"दक्खिनी": अवतरणों में अंतर
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→जोग़्राफ़ीयाई तक़सीम: तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश |
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इस बोली को बोलने वालों की ज़्यादा तर तादाद [[दक्कन]] में है। रियासत [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[आंध्र प्रदेश]] और [[तमिलनाडु]] में कसीर तादाद में बोली जाती है। |
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== हवाला जात == |
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07:55, 9 जून 2012 का अवतरण
दक्खिनी हिन्दी-- दक्खिनी हिंदी मूलतः हिंदी का ही पूर्व रूप हे ,जिस का विकास ईसा की १४वी शती से १८बी शती तक दक्खिन के बहमनी ,क़ुतुब शाही और आदिल शाही आदि राज्यों के सुल्तानों के संरक्षण मैं हुआ था .वह मूलतः दिल्ली के आस पास की हरियाणी एवं खडी बोली ही थी जिस पर ब्रज अवधी,और पंजाबी के साथ-साथ मराठी,गुजराती तथा दक्षिण की सहवर्ती भाषाओं तेलुगु तथा कन्नड आदि का भी प्रभाव पडा था और इसने अरबी फारसी तथा तुर्की आदि के भी शब्द ग्रहण किए थे .यह मुख्यत फारसी लिपि में ही लिखी जाती थी. इस के कवियों ने इस भाषा को मुख्यत हिंदवी हिंदी और दक्खिनी ही कहा था. इसे एक प्रकार से आधुनिक हिंदी और उर्दु की पूवगामी भाषा कहा जासकता हॆ.
डॉ. परमानंद पांचाल
भौगोलिक वितरण
इस भाषा के अधिकांश भाषी भारत के दक्कन में मिलते हैं, जहाँ वस्तुतः मध्यकालीन व उत्तरमध्यकालीन भारत के तत्कालीन मुस्लिम राज्यों के क्षेत्र हैं, जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु के कुछ भाग।
दक्कनी :Dakhni (Hindi: दक्खिनी dakkʰinī), also known as Dakkhani, Deccani (Urdu: दक्कनी) : ये बोली उर्दू ज़बान की एक अहम बोली है, जो जनूबी हिंदूस्तान में बोली जाती है।
इस बोली पर जोग़्राफ़ीयाई अएततबार से, अलॉक़ाई ज़बानों की तासीर नज़र आती है। जैसे, रियासत आंध्र प्रदेश की उर्दू पर तेलुगू का थोड़ा असर पाया जाता है। इसी तरह महाराष्ट्र की उर्दू पर मराठी का, कर्नाटक की उर्दू पर कन्नड़ का, और ताम्मुल नाड़िदो की उर्दू पर ताम्मुल का। लेकिन मुकम्मल तौर पर जनूबी हिंद में बोली जानी वाली दक्कनी एक ख़सूसी अंदाज़ की उर्दू है, जिस में मराठी, तेलुगू ज़बानों का मेल पाया जाता है।
जोग़्राफ़ीयाई तक़सीम
इस बोली को बोलने वालों की ज़्यादा तर तादाद दक्कन में है। रियासत महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कसीर तादाद में बोली जाती है।