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[[संगणक विज्ञान]] मे तन्त्रांश सार्थक [[क्रमादेश|क्रमादेशों]] और जारुरी [[सुचनाओ|सुचना (संगणक विज्ञान)]] का एक एसा तंत्र जो संगणक के [[यन्त्रांश]] और दुसरे तन्त्रांशो को आदेश देकर [[क्रमादेशक]] का मनचाहा काम कारता है।
[[संगणक विज्ञान]] मे तन्त्रांश सार्थक [[क्रमादेश|क्रमादेशों]] और जारुरी [[सुचना (संगणक विज्ञान)|सुचनाओ]] का एक एसा तंत्र जो संगणक के [[यन्त्रांश]] और दुसरे तन्त्रांशो को आदेश देकर [[क्रमादेशक]] का मनचाहा काम कारता है।


== तन्त्रांश का इतिहास ==
== तन्त्रांश का इतिहास ==

16:16, 16 जून 2012 का अवतरण

संगणक विज्ञान मे तन्त्रांश सार्थक क्रमादेशों और जारुरी सुचनाओ का एक एसा तंत्र जो संगणक के यन्त्रांश और दुसरे तन्त्रांशो को आदेश देकर क्रमादेशक का मनचाहा काम कारता है।

तन्त्रांश का इतिहास

द्वैध निर्देशो का समय

पहले एक कार्य के लिये एक ही संगणक तंत्र होता था और उसे यन्त्रिक स्थर पर क्रमादेश दिये जाते थे जिन्हें बदलना आर्थिक रूप से निर्थक था। तकनीक के विकास के साथ ऐसे यन्त्रांश बनाना तकनीकी रूप से संभव और आर्थिक रूप से लाभदायक हो सका। प्रारंभिक संगणक तंत्रो को कर्मादेश देना बहुत कठिन था क्योकिं उस समय यह सिद्धांत कि तन्त्रांश भी सुचनाओ का एक समुह जो किसी यन्त्रांश की स्मृति मे सुरक्षित रहे, प्रारम्भिक अवस्था मे था। तब 'पंच कार्ड' नामक साधारन से यन्त्रांश पर संगणक के यन्त्रांश को दिये जाने वाले क्रमादेश के निर्देश सिधे लिखे जाते थे। संगणक के यन्त्रांश को सभी निर्देश केवल दो अंको- '०' और '१' के मदद से दिये जाते थे। इसे द्वैध निर्देश कहते है, द्वैध रूप के ही क्रमादेशो को ही यन्त्रांश लागु कर सकता है।


तन्त्रांश के प्रकार

तकनीकी दृष्टि से तन्त्रांश के तीन प्रकार होते हैं ।

तन्त्रांश कैसे सुरक्षित होता है

तन्त्रांश कानून में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अन्दर सुरक्षित होता है। ट्रिप्स में सात प्रकार के बौधिक सम्पदा अधिकार के बारे में चर्चा की गयी है इसमें तीन प्रकार के अधिकार, यानी की कॉपीराइट (Copyright), ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret), तथा पेटेंट (Patent या एकस्व), कंप्यूटर तन्त्रांश को प्रभावित करते हैं। तन्त्रांश को पेटेंट कराने का मुद्दा विवादास्पद है तथा कुछ कठिन भी। इसकी चर्चा हम अलग से पेटेंट एवं कमप्यूटर तन्त्रांश के अन्दर की गई है।

  • कॉपीराइट के प्रकार: ‘सोर्स कोड और ऑबजेक्ट कोड’ शीर्षक के अन्दर पर चर्चा की थी कि आजकल सोर्सकोड उच्चस्तरीय संगणक भाषाओं (high level languages) में अंग्रेजी भाषा के शब्दों एवं वर्णमाला का प्रयोग करते हुये लिखा जाता है। यह उस तन्त्रांश के कार्य करने के ठंग को बताता है तथा यह एक प्रकार का वर्णन है। यदि, इसे प्रकाशित किया जाता है तो उस तन्त्रांश के मालिक या जिसने उसे लिखा है उसका कॉपीराइट होता है।

ऑबजेक्ट कोड कम्प‍यूटर को चलाता है और यह सदा प्रकाशित होता है, परन्तु क्या यह किसी चीज़ का वर्णन है अथवा नहीं इस बारे में शंका थी। ट्रिप्स के समझौते के अन्दर यह कहा गया कि कंप्यूटर प्रोग्राम को कॉपीराइट के समान सुरक्षित किया जाय। इसलिये ऑबजेक्ट कोड हमारे देश में तथा संसार के अन्य देशों में इसी प्रकार से सुरक्षित किया गया है।

कंप्यूटर प्रोग्राम के ऑबजेक्ट कोड तो प्रकाशित होतें हैं पर सबके सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं। जिन कमप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित किये जाते हैं उनमें तो वे कॉपीराइट से सुरक्षित होते हैं। पर जिन कंप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं वे ट्रेड सीक्रेट की तरह सुरक्षित होते हैं।

  • ट्रेड सीक्रेट की तरह: मालिकाना कंप्यूटर प्रोग्राम में समान्यत: सोर्स कोड प्रकाशित नहीं नही किया जाता है तथा वे सोर्स कोड को ट्रेड सीक्रेट की तरह ही सुरक्षित करते हैं। यह भी सोचने की बात है कि वे सोर्स कोड क्यों नही प्रकाशित करते हैं?

सोर्स कोड से ऑबजेक्ट कोड कम्पाईल (compile) करना आसान है; यह हमेशा किया जाता है और इसी तरह प्रोग्राम लिखा जाता है। पर इसका उलटा यानि कि ऑबजेक्ट कोड से सोर्स कोड मालुम करना असम्भ्व तो नहीं पर बहुत मुश्किल तथा महंगा है। इस पर रिवर्स इन्जीनियरिंग का कानून भी लागू होता है। इसी लिये सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किया जाता है। इसे गोपनीय रख कर, इसे ज्यादा आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है। रिवर्स इन्जीनियरिंग भी रोचक विषय है, इसके बारे पर फिर कभी।

  • पेटेन्ट की तरह: ‘बौधिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights)’ शीर्षक में चर्चा हुई थी कि तन्त्रांश को पेटेन्ट के द्वारा भी सुरक्षित करने के भी तरीके हैं कई मालिकाना तन्त्रांश इस तरह से भी सुरक्षित हैं पर यह न केवल विवादास्पद हैं, पर कुछ कठिन भी हैं। इसके बारे में फिर कभी।
  • सविंदा कानून के द्वारा: सविंदा कानून(Contract Act) भी तन्त्रांश की सुरक्षा में महत्वपूण भूमिका निभाता है। आप इस धोखे में न रहें कि आप कोई तन्त्रांश खरीदते हैं। आप तो केवल उसको प्रयोग करने के लिये लाइसेंस लेते हैंl आप उसे किस तरह से प्रयोग कर सकते हैं यह उसकी शर्तों पर निर्भर करता है । लाइसेंस की शर्तें महत्वपूण हैं। यह सविंदा कानून के अन्दर आता है।

ओपेन सोर्स सौफ्टवेर में सोर्स कोड हमेशा प्रकाशित होता है। इसके लिखने वाले इस पर किस तरह का अधिकार रखते हैं यह लाइसेंसों की शर्तों पर निर्भर करता है, जिनके अन्तर्गत वे प्रकाशित किये जाते हैं। ओपेन सोर्स सौफ्टवेर में कुछ लाइसेन्स की शर्तें उसे कॉपीलेफ्ट (Copyleft) करती हैं। इसे फ्री सॉफ्टवेर या जीपीएल्ड सॉफ्टवेर (GPLed) भी कहा जाता है। इन सोफ्ट्वेयर को कोइ भी व्यक्ती मुफ्त मे डाउनलोड कर सकता है , इस्तेमाल कर सकता है, वितरित कर सकता है एवम इसमे अपनी जरूरत के मुताबिक बदलाव भी कर सकता है । ओपन सोर्स सोफ्टवेयर केवल मशीनी सामग्री भर न हो कर तकनीक ,विग्यान और कला का अदभुत सन्गम है । इसने कम्प्युटर जगत मे एक क्रान्ति की शुरुआत कर दी है । केवल ओपन सोर्स सोफ्टवेयर ही सम्पूर्ण विश्व मे अधिकाधिक लोगो तक कम्प्यूटर तकनीक को पहुच्हाने के सपने को पूरा करता है ।

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