"महावीर (गणितज्ञ)": अवतरणों में अंतर

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महावीर ने गणित के महत्व के बारे में कितनी महान बात कही है-
महावीर ने गणित के महत्व के बारे में कितनी महान बात कही है-
: "बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥"
: "बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥"
::( बहुत प्रलाप करने से क्या लाभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
:( बहुत प्रलाप करने से क्या लाभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )


==प्रमुख कार्य==
==प्रमुख कार्य==
* क्रमचय एवं संचय की संख्या का सामान्य सूत्र प्रस्तुत किये।
* क्रमचय एवं संचय की संख्या का सामान्य सूत्र प्रस्तुत किये।

* n-डिग्री वाले समीकरणों का हल प्रस्तुत किये।
* n-डिग्री वाले समीकरणों का हल प्रस्तुत किये।

* [[चक्रीय चतुर्भुज]] के कई गुणों (कैरेक्टरिस्टिक्स) को प्रकाशित किया।
* [[चक्रीय चतुर्भुज]] के कई गुणों (कैरेक्टरिस्टिक्स) को प्रकाशित किया।

* उन्होने बताया कि ऋणात्मक संख्याओं का [[वर्गमूल]] नहीं हो सकता।
* उन्होने बताया कि ऋणात्मक संख्याओं का [[वर्गमूल]] नहीं हो सकता।

* [[समान्तर श्रेणी]] के पदों के वर्ग वाली श्रेणी के n-पदों का योग निकाला।
* [[समान्तर श्रेणी]] के पदों के वर्ग वाली श्रेणी के n-पदों का योग निकाला।

* [[दीर्घवृत्त]] की परिधि एवं क्षेत्रफल का अनुभवजन्य सूत्र (इम्पेरिकल फॉर्मूला) प्रस्तुत किया।
* [[दीर्घवृत्त]] की परिधि एवं क्षेत्रफल का अनुभवजन्य सूत्र (इम्पेरिकल फॉर्मूला) प्रस्तुत किया।

*
==उच्च कोटि (order) के समीकरण==
महावीर ने मिम्नलिखित प्रकार के ''n'' डिग्री वाले तथा उच्च कोटि के समीकरणों का हल प्रस्तुत किया-
<math>\ ax^n = q</math>
and
<math>a \frac{x^n - 1}{x - 1} = p</math>

==चक्रीय चतुर्भुज (cyclic quadrilateral) का सूत्र==

आदित्य और उनके पूर्व [[ब्रह्मगुप्त]] ने चक्रीय चतुर्भुजों के गुणों पर प्रकाश डाला था। इसके बाद महावीर ने चक्रीय चतुर्भुजों की भुजाओं (sides) एवं विकर्णों (diagonals) की लम्बाई ज्ञात करने के लिये समीकरण दिये।

यदि ''a, b, c, d'' किसी चक्रीय चतुर्भुज की भुजाएँ हों तथा इसके विकर्णों की लम्बाई ''x'' तथा ''y'' हो तो,

<math>\ x = \sqrt {\frac{ad + bc}{ab + cd} (ac + bd)}</math>

और

<math>y = \sqrt {\frac{ab + cd}{ad + bc} (ac + bd)}</math>

अत:,
<math>\ xy = ac + bd </math>


==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==

05:36, 25 अगस्त 2012 का अवतरण

महावीर (या महावीराचार्य) नौवीं शती के भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। वे गुलबर्ग के निवासी थे। वे जैन धर्म के अनुयायी थे । उन्होने क्रमचय-संचय (कम्बिनेटोरिक्स) पर बहुत उल्लेखनीय कार्य किये तथा विश्व में सबसे पहले क्रमचयों एवं संचयों (कंबिनेशन्स) की संख्या निकालने का सामान्यीकृत सूत्र प्रस्तुत किया। वे अमोघवर्ष प्रथम नामक महान राष्ट्रकूट राजा के आश्रय में रहे।

उन्होने गणितसारसंग्रह नामक गणित ग्रन्थ की रचना की जिसमें बीजगणित एवं ज्यामिति के बहुत से विषयों (टॉपिक्स) की चर्चा है। उनके इस ग्रंथ का पवुलुरि मल्लन् ने तेलुगू में 'सारसंग्रह गणितम्' नाम से अनुवाद किया।

महावीर ने गणित के महत्व के बारे में कितनी महान बात कही है-

"बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥"
( बहुत प्रलाप करने से क्या लाभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )

प्रमुख कार्य

  • क्रमचय एवं संचय की संख्या का सामान्य सूत्र प्रस्तुत किये।
  • n-डिग्री वाले समीकरणों का हल प्रस्तुत किये।
  • उन्होने बताया कि ऋणात्मक संख्याओं का वर्गमूल नहीं हो सकता।
  • दीर्घवृत्त की परिधि एवं क्षेत्रफल का अनुभवजन्य सूत्र (इम्पेरिकल फॉर्मूला) प्रस्तुत किया।

उच्च कोटि (order) के समीकरण

महावीर ने मिम्नलिखित प्रकार के n डिग्री वाले तथा उच्च कोटि के समीकरणों का हल प्रस्तुत किया- and

चक्रीय चतुर्भुज (cyclic quadrilateral) का सूत्र

आदित्य और उनके पूर्व ब्रह्मगुप्त ने चक्रीय चतुर्भुजों के गुणों पर प्रकाश डाला था। इसके बाद महावीर ने चक्रीय चतुर्भुजों की भुजाओं (sides) एवं विकर्णों (diagonals) की लम्बाई ज्ञात करने के लिये समीकरण दिये।

यदि a, b, c, d किसी चक्रीय चतुर्भुज की भुजाएँ हों तथा इसके विकर्णों की लम्बाई x तथा y हो तो,

और

अत:,

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ