"विकिपीडिया:चौपाल": अवतरणों में अंतर

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अंग्रेजी नाम के स्वरूप मैं मोहम्मद अली जिन्ना के पन्ने को मोहम्मद अली जिन्नाह बनाना चाहता था परन्तु यह अब विकिपीडिया:मोहम्मद अली जिन्नाह हो गया है। कृपया इसे ठीक कीजिये. धन्यवाद। [[User:Hindustanilanguage|Hindustanilanguage]] ([[User talk:Hindustanilanguage|वार्ता]]) 06:49, 28 जून 2012 (UTC)
अंग्रेजी नाम के स्वरूप मैं मोहम्मद अली जिन्ना के पन्ने को मोहम्मद अली जिन्नाह बनाना चाहता था परन्तु यह अब विकिपीडिया:मोहम्मद अली जिन्नाह हो गया है। कृपया इसे ठीक कीजिये. धन्यवाद। [[User:Hindustanilanguage|Hindustanilanguage]] ([[User talk:Hindustanilanguage|वार्ता]]) 06:49, 28 जून 2012 (UTC)
::ठीक हो गय।[[User:Bhawani Gautam|भवानी गौतम]] ([[User talk:Bhawani Gautam|वार्ता]]) 13:10, 29 जून 2012 (UTC)
::ठीक हो गय।[[User:Bhawani Gautam|भवानी गौतम]] ([[User talk:Bhawani Gautam|वार्ता]]) 13:10, 29 जून 2012 (UTC)

== वार्ता दिशानिर्देश ==

सभी को नमस्कार।

विकिपीडिया पर चर्चा एवं वार्ता सम्बंधित कुछ दिशानिर्देशों सहित [[विकिपीडिया:वार्ता दिशानिर्देश]] पृष्ठ बनाया है ताकि नए सदस्य इसका फ़ायदा उठा सकें, और समुदाय में चर्चा सम्बंधी निर्देशों को एक जगह इकट्ठा किया ज सके। इसमें सुधार करने के लिये सभी सदस्यों का स्वागत है। यदि ये उपयुक्त हो तो {{tl|वार्ता शीर्षक}} में talk page guidelines की जगह इसकी कड़ी जोड़ दी जाए। धन्यवाद--[[User:Siddhartha Ghai|सिद्धार्थ घई]] ([[User talk:Siddhartha Ghai|वार्ता]]) 13:18, 2 जुलाई 2012 (UTC)

13:18, 2 जुलाई 2012 का अवतरण

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    इस परियोजना पृष्ठ का अंतिम संपादन Siddhartha Ghai (योगदानलॉग) द्वारा किया गया था।
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    Since I could not find the correct page, I'm moving a resolution against the above sysop here to be relieved of his rights. He has around 5435 live edits as of now. The concerned admin has been involved in arbitrary protection of pages with which he has a COI often restricting their revisions to the sysop group alone. See his complete log here. In particular, he has been repeatedly removing maintenance templates from a wiki article on himself inspite of being warned on his talk page. I request the community to express its views. Regards, लवी सिंघल (वार्ता) 13:39, 9 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    • एक प्रबंधक बल्कि एक विकिपीडिया संपादक होते हुए भी जगदीश जी ने जो कार्य किएँ हैं वे विकिपीडिया समाज पे बर्दाश्त नहीं हो सकतें। बिना बर्बरता के अपने बनाएँ लेखों को सुरक्षित करना, लेखों से सुधार हेतु लगाएँ गए साँचो को बिना कोई कारण दिए हटाना, आदि अपने प्रबंधक पद का दुरपयोग है। इनका तो अपना लेख भी है, जब इन्हें यह ही नहीं पता कि विकिपीडिया पे किस विषय या किस व्यक्ति पे लेख बनाया जा सकता है तो मुझे तो यह समझ नहीं आता कि इन्हें प्रबंधक पद कैसे प्राप्त हुआ। प्रबंधक विकिपीडिया का आदर्श सदस्य होता है, उसे सारी नीतियों व दिशानिर्देशों की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, उसे अपने टूल्स का विकिपीडिया के विकास में प्रयोग करना चाहिए न कि अपने लेख बनाके व अवैध रूप से उसे सुरक्षित करके उनका दुरपयोग करना। मेरे विचार में हमें ऐसे प्रबंधक कि कोई आवश्यकता नहीं जो विकिपीडिया को नुकसान पहुचाने के लिए अपने विशेषाधिकारों का दुरपयोग करे।<>< Bill william comptonTalk 14:35, 9 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • लेखों को सुरक्षित इसलिए किया गया है कि उन्हें कई बार बेकार की सामग्री उनमें शामिल कर दी गई जो नहीं होनी चाहिए, मेरे लेख हिन्दी साहित्य पर केन्द्रित हैं जिसका मुझे लम्बा अनुभव है, हिन्दी के लेखों में सही और विश्वसनीय सामग्री जाये यह मेरा प्रयास रहा है, आप तो प्रबंधक पद को ही चुनौती देने लगे....... यदि किसी लेख को आप लोग हटाना चाहते हैं तो हटा दीजिये, लेकिन इस तरह की टिप्पणी लिखना उचित नहीं है, विकिपीडिया के प्रति मेरा सम्मान भाव है इसलिए यहाँ जुड़ा हूँ, मेरे विषय में हिन्दी से जुडे सभी लोग जानते हैं, आप उनसे मेरे विषय में राय ले लें फिर यहाँ कुछ लिखें ...... मैंने आज तक किसी पर व्यक्तिगत छींटाकशी नहीं की है और न मैं ये पसंद करता हूँ, यदि आपके अधिकार में प्रबंधक पद से हटाना हो तो तुरन्त हटा दीजिए मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। अनिरुद्ध जी मेरे विषय में जानते हैं आप उनसे चर्चा कर लीजिए।--डा० जगदीश व्योम (वार्ता) 04:44, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • मैं समर्थन करता हूँ कि ऐसे प्रबन्धक विकिपीडिया के लिए घातक बन सकते हैं। इन्हें शीघ्रातिशीघ्र प्रबंधक (sysop)पद से हटा दिया जाना। भवानी गौतम (वार्ता) 04:53, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • You've again proved my point by making a COI edit. You simply should NOT meddle with a page on yourself. लवी सिंघल (वार्ता) 05:13, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    The sysop has made less than 100 (54) in the last one year. Thus, IMHO he should be relieved of his rights as per the criterion विकिपीडिया:प्रबंधक#प्रबन्धक/प्रशासक पद से निवृति. I must state here very clearly that I am largely appreciative of his contributions to hi.wiki and do not have any personal animosity against him. It is only due to his inactivity (perhaps because of a busy schedule in real life?) that I am asking him to be removed as a sysop to prevent any possible misuse of his account and ensure only active admins. His rights should be reinstated as soon as he becomes active again. This post is for the consideration of the community. All in good faith. लवी सिंघल (वार्ता) 07:21, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    कृपया मुझे इस पद से मुक्त किया जाये. जैसे के लावी ने कहा है अपनी निजी जिन्दगी की व्यस्तता के कारण मैं विकी पर अपना समय नहीं दे पा रहा हूँ. क्रपया यह भी नोट करे की मैं इस पद के लिए चयनित किसी वोटिंग से नहीं हुआ था बल्कि स्टीवर्डस द्वारा कुछ समय पहले हिंदी विकी के समस्त सदस्यों को दिए विशेष अधिकारों के कारण मैं SysOp बन बैठा. --गुंजन वर्मासंदेश 12:09, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    YesY पूर्ण हुआ – हिन्दी विकिपीडिया पे आपके योगदान के लिए धन्यवाद।<>< Bill william comptonTalk 13:27, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    हिंदी साहित्यनव्योत्तर काल में सुधार की आवश्‍यकता

    साथियों, मैं अभी विकिपीडिया हिन्‍दी की उत्तम लेख श्रेणी देख रहा था. वहां से हिंदी साहित्य पृष्‍ठ पर गया और वहां से नव्योत्तर काल पृष्‍ठ पर. हिंदी साहित्‍य से जुडे होने के कारण मेरी समझ से दोनों ही पृष्‍ठों को सुधारने की जरूरत है- खासतौर पर इसलिए कि इनका संबंध उत्‍तम लेख श्रेणी से है, जबकि वास्‍तव में ये काफी सामान्‍य ढंग से लिखे गए हैं और हिंदी साहित्य के इतिहास में नव्योत्तर काल जैसा कोई स्‍वीकृत युग नहीं है. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 20:43, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    देवनागरी अंकों के स्‍थान पर अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों व आसान भाषा का प्रयोग व पूर्णविराम का सवाल

    विकिपीडिया ज्ञान का एक सुलभ और सहज स्रोत है. हिन्‍दी के संदर्भ में विकिपीडिया में इस्‍तेमाल होने वाले देवनागरी अंक और क्लिष्‍ट या मुश्किल भाषा इसे जटिल बनाते हैं. भारतीय संविधान में भी अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों और (राजभाषा विभाग के एक ताजा सर्कुलर के अनुसार) आसान भाषा के प्रयोग की ही बात कही गई है. हिंदी के सभी बडे पत्र-पत्रिकाएं भी इसका पालन कर रहे हैं. सभी बडे प्रकाशक अपने प्रकाशनों में अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों का प्रयोग करते हैं. इसकी सबसे बडी वजह यह है कि देवनागरी अंकों को बहुत ही कम पाठक समझते हैं. मेरी राय है कि विकिपीडिया को सहज-सुलभ बनाने के लिए यहां भी अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों व आसान भाषा का प्रयोग उचित होगा. इस संदर्भ में आप वरिष्‍ठ सदस्‍यों की राय का इंतजार है. धन्‍यवाद. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 20:57, 10 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    मीणा जी, आप बिल्कुल सही कह रहें हैं। मेरा भी यही मानना है कि जब आम जनता को देवनागरी अंक समझ ही नहीं आते तो इनका प्रयोग करके हिन्दी विकिपीडिया को और जटिल बनाने से क्या फायदा। अब मुख्यतः सभी जगह अंतर्राष्‍ट्रीय अंको का प्रयोग होता है, तो यहाँ क्यों नहीं। परन्तु मीणा जी इस विषय पे कई बार चर्चा हों चुकी हैं, आप चौपाल के पुरालेख देख सकते हैं। और यह विषय काफी जटिल है, भूतकाल में हुई चर्चाओं का कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया। परन्तु मैं अन्य सदस्यों से अनुरोध करूँगा कि इस विषय पे अपनी राय दें जिससे कि आने वाले समय में इस विषय पर प्रस्ताव रखा जा सके।<>< Bill william comptonTalk 12:02, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    शुक्रिया भाई बिल विलियम जी, मेरी यही समझ है कि हम अपनी भाषा के साथ उदारता से पेश आयेंगे तो इससे उसके बोलने/पढने वालों के साथ उस भाषा का ही भला होगा. जब संविधान और पूरा विद्वत समाज इसके पक्ष में है तो मुझे लगता नहीं कोई समस्‍या है. आइए, हिन्‍दी को आसान और सुलभ बनाएं. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 12:29, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    नये सदस्यों से आग्रह है कि इस विषय पर पिछली चर्चा को गंभीरता पूर्वक देखें। २00३ से २0१२ तक इस विषय पर कई बार चर्चा हो चुकी है और अभी तक अंतर्राष्ट्रीय अंक के नाम पर देवनागरी अंक को समाप्त करने की कोशिश सफल नहीं हुई है। और पुर्णिमा जी, आशीष जी, हेमंत जी, अनुनाद जी सुरुची जी आदि की राय उपेक्षणीय नहीं हो सकती। भले ही इनमें से अधिकांश विभिन्न वजहों से विकिया से दूर हों। अनिरुद्ध  वार्ता  16:19, 13 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई अनिरुद्ध जी, आप अपनी बात तर्कपूर्ण ढंग से कहेंगे तो ज्‍यादा असर पडेगा. मैंने कुछ पुरानी बहसें देखी हैं इस मसले पर, लेकिन उनसे सहमत नहीं हुआ जा सकता क्‍योंकि वहां पर स्‍वयं किसी एक राय पर आम सहमति नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि किसी ने एक बार जो बात कह दी, वह पत्‍थर की लकीर बन गई. हमें व्‍यावहारिक धरातल पर सोचना चाहिए. जहां तक 'देवनागरी अंकों को समाप्‍त करने की कोशिश' का सवाल है तो ऐसी कोशिश कोई नहीं कर रहा. मेरी चिंता केवल यह है कि देवनागरी अंक कितने लोग समझते हैं? हमें यह भी सोचना चाहिए कि विकिपीडिया के लक्ष्‍य पाठक कौन हैं? वे जो भी हैं, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि उनमें से अधिकांश देवनागरी अंक नहीं समझते और इसी वजह से वे विकिपीडिया की तुलना में किसी दूसरे स्रोत को देखना ज्‍यादा पसंद करते हैं. हमें विकिपीडिया पर सूचनाओं को आसान बनाना चाहिए. अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों व आसान भाषा द्वारा हम यह कर सकते हैं. दूसरी बात यह कि भारत के संविधान में अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का निर्देश है, इस दृष्टि से भी इनका प्रयोग अनुचित नहीं है. भाषा कोई व्‍यक्तिगत जिद नहीं, अभिव्‍यक्ति का माध्‍यम है. भाषा के जिस रूप को अधिकांश लोग समझते हों, उसी का अनुसरण करना लोकतांत्रिक होगा. आशा है आप इसे अन्‍यथा नहीं लेंगे. धन्‍यवाद. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 16:50, 13 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    मैंने ऊपर दो सवाल उठाए हैं, इसी क्रम में यह तीसरा मुद्दा भी है. मेरे वार्ता पृष्‍ठ पर भाई आनंद विवेक जी ने पूर्णविराम के सही प्रयोग का सवाल उठाया है. मैं उपर्युक्‍त दोनों मुद्दों के अलावा यहां पूर्णविराम -खडी पाई (।) बनाम फुल स्‍टॉप (.)- के प्रयोग के बारे में विकिपीडिया नीतियों के हिसाब से आप सभी सुधीजनों से आपकी राय जानना चाहता हूं ताकि हम सब उसका अनुसरण कर सकें. इस संदर्भ में यह दिचलस्‍प बहस देखी जा सकती है. मुझे ‎तीनों ही मुद्दों पर Bill william compton जी, Dr.jagdish जी, पूर्णिमा वर्मन जी आदि वरिष्‍ठ सदस्‍यों की राय का बेसब्री से इंतजार रहेगा. धन्‍यवाद. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 06:52, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    मैरे अनुसार (।) का ही उपयोग करना सही होगा चुँकि अधिकाँश हिन्दी समाचार पत्रो में (।) का ही उपयोग किया जाता है। जो दैनिक भास्कर जैसे समाचार पत्र पर देख सकते है। [1] यहा देख सकते है। साथ ही विद्यालय एव परीक्षाओ में भी इसका उपयोग होता है। विद्यालय के किताबो मे भी इसी का उपयोग किया जाता है। निर्वाचित लेखो में भी इसी का उपयोग किया गया है। अत: सभी लेखो में भी (।) का उपयोग किया जाना चहिए। आनन्द विवेक सतपथी वार्ता 07:43, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    मीणा जी, हिन्दी भाषा में पूर्ण विराम का प्रयोग फुल-स्टॉप से अधिक होता है। मैं मानता हूँ कि कुछ पत्रिकाएँ व कुछ समाचरपत्र फुल-स्टॉप का प्रयोग करने लगे हैं, परन्तु अभी भी इनकी संख्या पूर्ण विराम का प्रयोग करने वालो से कम ही है। एक भाषा को लिखने के कई तरीके हों सकते हैं जैसे अंग्रेज़ी की अलग-अलग राष्ट्रों में कई प्राकृत भाषा हैं: अमेरिकी अंग्रेज़ी, ब्रिटिश अंग्रेज़ी, ऑस्ट्रेलियाई अंग्रेज़ी, दक्षिण अफ्रीकी अंग्रेज़ी, आदि। इन सभी रूपों में अंग्रेज़ी के कुछ एक शब्द को अलग-अलग वर्तनियों के साथ लिखा जा सकता है व एक ही शब्द का अलग-अलग राष्ट्र में मतलब भी अलग हो सकता है। परन्तु फिर भी इन सभी में विराम चिन्हों का एक ही मानक है। इसी प्रकार हिन्दी की भी कई प्राकृत भाषा हैं, इनमें से एक इंटरनेट पर प्रयोग होने वाला रूप भी है जो प्रमुख रूप से सबसे अस्थिर रूप है। हिन्दी की कई वेबसाइट गूगल ट्रांसलेट का प्रयोग करती हैं। और गूगल ट्रांसलेट का किया अनुवाद बेकार होता है, इसलिए दिन-प्रतिदिन इन्टरनेट पर हिन्दी वर्तनियाँ खराब होती जा रही है। इसी प्रकार, इंटरनेट पे से पूर्ण विराम का प्रयोग कई वेबसाइट ने बंद कर दिया है। परन्तु अभी भी शिक्षा, सरकारी कामकाज, और मुख्य समाचारपत्रों की वेबसाइट पूर्ण विराम का ही प्रयोग करती हैं। यहाँ तक की अमेरिका, कनाडा, आदि में भी हिन्दी सिखने वाले छात्रों को पूर्ण विराम का ही प्रयोग बताया जाता है (जैसे यह वेबसाइट, वैंकूवर पब्लिक लाइब्रेरी की वेबसाइट का हिन्दी रूप है)। तो मेरे विचार से जब मुख्यतः हिन्दी स्रोत अभी भी पूर्ण विराम का प्रयोग कर रहें हैं तो इसका प्रयोग विकिपीडिया पे भी होना चाहिए। वैसे जब आप नारायम सक्षम कर लेते हैं तो फुल-स्टॉप तो स्वयं ही पूर्ण विराम बन जाता है, इसलिए पूर्ण विराम का प्रयोग तो फुल-स्टॉप से भी आसान है।<>< Bill william comptonTalk 11:51, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भाई बिल विलियम जी, आपकी राय निश्चिततौर पर महत्‍वपूर्ण है. इस संदर्भ में मैं यहां निम्‍न बिंदु रखना चाहता हूं-
    • हिन्‍दी में पूर्ण विराम का कोई बाध्‍य नियम नहीं है, इसलिए ही कई पत्रिकओं ने फुल स्‍टॉप को अपना लिया है, हिन्‍दी की प्रतिष्ठित व लोकप्रिय पत्रिका हंस इसका सबसे बडा उदाहरण है. आप इसका कोई भी अंक खोलकर देख सकते हैं.
    • आनंद विवेक जी और बिल जी, आप दोनों ने समाचार पत्रों का हवाला दिया है. आप जानते हैं कि भाषा के संदर्भ में समाचारपत्र कभी आदर्श नहीं माने जा सकते- साहित्यिक पत्रिकाओं और पुस्‍तकों के तुलना में. हिन्‍दी के प्रमुख पत्र नवभारत टाइम्‍स की भाषा इसका एक उदाहरण है. इसलिए मेरी समझ से
    • पूर्ण विराम के दोनों ही प्रयोग सही हैं. बस इतना ध्‍यान रखा जाना पर्याप्‍त है कि एक लेख में पूर्णविराम के प्रयोग में एकरूपता हो. मैं खडी पाई (।) के प्रयोग पर सवाल खडे नहीं कर रहा, बस इतना कहना चाह रहा हूं कि फुल स्‍टॉप (.) का प्रयोग भी गलत नहीं है. मैं Indic IME का Hindi Typewriter कीबोर्ड इस्‍तेमाल करता हूं जो मैंने राजभाषा विभाग की वेबसाइट से लिया है, और दुर्भाग्‍य से इसमें खडी पाई (।) का बटन ही नहीं है. इसलिए मुझे खडी पाई का इस्‍तेमाल करने के लिए कॉपी-पेस्‍ट का सहारा लेना पडता है. मुझे लगता है मेरी जैसी स्थिति में कुछ और लोग भी होंगे. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 12:45, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    दोनों का प्रयोग लोग कर रहे हैं (जान-बुझकर या अज्ञानतावश) पर हिंदी भाषा विज्ञान क्या कहता है? हिंदी व्याकरण के नियम क्या कहते हैं? भारत शिक्षा बोर्डों के पाठ्य-पुस्तकों में क्या है? सभी को देखते हुए हिन्दी पूर्ण विराम चिन्ह (।) ही सही है जो हिंदी विकिपीडिया ने आजतक अपनाया है। फुल स्टॉप का प्रयोग गूगल अनुवाद से होता है। फुल स्टॉप का प्रयोग हिंदी में अशुद्ध माना जाता है भले ही पत्र-पत्रिकाएँ प्रयोग करे। राष्ट्रीय हिंदी संस्थान हिंदी की सबसे बडी संस्था है, उसके बताए गए निर्देशों पे चलें तो अच्छा होगा।भवानी गौतम (वार्ता) 13:07, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    मीणा जी, क्या आपने नारायम को सक्षम करके देखा है? असल में आप किसी भी बहारी टूल का प्रयोग करें, अगर नारायम सक्षम है तो वह फुल-स्टॉप को पूर्ण विराम में बना देगा। इसके लिए आपके Hindi Typewriter में खडी पाई के बटन होने कि कोई आवश्यकता नहीं है। मैं भी बहारी टूल का ही प्रयोग करता हूँ और मेरे टूल में भी यह विकल्प नहीं है परन्तु जब मैं कुछ भी लिखता हूँ तो नारायम को सक्षम कर लेता हूँ इससे जैसे ही मैं अपने कम्प्यूटर के किबोर्ड पे से फुल-स्टॉप वाली कुंजी दबाता हूँ वो पूर्ण विराम में बदल जाती है। नारायम सक्षम करने के लिए आप अपनी स्क्रीन के सबसे ऊपर इनपुट विधि को सक्षम करलें। अगर अभी भी आपको कोई समस्या आए तो पूछें, प्रबंधक होते हुए मेरा कर्तव्य सदस्यों की सहायता करना ही है।<>< Bill william comptonTalk 13:13, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    हिन्दी देवनागरी लिपि में पूर्ण विराम का प्रयोग ही अधिक उपयुक्त है, कुछ पत्रिकाएँ कादम्बिनी, हंस आदि पूर्ण विराम के लिये ( । ) की जगह ( . ) का प्रयोग कर रही हैं परन्तु ( । ) प्रयोग उचित है। एन. सी. ई. आर. टी. की पुस्तकों में भी ( । ) प्रयोग किया जा रहा है, इसलिये मेरे विचार से पूर्ण विराम के लिये ( । ) प्रयोग ही ठीक है।--डा० जगदीश व्योम (वार्ता) 14:26, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आप सभी की राय मेरे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण हैं. मैं फिर दुहराऊं, खडी पाई के प्रयोग से मेरी कोई असहमति नहीं है. मेरी व्‍यक्तिगत समस्‍या तो यह है कि मेरे टाइपिंग टूल में खडी पाई का बटन ही नहीं है. आपके कहने पर नारायम भी चालू करके देख लिया, तब भी खडी पाई ( । ) नहीं आई. 10 साल से जो टाइपिंग टूल इस्‍तेमाल कर रहा हूं, उन्‍होंने बदलना भी मुश्किल लग रहा है. धन्‍यवाद. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 17:56, 11 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    अपनी सुविधा के लिए तर्क का सहारा लेकर देवनागरी के बुनियादी स्वरूप को बदलने की कोशिश करने की अपेक्षा देवनागरी अंक या पूर्णविराम टंकित करना या पढ़ना सीखने में बहुत ही कम कोशिश की जरूरत है। प्रचलन के तर्क के आधार पर टंकित को टाइप कहने या लिखने का मैं समर्थन नहीं कर सकता हूँ। और पुरानी बहसें इतना समझने के लिए पर्याप्त हैं कि तर्क के आधार पर हम कम-से-कम इस मसले पर किसी एक सर्वमान्य निर्णय तक नहीं पहुँच पाए हैं। इसलिए मानकीकरण के नाम पर अपनी सुविधा आरोपित करने के बजाय हिंदी की मूल प्रकृति को सीखने की कोशिश कीजिए। पिछली बहस के दौरान मैने खुद नागरी अंक टंकित करना सीखा था और 123456789 की तुलना में १२३४५६७८९ को पढ़ना या टंकित करना सीखना मुश्किल नहीं है। और यकीन जानिए अपके द्वारा दिए गए हर तर्क का प्रत्युत्तर पहले दिया जा चुका है। उन्हें दुहराने में समय लगाने के बजाय मैं कुछ और करना ज्यादा पसंद करूँगा। अनिरुद्ध  वार्ता  23:06, 14 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई अनिरुद्ध जी, हम जानते हैं कि भाषाएं बहता नीर होती हैं, हमारे चाहने से न तो वे रुकती हैं और न ही अपनी दिशा तय करती हैं. अपना रास्‍ता खुद बना लेती हैं. जो हिंदी (गद्य) हम लिख रहे हैं, उसका इतिहास डेढ सौ साल से पुराना नहीं है. इसी तरह भाषाओं का भविष्‍य भी निर्धारित नहीं होता. जो भाषाएं कृत्रिम हो जाती हैं, वे ठहरे हुए पानी की तरह सड जाती हैं, मर जाती हैं. संस्‍कृत इसका बडा उदाहरण है. हिंदी से प्रेम मुझे भी है, लेकिन अंध-प्रेम नहीं. आपने खुद कहा कि पिछली बहस के दौरान आपने खुद नागरी अंक सीखें. अब सोचिए कि पढे-लिखे लोगों को जो चीज प्रयास करके सीखनी पडे, उसे सहज कैसे कहा जा सकता है! मेरी समझ से विकिपीडिया सिर्फ उच्‍च अध्‍ययन किये हुए लोगों के लिए नहीं, ज्ञान और सूचनाओं का एक जनमाध्‍यम है, इसलिए इसका लोकतांत्रीकरण जरूरी है. और भाई, सुविधा का तर्क भी महत्‍वपूर्ण होता है. भाषाविज्ञान की एक शाखा ऐतिहासिक भाषा विज्ञान में इस बात के प्रमाण मिल जायेंगे कि भाषाओं के बदलने में सुविधा के तर्क की कितनी भूमिका रही है. कुछ लोगों ने कंप्‍यूटर को संगणक कहने की खूब कोशिश की, लेकिन चल नहीं पाया. जब कंप्‍यूटर सभी लोग समझते हैं, टाइप सभी लोग समझते हैं तो ऐसे आमफहम शब्‍दों से हम परहेज क्‍यों करें? मेरा निवेदन यही है कि हम चाहे भाषा को जितना बांधने की कोशिश कर लें, वह अपना रास्‍ता खुद बना लेगी. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 04:42, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    गंगा सहाय जी, संस्कृत अकेले नहीं मरी, हजारों भाषाएँ मर चुकी हैं और रोज-रोज मर रही हैं। आपके सिद्धान्त से पालि 'बहता हुआ नीर' रहा होगा, वह क्यों मरी? लैटिन क्यों मरी? यह सरासर 'सरलीकरण' है कि संस्कृत की मृत्यु 'कृत्रिम' होने के कारण हुई। इसके विपरीत यह निश्चित है कि किसी चीज का 'अप्रयोग' या उपेक्षा उसकी मृत्यु का कारण बनती है। चीनी आदि लिपियाँ जो इतनी कठिन होने के बावजूद जीवित हैं तो इसका कारण है कि वे लोग इसको मजबूती के साथ थामे हुए हैं। जबकि भारत की प्राचीन लिपियाँ और अभी हाल तक प्रयुक्त कैथी, मोदी आदि लिपियाँ मर गयीं। देवनागरी अंक भी मर जाएंगे।
    और यदि 'बहता नीर' का तर्क सही है तो आपका प्रश्न ही गलत है। तब तो किसी को भाषा और लिपि के बारे में विचारने या उसके किसी प्रकार के मानकीकरन की जरूरत ही नहीं है। 'भाषा बहता नीर' है इसलिये 'पूर्ण विराम' लिखा जाय, 'फुल स्टॉप' लिखा जाय या स्लैश लिखा जाय - इस पर विचार करना - सब इस पर बाँध बांधने जैसे ही हैं।-- अनुनाद सिंहवार्ता 05:17, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    गंगा सहाय जी, आप माईक्रोसोफ्ट के द्वारा हिन्दी टंकन कर सकते है। यह गुगल आई एम ई कि तरह कार्य करता है। परन्तु (.) के स्थान पर (।) पुर्ण विराम आ जाता है। इसके अलावा मैंने हंस पत्रिका का मुख्य पृष्ठ खोला परन्तु उसमें भी (।) का ही उपयोग किया गया है। मैने किसी भी हिन्दी पुस्तक में (.) का उपयोग नही देखा है। -- आनन्द विवेक सतपथी वार्ता 09:29, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई आनंद विवेक जी, पूर्ण विराम की बात से कुछ देर के लिए सहमत हुआ जा सकता है लेकिन अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों के स्‍थान पर देवनागरी अंकों को थोपने से सहमत होना मुश्किल है। अगर आप सोचते हैं कि आपने अभी जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय पृष्‍ठ में अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों को देवनागरी अंकों में बदलकर हिंदी के हित में काम किया है, तो मैं कहूंगा कि यह काफी भ्रामक समझ है। आप खुद सोचिए कि विकिपीडिया किसके लिए है? इंटरनेट पर सूचनाएं देखने वालों में वे तमाम लोग भी शामिल हैं जिन्‍होंने हिन्‍दी या संस्‍कृत में उच्‍च शिक्षा नहीं प्राप्‍त की है। ये लोग देवनागरी अंक नहीं समझते। उन तमाम लोगों के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय अंक और आसान भाषा सहायक होते हैं। जब भारत के संविधान और इस देश के लोगों को अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों से कोई समस्‍या नहीं है तो फिर आप चुनींदा लोगों का अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों के प्रति दुराग्रह का कारण समझ में नहीं आता। अगर आप लोग किताबों को अपना आदर्श मानते हैं तो फिर हिंदी के सबसे बडे प्रकाशक राजकमल, वाणी, प्रकाशन संस्‍थान, ग्रंथशिल्‍पी आदि चलिए और उनकी किताबें देखिए। अब कोई भी प्रकाशन देवनागरी अंकों का प्रयोग नहीं करता। अगर इसके बावजूद आप अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों का बहिष्‍कार करते हैं तो मैं इसे आप लोगों का व्‍यक्तिगत दुराग्रह कहूंगा जिसे आप विकिपीडिया पर थोप रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे विकिपीडिया और ज्ञान परंपरा का नुकसान ही होगा. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 12:33, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आनन्द जी इस बात का ध्यान रखें कि जब तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकलता तब तक ऐसे बदलाव न करें। विकिपीडिया पर सर्वसम्मति बनाने के पश्चात ही ऐसे बदलाव किए जा सकते हैं। अगर लेख में पहले से अन्तराष्ट्रीय अंको का प्रयोग हुआ है तो उसे देवनागरी अंको में न बदलें।
    मीणा जी, बस कुछ समय का इन्तजार करें, इस समस्या का हल जल्द ही निकाला जाएगा और मापदंड निर्धारित किया जाएगा कि किन अंको का प्रयोग किया जाएय और किन का नहीं।<>< Bill william comptonTalk 13:19, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    विकिपीडिया पर यह बहस पहले भी हो चुकी है, देवनागरी लिपि में अनेक बार संशोधन किये गए हैं, लेकिन केवल इसलिए संशोधन करना कि अमुक लोगों को यह समझना कठिन होगा, यह गलत धारणा है, जो देवनागरी लिपि पढ़ना चाहेगा वह इसके नियम और व्याकरण को भी समझना चाहेगा, हम यदि इसे बार बार सरल करते रहे तो फिर एक दिन देवनागरी रह ही नहीं जायेगी, अनिरुद्ध जी तथा अनुनाद जी की बात से मैं सहमत हूँ, पूर्ण विराम के लिए फुल स्टाफ लगाना ठीक नहीं है भले ही कोई प्रकाशक या कोई पत्रिका ऐसा कर रही हो, या किसी व्यक्ति को टाइप करने में समस्या आ रही है तो उस नियम को ही सरल कर दो..... यह अनुचित है..... हाँ अन्तर्राष्ट्रीय अंकों के प्रयोग की बात पर सहमति बनाना आवश्यक है ताकि विकि पर एक जैसे अंक ही लिखे जायँ।--डा० जगदीश व्योम (वार्ता) 14:50, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    जिस तरह यह चर्चा चल रही है, उस तरह इसका अन्त होना मुश्किल है। कृपया सभी सदस्य अपना सुझाव व्यक्त करें। देवनागरी या अन्तर्राष्ट्रीय अँक में मैरे अनुसार जब तक चर्चा समाप्त नही होती इसका उपयोग सही रहेगां क्योकि इसे अन्तर्राष्ट्रीय अंक मे परिवर्तित करना (खोजें और बदलें) टुल के साथ आसान हो जाता है। परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय अंक से देवनागरी अंक में परिवर्तन करने से जालपृष्ठ के पते व कुछ कोड (उदा. 200px) आदि काम नही करते है। में दोनो अंको के उपयोग से सहमत हुँ। अन्तर्राष्ट्रीय अंक का उपयोग विद्यालय के पुस्तको में भी होता है। परन्तु इसका उपयोग सभी लेखो में यदि किया जाए तो देवनागरी अंक तो विकिपीडिया से विलुप्त हो जाएगा। -- आनन्द विवेक सतपथी वार्ता 02:35, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    कई दिन से यह चर्चा देख रहा हूँ, देवनागरी लिपि की जो पहचान है यदि हम उसे धीरे धीरे सरल करने के नाम पर बदलते जायेंगे तो फिर यह भी हो सकता है कि कोई यह कहे कि देवनागरी लिपि में टाइप करने में बहुत दिक्कत आती है इसे रोमन में टाइप किया जाना चाहिये आदि आदि सबसे अधिक परेशान गंगा सहाय मीणा जी दिख रहे हैं एक मीणा जी के प्रस्ताव पर विकि से विराम और अंक बदल दीजिये और फिर दो चार प्रस्ताव और आ जायें फिर क्या होगा एक समस्या और इस पर विशेष गञ्भीरता से ध्यान देने की जरूरत है यह कि जब विकि पर देवनागरी में टाइप करते हैं तो अंक देवनागरी लिपि के अनुसार ही बनते हैअ यदि इन्हे अंग्रेजी के अंक बनाये जायें तो और ज्यादा दिक्कत आयेगी, इसलिये विकि पर देवनागरी के अंक ही रखे जायें, अनुनाद की बात देवनागरी और विकि के हित में है यहाँ वही आता है जो हिन्दी से प्रेम रखता है अन्यथा अग्रेजी विकि पर जाता है इसलिये मीणा जी विकि की चिन्ता आप न करें और इसे चलने दें वैसे भी यहाँ काम करने वालों पर आरोप लगाना एक शौक सा हो गया है--Froklin (वार्ता) 07:42, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    सम्‍मानित साथियों, पूर्णविराम के मसले पर मैं आपकी बात से सहमत हूं यानी कुछ पत्रिकाओं के प्रयोग के बावजूद खडी पाई ( । ) का प्रयोग ही ठीक है । लेकिन जहां तक अंकों का सवाल है, इस पर हम सभी को पुनर्विचार करना चाहिए। जिन्‍हें हम बाहरी अंक कहकर खारिज कर रहे हैं, वे भारतीय संविधान के अनुसार (और कुछ लोगों के अनुसार जवाहरलाल नेहरू की पुस्‍तक 'डिस्‍कवरी ऑफ इंडिया' के अनुसार) भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप है। यानी ये अंक विदेशी नहीं, हमारे ही हैं। इनके प्रयोग के संदर्भ में सबसे प्रामाणिक स्रोत भारतीय संविधान, हिंदी पुस्‍तकें, हिंदी माध्‍यम की शिक्षा प्रणाली और पाठ्य-पुस्‍तकें, हिंदी समाचार-पत्र, हिंदी संदर्भ-ग्रंथ आदि ही होने चाहिए, न कि विकिपीडिया के चुनींदा सदस्‍य और उनकी राय। अंकों के किसी रूप के प्रयोग से मुझे कोई व्‍यक्तिगत फायदा या नुकसान नहीं होगा, मेरी चिंता विकि पाठकों को लेकर है। विकि ने आप पाठकों को भी योगदान और संपादन का अधिकार अपने लोकतांत्रिक स्‍वरूप के कारण दिया है, आशा है अंकों के मामले में भी इसका पालन किया जाएगा. गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 07:55, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    गंगा सहाय जी, आप जिस संविधान की बात कर रहे हैं उसी ने कहा था कि १५ वर्ष बाद हिन्दी भारत की राजभाषा होगी और अंग्रेजी को यहाँ से पूर्णतः बिदा कर दिया जायेगा। उसका क्या हुआ? आप जिन हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की बात कर रहे हैं वे 'हिन्दी पत्र' हैं जो एक पृष्ट अंग्रेजी में निकालने लगे हैं। भारत का हिन्दी सिनेमा और उसके 'कलाकार' हिन्दी नहीं बोलते। क्या हम उनकी नकल करेंगे। क्या वे हमारे आदर्श होंगे? भारत के हर गली में हर विद्यालय 'इंग्लिश मिडियम' हो गया है। हम 'हिन्दी विकि' ही क्यों बनाएँ? क्या हमे अंग्रेजी विकि को ही और अधिक समृद्ध नहीं बनना चाहिये? सब अंग्रेजी मे पढ़ रहे हैं। ये हिन्दी कौन पढ़ेगा?
    भैया, हर चीज की योजनापूर्वक रक्षा करनी पड़ती है। उसके लिये लड़ना पड़ता है नहीं तो पलक झपकाते ही लोग उसे मार डालेंगे। भारतीय बच्चों को 'देवनागरी अंक' नहीं सिखाये जाते। रोमन अंक और उसका 'गणित' पाठ्यक्रम में है। यूरोप ने इस अवैज्ञानिक अंक प्रणाली को अभी तक विदा नहीं किया। यह तो रोमन अंक प्रणाली की पंगुता है कि उसकी सहायता से जोड़-घटाना और कोई गणित नहीं हो सकता जिसके कारण वे 'सहर्ष' दाशमिक अंक प्रयोग करते हैं। यह सही है कि भारतीय अंकों से ही अंतरराष्ट्रीय अंक व्युत्पन्न हुए हैं। इससे तो हमारे मूल अंकों की रक्षा करना और जरूरी हो जाता है। हिन्दी विकि तनकर खड़ा हो और घोषणा करे कि हम देवनागरी अंकों का ही प्रयोग करेंगे। हम किसी की अंधी नकल नहीं करेंगे। हमारी नकल करना शुरू करो।-- अनुनाद सिंहवार्ता 15:03, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    अतिशय किसी भी रूप में निषिद्ध है। वह नकारात्मक अभिवृत्ति को दर्शाता है, चाहे समर्थकों का हो चाहे आलोचकों का। जो हिंदी ज्ञानकोष की वास्तव में बेहतरी चाहता है उसके लिए पहली प्राथमिकता किसी भी रूप में सामग्री सहेजने और उसके गुणात्मक स्तर में यथाज्ञान वृद्धि की होनी चाहिए। देवनागरी के अंकों को अंतरराष्ट्रीय अंको से परिवर्तित करने के लिए संबद्ध समर्थकों द्वारा जिस क्रांतिकारी आकुलता और पैगंबरी आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया जा रहा है, उस प्रक्रिया में वे जितने तर्क जुटा सकते हैं उससे कई गुणा बेहतर तर्क समर्थन में पहले से मौजूद हैं। देवनागरी पढ़ने, लिखने या समझने में जिनको समस्या है उनकी कई अन्य वर्तनीगत समस्यायें भी हैं। यह उनके चौपाल पर किये गये संवादों की भाषा और वर्तनी से ही जाना जा सकता है। किंतु यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना उनका संपादन योगदान। अतः इस पर बहस करने से बेहतर है कि लेख निर्माण और संपादन की रचनात्मक प्रक्रिया को जारी रखा जाय। और संविधान की बात क्या कीजै! संशोधन की संभावना तो वहाँ भी है और यहाँ भी। निर्माण नहीं तो संशोधन ही करें। यथासंभव सकारात्मक करें क्योंकि नकारात्मक संशोधन से संविधान का ही मूल स्वरूप खण्डित होता है। ज्ञान पर किसी की मिल्कियत नहीं होती इसलिए न कोई आगे चलेगा न पीछे। इच्छा हो तो साथ दें आवश्यकता हो तो साथ लें। साथी भाव से ही बेहतरी संभव है। न पैगंबर बनें न ही अनुयायियों का आह्वान करें। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 15:48, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    साथियों, मैंने विकिपीडिया के हित में एक जरूर सवाल उठाया था, लेकिन यहां निराशा ही हाथ लगी। काफी सदस्‍यों के पूर्वाग्रह सामने आ चुके हैं, मुमकिन है कुछ और लोगों के भी आएं। अंकों के मुद्दे पर मैं अंतिम रूप से निम्‍न बिंदुओं के माध्‍यम से अपना पक्ष रखना चाहता हूं.

    • हिंदी विकिपीडिया मुख्‍य रूप से हिंदी समझने वाले तमाम पाठकों के लिए है, न कि मात्र हिंदी में उच्‍च शिक्षित लोगों के लिए, इसलिए भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग किया जाना चाहिए। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हिंदी में साक्षर लोगों में भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप को लगभग 100 प्रतिशत लोग समझते होंगे, जबकि देवनागरी रूप को 5 प्रतिशत से अधिक लोग नहीं समझते।
    आपका दावा निराधार और कल्पित है। भारत के हिंदी भाषी अधिकांश क्षेत्रों में गाँव की पाठशाला में आज भी बच्चों के शिक्षा की शुरुआत नागरी अंक के साथ होती है। अनिरुद्ध  वार्ता  23:21, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनिरुद्ध जी, आप शायद भूल रहें हैं कि विकिपीडिया गाँव की पाठशालाओं में पढ़ रहें बच्चों से ज्यादा शहर में रहने वाली, अन्तराष्ट्रीय अंको को समझने वाली, जनता द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विकिपीडिया का लगभग सारा का सारा ट्रेफिक शहरों से ही आता है।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • अंकों के जिस रूप के प्रयोग की मैं बात कर रहा हूं, वे रोमन नहीं, (भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 343 के अनुसार) भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप है, इसलिए उनका प्रयोग किया जाना चाहिए। (अनुनाद जी और तिवारी जी, भारतीय संविधान में अभी इस मामले में कोई संशोधन नहीं हुआ है)
    आपने यह भी तो पढ़ा होगा कि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने संविधान के लागू होने के ५ वर्ष बाद ही नागरी अंक के प्रयोग का अध्यादेश जारी किया था। हिंदी भाषा के इतिहास को थोड़ा स्वतंत्रोत्तर भाषायी राजनीति वाला अध्याय भी पढ़िए। अनिरुद्ध  वार्ता  23:26, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आप शायद भूल रहें हैं कि किसी राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश ज़ारी करने से सविधान नहीं बदलता। संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली से तो आप परिचित होंगे ही।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • भारत में हिंदी माध्‍यम के विद्यालयों में (अंग्रेजी माध्‍यम के स्‍कूलों की बात नहीं कर रहा, इसलिए कृपया अनुनाद जी गुमराह न हों और न दूसरों को करें) यही अंक प्रयोग में लाये जाते हैं। यानी ये हिंदीभाषी समुदाय के सहज विवेक का हिस्‍सा हैं, इसलिए विकिपीडिया पर भी इनका प्रयोग होना चाहिए।
    यह भी अधूरा सत्य है। तमाम कोशिश के बावजूद केवल हिंदी जानने वाले गाँवों के बच्चे और बड़े नागरी अंक समझते और प्रयोग करते हैं। हाँ नागरी अंक से परिचित होने के बावजूद शहरों के बुद्धिजीवियों को इसके प्रयोग करने में जरूर अनेक बाधाएं नजर आती है। और अपने ही रूप को युगल दर्पण में देखकर वे स्वयं को इतना विराट समझ लेते हैं कि देहातों का सच या तो देख नहीं पाते या मामूली मान लेते हैं। अनिरुद्ध  वार्ता  23:32, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • हिंदी माध्‍यम की शिक्षा में पहली कक्षा से पीएच.डी. तक की पाठ्य पुस्‍तकों में इन्‍हीं अंकों का प्रयोग होता है, अतः विकिपीडिया पर भी इनका प्रयोग उचित होगा।
    इन पाठ्यपुस्तक के भाषिक स्वरूप पर अंतिम निर्णय थोपने वाले वकीलों और राजनितिज्ञों के हिंदी और ज्ञान के प्रति स्नेह से मैं परिचित हूँ। ऐसे निर्णयों के दर्ज न हुए प्रतिरोध को भी जानता हूँ और नागरी अंकों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों को भी। फिर कह रहा हूँ। चौपाल के पुराने पृष्ठ देखिए। हाल में भाषा संबंधी जारी हुए फतबे पर भी हम चर्चा कर चुके हैं और उसे खारिज कर चुके हैं। आप यह दावा भी कर दें कि परास्नातक बल्कि परास्नातक तक आपने नागरि अंक की हिंदी की किताब पाठ्यपुस्तक के रूप में नहीं पढ़ी तो इसे कोइ भी हिंदी से स्नातक करने वाला विद्यार्थी आपकी सीमा ही मानेगा। हाँ विज्ञान के छात्रों के लिए यह बात ठीक है। किंतु तब जो ठीक है उसे मानना हिंदी विकिया के अस्तित्व के लिए ही ठीक नहीं है। अनिरुद्ध  वार्ता  23:50, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    यह तर्क तो बिल्कुल ही निराधार है। परास्नातक और परास्नातक से ज्यादा विकिपीडिया स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। अगर स्नातक वाले छात्र ने कभी देवनागरी इंक पढ़े होंगे तो इसका मतलब यह नहीं है कि विकिपीडिया अपने मुख्य पाठकों से मुंह फेर ले।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • हिंदी के छोटे से लेकर बडे प्रकाशकों की पुस्‍तकों और संदर्भ ग्रंथों में इन्‍हीं अंकों का प्रयोग होता है, इसलिए विकिपीडिया पर भी इनका प्रयोग होना चाहिए। हिंदी के सबसे बडे प्रकाशकों में राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, राधाकृष्‍ण प्रकाशन, नेशनल बुक ट्रस्‍ट (सरकारी), प्रकाशन विभाग भारत सरकार, ग्रंथशिल्‍पी, शिल्‍पायन, साहित्‍य अकादमी (सरकारी), प्रकाशन संस्‍थान आदि हैं और सभी भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग करते हैं। ये विकि नीति है कि किसी भी बात की सत्‍यता जांचने के लिए संबंधित किताबों और संदर्भ ग्रंथों को प्रामाणिक माना जाता है। फिर इस संदर्भ में इस नीति का पालन क्‍यों नहीं किया जा रहा?
    • हिंदी की साहित्यिक संस्‍थाओं- साहित्‍य अकादमी, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्‍कृति मंच आदि में भी भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप प्रयुक्‍त होता है, इसलिए विकिपीडिया पर भी अपेक्षित है।
    जाँचनी ही है तो आज की ही क्यों पिछले सौ वर्षों की महावीर प्रसाद द्वीवेदी, प्रेमचंद, शुक्ल, प्रसाद, द्विवेदी के दौर की किताबें भी जाँचिए। साहस हो तो भारतेंदु और उससे पहले के दौर की किताबों का भी जिक्र कीजिए। आधुनिक काल से पहले के नागरि लिपि और उसके अंक की भी चर्चा चलाइए। नागरी लिपि और अंक पिछले ५0 या सौ वर्षों की सीमाओं से परे की अर्जित संपत्ति हैं। और हिंदी की संस्थाओं में काशी नागरी प्रचारिणी सभा हिंदी साहित्य सभा की पहले की किताबें और गतिविधियाँ देखिए। और मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि तब का समाज हिंदी के प्रयोग और प्रसार के प्रति जितना चिंतित था उनकी अपेक्षा आपके द्वारा गिनाए गए प्रकाशक और संस्थाएं आज व्यवसायिक अधिक हैं या हिंदी की हिताकांक्षी इसे आप भी बखूबी समझते होंगें। प्रकाशन विभाग की कुछ तकनीकि समस्याएं भी हैं और कुछ मनौवैज्ञानिक और आर्थिक भी। विकिया हिंदी प्रयोक्ताओं को अनुदान, राजनितिक संरक्षण, या विवेकहीन कानूनों को अपनाने की जरूरत नहीं है। अनिरुद्ध  वार्ता  23:58, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आप फिर गलत तर्क दें रहें हैं, विकिपीडिया आधुनिक समय का ज्ञानकोष है। सौ वर्ष पुराने लेखों व किताबों से इसका कोई वास्ता नहीं। यह आधुनिक समय में प्रयोग में लाए जाने वाली भाषा में लिखा जाता है न कि अब उपयोग से बहार हो चुके भाषा के पुराने व अल्पसंख्यक स्वरूप में।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • हिंदी के सबसे बडे समाचार पत्रों- दैनिक जागरण, दैनिक भास्‍कर, हिंदुस्‍तान, नवभारत टाइम्‍स, जनसत्‍ता (साहित्‍य समाज में सम्‍मानित), राष्‍ट्रीय सहारा, राजस्‍थान पत्रिका, अमर उजाला आदि सभी में भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग होता है। इन सभी अखबारों की पाठक संख्‍या प्रति अखबार एक करोड से अधिक है, इसलिए यह झूठी बात कहकर इन्‍हें खारिज करने की कोशिश न की जाए कि ये अपना एक पृष्‍ठ अंग्रेजी में निकालते हैं। ये सभी शुद्ध रूप से हिंदी के अखबार हैं और इनमें समाचारों के अलावा विचारों के लिए भी एक या दो पृष्‍ठ होते हैं। जनसत्‍ता की प्रसार संख्‍या कम है लेकिन वह हिंदी साहित्‍य जगत में सर्वाधिक प्रतिष्ठित अखबार है और भाषा व साहित्‍य के मसलों पर सर्वाधिक संवेदनशील।
    आपके द्वारा गिनाए गए अखबारों की नागरी लिपि और हिंदी भाषा के प्रति संवेदनशीलता का रहस्य उनके पन्ने पलटते ही प्रचलित हिंदी शब्दों के बदले भी अंग्रेजी शब्दों की भरमार के साथ स्पष्ट हो जाते हैं। संवेदनशीलता का तमगा लगाना और प्रदान करना दूसरी बात है और वास्तव में संवेदनशील होना और बात। और एक बात और भारत के हजारों गाँवों तक करोड़ों प्रतियाँ छापने वाले इनमें से एक भी अख़बार की पहुँच नहीं है। जहाँ के लोग अंतर्राष्ट्रीय अंक जानते हैं और नागरी अंक के साथ जीते हैं। वे छत्तीस का रिश्ता बनाते हैं जिसे अंग्रेजी अंक 36 कभी समझा सकता है क्या? ४ को मोटरिया, ५ को खड़उँआ, ६ को उल्टीवा और ७ को घुड़मुड़िवा कहकर विराट लग रहे अखबारों के अंक तो नहीं सीखे जा रहे हैं। अनिरुद्ध  वार्ता  00:14, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    यहीं समाचारपत्र अब हिन्दी जानने वालो द्वारा प्रयोग में लाए जाते हैं। और इन्होंने अपने को समय अनुसार बदल लिया है, ये समझ चुके हैं कि भाषा के बदलते स्वरूप के साथ इन्हें भी बदलना पड़ेगा क्योंकि अगर इन्होंने इस बात को नजरअंदाज करा तो इन्हें लोग पढ़ना ही बद कर देंगे। आप यह क्यों नहीं सोचते कि जब जनता खुद ही देवनागरी अंको को पढ़ना नहीं चाहती तो हम क्यों उन पे देवनागरी अंक थोप रहें हैं और इसका सबसे बड़ा सबूत है समाचारपत्रों का देवनागरी अंको को त्याग के अन्तराष्ट्रीय अंको को अपनाना क्योंकि समाचारपत्र भाषा के सबसे नवीनतम व सबसे ज्यादा समझे जाने वाले स्वरूप को प्रयोग में लाते हैं।
    आप बार-बार गाँवों पर क्यों जाके अटक जाते हैं? विकिपीडिया शहरी आबादी द्वारा प्प्रयोग में लाया जाता है न कि आपकी गाँव की जनता द्वारा। जिस प्रकार आपने यह तर्क दिया कि ये अखबार गाँवों तक पहुँचते ही नहीं तो आप यह कैसे भूल गए कि विकिपीडिया का तो वहाँ पहुँचना और भी मुश्किल है। जहाँ बिजली नहीं, कंप्यूटर नहीं, इंटरनेट नहीं, पढ़ी-लिखी आबादी बहुत कम, आदि आप बार-बार उनकी क्यों दुहाई देते हैं? जब वो सस्ता सा अखबार नहीं पढ़ सकते तो क्या वो कप्यूटर पर इंटरनेट चला के विकिपीडिया के लेख पढ़ेंगे? अव्यवहारिक बात न करें।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • भारत सरकार के सरकारी दस्‍तावेजों में भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग होता है। यह बात इसलिए महत्‍वपूर्ण है कि आम आदमी से सरकार तक केवल भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों का प्रचलन है।
    भारत सरकार के कार्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय कहे जाने वाले अंक का ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय कही जाने वाली भाषा अंग्रेजी का भी शत प्रतिशत प्रचलन है। जवाहर लाल नेहरु युनिवर्सिटि में भी और दिल्ली विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग में भी। जेएनयु में तो हिंदी शोध-ग्रंथ के पृष्ठ पर भी डिक्लरेशन अंग्रेजी में ही लिखवाया जाता है। शोध विषय अंग्रेजी के ही प्रमाणिक माने जाते हैं। यह आपकी नजर में हिंदी प्रेम होगा। मुझे इनके आधार पर निर्णय लेने में गंभीर आपत्ति है। मेरी समझ में नहीं आता है कि ऊपर से नीचे तक कार्यालयों में प्रचलित अंग्रेजी से कुछ लोग केवल अंक ही क्यों चुनते हैं। शायद इसलिए की काली मिर्च में पपीते के बीज मिला दो। पता भी नहीं चलेगा की कब धोखा कर दिया। अनिरुद्ध  वार्ता  00:25, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    समाज बदल गया है और बदल रहाँ है आप बदलते हैं या नहीं यह आपकी कमी है। आप इसे पपीते के बीज बोलें या कुछ और सचाई यही है कि आप जिस हिन्दी की अगुवाई करते हैं उसे तो अब देश की सरकार प्रयोग में लाना पसंद नहीं करती जहाँ हिन्दी समझी जाती है, केवल जहाँ उसका अस्तित्व है।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • विकिपीडिया के वरिष्‍ठ सदस्‍यों का यह कहना दुखद है कि जिसको देवनागरी अंकों से दिक्‍कत है, वे अंग्रेजी विकिपीडिया पर जाए। क्‍या सिर्फ भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप आ जाने से (जो कि हिंदी माध्‍यम की हर पाठशाला में सिखाया जाता है) क्‍या कोई अंग्रेजी पढने लगेगा? यह बात समझनी चाहिए कि ये अंक भारतीय ज्ञान परंपरा का अनिवार्य हिस्‍सा है। इनको अंग्रेजी से जोडना पूर्वाग्रह होगा।
    • सभी महत्‍वपूर्ण हिंदी वेबसाइटें- बीबीसी हिंदी, केन्‍द्रीय हिंदी निदेशालय, केन्‍द्रीय हिंदी संस्‍थान, राजभाषा विभाग आदि भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग करती हैं, इसलिए विकिपीडिया पर भी यही अंक प्रयुक्‍त होने चाहिए।
    हम भी अंतर्राष्ट्रीय अंक को नागरी का व्युत्पन्न और भारतीय ज्ञान परंपरा से आया हुआ जानते हैं। और और अनुनाद जी के शब्दों में इसिलिए इनका संरक्षण और प्रयोग और भी जरूरी समझते हैं। हिंदी वेवसाइटों के निर्माताओं के साथ अपनी तकनीकि समस्याएं हैं। पूर्ण विराम टंकित करना नहीं आता। कोइ बात नहीं फुलस्टॉप से काम चलाओ। नागरी अंक के बारे में तो सोंचने की जरूरत भी नहीं है। अंग्रेजी की-बोर्ड के अंक हैं ही। वे अंतर्राष्ट्रीय कहे भी जाते हैं और प्रचलित भी हैं। विकिया के प्रयोक्ताओं ने मेहनत कर नागरी अंकों के प्रयोग का समाधान निकाल लिया है। वे उनसे आगे बढ़ चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय अंकों के प्रयोग का निर्णय पश्चगामी कदम होगा। थोड़ा इंतजार कीजिए। अभी तो औरों को हिंदी विकिया पर गर्व है॥ जल्द ही वे इसका अनुकरण भी करेंगें। और इसका संदर्भ के रूप में प्रयोग भी करेंगें। अनिरुद्ध  वार्ता  00:33, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    विकिपीडिया कोई संग्रहालय नहीं है कि आप यहाँ बैठके भाषा संरक्षण करें। और आप शायद विकिपीडिया का मूल उद्देश्य ही भूल गए हैं, जिमी वेल्स भी इस बात को कई बार दोहरा चुके हैं कि विकिपीडिया भाषा संरक्षण के लिए नहीं अपितु ज्ञान के प्रसार के लिए है।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • हिंदी की सभी बडी साहित्यिक, गैर-साहित्यिक (समाचार विश्‍लेषण, विचार विश्‍लेषण वाली) पत्रिकाओं में भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप प्रयुक्‍त होता है, इसलिए विकिपीडिया पर भी होना चाहिए। हिंदी गद्य के उद्भव से ही उसे रूप और आकार देने में साहित्यिक पत्रिकाओं की सबसे अहम भूमिका रही है।
    हिंदी गद्य के उद्भव से ही उसे रूप और आकार देने वाली पत्र-पत्रिकाओं ने २00 वर्षों तक नागरी अंक का ही प्रयोग किया है। और कुछ क्षेत्रों में आज भी कर रहे हैं। कालांतर में नागरी अंक का प्रयोग करने वाली पत्रिकाएं मिटती गईं और आज विकसित हिंदी की बहती गंगा से अपना स्वीमिंग पुल बनाने वाले अंग्रेजी भाषी मालिकों के हिंदी भाषी कर्मचारी बाध्य होकर या अनजाने में उस विरासत को मिटाने में लगे हैं। अनिरुद्ध  वार्ता  00:41, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    उत्तर पहले भी दिया जा चुका है परन्तु फिर एक बार बता देता हूँ कि विकिपीडिया वर्तमान पे जीता है न कि आपके 200 वर्ष पहले के इतिहास में। अब चाहे इसे आप स्वीमिंग समझे या जकूज़ी। <>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • विश्‍वविद्यालयों के हिंदी प्रकाशनों में भी भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग होता है, उदाहरण के लिए इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय की पाठ्य सामग्री देखी जा सकती है। इसलिए विकिपीडिया पर भी भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग अपेक्षित है।
    • मैं गत साढे सात वर्षों से देश के प्रतिष्ठित केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों (दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय, पांडिचेरी विश्‍वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय) में हिंदी भाषा व साहित्‍य का अध्‍यापन कर रहा हूं इसलिए पूरी जिम्‍मेदारी के साथ कह सकता हूं कि सभी जगह (अकादमिक और गैर-अकादमिक जगत में) भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रचलन है, इसलिए विकिपीडिया पर भी उनके प्रयोग में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
    देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से संबद्ध होना और हिंदी भाषा-साहित्य का अध्यापन यदि हिंदी और नागरी अंक संबंधी निर्णय के लिए कोइ कसौटी है तो भी मेरा नागरिक अंक का समर्थन करना पर्याप्त होना चाहिए। और इस आधार पर यदि कोइ दावा किया जाता है तो भी नागरी अंक के प्रचलन का दावा मेरे नाम के साथजोड़कर मान लेना चाहिए। अनिरुद्ध  वार्ता  00:55, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • विकिपीडिया की नीति है कि यहां सदस्‍यों की व्‍यक्तिगत राय के बजाय समाज में प्रचलित राय को पूरी निष्‍पक्षता से स्‍थान दिया जाता है। उपर्युक्‍त सभी प्रमाण समाज में प्रचलित राय के हैं जो एक ही निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं इसलिए विकिपीडिया पर भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग होना चाहिए।
    • विकिपीडिया की स्‍पष्‍ट नीति है कि जहाँ तक हो सके सभी लेखों को निष्पक्ष दृष्टि से लिखिये (Neutral Point of View -पक्षपात रहित दृष्टिकोण)। लेख राष्ट्रवादी, पक्षपातपूर्ण अथवा घृणा आधारित नही होना चाहिये। लेख तथ्यों पर आधारित होना चाहिये। साथी सदस्‍यों के उपर्युक्‍त मत उनके इस पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं, उदाहरणार्थ- हमारे मूल अंकों की रक्षा करना और जरूरी हो जाता है। हिन्दी विकि तनकर खड़ा हो और घोषणा करे कि हम देवनागरी अंकों का ही प्रयोग करेंगे। हम किसी की अंधी नकल नहीं करेंगे। (अनुनाद सिंह)। ऐसी पक्षपातपूर्ण धारणा रखने वाले साथियों को समझना चाहिए कि विकिपीडिया एक सुलभ ज्ञानस्रोत है, अपनी कोई जिद पूरी करने के आंदोलन का केन्‍द्र नहीं। ऐसी पक्षपातपूर्ण दृष्टि के खिलाफ विकिपीडिया की आत्‍मा की रक्षा करने के लिए भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप का प्रयोग करना जरूरी है।
    • हिंदी विकिपीडिया पर मात्र ढाई सौ सक्रिय स‍दस्‍य हैं (उनमें से आधे से अधिक लोगों की मातृभाषा हिंदी नहीं है, शेष में से आधे बहुत कम सक्रिय हैं) और ये हिंदीभाषी समाज और हिंदी के पाठकों की राय का किसी भी रूप में प्रतिनिधित्‍व नहीं करते। इसलिए अगर इनकी राय और बहुमत ही सर्वोपरि माना जाता है तो यह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इनके विचारों से साबित हो चुका है कि हिंदी भाषा के प्रति रूढ समझ रखते हैं। कल्‍पना करें कि ये इसी रूढ समझ से अपनी वैचारिक पसंद के पृष्‍ठ को रखना चाहें और विरोधी विचार के पृष्‍ठ को हटाना चाहेंगे तो भी क्‍या बहुमत के आधार पर फैसला किया जाएगा? यह दुखद है कि आम हिंदीभाषियों की विकिपीडिया तक पहुंच केवल पाठक के रूप में है, संपादक के रूप मे नहीं। उन तमाम पाठकों की राय का भी सम्‍मान होना चाहिए जो भारतीय अंकों के अंतर्राष्‍ट्रीय रूप में दीक्षित हैं (जैसा कि कई माननीय समस्‍यों ने भी स्‍वीकार किया है)।
    सर्वसुलभ ज्ञानकोश बनाने की ज़िद ही विकिपीडिया है। और आज यह एक आंदोलन भी है। अंग्रेजी को ही आप्त मानते हों तो विकिपीडिया मूवमेंट गूगल कीजिए। सचमुच कुछ सक्रिय सदस्यों की नागरी अंक के प्रयोग की राय करोड़ों हिंदीभाषियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। ऐसे में कुछ कभी-कभी सक्रीय हुए सदस्यों की राय के प्रतिनिधि होने के तर्क का क्या कहना? और नागरी का समर्थन कर रहे सदस्य कल्पना लोक में चाहे जितने खतरनाक हो जाएं व्यवहारतः उन्होंने जितना काम किया है उसके प्रति मैं श्रद्धानत हूँ। और अंतर्राष्ट्रीय अंक का समर्थन और विकिया पर संपादन सभी आम लोग ही कर रहे हैं। यह किसी के भी संपादन के लिए प्रतिबंधित नहीं है। हम हर नए सदस्य के सकारात्मक कार्य का स्वागत करने और मुश्किल आने पर सहयोग के लिए बेताब हैं। शायद आप भूल रहे हैं कि प्रेमचंद का सुरक्षित पृष्ठ आग्रह के तत्काल बाद सभी के संपादन के लिए खोला गया है। अनिरुद्ध  वार्ता  01:14, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    तो क्या आपकी राय करोड़ों हिंदीभाषियों का प्रतिनिधित्व करती है? आप शायद यह नहीं जानते कि विकिपीडिया विकिपीडिया सम्पादकों की सर्वसम्मति पे ही चलता है। आप पता नहीं कहाँ से करोडों लोगों को उठा लाते हैं, जब बात यह कहो कि आम जनता अन्तराष्ट्रीय अंको का प्रयोग करती है तो आप भाषा संरक्षण को बीच में ले आते हैं। पता नहीं आपका तर्क एक जगह क्यों नहीं रहता और बार-बार तथ्य के अनुसार डगमगा जाता है।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    • विकिपीडिया किसी व्‍यक्ति या समूह की जागीर नहीं कि वह अपनी दमित इच्‍छाओं को यहां पूरा करे। इसके लिए वे स्‍वतंत्र पुस्‍तक लिख सकते हैं जिसमें मनचाहे अंकों का इस्‍तेमाल करें। अगर पुस्‍तक अनुकूल लगी तो पाठक उसके पास जायेंगे, नहीं तो नकार देंगे। विकिपीडिया एक लोकतांत्रिक जनमाध्‍यम है जिसकी नीति में व्‍यक्तिगत विचारों के लिए कोई जगह नहीं है। यहां ज्ञान का वही रूप अपेक्षित है जो जनता के बीच प्रचलित हो। चूंकि जनता के बीच (जैसा कि कई माननीय सदस्‍यों ने भी स्‍वीकार किया) भारतीय अंकों का अंतर्राष्‍ट्रीय रूप प्रचलित है, इसलिए यहां भी उसी का प्रयोग किया जाना चाहिए।

    मेरे द्वारा ऊपर रखे गए बिंदुओं की सत्‍यता की जांच आप विभिन्‍न स्रोतों से कर सकते हैं। अगर इनके तर्कपूर्ण जवाब माननीय सदस्‍यों के पास हैं और वे हिंदी विकिपीडिया को आम पाठक से दूर करना चाहते हैं तो देवनागरी अंकों को थोपने के लिए वे स्‍वतंत्र हैं। मैं जिस उत्‍साह से हिंदी विकिपीडिया से जुडा था, उसने ही दुख के साथ इसे छोड दूंगा। धन्‍यवाद! इति! गंगा सहाय मीणा (Ganga Sahay Meena) (वार्ता) 18:54, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    यह हिंदी के पाठकों के प्रति गंभीर चिंता का ही परिणाम था की इससे भी तीखे बहसों और असहमतियों के बावजूद बहुत से सदस्यों ने हिंदी विकिया आंदोलन का लगातार साथ निभाया। आपके लिए शायद यह समझना अभी बाकी है कि हिंदी विकिया पर सामग्री जोड़ना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और शेष मुद्दे इतना महत्व नहीं रखते कि इस मूल कार्य से खुद को अलग किया जाय। और यह सार्वजनिक बहस का तरीका नहीं है कि मेरी मानो तो ठीक वरना बहिष्कार करूँगा। क्योंकि यदि यही धमकी दूसरे भी दें तो क्या होगा। विकिया व्यक्ति की जागीर नहीं है। फिर किसी सामाजिक संपत्ति का बहिष्कार कोइ जिम्मेदार व्यक्ति कैसे कर सकता है? नागरी अंक के सवाल को छोड़कर आप कुछ और कीजिए। और तब आप पाएंगें कि यहाँ सहयोग की कितनी बलवती भावना है। आप नहीं जानते मगर अनुनाद जी सरीखे लोगों ने हिंदी के लिए विकिया और उससे बाहर भी जितना कार्य किया है वह आकादमीक प्रतिष्ठानों में मोटी तन्ख्वाह पाने वालों के लिए हमेशा चुनौती और शर्म का कारण बनेगा। हम आपके हर तरह के लोकतांत्रिक अधिकारों और उसके अनुरूप लिए गए निर्णय का पूरा सम्मान करेंगें। अनिरुद्ध  वार्ता  01:30, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    सर्वप्रथम, मेरा अनिरुद्ध जी से अनुरोध है कि वे चर्चा के दौरान इंडेंटेशन का प्रयोग करने का कष्ट करा करें, इसके लिए आपको अपूर्ण विराम (colon) को उपयोग करना होता है। दूसरा, मेरा उनसे अनुरोध है कि वे अपने तर्को पे कायम रहें। जब बात यह होती है कि मुख्यतः हिंदीभाषी अब अन्तराष्ट्रीय अंको का प्रयोग करते हैं तो ये भाषा संरक्षण और गाँव की आबादी का अन्तराष्ट्रीय अंको का ज्ञान न होने की दुहाई करते हैं, वैसे इसका इन्होंने आजतक कोई प्रमाण तो दिया है नहीं इसलिए मैं तो यह तर्क भी स्वीकार नहीं करता (ध्यान रहें विकिपीडिया प्रमाण दिए तर्को को ही मानता है न कि आपके व्यक्तिगत अनुभव/ज्ञान को) और जब बात होती है कि विकिपीडिया समुदाय अन्तराष्ट्रीय अंको का प्रयोग करने के पक्ष में है तो ये कहते हैं कि हिंदीभाषी लोगों के लिए निर्णय हम नहीं ले सकते, वैसे इनका यह तर्क भी गलत है चूँकि विकिपीडिया चलता ही इसके सम्पादकों की सर्वसम्मति से है, और आप यही सुनना चाहते है तो हाँ विकिपीडिया के कुछ सक्रिय सदस्य ही करोडों हिंदीभाषीयों के लिए निर्णय ले सकते हैं। अब इसे चाहे विकिपीडिया की कमजोरी कहें या ताकत। वैसे हिंदीभाषी भी अन्तराष्ट्रीय अंको का ही प्रयोग करते हैं, इसलिए मुझे तो आजतक आपके तर्को की बुनियाद ही समझ नहीं आई। तीसरा, इन बातों को दिमाग से निकाल दें कि विकिपीडिया भाषा संरक्षण के लिए या गाँव की (मुख्यतः अनपढ़, बिना कम्पयूटर, इंटरनेट और बिजली की सुविधाओं वाली) जनता के लिए है। सीधे शब्दों में: विकिपीडिया का उपयोग करने वाली जनता मुख्यतः शहरी है और अन्तराष्ट्रीय अंको का प्रयोग करती है, इसलिए अपना हट छोड़ के अन्तराष्ट्रीय अंको को स्वीकार करें, धन्यवाद।<>< Bill william comptonTalk 03:21, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    बिलजी, मेरे द्वारा दिए गए तर्क की बुनियाद हिंदी माध्यम से गाँव में पढ़ा हुआ व्यक्ति ही समझ सकता है। वैसे मैने यह कभी नहीं कहा है कि गाँव के लोग अंतर्राष्ट्रीय अंक नहीं समझते। तर्क ध्यान से पढ़िए। वे इसे जानते हैं मगर नागरी का वे प्रयोग ही नहीं करते हैं बल्कि वह अंक उनके मुहावरों में है। गीतों में है। उदाहरण के लिए पिछली बातें फिर से पढ़िए। और यह बुनियादी बात समझने की कोशिश कीजिए की वाशिंगटन की सड़कों का हाल वहाँ रहने वाला ही जानता है किताबों में उसे पढ़ने और गूगल मैप से नक्सा देखने वाला नहीं। और ४-५ लोगों को प्रतिनिधी न मानने की बात मैने नहीं उठाई है। शुरुआती दिनों में मुझे आपकी राय विकिया की मूल धारणा लगी थी इसलिए दुख हुआ था। अब मैं जान चुका हूँ कि यह केवल आपकी राय है और कम-से-कम विकिया के मूल संकल्पकर्ता की नहीं। विकिया अगर भाषा संरक्षण के लिए नहीं है तो उसके २00 संस्करण की क्या जरूरत है। आपको याद होगा कि मैने मुंबई से लौटकर कुछ अनुभव साझा किए थे। और विकिया सम्मेलन की बुनियाद ही इसी पर अवलंबित थी कि कैसे विकिया अंग्रेजी से इतर भाषाओं में आगे बढ़े और गाँवों के लोगों तक पहुँचे। वरना लंदन में बैठकर भारत के हिंदी भाषी शहरी क्षेत्रों के लिए काम करने का और क्या औचित्य हो सकता है। शहरी क्षेत्र के और विश्वविद्यालय के लोग बखूबी अंग्रेजी जानते हैं और उनके लिए हिंदी विकिया की जरूरत नहीं है। मुझे भी जितनी मदद अंग्रेजी विकिया से मिली है हिंदी से नहीं मिली है। अपनी धारणा बदलिए। मोबाइल के साथ अंतर्जाल और विकिया गाँव तक पहुँचने लगी है। और हिंदी विकिया का लक्ष्य पाठक वे ही लोग हैं या हो सकते हैं जो केवल हिंदी जानते हैं। मेरी समझ में नहीं आता है कि आप अंतर्राष्ट्रीय अंक के प्रति इतनी आतुरता क्यों दिखा रहे हैं। आपके और मेरे आने से भी पहले से विकिया पर काम करने वालों ने नागरी अंक अपनाया है। मैं उनकी अनुपस्थिति में अपने मन की करने की कोशिश सफल नहीं होने दूँगा। और यदि ५-६ व्यक्ति प्रतिनिधि हैं तो फिर नागरी अंक के पक्ष में वर्षों पहले निर्णय लिया जा चुका है। उसकी पुनर्पुष्टि भी हुई है। रोज रोज एक ही बात पर बहस करने की क्या जरूरत है? या आपके मत से जब भी कोइ एक व्यक्ति आकर आपके मन की बात रखेगा। चुनाव प्रक्रिया शुरु हो जाएगी? हो सकता है आपको अंक समझने में दिक्कत होती हो। लेकिन हिंदी विकिया के लक्ष्य पाठक आप जैसे लोग तो नहीं हो सकते। अनिरुद्ध  वार्ता  04:23, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    सबसे पहले यह बता दूँ कि विकिपीडिया पर देवनागरी अंक किसी के लिये कोई समस्या नहीं हैं। ऐसे टूल उपलब्ध हैं जो एक कुंजी दबाते ही देवनागरी अंकों को 'अन्तरराष्टीय अंकों' में बदलकर सारी सामग्री प्रदर्शित करेंगे (इसके उल्टा भी सम्भव है)। इसलिये यह मुद्दा बिल्कुल सारहीन है। जबकि भाषा, लिपि, जैवविविधता, पर्यावरण आदि का संरक्षण आज सारे विश्व में सबसे 'पवित्र' विषय बने हुए हैं। इसी सन्दर्भ में मैं बिल काम्टन से निवेदन करूँगा कि वे बताएँ कि जिमी वेल्स ने कब और कहाँ कहा/लिखा/दोहराया है कि "विकिपीडिया भाषा संरक्षण के लिए नहीं अपितु ज्ञान के प्रसार के लिए है।"-- अनुनाद सिंहवार्ता 05:04, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    विकि पर देवनागरी के अंकों को लेकर फिर से छिड़ी बहस को देखकर यही कहना चाहूँगा कि इस समय विकि पर सामग्री सहेजने की आवश्यकता है, गंगा सहाय मीणा जी एवं बिल जी इस मूल मुद्दे से हटकर विकि से जुड़ स्वयं सेवी सदस्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं, अनिरुद्ध जी और अनुनाद जी ने विकि पर बहुत कार्य किया है इसके अतिरिक्त अन्य सदस्यों व प्रबंधकों ने विकि को यहाँ तक पहुँचाने में अपना अमूल्य समय दिया है परन्तु बिल जी को यह टिप्पणी करते देर न लगी कि एक सम्मानित प्रबंधक द्वारा लेख बनाये जाने से और कुछ लेखों को प्रदूषण से बचाने के पवित्र उद्देश्य में उन्हें विकि के प्रबंधक से विकि को खतरा दिखने लगा, एक दूसरे सदस्य ने हटाने के लिए जोरदार समर्थन कर दिया जबकि वास्तविकता यह है कि डा० जगदीश व्योम ने अनेक लेखों को स्तरीय बनाने तथा वर्तनी की अशुद्धियों को सुधारने का महत्वपूर्ण कार्य किया है और अब भी विकि प्रेम के कारण यहाँ बिना चिन्ता किये कार्य कर रहे हैं, उनके विरुद्ध ऐसी अपमानजनक टिप्पणी बिल द्वारा लिखे जाने के बाद भी शायद इसीलिये कुछ नहीं लिखा कि विकि पर इस तरह का विवाद उचित नहीं है, बिल जी विकि पर काफी समय दे रहे हैं पर उनका व्यवहार विकि से लोगों को जोड़ने की जगह दूर हटने की दिशा में ले जा रहा है, अनिरुद्ध जी और अनुनाद जी का विकि से जुड़े रहना विकि के लिये बहुत शुभ है मीणा जी देवनागरी के अंकों में मत उलझिये हो सके तो विकि पर कुछ लेख बनाइये तो विकि का भला होगा, बिल जी रातोरात विकि के सर्वेसर्वा बनना चाहते हैं ऐसा उनकी टिप्पणियों से प्रतीत होता है, सारे पूर्व प्रबंधक अभी भी फिर से सक्रिय हो सकते हैं यदि बेकार की टीका टिप्पणी करने वाले विकि पर अपना काम करने लगें और एक दूसरे को सम्मान देने लगें, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि देवनागरी लिपि को इतना मत कमजोर कर डालिये कि उसका दम ही घुट जाये, शायद यही अनिरुद्ध जी की चिन्ता है जिसे यहाँ समझा जाना चाहिये न कि उनका विरोध करके तमाम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचानी चाहिये। --आलोचक (वार्ता) 05:17, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    माननीय संपादक सदस्‍यों, किसी भी बहस में तर्क का जवाब तर्क से दिया जाना चाहिए और अपने तर्कों को प्रमाणों से पुष्‍ट करना चाहिए। अनिरुद्ध जी के कुतर्कों का जवाब बिल जी ने तर्कपूर्ण ढंग से दे दिया है। अनिरुद्ध जी का यह (कु)तर्क बेबुनियाद है कि गांव के लोग अंतर्राष्‍ट्रीय अंक नहीं समझते। मैंने पहली से बी.ए. तक की पढाई गांव के सरकारी स्‍कूलों से की है और मेरा इस बीच कभी भी देवनागरी अंकों से परिचय भी नहीं हुआ। किसी भी राज्‍य पाठ्यपुस्‍तक मंडल की किताबें देख लें या फिर एन.सी.ई.आर.टी. की समस्‍त किताबें, कहीं भी देवनागरी अंकों का प्रयोग नहीं होता। हर कहीं अंतर्राष्‍ट्रीय अंकों का प्रयोग होता है. बिल अगर भारत में पढे नहीं, रहते नहीं तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्‍हें भारत के बारे में कुछ जानकारी भी नहीं है। वे जिस तन्‍मयता और तटस्‍थता के साथ विकिपीडिया की सेवा कर रहे हैं, उसे संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए और तर्कों का जवाब तर्कों से देना चाहिए। समीर (वार्ता) 05:59, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    समीर जी, क्या आपको हिंदी समझ नहीं आती। मैने कभी नहीं कहा कि गाँव के लोग नागरी अंक समझते हैं और अंतर्राष्ट्रीय अंक नहीं। बिल के इस तर्क के बाद मैने साफ किया है कि सवाल यह है कि दोनों प्रचलित अंकों में नागरी के साथ नागरी अंक यहाँ के समर्पित सदस्यों ने पहले ही चुन लिए थे और मेरी समझ से ठीक चुना था। इसे परिवर्तित करने की कोइ जरूरत नहीं है। जिसे सीखने का शौक हो नागरी अंक सीख ले। अन्यथा अंतर्राष्ट्रीय अंक का प्रयोग करे। लेकिन यहाँ तो कुछ करने के बजाय नागरी अंकों को समाप्त करने की चेष्टा की जा रही है। और आप भूल गये की गंगा जी के जेएनयु और आपके जेएनयु के होने और नए सदस्य होने का भी कुछ अर्थ है। मूर्खता मत कीजिए। विकिया पर आए हैं तो किसी सार्थक उद्देस्य के लिए आइए। मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं आपका आइपी पता देखूँ और संपादन जाँचूँ। मिटाने और प्रतिबंधों में भी मेरी आस्था नहीं है। इसलिए पृष्ठ मिटाने के बदले यदि १% भी संभावना हो तो मैं लेख संपादित करता हूँ मिटाता नहीं हूँ। और बिल नागरी लिपि के मूल स्वरूप पर मतदान नहीं हो सकता है। और यह आपकी राय के अनुरूप हो या न हो विकिया की नितियों के अनुरूप है। मतदान के नाम पर गलत प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने की जरूरत नहीं है। अनिरुद्ध  वार्ता  06:22, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई, आपके कुतर्कों का भी कोई जवाब नहीं। अगर आप और मैं संयोग से भारतवासी हैं और एक ही शहर में, एक ही वर्ष पैदा हुए हों तो इसपर किसका बस चलता है? जब आदमी के पास तर्क ना हो तो वह व्‍यक्तिगत आक्षेपों पर उतर आता है। समीर (वार्ता) 06:40, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    समीर जी, बिल कितनी हिन्दी समझते हैं और आप कितने हिन्दी प्रेमी हैं यह इसी बात से मालूम हो जाएगा कि जब विकि पर हिन्दी के नाम पर मात्र एक हजार पन्ने ही थे तब बिल कहाँ थे और आप कहाँ थे? आज जब अनिरुद्ध, अनुनाद, पूर्णिमा वर्मन, मुनिता प्रसाद, मयूर, जगदीश व्योम, रोहित रावत, आशीष भटनागर आदि ने अपना समय देकर विकि को यहाँ तक लाकर खड़ा कर दिया है तब बिल यहाँ आकर कुछ और समर्थन लेने, कुछ लोगों को विकि पर काम करने के लिए तैयार करने की जगह विकि को विवाद में उलझा कर सब ठप कर देने की साजिश सी कर रहे हैं, अंकों के विषय की कोई झंझट नहीं है जैसा कि अनुनाद जी ने कहा है, देवनागरी लिपि में उसी के अंक हों यह पहले ही तय हो चुका है लेकिन आप और बिल यहाँ कहीं नहीं थे जो आपको पता चल पाता, मीणा जी कुछ अच्छे लेख बनायें यह बहस और कुतर्क छोड़ दें, आप अनिरुद्ध के लिए कुतर्क करने का आरोप लगा कर उन्हें उकसाने का प्रयास कर रहे हैं, आपनै आखिर विकि के लिए क्या किया है इसे देख लें, कुछ सदस्य तो यहाँ हिन्दी में लिखने में भी शरमाते हैं और चौपाल पर अंग्रेजी में ही लिख रहे हैं इनके लिए क्या कहा जाए, ऊपर इसे देखा जा सकता है, आखिर आप लोग देवनागरी को जीवित रखने की मुहिम चला रहे हैं या उसे मिटा देने की कोई साजिश कर रहे हैं, विकि के लाखों हिन्दी प्रेमी यह जानना चाहते हैं।--सुगन्धा 06:51, 17 जून 2012 (UTC)
    प्रिय सुगंधा जी, जब एक लोकतांत्रिक मंच पर तर्कपूर्ण बहस हो रही हो तो हर व्‍यक्ति की बात का महत्‍व होता है, मैं आपकी बात को सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं कर सकता कि आप विकिपीडिया पर कल ही अवतरित हुई हैं समीर (वार्ता) 07:27, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भाई समीर जी, मैने पहले ही सिद्ध कर दिया है कि देवनागरी अंक किसी के लिये कोई समस्या नहीं हैं। फॉक्स_रिप्लेस (FoxReplace) तथा अन्य कई औजार हैं जिनके प्रयोग से एक कुंजी दबाकर देवनागरी अंकों को अन्तरराष्ट्रीय अंकों में बदला जा सकता है। लेकिन देवनागरी अंकों के अप्रयोग का कोई भी निर्णय उनको मृत्यु-शैया की तरफ धकेल देगा। यह एक गम्भीर चिन्ता का विषय है। आपने कहा है कि सारी पत्रपत्रिकाएं, पुस्तकें और सारी दुनिया अन्तरराष्त्ट्रीय अंकों का प्रयोग कर रही हैं। यही तो चिन्ता का विषय है। यह अंधी नकल का नतीजा है। वीर और दृढ निश्चयी भोंदी नकल नहीं करते, नया मार्ग निकालते हैं। नये प्रतिमान स्थापित करते हैं। हिन्दी और देवनागरी का इतिहास ही ले लीजिये। उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के संगम के वर्षों में भारत के सामान्य लोग फारसी पढ़ते थे, उर्दू-फारसी लिपि सीखते थे, कोर्ट-कचहरियों और शिक्षा में हिन्दी/देवनागरी कहीं नहीं थी। कुछ सपूतों को यह अंधकार स्वीकार्य नहीं था। उन्होने मुहिम छेड़ी। हिन्दी साहित्य की अपूर्व उन्नति हुई। हिन्दी का पूरे देश में प्रचार-प्रसार हुआ। वह स्वतंत्र भारत की राजभाषा घोषित हुई। आप ही की तरह वे लोग भी कह सकते थे ..... कुछ नहीं होने वाला.. आदि। अंग्रेजों के राज में चारो ओर यही प्रचारित कर दिया गया था कि उनके राज्य में सूरज कभी नहीं डूबता। किन्तु कुछ वीर क्रान्तिकारियों को पता था कि जहाज कितना भी बड़ा क्यों न हो एक छेद करने की जरूरत है। वह भी डुबोया जा सकता है। उन्हें पता था कि मन की हार ही वास्तविक हार है। मृत्यु भी कोई पराजय नहीं है। और लाखों मीरजाफरों के बावजूद अन्ततः भारत स्वतंत्र हुआ। -- अनुनाद सिंहवार्ता 08:12, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    सुगंधा जी और आलोचक जी को अगर मेरे हिन्दी विकिपीडिया पे दिए योगदान पे कोई आशंका है तो एक बार ध्यान से इन तथ्यों पे गौर करें: हिन्दी विकिपीडिया के मुखपृष्ठ पर जो छह महीने से निर्वाचित लेख लगा हुआ है वो मैने ही बनाया है, जो वर्तमान निर्वाचित लेख उम्मीदवार है वो मेरा ही बनाया लेख है, हिन्दी विकिपीडिया पे जो दो निर्वाचित सूचियाँ है वो मैने ही बनाई है, हर हफ्ते मुखपृष्ठ पर जो क्या आप जानते हैं अनुभाग है उसका अद्यतन मैं ही करता हूँ, इसके साथ ही मैने 181 लेख बनाएँ हैं], और जा के देखें कि विकिपीडिया के अन्य मुख्यतः लेखों और मेरे बनाएँ लेखों में क्या अंतर होता है, और जाते-जाते यह भी सुन लें कि हिन्दी विकिपीडिया का तीसरा सबसे अधिक प्रबंधक कार्य करने वाला भी मैं ही हूँ। मैं अपनी बढ़ाई करना पसंद नहीं करता यही कारण है कि और सदस्यों कि तरह मैं अपने सदस्य पृष्ठ पर अपने बनाएँ लेख जाके नहीं चिपकाता, परन्तु मैं यह नहीं सुन सकता कि यहाँ मैं फालतू कि चर्चा में अपना और ओरो का समय बर्बाद करता हूँ। मेरा परम उद्देश्य हिन्दी विकिपीडिया को विश्वस्तरीय ज्ञानकोष बनाना है, इसलिए मैं हमेशा जोर देता हूँ कि लेखों में संदर्भ डाला करें, कॉपीराइट उल्लंघन से बचे, आदि, परन्तु ये सब बाते आप सदस्यों को पता नहीं क्यों बुरी लगती हैं। जो लोग ज्ञानकोष का अर्थ समझते ही नहीं अब उन्हें मैं क्या समझाऊँ, वे सिर्फ लेखों की ज्यादा मात्रा पे ही बल देते हैं यह नहीं सोचते कि उनकी गुणवक्ता सुधारी जाए या नहीं। इसी मानसिकता का नतीजा है कि हिन्दी विकिपीडिया की इतनी बुरी हालत है, अंग्रेज़ी विकिपीडिया अपने मुखपृष्ठ पर उन विकिपीडिया परियोजनाओं का नाम भी देता है जहाँ पे केवल 50,000 या उससे भी कम लेख हैं परन्तु एक लाख से भी अधिक लेख होते हुए भी हिन्दी विकिपीडिया का नाम इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि यहाँ के लेखों की गुणवक्ता इतनी बेकार है कि वो हिन्दी विकिपीडिया को इसके लायक ही नहीं समझते। और जब से मैने और कुछ रचनात्मक सदस्यों ने हिन्दी विकिपीडिया पे योगदान देना शुरू हुआ है तो उसकी गुणवक्ता में सुधार हुआ है और इसका सबसे बड़ा उदहारण हिन्दी विकिपीडिया की गहराई का 27 से लगभग 37 होना है। अब मैं और अधिक इस चर्चा में भाग नहीं ले सकता क्योंकि मेरा उद्देश्य हिन्दी विकिपीडिया को सुधारना है न कि हिन्दी की झूठी अगुवाई करके अपने को हिन्दी संरक्षक सिद्ध करना। और मैं केवल उन सदस्यों की टिपणीयों को महत्व देता हूँ जिन्होंने यहाँ कुछ करके दिखाया हो, अचानक से बुलाएं जाने पर सक्रिय होने वाले सदस्य अपने विचार अपने पास ही रखें, धन्यवाद।<>< Bill william comptonTalk 08:53, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]


    • "मैं अपनी बढ़ाई करना पसंद नहीं करता यही कारण है कि और सदस्यों कि तरह मैं अपने सदस्य पृष्ठ पर अपने बनाएँ लेख जाके नहीं चिपकाता"

    बिलियम काम्टन जी आपने अपना सारा काम बड़ी खूबी के साथ गिनवा दिया और यह भी कह दिया कि आप अपनी बढ़ाई करना पसंद नहीं करते, क्या आप यह चाहते हैं कि अन्य सदस्य और प्रबंधक यहाँ काम न करें? आपने फिर दुहराया है " और सदस्यों कि तरह मैं अपने सदस्य पृष्ठ पर अपने बनाएँ लेख जाके नहीं चिपकाता" इसमें आप पूर्णिमा वर्मन और डा० जगदीश व्योम की ओर संकेत कर रहे हैं, आपने यह भी लिखा है कि ऐसे प्रबंधकों की विकिपीडिया पर जरूरत नहीं है, इसका आशय है कि विकि पर ऐसे सदस्य और प्रबंधक रहें जो हिन्दी और हिन्दी भाषा की ऐसी तैसी करते रहें। क्या विकि पर साहित्यकार एवं लेखक अपना पन्ना नहीं बना सकता है, यदि वह खुद साहित्यकार या लेखक या पत्रकार है और विकि पर कार्य भी कर रहा है तो इसमें पन्ना बनाने में हर्ज ही क्या है, डा० व्योम और पूर्णिमा वर्मन के पन्नों को देखकर अगर कोई उन्हें हटाने को लिख देते हैं तो आप आपे से बाहर जाकर कुछ भी अनाप शनाप लिखने लगते हैं, शायद इसी से आहत होकर डा० व्योम ने अपना पन्ना खुद ही हटा दिया कि व्यर्थ के विवाद में क्यों पड़ा जाय, पर मुझे लगता है कि डा० व्योम को पन्ना नहीं हटाना चाहिये, हाँ उसमें कुछ ऐसा हो जो प्रशंसा की श्रेणी में आता हो तो उतना हिस्सा भले ही सम्पादित किया जाना चाहिये। अनिरुद्धजी और अनुनाद जी विकिपीडिया के बहुत ही कर्मठ और पूरी लगन से कार्य करने वाले प्रबंधक हैं, उनसे इस तरह का कुतर्क करना आपकी हिन्दी के प्रति मंशा को जाहिर करता है, आपने इतने अच्छे लेख यहाँ से हटा कर नष्ट कर डाले जिनकी भरपायी काफी समय में हो सकेगी, विकिपीडिया सबका है किसी की जागीर नहीं है, सब यहाँ अपना बहुत कीमती समय दे रहे हैं और सब सम्मानित व्यक्ति हैं इसलिये यहाँ विशेषकर चौपाल पर टिप्पणी सोच विचार कर करें और भाषा संयत रखें।--आलोचक (वार्ता) 11:10, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]


    भाई बिलियम कॉम्टन जी, दुख है कि मेरे प्रश्न का उत्तर दिये बिना ही आप यहाँ से भी पलायन करने जा रहे हैं। आपके आंकड़ों की बाजीगरी मुग्ध कर गयी। आपने यह नहीं बताया कि कितने अच्छे लेखों को आपने डिलीट कर दिया। कितने उत्साही लोगों को यहाँ से निरुत्साहित करके भेज दिया। हिन्दी की निन्दा करने का कोई अवसर आप चूके हैं तो बताइये। आपके आने के पूर्व हिन्दी विकि जिस गति से विकास कर रही थी, आपके आने के बाद वह वेग जारी रहा या कम हुआ है, कृपया बताएँ।-- अनुनाद सिंहवार्ता 10:14, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भ्राता अनुनाद, कृपया एक अच्छा लेख तो बताएँ जो मैने हटाया हो? कृपया एक ऐसा कार्य तो बताएँ जो मैने विकिपीडिया के नियमों के विरुद्ध किया हो? आप इसे "बाजीगरी" कहते हैं, कृपया एक ऐसा तथ्य तो बताएँ जो मैने गलत लिखा हो? हिन्दी की निंदा मैने कभी की नहीं, यह आपका भ्रम ही है, मेरे देवनागरी अंको के प्रति विचार आप से मेल न खाते हों परन्तु हिन्दी भाषा का मैने हमेशा सम्मान किया है और यही वजह है कि मैं अपना यहाँ योगदान दें रहाँ हूँ। आपके किस प्रश्न का उत्तर मैने नहीं दिया कृपया यह भी बताएँ हों सकता है इतनी बड़ी चर्चा में मैने कुछ छोड़ दिया हों। आपने शायद मेरे दिए तथ्य ठीक से पढ़े नहीं, मेरे आने के बाद ही हिन्दी विकिपीडिया को इसकी प्रथम निर्वाचित सूची मिली है, मेरे द्वारा ही विकिपीडिया को इस वर्ष का पहला और अभी तक का एकमात्र निर्वाचित लेख मिला है, मेरे आने के बाद ही नियमित रूप से 'क्या आप जानते हैं?' का अद्यतन होता है, मेरे आने के बाद ही विकिपीडिया पे से कॉपीराइट उल्लंघन वाली फाइलों को यहाँ से हटाया गया है, और मैने आने के बाद ही केवल एक वर्ष में हिन्दी विकिपीडिया की गहराई जो इसकी गुणवत्ता को परखती है उसमें दस अंको का उछाल हुआ है। और ध्यान रखें कि जिस विकास की आप बात कर रहें हैं उसमें पहले केवल लेख बनाने पे जोर दिया जाता था परन्तु अब उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होने लगा है। और इस प्रश्न का तो आप उत्तर अवश्य ही दें कि मैने आजतक कौन सा अच्छा लेख यहाँ से हटाया है? आप हमेशा इस बात को लेने रोते हैं परन्तु आजतक कोई प्रमाण नहीं दिया। इसका मतलब तो यही निकलता है कि आपकी और मेरी नजर में एक अच्छे ज्ञानकोष के लेख का स्तर ही भिन्न है।<>< Bill william comptonTalk 10:38, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भाई बिल बिलियम कॉम्टन जी, इसी चर्चा में आपसे पूछा था कि कृपया सन्दर्भ बताएँ कि जिमी वेल्स ने कब और कहाँ कहा/लिखा/दोहराया है कि "विकिपीडिया भाषा संरक्षण के लिए नहीं अपितु ज्ञान के प्रसार के लिए है।" यह विशेष रूप से आपसे पूछा गया था क्योंकि आप इस खेल में माहिर हैं कि जो चीज/नियम अस्तित्व में नहीं हैं उन्हें भी बड़ी 'उदारता' से कोट कर देते हैं। जब उसकी छानबीन की जाती है तो एक लिंक से दूसरे पर और दूसरे से तीसरे पर भागने लगते हैं।
    आप पर मनमानी लेखों को डिलीट करने का मुकद्दमा बहुत पहले चलाया जा चुका है और उस समय आम सहमति बनी थी कि हिन्दी विकि की स्थिति को देखते हुए लेखों को मिटाने के बजाय उनमें सुधार करना या एक-दो वाक्य जोड़कर उन्हें 'जीवित' रखना बेहतर विकल्प है। आप उसका उलंघन करते रहे हैं। अभी हाल ही में आपने 'लोकसंस्कृति' के लेख को मार दिया जबकि उस।में कुछ ऐसी सामग्री थी जिसे मामूली सुधार करके एक अच्छा आधार लेख बनाया जा सकता था। यही हाल 'सृजनात्मकता' लेख की हुई। क्या सृजनात्मकता (क्रिएटिविटी) पर हिन्दी में लेख नहीं होना चाहिये जो आपने मिटा दिया? हिन्दी विकि की सबसे पहली आवश्यकता यह है कि लोगों को खोजने पर अधिकाधिक विषयों पर हिन्दी में कुछ न कुछ जानकारी मिले। आपके अलावा शायद ही कोई 'निर्वाचित' होने के लिये लेख लिख रहा हो। मैं खुद इसको कोई महत्व नहीं देता। यदि लेखों को मिटाने और कापीराइट वाली छबियों को हटाने से हिन्दी विकि की गुणवत्ता बड़ रही है तो हम सभी को लेख लिखने के बजाय इसी काम में लग जाना चाहिये।
    हिन्दी की बेइज्जत करने और हिन्दीसेवियों का मनोबल गिराने के लिये भी आपको कटघरे में खड़ा किया गया था। कृपया स्मृति पटल को साफ कीजिये।-- अनुनाद सिंहवार्ता 11:20, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    समीर, जितनी तन्मयता आपने अनिरुद्ध जी और सुगंधा जी के तर्कों को ध्वस्त करने में लगायी है उसका लेशमात्र भी ओमप्रकाश वाल्मीकि के पृष्ठ में लगा देते तो लेख लवी सिंघल जी को ज्ञानकोषीय लग जाता। विकि पर उपाधियाँ देने का अधिकार केवल प्रबंधकों को है। अनिरुद्ध जी ने जो उपाधि आपको दी है, तर्कशास्त्र में उसे प्रयोजनमूलक प्रमाण के अंतर्गत व्यवहृत किया जाता है। अभी मैं भी "कल ही अवतरित" हुआ हूँ इसीलिए संयम बरत रहा हूँ। लेकिन आपको भी ऐसे टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। महिला सदस्यों के प्रति सम्मानपूर्ण और सभ्य भाषा का ही प्रयोग करें। तर्कशास्त्र के साथ कुछ अध्ययन भाषाशास्त्र और व्यवहारशास्त्र का भी करें। इसे सुझाव नहीं चेतावनी समझिए। मेरा योगदान अभी नगण्य है इसीलिए विलियम जी के तर्कों का उत्तर कुछ दिन बाद दूँगा। विलियम ने किंचित सदस्यों की वर्तनी संबंधी सीमाओं पर जो ध्यानाकर्षित किया है, उम्मीद है कि उस पर खुद भी अमल करेंगे। उनका योगदान अमूल्य है लेकिन नियम, तटस्थता, अंतरराष्ट्रीयता और ज्ञानकोषीयता के पार्श्व में जिस अहंकार का प्रदर्शन उनकी हालिया टिप्पणियों में हुआ है उससे उन्हीं की सुसंगतता और तटस्थता खण्डित हुई है। विलियम जी यकीन मानिये आपकी मसीही मंशा का हम श्रद्धावनत होकर सम्मान करते हैं किंतु विकि नीतियों को परिचालित(manipulate)करने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध किया जायगा। आशा है इसे व्यक्तिगत न लिया जायगा। तर्कशास्त्र में तर्क की कई पद्धतियाँ और भी हैं। विलियम जी आपसे जो मुखातिब हैं उनके गाँवों में अखबार खरीदना आज भी एक सुविधा(luxury)है, लेकिन तस्वीर बदल रही है। बातें और भी हैं लेकिन प्राथमिकता बहस से ज्यादा निर्माण की होनी चाहिए और उसमें मैं आपसे बहुत पीछे हूँ। लेकिन जल्द ही तस्वीर भी बदलेगी और स्वर भी। आपकी तटस्थता, अर्थक्रियावादिता, ज्ञान और धैर्य का तो कायल हो ही गया हूँ।-- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 08:41, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    गंगा सहाय जी की यह उपलब्धि जरूर महत्वपूर्ण है की उन्होंने जितना योगदान किया है उससे ज्यादा हिंदी विकिया का नुकसान कर दिया है। वे खुद जाएं या बिल नुकसान तो हिंदी विकिया का ही होगा। बिल की योग्यता का कायल हूँ इसलिए उनकी अयोग्यता पर बहस करने के बजाय मैं दूसरे रास्ते चलता रहा हूँ। लेकिन निर्वाचित लेख, गहराई और कॉपिराइट आदि को अपनी उपलब्धि गिनाकर बिल ने भी अपनी अज्ञानता का ही परिचय दिया है। निर्वाचित लेख पूर्णिमा जी की देन हैं और बाद में आशीष, मुनिता, और मयूर, रोहित जी ने इसपर बहुत काम किया था। गहराई का श्रेय भी मयूर तथा उनके बॉट को है जिसने हिंदी विकिया को बीस से ३५ के आसपास पहुँचाया था। अंग्रेजी विकिया पर लंक एक लाख आलेख पूरा होते ही आया था और तब शायद बिल जी नहीं थे या थे भी तो उनकी भूमिका नगण्य थी। लेकिन बिल ने अच्छे लेख बनाए हैं और मुझे उनसे कुछ सीखने को मिला है इसमें शक नहीं है। सबाल्टर्न अध्ययन, ब्रह्मपुराण, आदि लेख हटाए नहीं जाने चाहिए थे बल्कि विकिफाइ का टैग लगाकर सालभर इंतजार कर लेना चाहिए था। अब मजबूर होकर मुझे हटाए गए पृष्ठों पर नजर रखनी पड़ रही है। और उनकी संवाद शैली हमेशा नए सदस्यों के लिए प्राणघातक रही है। नया सदस्य मेरे जैसी जिद लेकर विकिया से नहीं जुड़ता है। आरंभ में ही अगर ऐसे संवाद आशीष, मुनिता, गुँजन, अनुनाद, आदी ने मेरे वार्ता पृष्ठ पर चिपकाए होते तो आज अनिरुद्ध यहाँ पर होता ही नहीं। इसलिए बिल जी से अनुरोध है कि गंगा जी की तरह बहिष्कार वाला तरीका प्रयुक्त न करें। क्योंकि औरों ने भी यही किया तो क्या होगा। और हिंदी विकिया हिंदी अंतर्जाल की स्थिति और सामाजिक परिवेश से नियम लेकर चलेगी। मुजे जिमी का कथन बिल्कुल ठीक लगा था की बड़ी परियोजनाओं के नियम यदि छोटी परियोजनाओं पर थोपे गए तो उनकी हत्या हो जाएगी। और यह भी कि सबसे जरूरी है सामग्री जोड़ना। संदर्भ, शैली, चित्र आदी आप या कोइ और बाद में भी लगा देगा। जिमि ने कहा था कि शेक्सपियर पर मैने केवल एक पंक्ति लिखी थी आज ७ हजार संपादनों के साथ वह ४५ पृष्ठों का अंग्रेजी लेख बन गया है। इसलिए भी हिंदी के नए लेख हटाने से पहले तटस्था पूर्वक नहीं बल्कि सहृदयता पूर्वक विचार करना जरूरी है। स्तर खुद ही सुधरेगा यदि संपादनकर्ता बढ़ेंगें। और हम इसके लिए लठमार शैली में नहीं आराम से धीरे-धीरे अपनत्व पूर्वक नए सदस्यों को प्रशिक्षित कर सकते हैं। अनिरुद्ध  वार्ता  12:27, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    हालांकि नागरी अंकों पर तर्क करने का अब मन नहीं है, फिर भी बस एक सूचना है जेएनयू के क्रांतिकारी साथियों के लिए। प्रगति प्रकाशन मास्को का जितना भी साहित्य हिंदी में है सभी में नागरी के ही अंकों का प्रयोग है। आपको सुलभ है इसलिये देख सोच कर तर्क करें। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 15:15, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    यह लेख व्यक्तिगत प्रशंसा की श्रेणी में आते हैं

    दीपक शर्मा

    दिनेश सिंह

    कुमार विश्वास

    कविता कौशिक

    गीतांजलिश्री

    --Froklin (वार्ता) 09:35, 16 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    An Invite to join the Wikimedia India Chapter

    Wikimedia India logo
    - - - - - - - - - - - - Wikimedia India Chapter - - - - - - - - - - - -
    Hi all,

    Greetings from the Wikimedia India Chapter !

    Wikimedia India is an autonomous non-profit organization. The objective of the Chapter is to educate Indian public about availability and use of free and open educational content and build capacity to access and contribute to such resources in various Indian languages and in English. It works in coordination with Wikimedia Foundation and the Wikipedian community to promote building and sharing of knowledge through Wikimedia projects.

    As you have shown an interest in articles related to India we thought you might be interested in knowing about the Wikimedia India chapter, its activities, volunteering and process to gain membership to the society. We need your help.

    More details can be found at Official Portal  • Our Blog  • Our Wiki
    We welcome you to join and particpate in the India Chapter's activites. To join the chapter please click here. We thank you for your your contributions thus far and look forward to your continued participation.


    Sincerely,
    On behalf of the Wikimedia India chapter.

    `Naveenpf (वार्ता) 02:00, 15 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    ak:Wikipedia:Community Portal

    Hindi Wikipedia 9th Anniversary on 11th July,2012

    Dear fellow Wikimedians, as you all know on 11th July,2012 Hindi Wikipedia will turn 9. Hindi Wikipedia has attracted both readers and editors across India. Both Assamase and Kannada Wikipedia has celebrated recently thier 10th and 9th Anniversary respectively. If you planning to celebrate the anniversary please feel to contact chapter@wikimedia.in -- Naveenpf (वार्ता) 02:47, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    नवीन भाई, हिन्दी विकिपीडिया की नौवीं वर्षगाँठ सभी हिन्दीसेवियों के लिये उत्साह वृद्धि का दिन है। हम सभी इसे अपने-अपने ढंग से मनाएँगे। ११ जुलाई तक हिन्दी विकि को एक लाख पाँच हजार तक पहुँचा दें, यही सबसे बड़ा योगदान और सर्वाधिक हर्ष का विषय होगा। -- अनुनाद सिंहवार्ता 05:16, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    हिन्दी भाषा को भ्रष्ट करने की साजिश

    इन दिनों देखने में आ रहा है कि हिन्दी के वाक्यों को एक बिन्दू से समाप्त करने का चलन हो चला है जिसकी शुरुआत विदेशी कम्पनियों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट इत्यादि ने की हिन्दी के वाक्यों को बिन्दू से समाप्त करके। और जैसा की जग-जाहिर है भारत के भाषाई जयचँद और मैकाले की अवैध सन्तानें हिन्दी भाषा के स्वरूप को बिगाड़ने के इस चलन में विदेशियों का वैसे ही जोर-शोर से साथ दे रही हैं जैसे एक समय में जयचँद ने अपने भारतीय राजाओ का साथ ना देकर अपने निहित स्वार्थ के लिए विदेशी आक्रमणकारी का साथ दिया। ये मैकाले की सन्तानें अबतक को हिन्दी को अंग्रेज़ी के शब्दों से ही भ्रष्ट कर रही थीं पर अब तो भाषा के स्वरूप को बहुत सीमा तक बिगाड़ने में सफल हो चुके हैं। जैसा की सभी जानते होंगे कि किसी देश-स्थान की संस्कृति को नष्ट करना हो तो सबसे पहले उस स्थान की भाषा को बिगाड़ा जाता है। ये काम इन विदेशियों ने सदियों तक बहुत अच्छे से किया। लेकिन जब इन विदेशी कम्पनियों ने देखा की भारत कहीं बहुत आगे ना निकल जाए तो इन लोगो ने एक बार फिर वही पुराने हथकण्डे अपनाने आरम्भ कर दिए हैं। और उसपर से भी सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि ना केवल ये विदेशी बल्कि इस देश में भी मैकाले की सन्ताने और भाषा के जयचँद इस काम में बड़ी तत्परता से विदेशियों का साथ दे रहे हैं। और अब तो यह चलन हिन्दी विकिपीडिया पर भी आरम्भ हो चुका है जैसा की इसी चौपाल पर देखा जा सकता है। हो सकता है कि बहुत से लोग अज्ञानता के कारण ऐसा कर रहे होंगे लेकिन फिर भी क्या इन लोगों को इतनी समझ नहीं है कि हिन्दी में वाक्य कैसे समाप्त किया जाता है? वे लोग जो ऑफ़लाइन गूगल ट्राँस्लिटरेशन का उपयोग हिन्दी लिखने के लिए कर रहे है के लिए एक सुझाव है कि वे Manage Macros... में जाकर बाईं ओर Macro Text के नीचे कोई ऐसा key combination टाइप करें जो बहुत ही कम कभी उपयोग में आएगा जैसे qw या 1q या 2q या qa या ./ और दाईं ओर Macro Target के नीचे पूर्णविराम (।) किसी हिन्दी लिखने वाली साइट जैसे विकिपीडिया से कॉपी कर वहाँ पेस्ट करें। इसके बाद आपको जब भी गूगल ट्राँस्लिटरेशन का उपयोग हिन्दी लिखने के लिए करना हो और कोई वाक्य समाप्त करना हो तो उस की कॉम्बिनेशन को टाइप करें जो आपने Manage Macros... में लिखा है। सबसे अच्छा तो यह हो कि इन कम्पनियों पर भारत सरकार वैसे ही रोक लगाए जैसे चीन की सरकार ने लगा रखी है। तब इनकी अकल ठिकाने आएगी। इस चौपाल पर भी कुछ लोगों ने लिखा है कि हिन्दी में पूर्णविराम का उपयोग करने को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन हिन्दी में सदियों से वाक्यों की समाप्ति पूर्णविराम से हो रही है और जिन लोगों ने ऐसा किया था तो कुछ सोच समझ कर ही क्या होगा। जैसा की सभी जानते है कि अङ्ग्रेज़ी एक अपूर्ण और हीन भाषा है जिसमे ना तो शब्दों के उच्चारण का वर्तनी से कोई मेल है और ना ही वर्तनी का उच्चारण से। जिसकी जो समझ में आए बोलो और लिख दो। लेकिन हिन्दी एक वैज्ञानिक लिपि पर आधारित भाषा है। हिन्दी में किसी शब्द का केवल एक ही उच्चारण होता है जैसे वह लिखा जाता है। इसी प्रकार अङ्ग्रेज़ी में बड़े अवैज्ञानिक ढंग से बड़े और छोटे अक्षर प्रयुक्त होते हैं जिससे हर बार यह समस्या होती है कि किस शब्द को बड़े अक्षर से आरम्भ किया जाए और किसे छोटे अक्षर से। लेकिन हिन्दी में इसकी भी कोई समस्या नहीं है। इसलिए अङ्ग्रेज़ी में यदि एक छोटी सी बिन्दी लगाकर वाक्य समाप्त कर दो तो अगले वाक्य का पता चल जाता है क्योंकि अगला वाक्य बड़े अक्षर से आरम्भ हो रहा होता है। अब यदि किसी ने ध्यान दिया हो तो पाया होगा कि हिन्दी के वाक्य समान आकार वाले अक्षरों से ही आरम्भ होते हैं और इसलिए अगला वाक्य कहाँ आरम्भ हो रहा है को ढूँढने में समस्या होती है और इसलिए बिन्दू से वाक्य की समाप्ति हिन्दी में सही नहीं है। और यदि हिन्दी किसी दूरी वाले स्थान पर लिखी हो जैसे रेलवे स्टेशन इत्यादि पर तो दूर से पढ़ने वाले व्यक्ति की समझ में नहीं आएगा कि कहाँ वाक्य समाप्त हो रहा है और कहाँ से आरम्भ हो रहा है लेकिन पूर्णविराम होने से पता चल जाता है। लेकिन इन विदेशी कम्पनियों को तो केवल अपना काला साम्राज्य फैलाने से मतलब है और दुःख की बात तो यह है कि यहाँ के भाषा के जयचँद भी इस काम में बहुत तत्परता से इन विदेशियों का साथ दे रहे हैं। इन कम्पनियों को चीन ने औकात दिखा कर रखी है इसलिए ये चीन में ऐसी हरकतें नहीं करते हैं। अब भारत सरकार को भी कोई ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि भाषाई भ्रष्टाचार को और अधिक फैलने से रोका जा सके। रोहित रावत (वार्ता) 05:45, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई रोहित जी, आपसे सहमत हूँ कि 'महारानी के सेवक' हिन्दी विकि पर भी अपना 'काम' कर रहे हैं। इनके बारे में मैने वर्षों पहले सबको सचेत कर दिया था। विषयान्तर न हो, इसलिये अभी बस इतना ही! -- अनुनाद सिंहवार्ता 07:44, 17 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    लेख हटाने की बातें

    मेरा अन्तर्हृदय कहता है -आत्मप्रशंसा या प्रचार के लिए लिखे गए लेख हटाने का बिल क्रम्पटन का निर्णय सही था। विकिपीडिया थोडा-बहुत जो भी योगदान किये जाते हैं, प्रशंसनीय है। परंतु विकिपीडिया में योगदान के बहाने दो-चार संपादन करके अपने बारे में लिखने की बात केवल हिन्दी विकिपीडिया में ही नहीं, सभी विकियों में है। उल्लेखनीयता के जाँच के लिए विकिपीडिया में नियम(फॉर्मुला) निर्धारित है, उसी फॉर्मुले के अनुसार व्यक्ति की उल्लेखनीयता खोजी जाती है। उस खोज के परिणाम अनुसार लेख हटाए जाते हैं, यही काम बिल क्रंप्टन ने किया। किसी जीवित व्यक्ति के बारे में लेख बनाने से पहले सोचना चाहिए कि व्यक्ति कितना महत्वपूर्ण हैं, संदर्भ कैसे हैं। लेख उल्लेखनीय विषयों पर ही होने चाहिए। क्या उल्लेखनीय है और क्या नहीं, इसको लेकर विकिपीडिया पर हमेशा बहस जारी रहती है लेकिन यह तो स्पष्ट है कि पृथ्वी पर हर व्यक्ति के लिए लेख नहीं होना चाहिए। यह बात विकिपीडिया:स्वशिक्षा में दी गई है।

    लेखकों को अपने बारे में और अपनी उपलब्धियों के बारे में लेख नहीं लिखना चाहिए, क्योंकि यह एक "स्वार्थ संघर्ष" (कॉन्फ़्लिक्ट ऑफ़ इन्ट्रॅस्ट) की स्थिति बना देता है। अगर आपके कारनामें वास्तव में उल्लेखनीय हैं, तो धीरज रखिए। कभी न कभी, कोई न कोई आप पर लेख बना ही देगा - कृपया स्वयं न बनाइए ।

    क्या जीवित व्यक्ति जो अभी भी कोई नोकरी ( स्कूल, कॉलेज, मीडिया या कहीं पर भी हो) कर रहा हो, बारे में लिखी गई बातें ही हिन्दी विकि में ज्ञानकोष है? अन्य सारे विषय वस्तु नगण्य हैं? जीवनी के बारे में ही क्यों चिन्ता? मेरा सब लोगों से अनुरोध है कि सर्वसम्मत जीवनियों को ही रखा जाय बाँकी सभी जीवित कम महत्व के जीवनियों को हाल के लिए हटाया जाना चाहिए। ऐसे जीवनियों को हटाने से विकिपीडिया कमजोर नहीं होगा और सशक्त होगा। अनुशासित ढंग से काम होगा।भवानी गौतम (वार्ता) 15:04, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भवानी जी। आपका अंतर्हृदय ठीक कहता है। हिंदी विकिया पर उन्हीं व्यक्तियों के नाम के लेख होने चाहिए जिन्हें कम-से-कम १0-२0 शहरों के ५-१0 हजार लोग जानना चाहें। धीरज रखिए और ऐसे लेखों पर जिन्हें आप विकिया के अनुरूप न मानते हों उनपर नोटेबल का साँचा लगा दें। उनका परीक्षण कर उपयुक्त कार्य किया जाएगा। कम संख्या में सदस्यों और प्रबंधकों के सक्रीय रहने और ज्यादा ध्यान लेख निर्माण तथा विकास पर केंद्रित करने के कारण बहुत सी गलत चीजें रह जाती है। आप सरीखे सदस्यों की सहायता से हम उन्हें हटाने में और विकिया को बेहतर स्तर तक ले जाने में सफल होंगें। अनिरुद्ध  वार्ता  23:31, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    यह लेख जीवित व्यक्तियों पर बने हुये लेख है

    जिनमें अपना प्रचार किया गया है, इस तरह के लगभग एक हजार से भी अधिक लेख विकिपीडिया पर हैं, इनमें अनेक ऐसे हैं जो मंचों पर हिन्दी के नाम पर कमाई कर रहे हैं और हिन्दी के लिये इनका कोई योगदान नहीं है, फिर भी इनके लेख अभी तक हैं, भवानी गौतम जी मुझे केवल आप ही ऐसे व्यक्ति दिख रहे हो जो विकि के हित की सोच रहे हो इसलिए आपसे ही उम्मीद है, अनिरुद्ध, अनुनाद आदि तो बेकार में विकि पर घास छील रहे हैं, आप और क्रमप्टन जी मिलकर ऐसे लेखों को तुरन्त हटाने का काम करें, ये लेख व्यक्तिगत प्रशंसा की श्रेणी में आते हैं

    दीपक शर्मा

    दिनेश सिंह

    कुमार विश्वास

    कविता कौशिक

    गीतांजलिश्री

    अवनीश सिंह चौहान

    अशोक चक्रधर

    --Froklin (वार्ता) 15:30, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    Froklin जी किसी के साथ मिलने न मिलने या पक्ष लेने की बात नहीं है। मेरा विचार मैंने रखा। बाँकी काम प्रबन्धक और प्रशासक करेंगे। मेरा कहना है प्रबन्धक और प्रशासक जिन लेखों को सर्वसम्मति से रखना चाहेंगे रखेंगे यदि उनके बीच सर्वसम्मति नहीं बनती या सही संदर्भ नहीं दिए जाते उनको हटाएंगे। आप को क्या आपत्ति है? आपने जो भी नाम दिए हैं सभी (उल्लेखनीय) नोटेबल हैं, इनको हटाने की बात को मैं समर्थन नहीं कर सकता। अनिरुद्ध, अनुनाद का नाम क्यों उछाल रहे हैं? उन लोगों ने अपना परिचय हिन्दी विकि में नहीं डाला है, उन लोगों के योगदान से ही हिन्दी विकि इस मुकाम पर है। वे प्रबन्धक हैं, उन्हें ही बहस के बाद सम्मति बनाकर निष्पक्षता से निर्णय लेना है।-भवानी गौतम (वार्ता) 16:07, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    मिस्टर फ्रोक्लिन! पहले कुछ काम करिये, संवाद करने का बुनियादी तरीका सीखिये फिर अनुनाद जी, अनिरुद्ध जी, विलियम जी या भवानी जी को प्रमाणपत्र दीजिएगा। अनुनाद जी, अनिरुद्ध जी घास छील रहें हैं और विलियम जी जुताई में लगे हुए हैं। तो प्रभु, अब आप आ ही गये हैं बीजवपन कर दीजिए। विकि की फसल लहलहा उठेगी। यह इलहाम केवल आपको ही नहीं हुआ है कि कई लेख आत्मप्रशंसात्मक हैं। सभी सम्मानित और समर्पित सदस्य इसे सस्ता प्रचार और कुत्सित मनोवृत्ति ही मानते हैं। लेकिन इन्हें हटाने के अलावा भी कई महत्वपूर्ण कार्य लंबित हैं। --```` अजीत कुमार तिवारी वार्ता 18:36, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    फ्रोक्लिन जी, हिन्दी विकिपीडिया को नए और रचनात्मक योगदान देने वाले सदस्यों की जरूरत है। अभी लेखों को हटाने के लिए नामांकित करने की जगह नए लेख बनाएँ या बने हुए लेखों को सुधारें। मैं विकिपीडिया समाज की तरफ से आपका स्वागत करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप यहाँ अपना अमूल्य समय देंगे। वैसे जो लेख आपने नामांकित किए हैं वे प्रचार नहीं हैं, उदाहरण के लिए कविता कौशिक एक दूरदर्शन अभिनेत्री हैं, इसी प्रकार कुमार विश्वास प्रसिद्ध कवि और शिक्षक हैं। वैसे मैं आपका ध्न्यवाद ही करूँगा कि आपकी वजह से मेरी नजर इन लेखों पे पड़ी और शायद समय के साथ इन्हें सुधार भी दूँगा।<>< Bill william comptonTalk 22:57, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    फ़््रॉकलिन जी, विकिया सदस्यों की अकारण निंदा से बचिए। आप स्वयं द्वारा गिनाए गए हजार लेखों पर आत्मप्रचार की श्रेणी लगा दीजिए। इससे हमें उनकी परख करने में सुविधा होगी। आपके हर सकारात्मक कार्य का स्वागत है। और वर्तमान सूची में आपके द्वारा गिनाए गए व्यक्ति नोटेबल हैं। भले ही हम उनके कार्य से सहमत हों या असहमत। दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी और डाकू पर बने लेख भी विकिया के लिए उल्लेखनीय हैं। मिटाने से ज्यादा बनाने पर ध्यान दीजिए। अनिरुद्ध  वार्ता  23:13, 18 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    धन्यवाद आप सभी को, मैंने तो चौपाल पर आप लोगों की वार्ता को देख कर ही यह लिखा, मुझे भी यही लगता है कि लेख बनाये जाने चाहिए मिटाना कम होना चाहिए जब तक कि कोई बहुत खराब लेख न हो, जिन लेखों को बिलियम जी ने मिटाया है वह इन सब से अच्छा लेख था (आलोक श्रीवास्तव), यह ठीक नहीं है, मैं यही कहना चाह रहा हूँ। किसी को आहत करना मेरा उद्देश्य नहीं है, विकी पर सब लोग मिलकर और आपस में एकदूसरे का सहयोग करते हुए काम करें तो इसका भला होगा और दुनिया भर में अच्छा संदेश जाएगा, मैं जल्दी ही कुछ लेख बनाना चाहता हूँ। अजीत कुमार तिवारी जी आप ठीक कह रहे हैं कि मुझे अच्छी हिन्दी नहीं आती है, पर आपका यह शब्द ठीक लिखा है क्य - "आत्मप्रसंशात्मक" धन्यवाद। अजीत जी मेरे लिखे की व्यंजना तक आप नहीं पहुँचे और अभिधा में अनिरुद्ध और अनुनाद जी के सम्बंध में अर्थ निकाल पाये, इसीलिये आप आग बबूला हिकर आप यह लिख गये, खैर मैंने आपको समझ लिया है, धन्यवाद।--Froklin (वार्ता) 03:58, 19 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    आलेख

    डा० जगदीश व्योम जी, आप द्वारा बनाये जा रहे लेख "लोक संस्कृति" पर मैंने कादम्बिनी से लेकर आपके एक लेख का कुछ अंश जोड़ा है, कृपया अन्यथा न लें यदि उचित न लगे तो इस अंश को निकाल दीजियेगा, मुझे प्रासंगिक लगा इसलिये मैंने आपकी बिना अनुमति के यहाँ जोड़ दिया है।--आलोचक (वार्ता) 04:42, 19 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    आलोचक जी आपके वार्ता पृष्ठ पर आपके लिए संदेश है--डा० जगदीश व्योम (वार्ता) 07:28, 19 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    Lessons on community building

    Dear all, Assamese Wikipedia has seen phenomenal growth in the past one year. It currently has 31 active editors and 6 Wikiprojects (from 10 editors and no project in November 2011.) Their average monthly edits increased from 3000 in April 2011 to 5000 in November 2011. Congratulations, Assamese Community! India Program worked closely the Assamese community - and this work was part of Shiju's pilot focused on basic community building. There are several lessons for how small (and larger) communities can be built. It is worth reflecting on what inspired this progress, and to share these with all other communities.

    Lessons

    Strong communication: Like Shiju developed strong personal bonds with Assamese Wikipedians to guide them in their efforts, any community needs open communication, exchange of ideas and brainstorming to keep its projects going.
    Initial push: Some of us are experienced editors and some might need help getting started. Shiju helped conduct the first two outreach sessions in Assam and this gave the community confidence to do more.
    Encouraging collaboration: The basic idea of any Wikiproject is working together. A single editor can write many articles but a group of editors can manage a Wikiproject of hundreds of articles!
    Building capacity and confidence: What started with basic support, translations and outreach advice by Shiju resulted in a wonderful 10th anniversary celebration where all editors themselves confidently put forth ideas to promote Assamese Wikipedia.
    Healthy environment: Any organization, club or even a group of friends needs cooperation and productive inputs to progress. Like the Assamese Wikipedia family, young and old people from different walks of life who contribute selflessly to Wikipedia need that motivation to continue. Let's always strive to make it a pleasant experience.

    While this update focuses on how the Assamese community has successfully woven together a bunch of great friendships, collaborations and figured a great way of working toegether, these learnings could help every community think about what they could also do, or do more of!. If you want to discuss measures to build or improve your community or need our help to start a Wikiproject, you can write to Shiju (salex@wikimedia.org) or if you are interested in conducting outreach sessions, do reach out to Nitika (nitika@wikimedia.org) Noopur28 (वार्ता) 11:22, 20 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    निर्वाचित लेख

    निर्वाचित लेख की श्रेणी में बिल क्राम्टन जी ने मॉनमाउथ रेजिमेंटल संग्रहालय लेख को निर्वाचित करने के लिए प्रस्तुत किया है, लेख में कई अशुद्धियों के उपरान्त कई लोगों ने निर्वाचित होने के लिए समर्थन भी दे दिया है, लेख में कई अशुद्धियाँ अभी हैं, इस लेख के प्रस्ताव की भाषा देखें तो लगता नहीं कि यह भाषा ठीक है, भवानी गौतम जी तो पूर्ण समर्थन दे चुके हैं अपनी प्रशंसा के साथ, बिल जी की भाषा देखें, अनिरुद्ध जी, अनुनाद जी, भवानी गौतम जी, गंगा सहाय मीणा जी, जगदीश व्योम जी, अजीत कुमार तिवारी जी कृपया इसे देखें-

    "इस वर्ष का यह दूसरा निर्वाचित लेख उम्मीदवार है। लेख में पर्याप्त मात्र में संदर्भ हैं, चित्र हैं व कई विकिलिंक्स भी हैं। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि अपनी अमूल्य टिपणी यों की सहायता से इस लेख को निर्वाचित बनाने में मदद करें। अपने जो समय यहाँ आके टिप्पणियाँ करने में निकाला उसके लिए मेरा धनवाद स्वीकार करें।" --Froklin (वार्ता) 12:06, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    फ्रोकलिन जी, आप नए है शायद इसलिए आप यह नहीं जानते कि मेरी हिन्दी काफी कमजोर है। अनुनाद जी, अनिरुद्ध जी आदि इस बात से परिचित हैं। परन्तु मैं हमेशा यह प्रयास करता हूँ कि कम से कम गलतीयाँ करूँ। हिन्दी मेरी प्राथमिक भाषा नहीं है, मैंने इसे अपनी रूचि के लिए सीखा है। वैसे जो गलतीयाँ आपने बताई हैं उनका मुझे बोध है, ये गलतीयाँ ज्यादातर मैं जल्दी-जल्दी लिखने में कर देता हूँ। आपसे अनुरोध करूँगा कि नामांकन के प्रस्ताव की भाषा की बजाय अगर आप लेख में कमियाँ निकालेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि इससे लेख को सुधारने में मदद मिलेगी, धन्यवाद।<>< Bill william comptonTalk 04:39, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    मुझे इस लेख को 'निर्वाचित लेख' का प्रत्याशी बनाये जाने की मानसिकता को हतोत्साहित करने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। यह लेख वर्तनी और अनुवाद की शैली की दृष्टि से कितना प्रवाही है, इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता। किन्तु मैं जानना चाहता हूँ कि भारत और हिन्दी की दृष्टि से यह लेख कितना महत्वपूर्ण है। अभी तक स्वाभिमान और स्वतंत्र मानसिकता से युक्त किसी भी भाषा (अंग्रेजी को छोड़कर) में यह लेख नहीं है। यह भी संयोग नहीं है कि केवल एक दिन के अन्तराल पर यह लेख नेपाली और हिन्दी में निर्मित किया गया है। ब्रिटेन और अंग्रेजी के लिये तो यह बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है किन्तु क्या हमारे लिये भी है? कृपया यह न कहें कि 'ज्ञान का किसी भाषा से कोई सम्बन्ध नहीं है।' अनुनाद सिंहवार्ता 06:32, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनुनाद जी का सुझाव विचारणीय है-- froklin वार्ता 12:29, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनुनाद जी, सर्वप्रथम आपको एक यह बात समझनी होगी कि हिन्दी विकिपीडिया भारत की सम्पत्ति नहीं है, इसलिए भारत की दृष्टि से लेख को महत्वपूर्ण होने कि कोई आवश्यकता नहीं। आप, मैं व अन्य सदस्य विकिपीडिया पर स्वयंसेवक हैं हमारी राष्ट्रीयता से इस पर कोई असर नहीं पड़ता। विकिपीडिया अन्तराष्ट्रीय ज्ञानकोष है जिसमें विश्व भर का ज्ञान सम्मिलित होता है या होना चाहिए। आप से मैं पहले भी कह चुका हूँ कि अगर भारत में हिन्दी ज्यादा बोली जाती है तो इसका मतलब यह नहीं कि हिन्दी या हिन्दी से जुड़ी हर चीज भारत की हो गई। हिन्दी एक अन्तराष्ट्रीय भाषा है, इसके बोलने व पढ़ने वाले विश्व के कोने-कोने में पाए जाते हैं। जिस प्रकार जर्मन जर्मनी की सम्पत्ति नहीं, जापानी जापान की सम्पत्ति नहीं, उसी प्रकार हिन्दी भारत की सम्पत्ति नहीं है। और हिन्दी विकिपीडिया तो भारत से ज्यादा अमेरिका का है क्योंकि इसके सर्वर, इसको सम्हालने वाला स्टाफ, व इसपे लागू होने वाला कानून सब अमेरिका का ही है। इसका पंजीकरण भी फ्लोरिडा स्टेट से है, तो क्या इसका मतलब है कि यहाँ के सारे लेख अमेरिका "की दृष्टि से महत्वपूर्ण" होने चाहिए? नहीं, क्योंकि जैसा मैंने कहा कि विकिपीडिया अन्तराष्ट्रीय ज्ञानकोष है। जिस धारणा की आप बात कर रहें हैं व पक्षधर हैं उसे अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर सिस्टेमेटिक बायस या प्रणालीगत पक्षपात कहते हैं। वहाँ यह न चाहकर भी स्वयं उत्पन्न हो जाती है, परन्तु यहाँ तो आप इसका खुले आम पक्ष ले रहें हैं। वैसे आपने शायद ध्यान न दिया हो कि सम्बंधित लेख अंग्रेज़ी, नेपाली व हिन्दी के अलावा वेल्श विकिपीडिया पर भी है और अगर आपको यह कम लग रहाँ हो तो मैं आसानी से इसे फ़्रांसीसी, रोमन व फिज़ियन विकिपीडिया पे भी बना सकता हूँ। परन्तु अन्य विकिपीडिया परियोजनाओं पर लेख होने न होने से कुछ सिद्ध नहीं होता। आशा है कि आप विकिपीडिया की मूल परिभाषा को समझेंगे।<>< Bill william comptonTalk 12:42, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    काम्प्टन जी विकिपीडिया पर न भारत का अधिकार है और न आपका ही, यहाँ सब अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं, चूँकि हिन्दी संस्करण है तो स्वाभाविक है कि हिन्दी वाले ध्यान तो रखेंगे ही, अनुनाद जी भी यही कर रहे हैं लेकिन आप भी वही तो कर रहे हैं, आपने इस लेख को बनाकर तुरन्त निर्वाचित का उम्मीदवार बना दिया जबकि अनेक लेख बहुत अच्छे बने हुए हैं उन्हें निर्वाचित लेख का उम्मीदवार आपने नहीं बनाया, क्यों? जो हिन्दी जानते हैं उन्हें आप यहाँ से चले जाने के लिए षड्यन्त्र करते प्रतीत होते हैं, आश्चर्य होता है कि विकि पर सब मिलकर एक दूसरे का सहयोग करते हुए कार्य क्यों नहीं करते हैं? और निर्वाचित लेख क्या जरूरी है ? अच्छे लेख बने यह होना चाहिए। डा० जगदीश व्योम जी भी अब आपकी हाँ में हाँ मिलाते लग रहे हैं, आपके लेख को सुधार रहे हैं, वाह ! क्या बात है!-- froklin वार्ता 13:00, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    फ्रोकलिन जी, आपके इस प्रश्न "अनेक लेख बहुत अच्छे बने हुए हैं उन्हें निर्वाचित लेख का उम्मीदवार आपने नहीं बनाया" का उत्तर यह है कि विकिपीडिया सदस्य अपने कार्य के लिए स्वतंत्र हैं (जब तक वे किसी नियम का उल्लंघन न करें), मैं अपनी रूचि अनुसार लेख बनाता हूँ और यही कार्य अन्य सदस्य भी करते हैं। जैसे मैंने बताया कि विकिपीडिया पर हम स्वयंसेवक इसलिए कोई भी सदस्य बाध्य नहीं है कि वह किसी विशेष विषय से सबंधित ही अपना योगदान दे। "उन्हें निर्वाचित लेख का उम्मीदवार आपने नहीं बनाया", अगर आपको लगता है कि अन्य लेख भी निर्वाचित बन सकने लायक हैं तो आपका मैं स्वागत करता हूँ कि आप उन्हें नामांकित करें और मैं अवश्य ही अपनी टिप्पणियाँ दूँगा व उन्हें सुधारने में अपना पूरा सहयोग दूँगा। कौन सा षड्यन्त्र? यह आपके अपने विचार हैं और मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता, जो आपको सोचना है आप सोचें। आप नए हैं इसलिए विकिपीडिया के नियम व दिशानिर्देश आदि का ज्ञान नहीं रखते हैं, इसलिए आपके प्रति मैं कुछ नहीं कहना चाहता। "सब मिलकर एक दूसरे का सहयोग करते हुए कार्य क्यों नहीं करते हैं", मेरे द्वारा बनाए लेख में से जगदीश जी का अशुद्धियों को दूर करना क्या परस्पर सहयोग नहीं है? "मेरा लेख"? आप एक बात को समझलें कि विकिपीडिया किसी की जागीर नहीं है इसलिए मेरे द्वारा बनाया गया कोई भी लेख मेरा नहीं है, यह मुफ्त लाईसेंस द्वारा हर किसी को उपलब्ध है व इसमें सम्पादन करने के लिए मैं किसी को रोक भी नहीं सकता। "निर्वाचित लेख क्या जरूरी है", बल्कि निर्वाचित व अच्छी गुणवत्ता वाले लेखों की ही जरूरत है। किसी भी विकिपीडिया परियोजना का मूल्यांकन वहाँ पर उपलब्ध निर्वाचित विषयवस्तु व लेखों की गुणवत्ता से होता है, इसे Quality vs Quantity का विवाद कहते हैं। कुछ विकिपीडिया परियोजनाओं जैसे हिब्रू विकिपीडिया, ग्रीक विकिपीडिया व मलय विकिपीडिया, आदि जो लेखों की संख्या की तुलना में हिन्दी विकिपीडिया से भी छोटी हैं परन्तु उनकी गुणवत्ता हिन्दी विकिपीडिया से अधिक अच्छी मानी जाती है। जितना ज्यादा लेखों का स्तर अच्छा होगा उतना अधिक पाठक हिन्दी विकिपीडिया के लेखों को पढ़ना पसंद करेंगे, जिससे पन्नों को देखने के आँकड़े में बढ़ोतरी होगी तथा विकिपीडिया पर नए सदस्य आएँगे।<>< Bill william comptonTalk 13:56, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भाई क्राम्टन जी, मेरा सुझाव यह है कि 'विश्वकोश' की दुहाई देकर भारत को और गुलाम मत बनाइये। पहले ही यह गुलाम मानसिकता में बुरी तरह जकड़ा हुआ है। आपको अच्छी तरह पता है कि वेल्स कहाँ की भाषा है और वह किस दुनिया में है। जहाँ तक लेख की गुणवत्ता का प्रश्न है, वह पहले ही बखाना जा चुका है। -- अनुनाद सिंहवार्ता 15:35, 22 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    मित्रों चर्चा में असभ्य भाषा वा राजनैतिक भाषा का प्रयोग न करें तो अच्छा। विकिपीडिया में जो भी निर्णय लिया जाता है चर्चा के साथ मतदान (समर्थन वा विरोध) से किया जाता है, जिसमें समर्थन नहीं है, चर्चा के साथ विरोध    लिखें, सबको ज्ञात हो जाएगा। पूर्वाग्रह-प्रेरित होकर विचार रखना भी अच्छा नहीं होता।यहाँ तो एक "स्वार्थ संघर्ष" (कॉन्फ़्लिक्ट ऑफ़ इन्ट्रॅस्ट) लग रहा है। नये सदस्य कृपया यह पढें। -भवानी गौतम (वार्ता) 08:12, 23 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    देवनागरी लिपि के ए, ये, ई, यी का प्रयोग

    विकिपीडिया पर गए / गये, गई / गयी, आया / आई अर्थात् ए एवं ये तथा ई एवं यी के प्रयोग कैसे करें? यद्यपि इनके प्रयोग के देवनागरी लिपि के निश्चित नियम हैं, कई सदस्य पहले से बने लेखों को परिवर्तित कर रहे हैं, उचित होगा कि चौपाल पर यह चर्चा कर ली जाय ताकि एकरूपता रहे। इसी प्रकार अनुस्वार, अनुनासिक एवं पंचमाक्षर के प्रयोग पर भी चर्चा हो ताकि सभी एक जैसा ही लिखें। --आलोचक (वार्ता) 09:38, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    आलोचक जी ने सही प्रसंग उठाया है। इसपर चर्चा होनी चाहिए। मैंने जहाँतक पढा और देखा है और जो भाषाविज्ञान से संबन्धित है, वह इस प्रकार है: हिन्दी में क्रिया के अतिरिक्त अन्य शव्दों को बहुवचन करते समय (आ) को (ए) इसीप्रकार (का) को (के), (या) को (ये) आदि करते हैं। उदाहरण: लड़का=लड़के, बच्चा=बच्चे। परंतु क्रिया के रुपों को बहुवचन के साथ प्रयोग करते समय (या को ये ) नहीं बनाते। (या को ए) स्त्रीलिंग के साथ (या को ई) के रुप में प्रयोग करते हैं।

    1. गया=गए, आया=आए (गये, आये)
    2. गया=गई, आया=आई(स्त्रीलिंग)(गयी, आयी)
    3. हुआ=हुए, हुई (हुये, हुयी)

    यह सभी पाठयपुस्तकों में स्पष्ट रुप से दिया गया है। इसीप्रकार दीजिये, लीजिये, कीजिये शव्द भी गलत हैं, शुद्ध शव्द हैं: दीजिए, लीजिए, कीजिए। कृपया सीबीएसई के पाठ्य पुस्तकों में देखें। पञ्चम वर्ण का प्रयोग तत्सम(संस्कृत) शव्दों में होता है। भवानी गौतम (वार्ता) 10:00, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भवानी गौतम जी, सीबीएसई तो कोई पाठ्य पुस्तक लिखती ही नहीं है, आप किस पुस्तक की बात कर रहे हैं?-- froklin वार्ता 11:16, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    'या' से अन्त होने वाली भूतकालिक कृदन्त क्रियाओं के स्त्रीलिंग और बहुवचन रूप में 'ये' और 'यी' का प्रयोग होना चाहिए जैसे- 'आये', 'गयी', 'किये', 'गये', 'दिये', 'पिलायी', 'दिखायी', 'ललचायी' (क्रिया ) आदि।

    डा० भोलानाथ तिवारी के अनुसार-- froklin वार्ता 11:52, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    froklin जी मेरा समर्थन नहीं करना है, ठीक है, परंतु हिन्दी को मत बिगाड़िए, पहले सी बी एस सी द्वारा पाठचर्या में निर्धारित पुस्तकें पढ़ें, राष्ट्रीय हिन्दी संस्थान निर्मित पुस्तकें देखें। एन् सी आर टी की पुस्तकें देखें। हिन्दी में पहले से ही एक रुपता है। यदि कोई अज्ञानतावश मनमर्जी कहे या लिखे तो उसे नहीं रोक सकते।भवानी गौतम (वार्ता) 12:22, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    भवानी गौतम जी, समर्थन देने और न देने से यहाँ क्या अभिप्राय है.. यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है, तमाम लोगों को भ्रम है, आप भी फिर से देख लीजिए, जैसे आपने लिखा है- " राष्ट्रीय हिन्दी संस्थान निर्मित पुस्तकें देखें। एन् सी आर टी की पुस्तकें देखें" यहाँ देखें- "राष्ट्रीय हिन्दी संस्थान" नहीं है, यह है "राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्" तथा इसे " एन् सी आर टी" नहीं कहते हैं इसे " एन सी ई आर टी " कहते हैं। जल्दी में गलती हो जाती है जैसे आपने यह गलतियाँ कर दीं, यही समझना है, इस विषय में प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डा० भोलानाथ तिवारी की पुस्तक " हिन्दी वर्तनी की समस्याएँ" पृ० ३७ पढ़ लीजिए सब स्पष्ट हो जाएगा। हम सब हिन्दी विकि पर कार्य कर रहे हैं एक दूसरे का सहयोग कीजिए और यह मत मान कर चलिए कि आप से अधिक और कोई नहीं जानता है। -- froklin वार्ता 12:51, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    एन् सी आर टी का मेरा मतलब " एन सी ई आर टी " अथवा "राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्" ही है, आपका कहना ठीक है। लेकिन "राष्ट्रीय हिन्दी संस्थान" का मेरा मतलब "केन्द्रीय हिन्दी संस्थान" है।भवानी गौतम (वार्ता) 13:34, 24 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    सौन्दर्य प्रसाधन लेख

    अनुनाद जी एवं अन्य समस्त विद्वान मित्रो सौन्दर्य प्रसाधन नामक लेख में लिखा है कि- "भारत युगयुगांतर से धर्मप्रधान देश रहा है।" मुझे लगता है कि यह ठीक नहीं है, सही यह है कि भारत सदा से एक धर्मनिरपेक्ष देश रहा है। कृपया यहाँ चर्चा करें कि सही क्या है?-- froklin वार्ता 03:29, 23 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    २६ जनवरी १९५० से धर्म निरपेक्ष बना।भवानी गौतम (वार्ता) 07:55, 23 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    जरूरी नहीं है कि 'पंथनिरपेक्षता' और 'धर्मप्रधानता' एक-दूसरे के विलोम संस्कृति हों। 'एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति' (सत्य एक ही है, विद्वान लोग इसे अलग-अलग तरह से प्रस्तुत करते हैं।) यह पंथनिरपेक्षता का आधार-मंत्र है। 'धर्म' शब्द का अर्थ 'हिन्दू' , बौद्ध, 'मुसलमान', 'इसाई' आदि कभी रहा ही नहीं। धर्म का सनातन और मूल अर्थ 'धारण करने योग्य' रहा है। इसी अर्थ में यह पूरे भारतीय वाङ्मय में प्रयुक्त हुआ है। तुलसीदास लिखते हैं - "खल मंडली बसहुं दिन राती, सखा धरम निबहहिं केहि भांती" ।
    मनु ने तो धर्म के लक्षण गिनाए हैं जिनको जानकर आजके कट्टरतम सेक्युलर भी शर्म करेंगे-

    धृति: क्षमा दमोऽस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह: ।
    धीर्विद्या सत्‍यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्‌ ।। (मनुस्‍मृति ६.९२)

    ( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )
    वैसे तिवारी जी ने जल्दीबाजी करके इस विवाद को ही जड़ से मिटा दिया है। अब तो चर्चा करने के लिये मुद्दा ही नहीं बचा है।-- अनुनाद सिंहवार्ता 08:27, 23 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    नोटेबिलिटी का टेग

    अनिरुद्ध जी, अनुनाद जी, बिल काम्पटन जी ! आलोक श्रीवास्तव लेख में सन्दर्भ लगा दिये हैं, इस लेख से नोटेबिलिटी का टेग हटाने का कष्ट करें।--आलोचक (वार्ता) 13:04, 25 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    भाई आलोचक जी, मेरे विचार से आपने इस लेख को उल्लेखनीय सिद्ध करने के सारे उपाय कर दिये हैं। अब बिल महोदय से ही पूछ लीजिये (सूची मांगिये) कि उल्लेखनीय होने के लिये क्या-क्या और चाहिये। -- अनुनाद सिंहवार्ता 13:50, 25 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनुनाद जी, अनिरुद्ध जी, बिल काम्पटन जी ! मैं कुछ अन्य साहित्यकारों पर लेख बनाना चाह रहा हूँ, किसी लेख को बनाने में काफी समय लगता है और यह समय अपने व्यस्त समय में से किसी न किसी तरह से निकाला जाता है, यदि लेख बनाने के बाद उसे हटा दिया जाये तो श्रम तो व्यर्थ जाता ही है कार्य करने में मन भी नहीं लगता है। इसलिए उचित होगा कि आलोक श्रीवास्तव के लेख को उदाहरण के रूप में रख कर यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि लेख में क्या-क्या होना चाहिये ताकि उस पर कोई नोटेबिलिटी का टेग लगाने को विवश न हो, अन्य लोग भी चौपाल पर देख कर अपने बनाये हुए लेखों को सुधार सकेंगे। अतः बिल जी ! इस लेख में जो भी कमी रह गई हो, उसे अवश्य बतायें ताकि उसे पूरा किया जा सके और वह आपकी कसौटी पर खरा उतर सके।--आलोचक (वार्ता) 14:29, 25 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आलोचक जी मैं आपके कार्य की सराहना करता हूँ, परन्तु सम्बंधित लेख विकिपीडिया की नोटेबिलिटी निति का पालन नहीं करता और मैं इसके निम्न कारण भी दें रहाँ हूँ:
    • विकिपीडिया पर संदर्भ विश्वसनीय होने चाहिए। आप संदर्भ के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्र, उनकी वेबसाइट के लिंक, उल्लेखनीय लेखकों द्वारा लिखी किताबें, पत्रिकाएँ, आदि उपयोग में ला सकते हैं। परन्तु इस लेख में ऐसा कुछ भी नहीं है सर्वप्रथम ब्लॉग तो कभी भी लेख के अंदर संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल ही नहीं हों सकता, चूँकि ब्लॉग कोई भी लिख सकता है, kavitakosh.org विश्वसनीय स्रोत नहीं है चूँकि उसे कोई समाचार एजेंसी या उल्लेखनीय संगठन नहीं चलाता। लेख में आजतक के लिंक को छोड़ के अन्य सभी स्रोत विकिपीडिया के पंचशील का उल्लंघन करते हैं, परन्तु पुश्किन सम्मान स्वयं ही कितना उल्लेखनीय है उस पर भी सवाल हैं।
    • पुश्किन सम्मान के आलावा आलोक श्रीवास्तव ने कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है जिससे उन पर विकिपीडिया पर लेख बनाया जाए। चूँकि उन्हें जो अन्य पुरुस्कार या सम्मान मिलें हैं वे इतने विशाल नहीं हैं कि उनके प्राप्तकर्ता पर लेख बने। हाँ अगर इन्होंने ज्ञानपीठ जैसा कोई सम्मान मिला होता तो अवश्य ही ये उल्लेखनीय होते।
    अगर आप नोटेबिलिटी टैग हटाना चाहते हैं तो विश्वसनीय संदर्भ जोड़े। जैसे आजतक का लिंक दिया है वैसे ही लिंक दें। वैसे मैं भी कोशिश कर चुका हूँ परन्तु मुझे तो विषय से सम्बंधित कोई उल्लेखनीय जानकारी नहीं मिली थी।<>< Bill william comptonTalk 14:47, 25 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    क्राम्प्टन जी, 'विश्वसनीय' की सन्दर्भ सहित परिभाषा बताइये जो सबको स्वीकार्य हो तथा हिन्दी विकि पर कहीं लिखी गयी हो। कृपया यह भी बताइये कि 'आजतक' विश्वसनीय कैसे है और 'कविताकोष' कैसे विश्वसनीय नहीं है। तुलसीदास को ज्ञानपीठ या कोई और पुरस्कार नहीं मिला था फिर भी वे उल्लेखनीय कैसे हैं? कृपया जवाब दें। -- अनुनाद सिंहवार्ता 10:49, 26 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनुनाद जी, कविताकोष विकिपीडिया जैसी वेबसाइट है, जहाँ पर कोई भी संपादन कर सकता है। इस प्रकार यह विकिपीडिया की विश्वसनीय स्रोत की मूल परिभाषा का ही पालन नहीं करती। जिस प्रकार विकिपीडिया के लेखों को किसी भी ज्ञानकोष में संदर्भ की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाता उसी प्रकार अन्य स्रोत जहाँ पर संपादन करने की अनुमति सभी को है उसे भी विकिपीडिया पर विश्वसनीय स्रोत नहीं माना जाता। कविताकोष पर कोई भी अपनी रचनाएँ थोड़े पर्यत्न के साथ जोड़ सकता है, परन्तु विकिपीडिया पर इसकी अनुमति नहीं है जबतक विषय उल्लेखनीय न हो। रही बात आजतक के विश्वसनीय होने कि तो इसका कारण यह है कि आजतक एक राष्ट्रीय स्तर की हिन्दी समाचार वेबसाइट है और मोटे रूप से हर राष्ट्रीय स्तर की समाचार वेबसाइट जैसे बीबीसी, सीएनएन, एनबीसी, एनडीटीवी, सीटीवी, आदि विश्वसनीय स्रोत हैं।
    सर्वप्रथम बात यहाँ समकालीन युग की हो रही है इसलिए तुलसीदास का नाम लेने का तो कोई अर्थ निकलता ही नहीं। दूसरा, अगर आप ध्यान से मेरे लेखन को पढ़ेंगे तो पाएँगें कि मैने लिखा है "ज्ञानपीठ जैसा कोई सम्मान" न कि केवल ज्ञानपीठ। और वहाँ पर मेरा अभिप्राय आलोक श्रीवास्तव के द्वारा जीते गए अन्य पुरूस्कारों से तुलना करने से था, मैने यह तो कभी कहा ही नहीं कि केवल पुरुस्कार प्राप्तकर्ता ही उल्लेखनीय हैं। साहित्य पुरुस्कार कई तरह के होते हैं, कुछ अन्तराष्ट्रीय, कुछ राष्ट्रीय स्तर के। राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकारी या गैर-सरकारी। मुख्यतः सारे राष्ट्रीय स्तर के सरकारी पुरुस्कार प्रतिष्ठित होते है इसलिए उनके प्राप्तकर्ता को उल्लेखनीय कहा जा सकता है परन्तु गैर-सरकारी पुरुस्कार, जो व्यापक रूप से विभिन्न स्रोतों द्वारा कवर किए जाते है व समाज में अलग स्थान रखते हैं, उन्हें ही प्रतिष्ठित माना जाता है। आलोक श्रीवास्तव को जो सम्मान मिले हैं उनका स्तर देखें, लगभग सभी दिल्ली, मुम्बई, मेरठ, आदि शहरी स्तर के हैं, इन्हें कोई स्वतंत्र व द्वितीयक या तृतीयक स्रोत कवर नहीं करता इसलिए इन पुरूस्कारों के प्राप्तकर्ता को हम उल्लेखनीय नहीं कह सकते। तुलसीदास, सूरदास, कबीर, चंदबरदाई, महावीर प्रसाद द्विवेदी, आदि ने कोई पुरुस्कार न जीता हों परन्तु हिन्दी साहित्य को उनका दिया योगदान ही इतना विशाल है कि उनकी उल्लेखनीयता सिद्ध करने के लिए किसी पुरुस्कार या सम्मान की आवश्यकता नहीं और यह विचार मेरे अपने नहीं अपितु विश्वसनीय स्रोतों के हैं। पुरुस्कार जीतने का मापदंड जब प्रयोग में लाया जाता है जब विषय के बारे में कुछ और उल्लेखनीय हो ही न, जैसे आलोक श्रीवास्तव के संदर्भ में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है।<>< Bill william comptonTalk 13:18, 26 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    बिल काम्प्टन जी, मैंने चौपाल पर १८ जून को कुछ लेख सुझाये थे कि ये लेख भी नोटेबिल नहीं हैं, और आपने वहाँ लिखा है कि -

    "वैसे जो लेख आपने नामांकित किए हैं वे प्रचार नहीं हैं, उदाहरण के लिए कविता कौशिक एक दूरदर्शन अभिनेत्री हैं, इसी प्रकार कुमार विश्वास प्रसिद्ध कवि और शिक्षक हैं" कुछ और लेख भी हैं जिनके नाम ऊपर दिये हैं वे वास्तव में ऊल्लेखनीय नहीं हैं, पर आपने उन्हें ऊल्लेखनीय मान लिया क्योंकि नाम मैंने सुझाये थे, आज आप आलोक श्रीवास्तव के लिये लिख रहे हैं कि इन्हें ज्ञानपीठ या इस तरह का पुरस्कार नहीं मिला, इसलिये नोटेबिल नहीं हैं, (आपने लिखा है) कविता कौशिक दूरदर्शन में अभिनेत्री हैं और कुमार विश्वास कवि हैं पर इनमें से ज्ञानपीठ तो किसी को नहीं मिला है, यह दोहरी नीतियाँ और पूर्वाग्रह विकि के लिये ठीक नहीं है, आश्चर्य हो रहा है कि आप इस तरह से दो प्रकार की बातें लिख रहे हैं और, किस का लेख रहना चाहिये और किसका नहीं प्रश्न इस बात का नहीं है, विकि की नीति एक होनी चाहिये, स्पष्ट हो जाये तो उसी तरह के लेख बनाये जायें जो विकि का मानदण्ड हो, पर आप एक तरफ अवनीश सिंह चौहान को भी नौटेबिल मान रहे हैं वहीं आलोक श्रीवास्तव जैसे कवि को नोटेबिल नहीं मान रहे हैं। अनिरुद्ध जी और अनुनाद जी आप लोग विकि पर काफी वरिष्ठ हैं और काफी गम्भीरता से कार्य कर रहे हैं कृपया आप इस बहस को गम्भीरता से लें अन्यथा बिल जी की इस नोटेबिल की परिभाषा से विकि से अनेक लेख हटाने होंगे, आलोचक जी ने जो मुद्दा उठाया है उसे सपष्ट करने में आप लोग सहयोग कीजिये ताकि विकि पर कार्य करने वालों का श्रम बेकार न जाये।-- froklin वार्ता 13:45, 26 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    froklin, आप पहले ठीक से मेरे लिखे लेखन को पढ़ना सीखें। मैने साफ़-साफ़ कहा है कि "यह तो कभी कहा ही नहीं कि केवल पुरुस्कार प्राप्तकर्ता ही उल्लेखनीय हैं" और "पुरुस्कार जीतने का मापदंड जब प्रयोग में लाया जाता है जब विषय के बारे में कुछ और उल्लेखनीय हो ही न"। कविता कौशिक और कुमार विश्वास दोनों को ही विश्वसनीय और स्वतंत्र स्रोतों द्वारा कवर किए हुए हैं, उनके लिए पुरूस्कार जीतने के मापदंड की कोई आवश्यकता नहीं, वैसे अगर आपने अगर थोड़ा पर्यत्न करके बिना तर्कहीन बात करे ध्यान दिया होता तो आप पाते कि कविता कौशिक को ज़ी गोल्ड पुरस्कार, इंडियन टेली पुरस्कार, इंडियन टेलीविजन अकादमी पुरस्कार, और ग्लोबल इंडियन फ़िल्म और टीवी ऑनर्स, आदि मिलें हुए हैं। आप बस व्यर्थ कि बात करते हैं तथ्य आपके पास कोई होता नहीं। मैने कभी "दो प्रकार की बातें" नहीं लिखीं, आखें खोल के देखें मैने लिखा है "पुरुस्कार जीतने का मापदंड जब प्रयोग में लाया जाता है जब विषय के बारे में कुछ और उल्लेखनीय हो ही न"। जब कविता कौशिक या कुमार विश्वास के बारे में पहले ही इतने उल्लेखनीय तथ्य हैं कि उनके लिए इस मापदंड की आवश्यकता नहीं।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 04:17, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    काम्प्टन आप दूसरे की बात को समझना सीखें, जिस तरह की जिद तथा भाषा का प्रयोग आप यहाँ कर रहे हैं वह उचित नहीं है, आप क्या तर्क और कुतर्क नौटेबिल के लिए देते हैं इसे तमाम लोग पढ़ रहे हैं, लगता है कि आपसे तो बात करना ही बेकार है, विकिपीडिया को आप जाने अनजाने बहुत नुकसान पहुँचा रहे हैं, विकि किसी एक काम्पटन से नहीं चलती है इसे अच्छा बनाने के लिए बहुत सारे लोग चाहिए होते हैं और आप सबको हतोत्साहित कर रहे हैं और अहंकारी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, आश्चर्य है कि एक प्रबंधक होकर आप इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, अवनीश सिंह चौहान नोटेबिल हैं और आलोक नहीं, यह कुतर्क नहीं है तो और क्या है? अब आप से बात करना ही बेकार है - froklin वार्ता 04:52, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    पहले आप अपनी भाषा में सुधार लाएँ। मैने कब कहा कि अवनीश सिंह चौहान नोटेबल है या नहीं? अपनी तरफ से बाते न बनाएँ। मैने बस कविता कौशिक और कुमार विश्वास की उल्लेखनीयता के बारे में अपने विचार रखें थे। आपके सुझाएँ अन्य लेखों व उनके विषयों के बारे में मैं ज्ञान नहीं रखता इसलिए मैने बस इन दो का ही उदहारण दिया था। मैं किस प्रकार का नुकसान पहुँचा रहा हूँ? मेरे द्वारा किया गया हर कार्य विकिपीडिया की नीतियों व दिशा-निर्देशों के अनुसार होता है। मेरे द्वारा हटाए गए लेख पृष्ठ हटाने की नीति के अनुसार होते हैं। अगर मैं इनका पालन करता हूँ तो क्या मैं विकि को नुकसान पहुँचा रहा हूँ? विकिपीडिया कोई मजाक नहीं है जहाँ हर किसी पर लेख बनाएँ जाए। उल्लेखनीयता जैसी भी कोई चीज होती है। "सबको हतोत्साहित कर रहे हैं"? किस को हतोत्साहित करा मैने? जिस पृष्ठ को लेकर यह सारा विवाद खड़ा हुआ है मैने उस पृष्ठ के निर्माता व विषय से निवेदन किया था कि लेख में विश्वसनीय स्रोत डालें अन्यथा विषय उल्लेखनीय न होने के कारण लेख हटा दिया जाएगा। विकिपीडिया एक ज्ञानकोष है जहाँ केवल उल्लेखनीय विषयों पर लेख बनाए जाते हैं और इन विषयों की उल्लेखनीयता विश्वसनीय स्रोतों द्वारा सिद्ध होती है। अगर आपको मेरी किसी बात से ठेस पहुँची हों तो मुझे माफ करें, मेरी इच्छा आपको ठेस पहुँचाने या हतोत्साहित करने की नहीं थी। मैं बस विकिपीडिया की नीतियों और इसकी मूल संरचना का पालन कर रहाँ हूँ।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 05:23, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    बिल महोदय, मुझे अच्छी तरह पता है कि तुलसीदास किस युग में हुए थे और उस युग में ज्ञानपीठ पुरस्कार था या नहीं। प्रश्न यह है कि किसी की उल्लेखनीयता का पैमाना 'अमुक-अमुक' पुरस्कार प्राप्त करना है या नहीं। यह लिखित रूप में कहीं विद्यमान है या आपकी इच्छानुसार बदलता रहेगा? विकिपीडिया में उल्लेखनीयता के कुछ लिखित मापदण्ड हों तो उन्हें बताइये। हिन्दी के कवि को मेरठ और प्रयाग से पुरस्कार नहीं मिलेंगे तो क्या लन्दन से मिलेंगे? -- अनुनाद सिंहवार्ता 14:08, 26 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आप क्यों ठीक से किसी के लेखन को नहीं पढ़तें। मैने साफ़-साफ़ लिखा है कि "पुरुस्कार जीतने का मापदंड जब प्रयोग में लाया जाता है जब विषय के बारे में कुछ और उल्लेखनीय हो ही न", इसमें बार-बार पूछने से क्या फ़ायदा? मेरी इच्छा अनुसार कुछ नहीं बदल रहा है, विकिपीडिया:उल्लेखनीयता पढ़े और विस्तार में पढ़ना है तो अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर देखें। हिन्दी के कवि को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल सकता है उसे लंदन जाने की क्या आवश्यकता। हर छोटे-मोटे पुरुस्कार का विजेता नोटेबल नहीं बन जाता। आप इतनी सी बात क्यों नहीं समझते कि अगर कोई नोटेबल है तो उसके बारे में अवश्य ही द्वितीयक या तृतीयक स्रोतों में जानकारी मिलेगी।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 04:17, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    बिल महोदय, लोगों को क्यों बेमतलब इधर-उधर भटकाते रहते हैं? विकिपीडिया:उल्लेखनीयता पृष्ट पर 'ज्ञानपीठ' या 'ज्ञानपीठ जैसा' या ' साहित्य अकादमी पुरस्कार' का कहीं उल्लेख नहीं है। यह तो आपके मन की उपज है। आपके मन के अन्दर स्थित भ्रमों को विकिपिडिया के मानदण्ड मन मान लीजिये। -- अनुनाद सिंहवार्ता 07:36, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    यह निहित है इसमें विशेष रूप से लिखने की आवश्यकता नहीं। हर विकिपीडिया की यही निति होती है कि केवल प्रतिष्ठित पुरुस्कारों के प्राप्तकर्ता को ही उल्लेखनीय माना जाए। इतनी सी बात समझ ने के लिए किसी विशेष ज्ञान या योग्यता की तो आवश्यकता है नहीं। आपको उल्लेखनीयता का अर्थ समझने में इतनी समस्या क्यों हो रही है? अगर हिन्दी विकिपीडिया पर संबंधित दिशानिर्देश नहीं हैं या पूरी तरह से लिखें नहीं हुए इसका मतलब यह नहीं कि इनके अभाव में हर कोई अपनी मर्जी से लेख बनाए और उल्लेखनीयता कि अपनी खुद की परिभाषा बनाले। विकिपीडिया ज्ञानकोष है न कि कविताकोश की तरह की कोई वेबसाइट जहाँ हर किसी छोटे-मोटे कवि या लेखक पर भी लेख बनाए जाए। यह बिमारी मैने यही पर देखी है, अंग्रेज़ी, फ़्रांसीसी, रोमन, सिम्पल, आदि विकिपीडिया पर केवल उल्लेखनीय व्यक्तियों पर ही लेख बनते हैं इसलिए वे सफ़ल भी है और हिन्दी विकिपीडिया में दस वर्षों के पश्चात भी मुख्य भाग अभी भी गैर-ज्ञानकोषीय है। ज्यादातर लेखों में संदर्भ नहीं, तो कौन इनकी विश्वसनीयता पर विश्वास करेगा? हर छोटे-मोटे लेखक, कवि, आदि पर लेख बने हुए है जबकि कितने ही मुख्य विषय अभी भी अनछुए है। जिसका मन करे अपने ऊपर लेख बना लेता है और आप जैसे सदस्य उन लेखों के पहरेदार बन जाते हैं। मैं चुनौती के साथ कहता हूँ किसी अन्य सम्मानजनक विकिपरियोजना पर यही लेख बना के देखें और न इसे हटा दिया जाएगा परन्तु हिन्दी विकिपीडिया पर सब कुछ रखा जाएगा क्योंकि यहाँ ज्यादा लेख बनाने की दौड़ जो लगी हुई है चाहे इसके लिए ज्ञानकोष की गुणवत्ता कितनी भी गिर जाए। छोटी-छोटी विकिपरियोजनाओं की गुणवत्ता यहाँ से अच्छी है तो यहाँ गुणवत्ता पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? मलयालम और तमिल विकिपीडिया पर भी दिशानिर्देश एकदम साफ़ होते हैं, यहाँ कुछ भी साफ़ नहीं जिसका जो मन करे वो बनाते जाओ। यही कारण है कि इतने अधिक हिन्दीभाषी होने के पश्चात भी हिन्दी विकिपीडिया पर इतने कम सक्रिय सदस्य हैं, जबकि मलयालम के कम मूल भाषी होने के पश्चात भी ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 14:39, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    निहित तो बहुत कुछ हो सकता है। उसकी कोई सीमा नहीं है। यह 'निहित-निहित' का खेल खत्म कीजिये। भावुक मत बनिये। आपकी मनमानी के लिये अब कुतर्क पर उतर आये। हिन्दी विकि बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। यह एक अच्छा ज्ञानकोष बन चुका है। 'महारानी के सेवक' इसे 'गुलाम विकि' बनाने में जुटे हुए हैं। केवल यही सबके लिये चिन्ता का विषय होना चाहिये।-- अनुनाद सिंहवार्ता 03:51, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    आलोक श्रिवास्तव पर बना हुआ लेख अन्य हजारों कलाकारों की तुलना में अधिक उपयुक्त है। आलोचक जी। आप निश्चिंत रहें। ब्लॉग, या कविताकोश का परिचय उपयुक्त संदर्भ नहीं है। किंतु लेख के तथ्य स्वयं उसकी उल्लेखनीयता की ओर संकेत दे दे ते हैं। संदर्भ आज नहीं तो कल लग ही जाएंगें। यह लेख नहीं मिटेगा। आप निश्चिंत होकर मेहनत करें। और विकिया पर किया गया श्रम स्थायी रूप से नहीं मिटता है। इसलिए यदि कभी मिटा भी दिया जाय तो उसकी पुनर्वापसी के अवसर हमेशा रहते हैं। मैं बहुत पहले से इस पक्ष का समर्थक हूँ कि यदि लेख में कल संदर्भ, तथ्य चित्र आदी चिजें जुड़कर बेहतर हो सकती हैं तो उसे रहने देना चाहिए। यद्यपि यह भी ठीक है कि जिवित व्यक्तियों के लेख के लिए उपयुक्त मापदंड तय करना पड़ेगा। अभी लेख पर उल्लेखनियता का टैब रहने दें। सम्मान की रिपोर्टींग, या कैसेटों या सीडी का भी संदर्भ के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। अनिरुद्ध  वार्ता  05:32, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनिरुद्ध जी ! धन्यवाद आपकी सकारात्मक टिप्पणी एवं प्रोत्साहनयुक्त संवाद के लिये। कोई लेख विशेष विकिपीडिया पर रहे या न रहे यह मेरी चिन्ता का विषय नहीं है पर किसी लेख पर समय दिया जाये और फिर उसे कोई यूँ ही एक झटके में मिटा दे तो किया गया श्रम व्यर्थ हो जाता है, यह मेरी चिन्ता है। मुझे यह आभास होता कि काम्पटन जी आलोक श्रीवास्तव के लेख को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेंगे और चौपाल पर यह सब लिखने में इतना समय बेकार होगा जितने में कुछ अन्य लेख बनाये जा सकते थे तो मैं यह लेख कदापि नहीं बनाता। खैर मेरे पास अनेक सन्दर्भ आलोक वाले लेख के लिये हैं जिन्हें शीघ्र ही वहाँ लगा दूँगा।--आलोचक (वार्ता) 03:28, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    अनिरुद्ध जी, अनुनाद जी, बिल काम्टन जी ! आलोक श्रीवास्तव लेख में कई और सन्दर्भ लगा दिये हैं, एक बार आप लोग देख लीजिये यदि सन्तुष्ट हों तो ठीक है अन्यथा और सन्दर्भों की तलाश की जाय, धन्यवाद।--आलोचक (वार्ता) 15:56, 29 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    Presenting Chatasabha

    नमस्कार,

    अंरेजी मैं लिखने के लिये माफ़ि चाहता हुं ।

    New editors across Indic Wikipedias often face problems while editing for which need they help. However, most don't know where they can ask questions or get clarifications as they are usually unfamiliar with village pumps or mailing lists or even talk pages on basic editing. Many existing editors want to help new editors and could appreciate a central place where they can meet and help new editors. India Program has started a pilot to support the Odia community's help desk, Chatasabha. (Incidentally, "Chata" means student and "Sabha" means community, in Odia.) This pilot will build on the community's existing efforts - and seeks to provide a structured way of designing and running a Help Desk. It takes learnings from English Wikipedia's Tea House as well as other experiences on Help Desk and similar services.


    The Help Desk that is being piloted is user friendly, has guidelines to provide simple answers to new editors and tries to manage the work load of existing community members by providing ready answers to frequently asked questions. The user friendliness of the Help Desk is in the form of being able to ask questions without getting stuck on Wiki markups as well as illustrated answers to some questions.

    I have put a page on meta which has the pilot design. Eventually, we would like to help other Indic languages build similar Help Desks. Please do provide your feedback on the talk page.

    --Subha WMF (वार्ता) 04:22, 26 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    निवेदन

    नमस्कार सभी को ! मैं हिन्दी विकिपीडिया पर काम करना चाहता हूँ, अनेक दिनो से इसे देखता रहा हूँ, आप सभी की सहायता भी मिलेगी यह भरोसा है।--<>< William ball klintonवार्ता 02:48, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    क्लिन्टन जी हिन्दी विकी पर आपका स्वागत है काम करना शुरू कीजिये आपको जो भी सहायता चाहिये हम लोग अवश्य ही देंगे। आपका Krantmlverma (वार्ता) 09:46, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    एक गुमनाम क्रान्तिकारी लाला हनुमन्त सहाय पर मेरा नया लेख

    हिन्दी विकीपीडिया के सभी पाठक व सम्पादक बन्धुओ! एक गुमनाम क्रान्तिकारी लाला हनुमन्त सहाय पर मैंने यह लेख पहले अंग्रेजी विकीपीडिया पर यहाँ बनाया था। उसे किसी कारणवश वहाँ स्वीकृति नहीं मिली। अस्तु, मैंने उसी लेख का स्वयं मैनुअली हिन्दी अनुवाद करके यहाँ हिन्दी विकीपीडिया पर डाला है। आपसे अनुरोध है कि इसे बारीकी से जाँचें और यदि कोई त्रुटि या आवश्यक सामग्री ध्यान में आये तो मेरे वार्ता पृष्ठ पर या फिर इस लेख के वार्ता पृष्ठ पर इसी स्थान पर बतलाने की कृपा करें। एक बात और यदि किसी को लाला हनुमन्त सहाय की जन्म-तिथि व मृत्यु-तिथि के बारे में अधिकृत जानकारी हो तो कृपया अवश्य बतलाने का कष्ट करें जिससे कि उसे इस लेख में दिया जा सके। धन्यवाद, Krantmlverma (वार्ता) 09:46, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    वर्मा जी, देश के सच्चे सपूतों को गुमनाम बनाने की योजनाबद्ध कोशिशें हुईँ। आपके इस कार्य से किसी गुमनाम सपूत की जीवनी प्रकाश में आयी, इससे अच्छा क्या हो सकता है। शुभकामनाएँ। -- अनुनाद सिंहवार्ता 13:09, 27 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    यह तो हमारा धर्म है प्रियवर! मैं एक बात प्राय: कहा करता हूँ "अपने लिये सभी जीते हैं,अपनी चिन्ता सभी करें; उनके लिये कौन जीता है,जो हम सबके लिये मरे?" बहरहाल आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद अनुनाद जी ! डॉ०क्रान्त एम०एल०वर्मा (वार्ता) 05:41, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]


    लाला हनुमन्त सहाय पर श्रीकृष्ण सरल ने काफी लिखा है, उनके लिखे क्रान्ति गंगा नामक विशाल ग्रंथ में लाला हनुमन्त सहाय पर एक लम्बी कविता सरल जी ने लिखी है।--आलोचक (वार्ता) 04:21, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    सरल जी ने वह पुस्तक जब वे जीवित थे, मुझे भेजी थी; मेरे नोएडा वाले घर के पुस्तकालय में सुरक्षित है। जानकारी के लिये धन्यवाद आलोचक जी ! डॉ०क्रान्त एम०एल०वर्मा (वार्ता) 05:41, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    Why you are adding useless biography of the people who are not important, please add the science and other important article which can help us gaining knowledge. Only adding biography is not only useless but also fool-ness. Mr. Krantmlverma & अनुनाद सिंह don't be so orthodox.
    प्रिय शिखंडी महोदय, जिन्होने देश की आजादी के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उनकी जीवनी हमारे लिये 'प्रकाश-स्तम्भ' का काम करेगी। आप सबसे पहले अनुनाद सिंह के द्वारा किये गये वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी, तकनीकी, गणित-सम्बन्धी, चिकित्सा-सम्बन्धी तथा अन्य योगदानों की सूची देखिये । मुझे पता है आप 'महारानी के सच्चे सेवक' हैं इसलिये आपकी राय का कितना महत्व है, हम जानते हैं। -- अनुनाद सिंहवार्ता 03:59, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]
    प्रिय अनुनाद सिंह भैया, शिखंडी का मतलब् क्या है ? जिस्ने देश की आजादी के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उनकी जीवनी डालो, फल्तु क्यों डाल रहे हो?

    जिंदा आदमि जिसका कोइ योगदान् नहि उसका हटाओ, हिंदी विकिपिडिया राजनिति करने के लिये है क्या? -पन्कज्धुन

    मुहम्मद अली जिन्ना पर एक लेख किसी ने कम्प्यूटर द्वारा अनूदित करके हिन्दी विकीपीडिया पर डाला गया था चूँकि उसकी सारी सामग्री निरर्थक थी अत: उसे हटा दिया गया है। इसके स्थान पर हिन्दी विकीपीडिया में दूसरा लेख पहले से ही मौजूद था मोहम्मद अली जिन्ना, इस मुहम्मद अली जिन्ना नामक लेख में जो काम की सामग्री थी उसका विलय मोहम्मद अली जिन्ना लेख में कर दिया है। कृपया देख लें और विलय वाला टैग हटा दें। धन्यवाद डॉ०क्रान्त एम०एल०वर्मा (वार्ता) 05:41, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    विकिपीडिया:मोहम्मद अली जिन्नाह

    अंग्रेजी नाम के स्वरूप मैं मोहम्मद अली जिन्ना के पन्ने को मोहम्मद अली जिन्नाह बनाना चाहता था परन्तु यह अब विकिपीडिया:मोहम्मद अली जिन्नाह हो गया है। कृपया इसे ठीक कीजिये. धन्यवाद। Hindustanilanguage (वार्ता) 06:49, 28 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    ठीक हो गय।भवानी गौतम (वार्ता) 13:10, 29 जून 2012 (UTC)[उत्तर दें]

    वार्ता दिशानिर्देश

    सभी को नमस्कार।

    विकिपीडिया पर चर्चा एवं वार्ता सम्बंधित कुछ दिशानिर्देशों सहित विकिपीडिया:वार्ता दिशानिर्देश पृष्ठ बनाया है ताकि नए सदस्य इसका फ़ायदा उठा सकें, और समुदाय में चर्चा सम्बंधी निर्देशों को एक जगह इकट्ठा किया ज सके। इसमें सुधार करने के लिये सभी सदस्यों का स्वागत है। यदि ये उपयुक्त हो तो {{वार्ता शीर्षक}} में talk page guidelines की जगह इसकी कड़ी जोड़ दी जाए। धन्यवाद--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 13:18, 2 जुलाई 2012 (UTC)[उत्तर दें]