"बोसॉन": अवतरणों में अंतर

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'''बोसॉन''' (Boson):- वे कण जो [[बोस-आइंस्टीन साँख्यिकी]] का पालन करते है और जिनकी [[स्पिन]] ( ०,१,२,---) होती है, '''बोसॉन''' कहलाते है। मूलभूत बलो को संजोकर रखने वाले सभी उर्जा वाहक कण ([[ फोटॉन]] , [[ग्लुऑन]] , [[गेज बोसॉन]]) '''बोसॉन''' होते है। वे संयोजित कण जिनमे [[फर्मिऑन]] की संख्या सम होती है, '''बोसॉन''' कहलाते है, उदाहरण - [[मेसॉन]]। किसी भी [[परमाणु]] का [[नाभिक]] [[फर्मिऑन]] है अथवा '''बोसॉन''', यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद [[प्रोटॉन]] व [[न्यूट्रॉन]] का योग सम है अथवा विषम।
'''बोसॉन''' (Boson):- वे कण जो [[बोस-आइंस्टीन साँख्यिकी]] का पालन करते है और जिनकी [[स्पिन]] ( ०,१,२,---) होती है, '''बोसॉन''' कहलाते है। मूलभूत बलो को संजोकर रखने वाले सभी उर्जा वाहक कण ( [[फोटॉन]] , [[ग्लुऑन]] , [[गेज बोसॉन]]) '''बोसॉन''' होते है। वे संयोजित कण जिनमे [[फर्मिऑन]] की संख्या सम होती है, '''बोसॉन''' कहलाते है, उदाहरण - [[मेसॉन]]। किसी भी [[परमाणु]] का [[नाभिक]] [[फर्मिऑन]] है अथवा '''बोसॉन''', यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद [[प्रोटॉन]] व [[न्यूट्रॉन]] का योग सम है अथवा विषम।


शीत [[हीलियम]] , जिसकी [[श्यानता]] (viscosity) शून्य होती है, का विचित्र व्यवहार होता है कि यह अपने में आरपार आ जा सकता है। इसका यह व्यवहार बोसॉनिक गुण के कारण होता है, चूंकि इसका [[नाभिक]] '''बोसॉन''' होता है और [[पॉली एक्सक्ल्युसन सिद्धान्त]] का पालन करने बाध्य नहीं होता इसलीए यह अपने में आरपार गुजर सकता है।
शीत [[हीलियम]] , जिसकी [[श्यानता]] (viscosity) शून्य होती है, का विचित्र व्यवहार होता है कि यह अपने में आरपार आ जा सकता है। इसका यह व्यवहार बोसॉनिक गुण के कारण होता है, चूंकि इसका [[नाभिक]] '''बोसॉन''' होता है और [[पॉली एक्सक्ल्युसन सिद्धान्त]] का पालन करने बाध्य नहीं होता इसलीए यह अपने में आरपार गुजर सकता है।
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11:31, 8 जुलाई 2012 का अवतरण

बोसॉन (Boson):- वे कण जो बोस-आइंस्टीन साँख्यिकी का पालन करते है और जिनकी स्पिन ( ०,१,२,---) होती है, बोसॉन कहलाते है। मूलभूत बलो को संजोकर रखने वाले सभी उर्जा वाहक कण ( फोटॉन , ग्लुऑन , गेज बोसॉन) बोसॉन होते है। वे संयोजित कण जिनमे फर्मिऑन की संख्या सम होती है, बोसॉन कहलाते है, उदाहरण - मेसॉन। किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉनन्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम।

शीत हीलियम , जिसकी श्यानता (viscosity) शून्य होती है, का विचित्र व्यवहार होता है कि यह अपने में आरपार आ जा सकता है। इसका यह व्यवहार बोसॉनिक गुण के कारण होता है, चूंकि इसका नाभिक बोसॉन होता है और पॉली एक्सक्ल्युसन सिद्धान्त का पालन करने बाध्य नहीं होता इसलीए यह अपने में आरपार गुजर सकता है।

भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - बोसॉन और फर्मियान। इनमे से बोसॉन सत्येन्द्र नाथ बसु के नाम पर ही हैं।