"नवबौद्ध": अवतरणों में अंतर
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'''नवबौद्ध''' (अंग्रेजी: ''Neo Buddhist'') यह [[भारत सरकार]] एवं राज्य सरकारों द्वारा भारत के धर्म परिवर्तित कर बौद्ध बने हुए लोगो के लिए इस्तेमाल किये जाने वाली एक "सरकारी संज्ञा" हैं। तथापि भारतीय बौद्ध अनुयायि 'नवबौद्ध' नामक ग्रूप या समूदाय को नहीं मानते हैं, क्योंकि उनके अनुसार पारंपरिक बौद्ध तथा धर्म परिवर्तित बौद्ध लोगों की धार्मिक पहचान केवल '[[बौद्ध]]' ही रहती हैं। नवबौद्धों को '''आम्बेडकरवादि बौद्ध''' भी कहां जाता हैं, क्योंकि वे सभी [[भीमराव आम्बेडकर]] की प्रेरणा से ही बौद्ध बने हुए होते हैं। कुल भारतीय बौद्धों में अधिकांश यानी 87% हिस्सा नवबौद्ध हैं। अन्य अनुमानो के अनुसार, भारत में भारत में नवबौद्धों की आबादी 5 से 7 करोड़ तक हैं। |
'''नवबौद्ध''' (अंग्रेजी: ''Neo Buddhist'') यह [[भारत सरकार]] एवं राज्य सरकारों द्वारा भारत के धर्म परिवर्तित कर बौद्ध बने हुए लोगो के लिए इस्तेमाल किये जाने वाली एक "सरकारी संज्ञा" हैं। तथापि भारतीय बौद्ध अनुयायि 'नवबौद्ध' नामक ग्रूप या समूदाय को नहीं मानते हैं, क्योंकि उनके अनुसार पारंपरिक बौद्ध तथा धर्म परिवर्तित बौद्ध लोगों की धार्मिक पहचान केवल '[[बौद्ध]]' ही रहती हैं। नवबौद्धों को '''आम्बेडकरवादि बौद्ध''' भी कहां जाता हैं, क्योंकि वे सभी [[भीमराव आम्बेडकर]] की प्रेरणा से ही बौद्ध बने हुए होते हैं। कुल भारतीय बौद्धों में अधिकांश यानी 87% हिस्सा नवबौद्ध हैं। अन्य अनुमानो के अनुसार, भारत में भारत में नवबौद्धों की आबादी 5 से 7 करोड़ तक हैं।<ref>https://m.navbharattimes.indiatimes.com/india/buddhists-to-benefit-the-government-will-change-the-format-of-caste-certificate/articleshow/52872090.cms</ref> |
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14 अक्तूबर 1956 के दिन भीमराव आम्बेडकर ने 5 लाख से अधिक अनुयायिओं को [[बौद्ध धम्म]] की दीक्षा दी थी। आम्बेडकर के नेतृत्व में हुई यह 1956 की बौद्ध क्रांति आज भी सक्रिय हैं। 1956 के सामूहिक धर्म परिवर्तन समारोह के बाद से अब तक के धर्म परिवर्तित बौद्ध बनेने वालों (नवबौद्धों) में अधिकांश लोग [[अनुसूचित जाति]] (एससी) से सम्बधित हैं। |
14 अक्तूबर 1956 के दिन भीमराव आम्बेडकर ने 5 लाख से अधिक अनुयायिओं को [[बौद्ध धम्म]] की दीक्षा दी थी। आम्बेडकर के नेतृत्व में हुई यह 1956 की बौद्ध क्रांति आज भी सक्रिय हैं। 1956 के सामूहिक धर्म परिवर्तन समारोह के बाद से अब तक के धर्म परिवर्तित बौद्ध बनेने वालों (नवबौद्धों) में अधिकांश लोग [[अनुसूचित जाति]] (एससी) से सम्बधित हैं। |
19:04, 4 अगस्त 2018 का अवतरण
नवबौद्ध (अंग्रेजी: Neo Buddhist) यह भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा भारत के धर्म परिवर्तित कर बौद्ध बने हुए लोगो के लिए इस्तेमाल किये जाने वाली एक "सरकारी संज्ञा" हैं। तथापि भारतीय बौद्ध अनुयायि 'नवबौद्ध' नामक ग्रूप या समूदाय को नहीं मानते हैं, क्योंकि उनके अनुसार पारंपरिक बौद्ध तथा धर्म परिवर्तित बौद्ध लोगों की धार्मिक पहचान केवल 'बौद्ध' ही रहती हैं। नवबौद्धों को आम्बेडकरवादि बौद्ध भी कहां जाता हैं, क्योंकि वे सभी भीमराव आम्बेडकर की प्रेरणा से ही बौद्ध बने हुए होते हैं। कुल भारतीय बौद्धों में अधिकांश यानी 87% हिस्सा नवबौद्ध हैं। अन्य अनुमानो के अनुसार, भारत में भारत में नवबौद्धों की आबादी 5 से 7 करोड़ तक हैं।[1]
14 अक्तूबर 1956 के दिन भीमराव आम्बेडकर ने 5 लाख से अधिक अनुयायिओं को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। आम्बेडकर के नेतृत्व में हुई यह 1956 की बौद्ध क्रांति आज भी सक्रिय हैं। 1956 के सामूहिक धर्म परिवर्तन समारोह के बाद से अब तक के धर्म परिवर्तित बौद्ध बनेने वालों (नवबौद्धों) में अधिकांश लोग अनुसूचित जाति (एससी) से सम्बधित हैं।
जनसँख्या
सन 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में बौद्धों की जनसंख्या 84 लाख से अधिक है जिनमें से 87% (73 लाख) नवबौद्ध हैं यानी जो दूसरे धर्मों से परिवर्तित होकर बौद्ध बने हैं। इनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति (दलित) से हैं जिन्होंने हिंदू धर्म में जाति उत्पीड़न से बचने के लिए धर्मांतरण किया है। शेष 13% (11 लाख) बौद्ध पूर्वोत्तर और उत्तरी हिमालयी क्षेत्रों के पारंपरिक समुदायों से संबंध रखते हैं। इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार, धर्मांतरण कर बौद्ध बने लोगों के शैक्षणिक स्तर में तेजी से सुधार हुआ है। जब वे हिंदू धर्म में थे तब उनकी स्थिति बदतर थी।[2][3]
भारत के कुल बौद्ध आबादी में से 77% (65 लाख) बौद्ध, तथा देश की कुल नवबौद्ध आबादी में से करीब 90% (53 लाख) नवबौद्ध महाराष्ट्र राज्य में रहते हैं। महाराष्ट्र की कुल बौद्ध आबादी में 99.98% नवबौद्ध हैं। उत्तर प्रदेश में 3 लाख के आसपास नवबौद्ध हैं।[4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ https://m.navbharattimes.indiatimes.com/india/buddhists-to-benefit-the-government-will-change-the-format-of-caste-certificate/articleshow/52872090.cms
- ↑ Buddhism has brought literacy gender equality and well being to Dalits (in Hindi)
- ↑ Buddhism has brought literacy gender equality and well being to Dalits
- ↑ [1]