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वाणिज्य की दुनिया में किसी उत्पाद के विकास की परिकल्पना (conception) करने का प्रभाग (phrase) अनुसंधान एवं विकास कहलाता है। इसका अर्थ है कि उत्पाद बनाने के लिये आवश्यक 'मूलभूत विज्ञान' पता होना चाहिये या यदि इस ज्ञान का अभाव है तो इसकी 'खोज' की जानी चाहिये - यह अनुसंधान का फेज कहलायेगा। किन्तु यदि उत्पाद से सम्बन्धित विज्ञान मौजूद है तो इस ज्ञान को एक उपयोगी उत्पाद में बदलना भी एक बड़ा काम होता है जिसे 'विकास' कहते हैं। अलग शब्दों में 'विकास' के लिये 'प्रौद्योगिकी' शब्द का भी प्रयोग किया जाता है जिसका मुख्य ध्येय उचित मूल्य, उचित आकार, उचित उर्जा-खपत आदि की प्राप्ति होता है।
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