"सावित्रीबाई फुले": अवतरणों में अंतर

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* Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher : Azim Premji University)
* Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher : Azim Premji University)
* Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed
* Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed
== गूगल डूडल ==
3 जनवरी 1917 को उनके 186 वे जन्मदिवस पर [[गूगल]]ने उनका [[गूगल डूडल]] प्रसिद्ध कर उन्हें अभिवादन किया है।<ref>[https://g.co/doodle/3vhdfg]</ref>
==सन्दर्भ ==
==सन्दर्भ ==
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02:24, 13 अप्रैल 2018 का अवतरण

सावित्रीबाई फुले चौक, पुने
फुले दंपत्ति

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिसे कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।

परिचय

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।

सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

'सामाजिक मुश्किलें

वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय।

महानायिका

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

विद्यालय की स्थापना

1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में।

निधन

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।

सावित्रीबाई फुले पर प्रकाशित साहित्य

  • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका : शैलजा मोलक)
  • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : ना.ग. पवार)
  • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : नागेश सुरवसे)
  • क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (विद्याविकास) (लेखक : ज्ञानेश्वर धानोरकर)
  • त्या होत्या म्हणून (लेखिका : डॉ. विजया वाड)
  • 'व्हय मी सावित्रीबाई फुले' हे नाटक (एकपात्री प्रयोगकर्ती आद्य अभिनेत्री : सुषमा देशपांडे) (अन्य सादरकर्त्या - डॉ. वैशाली झगडे)
  • साध्वी सावित्रीबाई फुले (लेखिका : फुलवंता झोडगे)
  • सावित्रीबाई फुले (लेखक : अभय सदावर्ते)
  • सावित्रीबाई फुले (लेखिका : निशा डंके)
  • सावित्रीबाई फुले (लेखक : डी.बी. पाटील )
  • सावित्रीबाई फुले - श्रध्दा (लेखक : मोहम्मद शाकीर)
  • सावित्रीबाई फुले (लेखिका : प्रतिमा इंगोले )
  • सावित्रीबाई फुले (लेखक : जी.ए. उगले)
  • सावित्रीबाई फुले (लेखिका : मंगला गोखले)
  • सावित्रीबाई फुले : अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व (लेखक : ना.ग. पवार)
  • 'हाँ मैं सावित्रीबाई फुले' (हिंदी), (प्रकाशक : अझिम प्रेमजी विद्यापीठ)
  • ज्ञान ज्योती माई सावित्री फुले (लेखिका : विजया इंगोले)
  • ज्ञानज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका उषा पोळ-खंदारे)
  • Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher : Azim Premji University)
  • Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed

गूगल डूडल

3 जनवरी 1917 को उनके 186 वे जन्मदिवस पर गूगलने उनका गूगल डूडल प्रसिद्ध कर उन्हें अभिवादन किया है।[1]

सन्दर्भ