"रोमन लिपि": अवतरणों में अंतर
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23:41, 15 अगस्त 2011 का अवतरण
रोमन लिपि लिखावट का वो तरीका है जिसमें अंग्रेज़ी सहित पश्चिमी और मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ लिखी जाती हैं, जैसे जर्मन, फ़्रांसिसी, स्पैनिश, पुर्तगाली, इतालवी, डच, नॉर्वेजियन, स्वीडिश, रोमानियाई, इत्यादि । ये बायें से दायें लिखी और पढ़ी जाती है ।
अंग्रेज़ी के अलावा लगभग सारी यूरोपीय भाषाएँ रोमन लिपि के कुछ अक्षरों पर अतिरिक्त चिन्ह भी प्रयुक्त करते हैं ।
इतिहास
असल में रोमन लिपि लातिनी भाषा के लिये ही बनी थी, यानी कि लातिनी की अपनी लिपि है । इसलिये इसका हरेक अक्षर लगभग हमेशा एक ही उच्चारण देता है (अंग्रेज़ी की तरह गड़बड़-घोटाला नहीं होता) । अति-प्राचीन रोमन लिपि ये थी -
स्वर के ऊपर समतल रेखा (Macron) का अर्थ होता था कि स्वर दीर्घ है , पर इसे लिखना ज़रूरी नहीं माना जाता था । बाद में यूनानी भाषा के उधार के शब्द लाने के लिये यूनानी लिपि से ये अक्षर लिये गये : K (क), Y (इयु), Z (ज़) । व्यंजन "उअ" के लिये V प्रयुक्त किया जाने लगा और स्वर "उ" के लिये U । इसके भी कुछ बाद J (य) और W (व) जुड़े । छोटे अक्षरों के रुप (a, b, c, d, e, f, g, h, i, j, k, l, m, n, o, p, q, r, s, t, u, v, w, x, y, z) मध्ययुग में आये । पश्चिम और मध्य यूरोप की सारी भाषाओं ने लिखावट के लिये रोमन लिपि अपना ली ।अंग्रेज़ी
रोमन लिपि में लिखी हुई अंग्रेज़ी और उसके उच्चारण में बहुत ज़्यादा गड़बड़ घोटाला है । इसकी वजह है :
- रोमन लिपि को प्राचीन अंग्रेज़ों ने उधार लिया था अपनी भाषा लिखने के लिये । ये अंग्रेज़ी की अपनी लिपि नहीं है ।
- मध्ययुग में अंग्रेज़ी भाषा में महा स्वर समारोपण (en:Great vowel shift) हुआ । इस वजह से ज़्यागातर मध्ययुगीन अंग्रेज़ी के शब्दों में विवृत स्वर उटकर संवृत स्वर में बदल गये । संवृत स्वर नीचे गिरकर द्विमात्रिक स्वरों में बदल गये । पर उन शब्दों की स्पेलिंग वैसी की वैसी ही रहीं ।
- अंग्रेज़ी का मानकीकरण होने के बाद स्पेलिंग परिवर्तन और भी कठिन हो गया ।
अन्य यूरोपीय भाषाओं में लिखावट और उच्चारण में उतना भेद नहीं है, और अगर है भी तो उसके अच्छे ख़ासे नियम कनून होते हैं ।
रोमन लिपि की अवैज्ञानिकता
- रोमन लिपि में एक ही अल्फ़ाबेट के कई उच्चारण होते हैं। जैसे c कहीं 'क' कहीं 'च' कहीं 'स' होता है।
- एक ही उच्चारण कई अल्फ़ाबेट्स या उनके समूह से होता है - जैसे क का उच्चारण 'k' से (kill), 'ch' से (school) , 'C' से (Coat),
'Ck' से (Check) या 'Q' (Cheque) होता है।
- बहुत से अल्फाबेट उच्चारित ही नहीं होते (silent रहते हैं) - जैसे listen का उच्चारण 'लिसेन्' होता है नकि 'लिस्टेन' ।
- अल्फ़ाबेटों का नाम कुछ है और उनका उच्चारण कुछ और होता है। जैसे 'h' का नाम "एच" और उच्चारण "ह" होता है। 'w' का नाम 'डब्लू' या 'डबल्यू' है लेकिन उच्चारण 'व' होता है।
- रोमन में 'स्माल लेटर' और 'कैपिटल लेटर' की झंझट है। कैपिटल लेटर के प्रयोग बहुत कम हैं तथा ये काम 'स्माल लेटर' से भी हो सकते थे। उदाहरण के लिये व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का आरम्भ कैपिटल लेटर से करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। इसी प्रकार वाक्य के आरम्भ का पहला वर्ण कैपिटल से लिखने का भी कोई औचित्य नहीं है। (बोलने में तो ऐसा नहीं कर सकते, फिर लिखने में क्यों?)
- अक्षरों का आकार छोटा-बड़ा होता है।
- बहुत सी ध्वनियों के लिये कोई अल्फ़ाबेट नहीं है। जैसे च, श, थ़, वग़ैराह।
- कई अल्फ़ाबेट एक-दूसरे से काफ़ी मिलते-जुलते हैं (विशेषत: 'कर्सिव लेखन में) जिससे एक के बजाय दूसरे का भ्रम होता है।
यह भी देखें
अक्षर : | A | B | C | D | E | F | G | H | I | L | M | N | O | P | Q | R | S | T | V | X |
उच्चारण (लातिनी) : | अ (आ) | ब | क | द | ए (ऍ) | फ़ | ग | ह | इ (ई, य) | ल | म | न | ओ (ऑ) | प | क्व | र | स | त | उ (ऊ, उअ) | क्स |