"फ्लोरीन": अवतरणों में अंतर

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'''प्रवाजी''' (फ्लोरीन) एक [[रासायनिक तत्व]] है। यह [[आवर्त सारणी]] (periodic table) के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक [[अधातु]] गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक (भारसंख्या 19) प्राप्त है और तीन [[रेडियोधर्मिता|रेडियोऐक्टिव]] समस्थानिक (भारसंख्या 17,18 और 20) कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक्‌ किया। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध [[हाइड्रोक्लोरिक अम्ल]] तथा [[दहातु फ्लोराइड]] के मिश्रण के वैद्युत्‌ अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था।
'''तरस्विनी''' (फ्लोरीन) एक [[रासायनिक तत्व]] है। यह [[आवर्त सारणी]] (periodic table) के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक [[अधातु]] गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक (भारसंख्या 19) प्राप्त है और तीन [[रेडियोधर्मिता]] समस्थानिक (भारसंख्या 17,18 और 20) कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक्‌ किया। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध [[हाइड्रोक्लोरिक अम्ल]] तथा [[दहातु तरस्विनिक]] के मिश्रण के वैद्युत्‌ अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था।


प्रवाजी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। इसके यौगिक [[कैल्सियम|छौरेय]] फ्लुओराइड, (CaF2), और क्रायोलाइड, (Na3 Al F6) अनेक स्थानों पर मिलते हैं।
तरस्विनी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। इसके यौगिक [[कैल्सियम|चूर्णातु]] तरस्विनिक (फ्लुओराइड), ([[कैल्सियम|चूर]].तर2) (CaF2), और क्रायोलाइड, (क्षा3स्फ.तर6) (Na3AlF6) अनेक स्थानों पर मिलते हैं।


प्रवाजी का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। प्लैटिनम इरीडियम मिश्रधातु का बना यू (U) के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी [[कोशिका]] लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में पोटैशियम फ्लुओराइड विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर प्रवाजी मुक्त होगी। मुक्त प्रवाजी को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा सोडियम फ्लुओराइड की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।
तरस्विनी का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। [[महातु]] [[घनातु]] मिश्रधातु का बना यू (U) के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी [[कोशिका]] लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में [[दहातु]] तरस्विनिक (फ्लुओराइड) विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर तरस्विनी मुक्त होगी। मुक्त तरस्विनी को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा क्षारातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड) की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।


==गुण==
==गुण==
प्रवाजी के कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं :
तरस्विनी के कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं :


संकेत--- '''F'''
संकेत--- '''तर''' (F)


[[परमाणु संख्या]] --- 9
[[परमाणु संख्या]] --- 9
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[[परमाणु व्यास]] --- 1.36 ऐंगस्ट्रॉम
[[परमाणु व्यास]] --- 1.36 ऐंगस्ट्रॉम


प्रवाजी समस्त तत्वों में अपेक्षाकृत सर्वाधिक क्रियाशील पदार्थ है। [[हाइड्रोजन]] के साथ यह न्यून ताप पर भी विस्फोट के साथ संयुक्त हो जाता है।
तरस्विनी समस्त तत्वों में अपेक्षाकृत सर्वाधिक क्रियाशील पदार्थ है। [[हाइड्रोजन]] के साथ यह न्यून ताप पर भी विस्फोट के साथ संयुक्त हो जाता है।


हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल अथवा हाइड्रोजन फ्लुओराइड (HF) अथवा (H2F2) अत्यंत विषैला पदार्थ है इसका विशुद्ध यौगिक विद्युत्‌ का [[कुचालक]] है। इसका जलीय विलयन तीव्र आम्लिक गुण युक्त होता है। यह [[काच]] पर क्रिया कर सिलिकन फ्लुओराइड बनाता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग काच पर निशान बनाने में होता है। हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल के लवण फ्लुओराइड कहलाते हैं। कुछ फ्लुओराइड जल में विलेय होते हैं।
हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल अथवा उदजन तरस्विनिक (हाइड्रोजन फ्लुओराइड) (उद.तर)(HF) अथवा (H2F2) अत्यंत विषैला पदार्थ है इसका विशुद्ध यौगिक विद्युत्‌ का [[कुचालक]] है। इसका जलीय विलयन तीव्र आम्लिक गुण युक्त होता है। यह [[काच]] पर क्रिया कर सैकता तरस्विनिक (सिलिकन फ्लुओराइड) बनाता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग काच पर निशान बनाने में होता है। हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल के लवण तरस्विनिक (फ्लुओराइड) कहलाते हैं। कुछ तरस्विनिक जल में विलेय होते हैं।


==उपयोग==
==उपयोग==
प्रवाजी का उपयोग कीटमारक के रूप में होता है। इसके कुछ यौगिक, जैसे यूरेनियम फ्लुओराइड, परमाणु ऊर्जा प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। प्रवाजी के अनेक कार्बनिक यौगिक प्रशीतन उद्योग तथा प्लास्टिक उद्योग में काम आते हैं।
तरस्विनी का उपयोग कीटमारक के रूप में होता है। इसके कुछ यौगिक, जैसे किरणात तरस्विनिक (यूरेनियम फ्लुओराइड), परमाणु ऊर्जा प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। तरस्विनी के अनेक कार्बनिक यौगिक प्रशीतन उद्योग तथा प्लास्टिक उद्योग में काम आते हैं।


{{दो परमाणुओं वाले तत्व}}
{{दो परमाणुओं वाले तत्व}}

23:50, 5 सितंबर 2012 का अवतरण

तरस्विनी (फ्लोरीन) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी (periodic table) के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक (भारसंख्या 19) प्राप्त है और तीन रेडियोधर्मिता समस्थानिक (भारसंख्या 17,18 और 20) कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक्‌ किया। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा दहातु तरस्विनिक के मिश्रण के वैद्युत्‌ अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था।

तरस्विनी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। इसके यौगिक चूर्णातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड), (चूर.तर2) (CaF2), और क्रायोलाइड, (क्षा3स्फ.तर6) (Na3AlF6) अनेक स्थानों पर मिलते हैं।

तरस्विनी का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। महातु घनातु मिश्रधातु का बना यू (U) के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी कोशिका लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में दहातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड) विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर तरस्विनी मुक्त होगी। मुक्त तरस्विनी को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा क्षारातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड) की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।

गुण

तरस्विनी के कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं :

संकेत--- तर (F)

परमाणु संख्या --- 9

परमाणु भार--- 19

गलनांक --- -223रू सें.

क्वथनांक --- -188रू सें.

आपेक्षिक घनत्व --- -1.265

परमाणु व्यास --- 1.36 ऐंगस्ट्रॉम

तरस्विनी समस्त तत्वों में अपेक्षाकृत सर्वाधिक क्रियाशील पदार्थ है। हाइड्रोजन के साथ यह न्यून ताप पर भी विस्फोट के साथ संयुक्त हो जाता है।

हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल अथवा उदजन तरस्विनिक (हाइड्रोजन फ्लुओराइड) (उद.तर)(HF) अथवा (H2F2) अत्यंत विषैला पदार्थ है इसका विशुद्ध यौगिक विद्युत्‌ का कुचालक है। इसका जलीय विलयन तीव्र आम्लिक गुण युक्त होता है। यह काच पर क्रिया कर सैकता तरस्विनिक (सिलिकन फ्लुओराइड) बनाता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग काच पर निशान बनाने में होता है। हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल के लवण तरस्विनिक (फ्लुओराइड) कहलाते हैं। कुछ तरस्विनिक जल में विलेय होते हैं।

उपयोग

तरस्विनी का उपयोग कीटमारक के रूप में होता है। इसके कुछ यौगिक, जैसे किरणात तरस्विनिक (यूरेनियम फ्लुओराइड), परमाणु ऊर्जा प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। तरस्विनी के अनेक कार्बनिक यौगिक प्रशीतन उद्योग तथा प्लास्टिक उद्योग में काम आते हैं।

समूह → १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८
↓ आवर्त

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* लैन्थनाइड ५७
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** ऐक्टिनाइड ८९
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*** महालैन्थनाइड १२१
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आवर्त सारणी के इस प्रचलित प्रबन्ध में लैन्थनाइड और ऐक्टिनाइड को अन्य धातुओं से अलग रखा गया है। विस्तृत और अति-विस्तृत आवर्त सारणीओं में एफ़-खण्ड और जी-खण्ड धातुओं को भी एक साथ प्रबन्धित किया जाता है।

परमाणु क्रमांक का वर्ण २७३.१५K (०°C/३२°F) तथा १ परमाणु दाब पर तत्त्व की अवस्था को दर्शाते हैं।
काला = ठोस हरा = द्रव लाल = गैस
किनारे (बॉर्डर) प्राकृतिक उपस्थिति दर्शाते हैं
आदि तत्त्व रेडियो-क्षय से प्राप्त कृत्रिम तत्त्व अनान्वेषित

साँचा:Link FA