मतों का प्रतिपादन करने वाले जो कई धर्माचार्य मंडलियों के साथ घूमा करते थे उनमें अजित केशकंबली भी एक प्रधान आचार्य थे। इनका नाम था अजित और केश का बना कंबल धारण करने के कारण वह केशकंबली नाम से विख्यात हुए। उनका सिद्धांत घोर उच्छेदवाद का था। भौतिक सत्ता के परे वह किसी तत्व में विश्वास नहीं करते थे। उनके मत में न तो कोई कर्म पुण्य था और न पाप। मृत्यु के बाद शरीर जला दिए जाने पर उसका कुछ शेष नहीं रहता, चार महाभूत अपने तत्व में मिल जाते हैं और उसका सर्वथा अंत हो जाता है- यही उनकी शिक्षा थी।

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