"ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन": अवतरणों में अंतर

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एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार बढती गई
एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार बढती गई

सन 2018 में, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में [[प्रकाश आम्बेडकर]] की नयी पार्टी [[वंचित बहुजन आघाड़ी]] के साथ गठबंधन किया हैं। यह राजनीतिक दल महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के कुल 48 सीटों में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और औरंगाबाद की 1 सिट पर एआईएमआईएम लढ रहा है।<ref>{{Cite web|url=https://hindi.indiatvnews.com/elections/lok-sabha-chunav-2019-maharashtra-asaduddin-owaisi-prakash-ambedkar-bjp-shivsena-632313|title=महाराष्ट्र में BJP-शिवसेना के लिए कितनी गंभीर है अंबेडकर-ओवैसी की चुनौती?|date=Apr 14, 2019|website=India TV Hindi|accessdate=Apr 25, 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://hindi.news18.com/news/maharashtra/mumbai-bjp-shivsena-will-get-advantage-in-loksabha-election-2019-after-prakash-ambedkar-break-alliance-hope-with-congress-dlpg-1753129.html|title=प्रकाश आंबेडकर के अकेले चुनाव लड़ने से बीजेपी-शिवसेना को होगा फायदा– News18 हिंदी|date=2019-03-12|website=News18 India|access-date=2019-04-19}}</ref>


==सांप्रदायिकता का आरोप==
==सांप्रदायिकता का आरोप==

17:21, 3 मई 2019 का अवतरण

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम (हिंदी अनुवादः अखिल भारतीय मुस्लिम संघ) भारत सरकार के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त राजकीय राजनीतिक दल है,[1][2] जिसका हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है, जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई थी।।[3] एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'राज्य पार्टी' के रूप में मान्यता प्राप्त की। इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैं।[4]

इतिहास

मजलिस के इतिहास को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। 1928 में नवाब महमूद नवाज़ खान के हाथों स्थापना से लेकर 1948 तक जबकि यह संगठन हैदराबाद को एक अलग मुस्लिम राज्य बनाए रखने की वकालत करता था। इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद हिंसक संगठन के सरगना भी थे। एमआईएम को खड़ा करने में इन रजाकारों की अहम भूमिका थी।[5] रजाकार और एमआईएम ये दोनों ही संगठन हैदराबाद के देशद्रोही और गद्दार निजाम के कट्टर समर्थक थे।[6] यही वजह है कि जब 1947 में देश आजाद हुआ तो हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का कासिम रिजवी और उसके पैरामिल्ट्री संगठन यानी रजाकारों ने जमकर विरोध भी किया था। उस पर 1948 में हैदराबाद स्टेट के भारत में विलय के बाद भारत सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया था।[7]

और दूसरा भाग जो 1957 में इस पार्टी की बहाली के बाद शुरू हुआ जब उस ने अपने नाम में "ऑल इंडिया" जोड़ा और साथ ही अपने संविधान को बदला. कासिम राजवी ने, जो हैदराबाद राज्य के विरुद्ध भारत सरकार की कारवाई के समय मजलिस के अध्यक्ष थे और गिरफ्तार कर लिए गए थे, पाकिस्तान चले जाने से पहले इस पार्टी की बागडोर उस समय के एक मशहूर वकील अब्दुल वहाद ओवैसी के हवाले कर गए थे.

उसके बाद से यह पार्टी इसी परिवार के हाथ में रही है. अब्दुल वाहेद के बाद सलाहुद्दीन ओवैसी उसके अध्यक्ष बने और अब उनके पुत्र असदुद्दीन ओवैसी उस के अध्यक्ष और सांसद हैं जब उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी विधान सभा में पार्टी के नेता हैं.

इस परिवार और मजलिस के नेताओं पर यह आरोप लगते रहे हैं की वो अपने भड़काओ भाषणों से हैदराबाद में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं. लेकिन दूसरी और मजलिस के समर्थक उसे भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों का जवाब देने वाली शक्ति के रूप में देखते हैं.

राजनैतिक शक्ति के साथ साथ ओवैसी परिवार के साधन और संपत्ति में भी ज़बरदस्त वृद्धि हुई है जिसमें एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, कई दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी शामिल हैं.

एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार बढती गई

सन 2018 में, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में प्रकाश आम्बेडकर की नयी पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन किया हैं। यह राजनीतिक दल महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के कुल 48 सीटों में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और औरंगाबाद की 1 सिट पर एआईएमआईएम लढ रहा है।[8][9]

सांप्रदायिकता का आरोप

बढ़ती हुई लोकप्रियता के साथ साथ सलाहुद्दीन ओवैसी "सलार-ए-मिल्लत" (मुसलमानों के नेता) के नाम से मशहूर हुए. वर्ष 1984 में वो पहली बार हैदराबाद से लोक सभा के लिए चुने गए साथ ही विधान सभा में भी उस के सदस्यों की संख्या बढती गई हालाँकि कई बार इस पार्टी पर एक सांप्रदायिक दल होने के आरोप लगे लेकिन आंध्र प्रदेश की बड़ी राजनैतिक पार्टिया कांग्रेस और तेलुगुदेसम दोनों ने अलग अलग समय पर उससे गठबंधन बनाए रखा.

दिलचस्प बात यह है की हैदराबाद नगरपालिका में यह गठबंधन अभी भी जारी है और कांग्रेस के समर्थन से ही मजलिस को मेयर का पद मिला है.

2009 के चुनाव में एइएमइएम ने विधान सभा की सात सीटें जीतीं जो की उसे अपने इतिहास में मिलने वाली सब से ज्यादा सीटें थीं. कांग्रेस के साथ उस की लगभग 12 वर्ष से चली आ रही दोस्ती में दो महीने पहले उस समय अचानक दरार पड़ गई जब चारमीनार के निकट एक मंदिर के निर्माण के विषय ने एक विस्फोटक मोड़ ले लिया.

मजलिस ने कांग्रेस सरकार पर मुस्लिम-विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया और उस से अपना समर्थन वापस ले लिया. अकबरुद्दीन ओवैसी के तथाकथित भाषण को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ है और जिस तरह उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज गया है उसे कांग्रेस और मजलिस के टकराव के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है.

अधिकतर हैदराबाद तक सीमित मजलिस अब अपना प्रभाव आंध्र प्रदेश के दूसरे जिलों और पडोसी राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैलाने की कोशिश कर रही है.

हाल ही में उस ने महाराष्ट्र के नांदेड़ नगर पालिका में 11 सीटें जीत कर हलचल मचा दी है. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस इस संभावना से परेशान है कि 2014 के चुनाव में एइएमइएम जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है. अकबरुद्दीन ओवैसी की गिरफ्तारी के बाद तो मजलिस और कांग्रेस के बीच किसी समझौते की सम्भावना नहीं रह गई.

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Telangana: Several Plots, subplots for muslim votes in Hyderabad & beyond".
  2. "Telangana assembly elections 2018: MIM eyes clean sweep, muscles into 8th fort".
  3. "कौन हैं ओवैसी?".
  4. "India should have at least 60 Muslim MPs: Asaduddin Owaisi".
  5. "Telangana polls: BJP borrows from Hyderabad history to recast Modi as Vallabhbhai Patel, paints KCR as 'new Nizam'".
  6. "This day, that year: How Hyderabad became a part of the union of India".
  7. "Accession of Hyderabad: When a battle by cables forced the Nizam's hand".
  8. "महाराष्ट्र में BJP-शिवसेना के लिए कितनी गंभीर है अंबेडकर-ओवैसी की चुनौती?". India TV Hindi. Apr 14, 2019. अभिगमन तिथि Apr 25, 2019.
  9. "प्रकाश आंबेडकर के अकेले चुनाव लड़ने से बीजेपी-शिवसेना को होगा फायदा– News18 हिंदी". News18 India. 2019-03-12. अभिगमन तिथि 2019-04-19.

बाहरी कड़ियाँ