"असमिया भाषा": अवतरणों में अंतर

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असमिया (অসমিয়া)
অসমীয়া Ôxômiya
बोली जाती है भारत (असम और अन्य पास के राज्य), बांग्लादेश, भूटान
कुल बोलने वाले १.५ करोड़
भाषा परिवार हिन्द-इरानी
आधिकारिक स्तर
आधिकारिक भाषा घोषित असम (भारत)
नियामक कोई आधिकारिक नियमन नहीं
भाषा कूट
ISO 639-1 as
ISO 639-2 asm
ISO 639-3 asm
Indic script
Indic script
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असमिया भारत के असम प्रांत में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कांडाली के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कांडाली के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा।

असमिया साहित्य की १६वी सदी से १९वीं सदी तक की काव्य धारा को छह भागों में बाँट सकते हैं।

  • महाकाव्यों व पुराणों के अनुवाद
  • काव्य या पुराणों की कहानियाँ
  • गीत
  • निरपेक्ष व उपयोगितावादी काव्य
  • जीवनियों पर आधारित काव्य
  • धार्मिक कथा काव्य या संग्रह

असमिया की पारंपरिक कविता उच्चवर्ग तक ही सीमित थी। भर्तृदेव (१५५८-१६३८) ने असमिया गद्य साहित्य को सुगठित रूप प्रदान किया। दामोदर देव ने प्रमुख जीवनियाँ लिखीं। पुरुषोत्तम ठाकुर ने व्याकरण पर काम किया। अठारहवी शती के तीन दशक तक साहित्य में विशेष परिवर्तन दिखाई नहीं दिए। उसके बाद चालीस वर्षों तक असमिया साहित्य पर बांग्ला का वर्चस्व बना रहा। असमिया को जीवन प्रदान करने में चंद्र कुमार अग्रवाल (१८५८-१९३८), लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ (१८६७-१८३८), व हेमचंद्र गोस्वामी (१८७२-१९२८) का योगदान रहा। असमिया में छायावादी आंदोलन छेड़ने वाली मासिक पत्रिका जोनाकी का प्रारंभ इन्हीं लोगों ने किया था। उन्नीसवीं शताब्दी के उपन्यासकार पद्मनाभ गोहेन बरुआ और रजनीकंत बार्दोलोई ने ऐतिहासिक उपन्यास लिखे। सामाजिक उपन्यास के क्षेत्र में देवाचंद्र तालुकदारबीना बरुआ का नाम प्रमुखता से आता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य को मृत्यंजय उपन्यास के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस भाषा में क्षेत्रीय व जीवनी रूप में भी बहुत से उपन्यास लिखे गए हैं। ४०वे व ५०वें दशक की कविताएँ व गद्य मार्क्सवादी विचारधारा से भी प्रभावित दिखाई देती है।

यह भी देखें

बाहरी कड़ियाँ