"ज्वार": अवतरणों में अंतर

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09:15, 12 अक्टूबर 2012 का अवतरण

ज्वार
ज्वार के दाने

ज्वार (Sorghum vulgare) एक प्रमुख फसल है । ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा दिनो के लिए बोई जाती हैं । ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पोष्टिक चारा हैं ।

यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में भारत में बोई जाती है। यह चारे तथा दाने दोनों के लिये बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। सिंचाई करके वर्षा से पहले एवं वर्षा आरंभ होते ही इसकी बोवाई की जाती है। यदि बरसात से पहले सिंचाई करके यह बो दी जाए, तो फसल और जल्दी तैयार हो जाती है, परंतु बरसात जब अच्छी तरह हो जाए तभी इसका चारा पशुओं को खिलाना चाहिए। गरमी में इसकी फसल में कुछ विष पैदा हो जाता है, इसलिए बरसात से पहले खिलाने से पशुओं पर विष का बड़ा बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यह विष बरसात में नहीं रह जाता है। चारे के लिये अधिक बीज लगभग 12 से 15 सेर प्रति एकड़ बोया जाता है। इसे घना बोने से हरा चारा पतला एवं नरम रहता है और उसे काटकर गाय तथा बैलों को खिलाया जाता है। जो फसल दाने के लिये बोई जाती है, उसमें केवल आठ सेर बीज प्रति एकड़ डाला जाता है। दाना अक्टूबर के अंत तक पक जाता है भुट्टे लगने के बाद एक महीनेे तक इसकी चिड़ियों से बड़ी रखवाली करनी पड़ती है। जब दाने पक जाते हैं तब भुट्टे अलग काटकर दाने निकाल लिए जाते हैं। इसकी औसत पैदावार छह से आठ मन प्रति एकड़ हो जाती है। अच्छी फसल में 15 से 20 मन प्रति एकड़ दाने की पैदावार होती है। दाना निकाल लेने के बाद लगभग 100 मन प्रति एकड़ सूखा पौष्टिक चारा भी पैदा होता है, जो बारीक काटकर जानवरों को खिलाया जाता है। सूखे चारों में गेहूँ के भूसे के बाद ज्वार का डंठल तथा पत्ते ही सबसे उत्तम चारा माना जाता है।

ज्वार के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक

  • उत्पादक देश - संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, रुस, चीन
  • तापमान - 25 से 35 से.ग्रे.
  • वर्षा - 40 से 60 सेमी.
  • मिट्टी - भारी दोमट, हल्की दोमट और एल्यूवियल

ज्वार के उत्पादन का विश्व वितरण

यह भी देखें

बाहरी कड़ियाँ