"बाइज़ेंटाइन साम्राज्य": अवतरणों में अंतर

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rom samraje ka patan nirkush shashako dwara hi hone laga tha. agastas sizar ke paschat rome ka visatar ruk sa gaya. Okteviyan sizar ne rome ko ek sutr me band rakha tha. prantu shasako ne uske vistar me koi sahayat nahi di.

05:32, 31 जनवरी 2012 का अवतरण

बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी कॉन्स्टैन्टिनोप्ल थी, जो वर्तमान तुर्की में था और अब जिसे इस्तांबुल कहा जाता है। पश्चिमी रोमन साम्राज्य के विपरीत, इसके लोग यूनानी बोलते थे, नाकि लैटिन और यूनानी संस्कृति और पहचान का प्रभुत्व था। यह साम्राज्य लगभग ३२४ ई से १४५३ ई तक (एक हजार वर्षों से अधिक) अस्तित्व में रहा।

'बाइजेंटाइन साम्राज्य' या 'बाइजेंटियम' का इस्तेमाल 19वि सदी से मध्यकाल के ग्रीक भाषा बोने वाले रोमन साम्राज्य के लिए किया जाता था जो की वहां की राजधानी कोंस्तान्तिनोपाल के आसपास बसा था । इस साम्राज्य को पूर्वी रोमन साम्राज्य के नाम से भी जाना जाता था । इस राज्य के रहने वालों के लिए ये सिर्फ रोमन साम्राज्य के नाम से जान जाता था और यहाँ से शासकों ने रोमन शाशकों पर बहुत कब्ज़े किये । इस्लाम की दुनिया में ये 'रोमानिया' के नाम से जाना जाता था ।

राज्य की शुरुआत के बारे में कुछ भी निश्चित जानकारी नहीं है । बहुत लोग शहंशाह कोन्स्तान्तिन I (reigned 306–337) को पहला बीजान्टिन शासक मानते हैं । ये वो ही थे जिसने 330 में रोम को बदलकर बिजिन्तिऊम को राजधानी बना दिया,और इसको नया नाम कोंस्तान्तिनोपाल या फिर 'नया रोम' नाम दिया । कुछ लोग इस साम्राज्य की शुरुआत को थेओदोस्सिस (379–395) के राज्य की शुरुआत के वक्त को मानते हैं । साम्राज्य के गिरने की शुरुआत तब मानी जाती है जब ओट्टोमन तुर्कों ने कोंस्तान्तिनोपाल पर 1453 में कब्ज़ा कर लिया, पर ग्रीकों का राज साम्राज्य के दुसरे हिस्सों में कुछ और सालों तक चलता रहा जब तक मिस्त्रास 1460 में और ट्रेबिजोंद 1461 में गिर गए ।

साम्राज्य का प्रारम्भ (३३० से ४७६ ईसापूर्व)


साम्राज्य पर विप्पत्ति (४७६ से ७१७ ईसापूर्व)

पश्चिम में लड़ाईयाँ

पूर्व में लड़ाईयाँ

साम्राज्य की बहाली (७१७ से १०२५ ईसापूर्व)

पश्चिम में बहाली

पूर्व में बहाली

साम्राज्य का पतन (१०२५ से १४५३ ईसापूर्व)



rom samraje ka patan nirkush shashako dwara hi hone laga tha. agastas sizar ke paschat rome ka visatar ruk sa gaya. Okteviyan sizar ne rome ko ek sutr me band rakha tha. prantu shasako ne uske vistar me koi sahayat nahi di.