"जर्मेनियम": अवतरणों में अंतर

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'''जर्मेनियम''' (Germanium) रासायनिक [[तत्व]] है। इसका स्थान [[आवर्त सारणी]] में उसी वर्ग में है, जिसमें सीस और टिन हैं। इसका आविष्कार 1886 ई. सी. विंकलर ने किया था। इसका संकेत जम (Ge), परमाणुसंख्या 32 और परमाणु भार 72.6 है। यह तत्व बड़ी अल्प मात्रा में पृथ्वी पर पाया जाता है। साधारणत: यह जस्ते के खनिजों के साथ मिला हुआ मिलता है। खनिजों को जलाने पर जो राख बच जाती है उसमें 0.25, प्रतिश्त जर्मेनियम ऑक्साइड रहता है। इसको पहसे वाष्पशील टेट्राक्लोराइड में परिणत करते हैं। टेट्राक्लोराइड का प्रभाजक आसवन रके अन्य धातुओं से यह पृथक् किया जाता है। इसके ऑक्साइड को ऐल्यूमिनियम या कार्बन या हाइड्रोजन द्वारा अवकृत करने से धातु प्राप्त होती है।
'''सिकातु''' (Germanium) रासायनिक [[तत्व]] है। इसका स्थान [[आवर्त सारणी]] में उसी वर्ग में है, जिसमें सीस और त्रपु हैं। इसका आविष्कार 1886 ई. सी. विंकलर ने किया था। इसका संकेत जम (Ge), परमाणुसंख्या 32 और परमाणु भार 72.6 है। यह तत्व बड़ी अल्प मात्रा में पृथ्वी पर पाया जाता है। साधारणत: यह जस्ते के खनिजों के साथ मिला हुआ मिलता है। खनिजों को जलाने पर जो राख बच जाती है उसमें 0.25, प्रतिश्त सिकातु जारेय (ऑक्साइड) रहता है। इसको पहसे वाष्पशील चतुनीरेय (टेट्राक्लोराइड) में परिणत करते हैं। चतुनीरेय का प्रभाजक आसवन रके अन्य धातुओं से यह पृथक् किया जाता है। इसके जारेय (ऑक्साइड) को स्फटयातु (ऐल्यूमिनियम) या कार्बन या उदजन (हाइड्रोजन) द्वारा अवकृत करने से धातु प्राप्त होती है।


== गुणधर्म ==
== गुणधर्म ==
जर्मेनियम कुछ भूरापन लिए श्वेत रंग की धातु है। इसकी बनावट मणिभीय होती है। यह अति भंगुर होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 20 डिग्री सें. पर 5.35 और गलनांक 958.5 डिग्री सें. है। ऑक्सीजन में गरम करने से ऑक्साइड (GeO2) बनता है। इसका वर्णहीन टेट्राक्लोराइड द्रव ([[क्वथनांक]] 83 डिग्री सें.), टेट्राब्रोमाइट रंगहीन और टेट्राआयोडाइड नारंगी रंग का ठोस होता है, जो क्रमश: 26.8 डिग्री और 144 डिग्री सें. पर पिघलता है।
सिकातु कुछ भूरापन लिए श्वेत रंग की धातु है। इसकी बनावट मणिभीय होती है। यह अति भंगुर होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 20 डिग्री सें. पर 5.35 और गलनांक 958.5 डिग्री सें. है। ऑक्सीजन में गरम करने से जारेय (ऑक्साइड) (GeO2) बनता है। इसका वर्णहीन चतुनीरेय (टेट्राक्लोराइड) द्रव ([[क्वथनांक]] 83 डिग्री सें.), चतुदुराघ्रित (टेट्राब्रोमाइट) रंगहीन और चतुजाम्बेय (टेट्राआयोडाइड) नारंगी रंग का ठोस होता है, जो क्रमश: 26.8 डिग्री और 144 डिग्री सें. पर पिघलता है।


सिलिकॉन तथा टिन के ऐसा जर्मेकनयम कार्बनिक यौगिक, हाइड्राइड आदि बनता है। हाइड्राइड के क्योरोसंजात भी बनते हैं। जर्मेनियम के हाइड्रोक्लोरीसंजात द्रव और ठोस होते हैं। कांच में सिलिका का स्थान जब जर्मेनियम ऑक्साइड लेता है तब कांच का वर्तनांक बहुत बढ़ जाता है। रक्तक्षीणता में जर्मेनियम यौगिकों के प्रयोग का सुझाव मिलता है। अन्य कई यौगिकों के निर्माण में भी जर्मेनियम और टिन के बीच समानता देखी जाती है।
सैकता (सिलिकॉन) तथा त्रपु के ऐसा सिकातु कार्बनिक यौगिक, जलेय (हाइड्राइड) आदि बनता है। जलेय के क्योरोसंजात भी बनते हैं। सिकातु के हाइड्रोक्लोरीसंजात द्रव और ठोस होते हैं। कांच में सिलिका का स्थान जब सिकातु जारेय (ऑक्साइड) लेता है तब कांच का वर्तनांक बहुत बढ़ जाता है। रक्तक्षीणता में सिकातु यौगिकों के प्रयोग का सुझाव मिलता है। अन्य कई यौगिकों के निर्माण में भी सिकातु और त्रपु के बीच समानता देखी जाती है।


== चित्र ==
== चित्र ==

00:28, 29 सितंबर 2012 का अवतरण


जर्मेनियम / Germanium
रासायनिक तत्व
रासायनिक चिन्ह: Ge
परमाणु संख्या: 32
रासायनिक शृंखला: metalloids

आवर्त सारणी में स्थिति
अन्य भाषाओं में नाम: Germanium (अंग्रेज़ी), Германий (रूसी), ゲルマニウム (जापानी)


सिकातु (Germanium) रासायनिक तत्व है। इसका स्थान आवर्त सारणी में उसी वर्ग में है, जिसमें सीस और त्रपु हैं। इसका आविष्कार 1886 ई. सी. विंकलर ने किया था। इसका संकेत जम (Ge), परमाणुसंख्या 32 और परमाणु भार 72.6 है। यह तत्व बड़ी अल्प मात्रा में पृथ्वी पर पाया जाता है। साधारणत: यह जस्ते के खनिजों के साथ मिला हुआ मिलता है। खनिजों को जलाने पर जो राख बच जाती है उसमें 0.25, प्रतिश्त सिकातु जारेय (ऑक्साइड) रहता है। इसको पहसे वाष्पशील चतुनीरेय (टेट्राक्लोराइड) में परिणत करते हैं। चतुनीरेय का प्रभाजक आसवन रके अन्य धातुओं से यह पृथक् किया जाता है। इसके जारेय (ऑक्साइड) को स्फटयातु (ऐल्यूमिनियम) या कार्बन या उदजन (हाइड्रोजन) द्वारा अवकृत करने से धातु प्राप्त होती है।

गुणधर्म

सिकातु कुछ भूरापन लिए श्वेत रंग की धातु है। इसकी बनावट मणिभीय होती है। यह अति भंगुर होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 20 डिग्री सें. पर 5.35 और गलनांक 958.5 डिग्री सें. है। ऑक्सीजन में गरम करने से जारेय (ऑक्साइड) (GeO2) बनता है। इसका वर्णहीन चतुनीरेय (टेट्राक्लोराइड) द्रव (क्वथनांक 83 डिग्री सें.), चतुदुराघ्रित (टेट्राब्रोमाइट) रंगहीन और चतुजाम्बेय (टेट्राआयोडाइड) नारंगी रंग का ठोस होता है, जो क्रमश: 26.8 डिग्री और 144 डिग्री सें. पर पिघलता है।

सैकता (सिलिकॉन) तथा त्रपु के ऐसा सिकातु कार्बनिक यौगिक, जलेय (हाइड्राइड) आदि बनता है। जलेय के क्योरोसंजात भी बनते हैं। सिकातु के हाइड्रोक्लोरीसंजात द्रव और ठोस होते हैं। कांच में सिलिका का स्थान जब सिकातु जारेय (ऑक्साइड) लेता है तब कांच का वर्तनांक बहुत बढ़ जाता है। रक्तक्षीणता में सिकातु यौगिकों के प्रयोग का सुझाव मिलता है। अन्य कई यौगिकों के निर्माण में भी सिकातु और त्रपु के बीच समानता देखी जाती है।

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Ts
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१२०
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***

* लैन्थनाइड ५७
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Ce
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Pr
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Nd
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Pm
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Sm
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Eu
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Gd
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Dy
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** ऐक्टिनाइड ८९
Ac
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Pa
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U
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*** महालैन्थनाइड १२१
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Utu
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Uth
१३७
Uts
१३८
Uto

आवर्त सारणी के इस प्रचलित प्रबन्ध में लैन्थनाइड और ऐक्टिनाइड को अन्य धातुओं से अलग रखा गया है। विस्तृत और अति-विस्तृत आवर्त सारणीओं में एफ़-खण्ड और जी-खण्ड धातुओं को भी एक साथ प्रबन्धित किया जाता है।

परमाणु क्रमांक का वर्ण २७३.१५K (०°C/३२°F) तथा १ परमाणु दाब पर तत्त्व की अवस्था को दर्शाते हैं।
काला = ठोस हरा = द्रव लाल = गैस
किनारे (बॉर्डर) प्राकृतिक उपस्थिति दर्शाते हैं
आदि तत्त्व रेडियो-क्षय से प्राप्त कृत्रिम तत्त्व अनान्वेषित

साँचा:Link FA