"रामनारायण मिश्र": अवतरणों में अंतर

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'''पंडित रामनारायण मिश्र''' महान हिन्दीसेवी थे जिन्होने [[श्यामसुन्दर दास]] और [[ठाकुर शिवकुमार सिंह]] के साथ मिलकर [[नागरीप्रचारिणी सभा]] की स्थापना की थी। वे सन् १९३७ में इसके सभापति हुए।
'''पंडित रामनारायण मिश्र''' (1873-1953) महान हिन्दीसेवी थे जिन्होने [[श्यामसुन्दर दास]] और [[ठाकुर शिवकुमार सिंह]] के साथ मिलकर [[नागरीप्रचारिणी सभा]] की स्थापना की थी। वे सन् १९३७ में इसके सभापति हुए।

रामनारायण मिश्र का जन्म १८७३ में [[अमृतसर]] में हुआ था। आप अपने माता-पिता के साथ [[बनारस]] आ गये और आकर यहीं के हो गये। बनारस के क्वींस कॉलेज में शिक्षा के दौरान ही श्यामसुन्दर दास और ठाकुर शिवकुमार सिंह के साथ मिलकर नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की । शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होने शिक्षा विभाग में सब डिप्टी इंस्पेक्तर तथा डिप्टी इंस्पेटर के पद पर काम किया। उन्होने स्कूलों में 'जय-जय प्यारा देश' तथा 'मातु पितु सहायक सखा तुमही एकनाथ हमारे हो' आदि प्रार्थनाएँ शुरू कीं। इससे अविभावकों एवं विद्यार्थियों का ध्यान हिन्दी भाषा की ओर गया।

१९५३ में आपका देहावसान हो गया।

==कृतियाँ==
आपने कई पुस्तकों की रचना की।
* महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी
* जापान का इतिहास
* भारतीय शिष्टाचार


==बाहरी कड़ियाँ==
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07:46, 26 सितंबर 2012 का अवतरण

पंडित रामनारायण मिश्र (1873-1953) महान हिन्दीसेवी थे जिन्होने श्यामसुन्दर दास और ठाकुर शिवकुमार सिंह के साथ मिलकर नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की थी। वे सन् १९३७ में इसके सभापति हुए।

रामनारायण मिश्र का जन्म १८७३ में अमृतसर में हुआ था। आप अपने माता-पिता के साथ बनारस आ गये और आकर यहीं के हो गये। बनारस के क्वींस कॉलेज में शिक्षा के दौरान ही श्यामसुन्दर दास और ठाकुर शिवकुमार सिंह के साथ मिलकर नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की । शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होने शिक्षा विभाग में सब डिप्टी इंस्पेक्तर तथा डिप्टी इंस्पेटर के पद पर काम किया। उन्होने स्कूलों में 'जय-जय प्यारा देश' तथा 'मातु पितु सहायक सखा तुमही एकनाथ हमारे हो' आदि प्रार्थनाएँ शुरू कीं। इससे अविभावकों एवं विद्यार्थियों का ध्यान हिन्दी भाषा की ओर गया।

१९५३ में आपका देहावसान हो गया।

कृतियाँ

आपने कई पुस्तकों की रचना की।

  • महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी
  • जापान का इतिहास
  • भारतीय शिष्टाचार

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