"मानव प्रजातियां": अवतरणों में अंतर

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प्रकाति का तात्पर्य वर्तमान मेधावी मानव जी जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से हैं, जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता हैं । किसी प्रजातिय वर्ग जे सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं । प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता क्रोबर के अनुसार "प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं । यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं । यह सामाजिक -सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं ।"
प्रजाति का तात्पर्य वर्तमान मेधावी [[मानव]] की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से हैं, जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता हैं । किसी प्रजातिय वर्ग जे सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं । प्रसिद्ध [[भूगोलवेत्ता]] क्रोबर के अनुसार "प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं । यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं । यह सामाजिक -सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं ।"


==प्रजाति की उत्पत्ति तथा विकास के कारक==
==प्रजाति की उत्पत्ति तथा विकास के कारक==

16:31, 7 सितंबर 2007 का अवतरण

प्रजाति का तात्पर्य वर्तमान मेधावी मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से हैं, जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता हैं । किसी प्रजातिय वर्ग जे सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं । प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता क्रोबर के अनुसार "प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं । यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं । यह सामाजिक -सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं ।"

प्रजाति की उत्पत्ति तथा विकास के कारक

प्रजाति निर्धारण के शारीरिक लक्षण

मानव प्रजातियों का वर्गिकरण

  1. नार्डिक
  2. अल्पाइन
  3. भूमध्य्सागारीय प्रजाति