"विकिपीडिया:चौपाल": अवतरणों में अंतर

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=== चर्चा भाग २ ===
=== चर्चा भाग २ ===
[[#प्रबन्धकों के कार्य का विभाजन|उपरोक्त विषय]] पर सभी प्रबन्धकों (अन्तिम सम्पादन के क्रम में: [[स:आर्यावर्त|आर्यावर्त जी]], [[स:अजीत कुमार तिवारी|अजीत जी]], [[स:हिंदुस्थान वासी|पीयूष जी]], [[स:आशीष भटनागर|आशीष जी]], [[स:अनिरुद्ध!|अनिरुद्ध जी]], [[स:Mala chaubey|माला जी]], [[स:Anamdas|अनाम जी]] और [[स:चक्रपाणी|चक्रपाणी जी]]) से अनुरोध है कि अपना पक्ष रखें। ध्यान रहे, आपका कथन लघु और सारगर्भित हो तो लाभदायक होगा। यदि कोई प्रबन्धक इसमें अपना मत नहीं रखना चाहे तो कृपया उसका भी कारण दें जिससे स्थिति को स्पष्ट करने में आसानी रहे।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 05:56, 17 मार्च 2018 (UTC)
[[#प्रबन्धकों के कार्य का विभाजन|उपरोक्त विषय]] पर सभी प्रबन्धकों (अन्तिम सम्पादन के क्रम में: [[स:आर्यावर्त|आर्यावर्त जी]], [[स:अजीत कुमार तिवारी|अजीत जी]], [[स:हिंदुस्थान वासी|पीयूष जी]], [[स:आशीष भटनागर|आशीष जी]], [[स:अनिरुद्ध!|अनिरुद्ध जी]], [[स:Mala chaubey|माला जी]], [[स:Anamdas|अनाम जी]] और [[स:चक्रपाणी|चक्रपाणी जी]]) से अनुरोध है कि अपना पक्ष रखें। ध्यान रहे, आपका कथन लघु और सारगर्भित हो तो लाभदायक होगा। यदि कोई प्रबन्धक इसमें अपना मत नहीं रखना चाहे तो कृपया उसका भी कारण दें जिससे स्थिति को स्पष्ट करने में आसानी रहे।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 05:56, 17 मार्च 2018 (UTC)

== SM7 को प्रश्न ==

{{सुनो|SM7}}जी आप से प्रश्न पुछना चाहता हूँ कि ...
# क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश किया जा सकता है?
# खिड़की का वातायन करना अनुचित है, तो आक्रमण का हमला करना क्यों अनुचित नहीं है?
# अंक का जो विवाद है, उस में निवेश में अरबी अंक और परिणाम में भारतीय अंक हो तो क्या आप उस समस्या का समाधान करने के लिये तत्पर हैं?
# बिना चर्चा के "तार्किक रूप से सही" कहने वाले पीयूषजी से आप प्रश्न करेंगे कि क्या तर्क है, जो उस निर्णय पर बिना चर्चा के भी सही है?
# [https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 इस सम्पादन में] जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, उसके लिये आप क्या कार्यवाही करेंगें?
मैंने ये अनुभव किया है। जब तर्क समाप्त हो जाते हैं, तो ऐसे कारण देकर उसे टाला जाता है, जो वास्तव में एक व्यक्ति नहीं करता है। आप से इन प्रश्नों पर वैसे ही स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा है, जैसी भाषा में आप अन्यों से प्रश्न पूछते हैं। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)

:: किसी ने 'द्वितीय विश्वयुद्ध' को 'दूसरा विश्व युद्ध' कर दिया था। कारण दिया था 'द्वितीय' एक संस्कृत शब्द है।'[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 04:26, 21 सितंबर 2017 (UTC)
;हमला और आक्रमण में अंतर
*हमला: हमला प्रायः और अस्त्र -शस्त्र रहित भी हो सकते हैं।
*आक्रमण : जब हमला योजनाबद्ध हो और अस्त्र -शस्त्र प्रयुक्त हों। वहां आक्रमण शब्द प्रयुक्त होना चाहिए।
--[[सदस्य:Teacher1943|&#32;ए० एल० मिश्र]] ([[सदस्य वार्ता:Teacher1943|वार्ता]]) 14:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)
:::[https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_अमरनाथ_यात्रा_हमला&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 ये संपादन] अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--<span style="color:gr।।e।।।।।en;">☆★</span>[[u:आर्यावर्त|<u><span style="color:red;">आर्यावर्त</span></u>]] ([[User talk:आर्यावर्त|<span style="color:green;">✉✉</span>]]) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)
:::::*पिछले बहुत दिनों से सक्रिय नहीं रह पाने के कारण मैं इस चर्चा से अलग चल रह आथा, किन्तु अभी इस चर्चा पर कुछ उड़ती दृष्टि डाली। इस सन्दर्भ में ये लिखना चाहूंगा कि एक शब्द होता है '''हमलावर''', जिसका अर्थ है हमला करने वाला। अब यहां ''वर'' प्रत्यय का प्रयोग किया गया है जो कि उर्दु (संभवतः फारसी मूल) से आया है। हिन्दी में आक्रमणकारी शब्द होता है। इस को ध्यान में रखते हुए हम शायद इस निष्कर्ष पर पहुंच पायें कि हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।
:::::*एक शायद बेकार का तर्क ये भी है कि हमला छोटा व आक्रमण बड़े हमले के लिये प्रयोग होता है, किन्तु ये बेकार का ही तथ्य है।
::::: कई निजी समाचार टीवी चैनल्स पर उर्दु का अत्याधिक मिश्रण किया जाता है, जैसे आजतक पर विशेषरूप से शख़्स, आदि। अब अगली पीड़ी तो उसे पढ़ते पढ़ते हिन्दी चैनल के कारण इसे हिन्दी शब्द ही समझेंगे व उदाहरण के साथ तर्क भी देंगे।
::::: *एक सीधा सादा तरीका समाधान ढूंढने का ये भी हो सकता है कि हमला हिन्दी हो न हो, किन्तु आक्रमण पर सभी एकमत होंगे तो कम से कम आक्रमण पर आक्रमण न किया जाये व उसे रहने ही दिया जाये।(मेरे विचार में) [[User:आशीष भटनागर|<span style="text-shadow:#EE82EE 3px 3px 2px;"><font color="#0000FF"><b>आशीष भटनागर</b></font></span>]]<sup>[[User talk:आशीष भटनागर|<font color="#FF007F">वार्ता</font>]]</sup> 02:01, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:: हम आशीष भटनागर के विचारों से सहमत हैं। --[[सदस्य:Teacher1943|&#32;ए० एल० मिश्र]] ([[सदस्य वार्ता:Teacher1943|वार्ता]]) 06:08, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:: आशीष जी ने निःसंदेह अच्छे से समझाया। मेरे विचार से भी, हम सब एक मत से उनकी इस बात को समझ सकते है और मान सकते है। पूर्ण रूप से सहमत। [[सदस्य:Swapnil.Karambelkar|स्वप्निल करंबेलकर ]] ([[सदस्य वार्ता:Swapnil.Karambelkar|वार्ता]]) 06:15, 23 सितंबर 2017 (UTC)
::: उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:::: भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है, ज़रा बता दीजिए इसका संस्कृतकरण कैसे करेंगे आप लोग? हमारी सदियों पुरानी भाषा, ज़बान-ए हिन्द, हिन्दुस्तानी खाड़ीबोली यानि कि हिन्दी की इस बेइज़्ज़ती बन्द कीदिए अब।
:::: [[विकिपीडिया:लेखन शैली]] में साफ़ लिखा है कि '''"हिन्दी विकिपीडिया पर लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये। हालाँकि तकनीकी तथा विशेष शब्दावली हेतु शुद्ध संस्कृतिनष्ठ हिन्दी के ही प्रयोग की संस्तुति की जाती है।"''' - यह सही शैली-मार्गदर्शिका है और विकी के सारे लिखने और पढ़ने वालों के लिए सबसे उत्तम है।
:::: इस ज़ाहिर सी बात को समझाने की ज़रूरत नहीं है कि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" आदि सारे शब्द हिन्दी की आम शब्दावली में आते हैं, इनकी जगहों पर फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है। "आक्रमण", "उत्तरदायित्व", "द्राक्षा", "एवं", "किन्तु-परन्तु" जैसी शब्दावली हिन्दी की आम और प्रचलित बोलचाल की शब्दावली में कभी नहीं आते हैं। तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए '''हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे''' लेकिन किसी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के लिए हमारी प्रचलित और आम शब्दावली का अनादर मत कीजिए। विकिपीडिया अपने मास संस्कृताइज़ेशन और सेफ़्रोनाइज़ेशन आन्दोलन चलाने के लिए जगह नहीं है। अगर आप लोग संस्कृत के इतने बड़े प्रेमी हैं, तो sa.wikipedia.org/ पर जाइए और ख़ूब लिखिए। हर भाषा अपनी प्रचलित शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए, वैसे ही अगर हमें हिन्दी में लिखना है तो हम हिन्दी की प्रचलित शब्दावली की नज़रअंदाज़ी कैसे कर सकते हैं?
:::: सादर, --[[सदस्य:Salma Mahmoud|<font color="green">सलमा </font>]][[सदस्य वार्ता:सलमा महमूद|<font color="lime">महमूद</font>]] 22:33, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:सलमा जी ने समस्या का मूल बता दिया, जो ये लेखन शैली नीति। इसमें बदलाव हो या तो विकि में निराश होकर लिखना छोड़ दें। ये सब अब नहीं।--<span style="color:gr।।e।।।।।en;">☆★</span>[[u:आर्यावर्त|<u><span style="color:red;">आर्यावर्त</span></u>]] ([[User talk:आर्यावर्त|<span style="color:green;">✉✉</span>]]) 03:23, 24 सितंबर 2017 (UTC)

:{{सुनो|Salma Mahmoud}}आप अपना '''आतंकवाद''' क्यों नहीं उर्दू विकि पर जा कर करती हैं? "फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है।" इस वाक्य से आपने आरम्भ किया तो अब मैं शान्त नहीं रहूंगा। महिला हैं, अतः इतना ही लिखा। महिला का सम्मान करते हुए मैंने सर्वदा आप से चर्चा की है। परन्तु आपको पहले चर्चा करने की शैली ज्ञात हो ये आवश्यकता है। जब भी आप से बात करते हैं, आप विषय को अन्यत्र ले जाती हैं, और अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। यहाँ चर्चा ये हो रही है कि, जैसे हमला शब्द का प्रयोग स्वतन्त्रता से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वो एक हिन्दी शब्द के रूप में गिना जाता है, तो हिन्दी शब्द के रूप में ही गिने जाने वाले आक्रमण शब्दो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया है? </br>
आपने कहा वो आतंकवादी नहीं है और सभी स्रोत कहते हैं, वो आतंकवादी थे। एक भी स्रोत ले कर आवें, जहाँ लिखा है कि वो आक्रमणकारी थे। आपने जितनी भी बातें कहीं, वो सभी पक्षपात से परिपूर्ण थीं। अपनी विचारधारा के समान आपकी चर्चा के अंश भी निर्मूल और पक्षपाती हैं। आप कदाचित् उन लोगों की अवगणना कर रही हैं, जो शुद्ध भाषा में बोलते हैं। कभी भोपाल जाएं और वहाँ की हिन्दी विश्वविद्यालय में देखें, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और इग्नू में भी हिन्दी का स्तर देखें। स्वयं निरक्षर लोग कक्षा में न जाकर जब शब्दों को केवल बातों के शब्दों से सिखते हैं, तो वो मेरेको, तेरेको, अपनको ही सिखते हैं। किसी भी भाषा के किसी भी तज्ज्ञ सें पुछें कि, '''क्या बोलने की भाषा और लिखने की भाषा में अन्तर होता हैं?''' उत्तर यदि सकारात्मक न हो, तो कहें। '''सर्वदा भाष्यमाणा भाषा और लेख्यमाना भाषा भिन्न भिन्न स्तरों पर होती हैं।''' क्योंकि लेखन को भाषण से अधिक प्राधान्यता मिलती हैं। आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। परन्तु जो लोग सभ्य हैं, वो सोचकर और उचित अनुचित का निर्णय करके लिखते हैं, क्योंकि ये एक अभिलेख हो सकता है। </br>
यदि भाषा की दृष्टि से देखें, जो तर्क आप दे रही हैं, तो हमला और आक्रमण दोनों हिन्दी शब्द हैं। यदि कोई हमला शब्द, जो आपके ऐनक में अधिक बोला जाने वाला हिन्दी शब्द है, तो आक्रमण कोई हिन्दी से निष्कासित नहीं हो जाता। वो भी हिन्दी शब्द ही रहेगा, भले ही कल हमला शब्द भी अप्रचलित हो जाए और उसके स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रचलित हो। जब दोनों शब्द हिन्दी हैं, तो आप केवल "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इन शब्दों के प्रयोग पर ही कैसे पक्षपातपूर्ण रूप से विवश कर सकती हैं? यदि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इत्यादि शब्द उचित हिन्दी हैं, तो "आक्रमण", "दायित्व", "द्राक्षा", "परन्तु" इत्यादि अनुचित सिद्ध करें कि ये हिन्दी नहीं हैं। </br>
अब आपने जो लिखा है कि, '''तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए '''हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे'''''' ये आपके शब्द स्मरण रखना और यदि विस्मृत हो जाएँ, तो चिन्ता न करें, मैं आपको इस चर्चा का सन्दर्भ दे कर स्मरण करवाउंगा। मैं इस के पश्चात् हिन्दी विकिपीडिया पर जितने भी इस प्रकार के नीतिगत पृष्ठ हैं, उनमें परिवर्तन का प्रकल्प आरंभ करूंगा। उस समय आप ये न कहना कि यहाँ भी बोलनें में आने वाले प्रसिद्ध शब्द ही होनें चाहिए, क्योंकि नीति सामान्य लोगो को पढ़नी है। जैसे एस.एम.7 जी प्रश्नों का उत्तर देनें से कतरा रहे हैं, आप भी मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से कतराना नहीं। यदि वास्तव में आपके लिये भाषा महत्त्वपूर्ण हैं और आप हिन्दी में प्रयुक्त होने (अधिक उपयोग होने वाले और न्यून उपयोग होनो वाले) सभी शब्दों को हिन्दी के अन्तर्भूत मानते हैं, (भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है) तो जैसे हमें ये चिन्ता नहीं कि आप लेकिन लिखें उत परन्तु, वैसे ही आपको भी चिन्ता नहीं होनी चाहिये कि सामने वाला परन्तु लिखें उत लेकिन। हिन्दी को अपनी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के आधार पर विभक्त न करें। विकिपीडिया अपना शाब्द-आतंकवाद और जिहादी आन्दोलन चलाने के लिए स्थान नहीं है। </br>
यदि आप चाहते हैं कि, आगे से हम केवल तर्कों और तथ्यों पर चर्चा करें, तो अपने शब्दों के चयन पर विचार करें। क्योंकि आपके प्रत्युत्तर के पश्चात् मैं भी उसी भाषा में प्रत्युत्तर दूंगा, जिसका प्रयोग आप करेंगें। आपने असभ्यता का आरम्भ किया था, तो आपको ही इसका अन्त करना होगा। यदि आप मुझे फिर से ऐसा कुछ लिखेंगे, तो मैं भी लिखूंगा। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 04:08, 24 सितंबर 2017 (UTC)
: नेहाल जी फिर से अपने ज्ज़बातों में आकर गालियाँ दे रहे हैं। [https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_number_of_Internet_users इंडिया के इंटरनेट यूज़रों की गिनती] पूरी अमरीका की आबादी से भी ज़्यादा है, लेकिन हिन्दी विकी पर सदस्यगण और लेखों की गिनती इतनी कम क्यों है? क्योंकि यहाँ पर उन बयालीस करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़बान की बेइज़्ज़ती हो रही है। अगर आम हिन्दुस्तानियों की बोली से प्रेम करना, और इसकी इज़्ज़त करना अब एक "जिहाद" है तो समझिए कि मैं मुजाहिद हूँ। अगर हिन्दी से इतनी नफ़रत है तो यहाँ से ज़रूर जाइएगा। इस सदियों पुरानी ज़बान की विकिपीडिया पर अपनी इस नई हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी [[भाषा शुद्धतावाद|लिंग्विस्टिक पियूरिज़्म]] विचारधारा का प्रचार मत कीजिए। <span style="color:#00B7EB;">"हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।"</span> - इसी "तर्क" के मुताबिक़ शब्द "हिन्दी" भी "हिन्दी मूल" का नहीं है। यह भी भाषा विज्ञान द्वारा स्थापित तथ्य है कि हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा है। मैने अभी आप लोगों को इस बात के बारे में समझाया कि हिन्दी की शब्दावली के विभिन्न स्रोत होते हैं। तो इस तर्कहीन, अवैज्ञानिक, अनपढ़ और मूर्खतापूर्ण प्रसाव पर हिन्दी विकी की लेखन शैली नीति का पुनर्निर्माण करना अनावश्यक है। लिखित रूप में खाड़ीबोली, हिन्दुस्तानी अथवा सामान्य हिन्दी का इस्तेमाल नेहाल डेव जी की इस नक़ली, बेकार में संस्कृतनिष्ठ भाषा से बहुत ही ज़्यादा आम है। तो सामान्य व प्रचलित हिन्दी शब्दावली का विकिपीडिया पर इस्तेमाल करना बिल्कुल ही जायज़ है। सादर, --[[सदस्य:Salma Mahmoud|<font color="green">सलमा </font>]][[सदस्य वार्ता:सलमा महमूद|<font color="lime">महमूद</font>]] 12:03, 24 सितंबर 2017 (UTC)
:: सलमा जी,
:: 'हिन्दी' का नाम लेकर आप हिन्दी के फारसीकरण का समर्थन कर रहीं हैं। दूसरों पर 'भगवाकरण' का आोप लगाकर पूरा हरा-काला करने का ही यत्न हो रहा है। आप 'हिन्दी के अपमान' का नाम लेकर वैसे ही आक्रमण कर रही हैं जैसे काश्मीर में आतंकी सेना की छद्मवर्दी में घुसकर आक्रमण करते हैं। पर यह बार-बार सफल नहीं हो सकता। जिसे आप 'हिन्दी' कह रहीं हैं उसे लोगों ने १०० वर्ष पहले ही समझ लिया था कि यह उर्दू-फारसी है, हम पर एक प्रकार की गुलामी लादी गयी है, इससे हमे मुक्ति पाना है- यह सब सोचकर एक आन्दोलन चलाया और सफल हुए। पिछले १५-२० वर्षों में कुछ लोगों ने 'सरलता' का नाम लेकर हिन्दी के क्रियोलीकरण की प्रक्रिया शुरू की। जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि आपको 'आक्रमण', 'तथा', 'एवं', 'किन्तु' आदि शब्द कठिन लगने लगे हैं। सलमा जी, ये वे शब्द हैं जो पूरे भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बोले समझे जाते हैं। 'हिन्दी' शब्द विदेशियों ने दिया तो क्या हुआ? अपने शब्द होते हुए भी हम विदेशी शब्द प्रयोग करेंगे? हिन्दी और उर्दू कितनी एक हैं और कितनी अलग है, सबको पता है। दोनों एक हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पुरस्कार क्यों है? कई राज्यों में हिन्दी प्रथम भाषा और उर्दू द्वितीय भाषा क्यों है? समय आने पर परायी भाषा को सभी देशों ने एकबार में या धीरे-धीरे हटाया है। तुर्की और बांगलादेश को देखिए। चीनी-जापानी कठिन कही जाती हैं लेकिन वे सरल शब्दों की खोज में सउदी-अरब तो नहीं जाते।- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:37, 24 सितंबर 2017 (UTC)
===‍‍‍‍‍ ‍===
जिसे हम अप्रचलित शब्द कहते हैं, उनमें से कई सारे शब्द दूसरे भाषाओं में आम बोलचाल में उपयोग होते हैं और ऐसे शब्द जो अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद के लिए बनाए गए हैं, वे सब सच में अप्रचलित ही हैं। क्योंकि उन्हें केवल हिन्दी में अनुवाद करने हेतु ही बनाया गया है। तो ऐसे शब्द आप लोग केवल पुस्तकों में ही देखेंगे, या हो सकता है कि कुछ लोग उसी शब्द को बोलते हों, पर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले अधिकांश लोग उस शब्द से परिचित नहीं होते हैं, हालांकि ऐसे शब्दों को विकिपीडिया में आसानी से लिख सकते हैं। क्योंकि उनका कोई अन्य रूप हिन्दी के शब्द के रूप में प्रचलित नहीं है। समस्या केवल उन शब्दों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका कोई और शब्द पहले से ही काफी प्रचलित हो।
: प्रचलित/अप्रचलित का मुद्दा आधारहीन है, इसका मापन सम्भव नहीं। कौन सा सिद्धान्त कहता है कि प्रचलित को ही लिखा जाएगा? यह तो भाषा संरक्षण की नीति के विरुद्ध है। यह नीति उन भषाओं का गला ही दबा देगी जो मरणासन्न हैं। यदि प्रचलित को ही लिखना होता तो वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग बनाने की आवश्यकता क्या थी? तकनीकी शब्द-निर्माण के लिए लगभग सभी सभ्य और आत्मसम्मानी देशों ने संस्थाएँ बनायी है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

विद्यालयों में क ख ग वाली पुस्तकों में '''अं''' से अंगूर और '''द''' से दवात लिखा होता है। शुरू से हमें "अंगूर" शब्द ही हिन्दी में पढ़ाया जाता है, यदि अचानक हम उसे कुछ और कर देंगे तो किसी को अच्छा नहीं लगेगा। पढ़ाई में "अंगूर" शब्द ही प्रचलित है और लोग भी अंगूर शब्द से तुरंत समझ जाते हैं। द्राक्षा जैसा शब्द तो मैंने पहली बार यहीं सुना था।

: पहले आपने यह लिखा था कि 'द्राक्षासव' आपने सुना था किन्तु उसका अर्थ बहुत बाद में समझ आया था। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

आवश्यकता, दायित्व जैसे कई सारे शब्द तो हिन्दी माध्यम के पुस्तकों में रहते ही हैं और अंग्रेजी माध्यम में हिन्दी विषय में भी इसका उपयोग होता ही होगा। तो सभी को इसका अर्थ पता ही होगा, पर बातचीत में इन शब्दों का बहुत ही कम उपयोग है। फिर भी इनके उसे कोई समस्या नहीं है। पर समस्या ऐसे शब्दों से हो जाती है, जो हिन्दी माध्यम की पुस्तकों में होती ही नहीं है और उसका विकिपीडिया में उपयोग किया जाता है। अंगूर और खिड़की शब्द का उपयोग पुस्तकों में भी होता है और सामान्य बातचीत में भी बहुत उपयोग होता है। इसके अलावा फिल्मों में गानों में भी इसका उपयोग किया गया है।

: यह एक सुप्रसिद्ध तथ्य है कि लिखित भाषा, बोलचाल की भाषा से बहुत भिन्न होती है। इतना ही नहीं, विषय के अनुसार भाषा बदलनी पड़ती है। गणित की अपनी भाषा है, रसायन की अपनी भाषा है। दार्शनिक विषयों पर 'बॉलीवुड की भाषा' में नहीं लिखा जा सकता। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

कोई भी शब्द किसी एक माध्यम से प्रचलित नहीं हो सकता। विकिपीडिया में यदि हम अंगूर को द्राक्षा भी कर दें तो शायद अंगूर शब्द अप्रचलित हो जाये, पर द्राक्षा का प्रचलित होना मुश्किल है। पर अंगूर शब्द अप्रचलित हुआ तो उसका स्थान अंग्रेजी शब्द ही ले लेगा। वैसे भी धीरे धीरे अंग्रेजी के शब्द बहुत ही अधिक हो रहे हैं। फिल्मों से लेकर समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी के शब्द अधिक हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि हम किसी प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे शब्द को लाने का प्रयास करेंगे तो इसका लाभ केवल अंग्रेजी के शब्द को ही मिलेगा। शायद हिन्दी में ढेर सारे अंग्रेजी शब्द के प्रचलित होने का कारण भी यही है कि हम उसे दूसरे भाषा का शब्द है बोल कर उसे अलग कर के दूसरे शब्दों को प्रचलित करने में समय व्यर्थ कर देते हैं। ऐसे सभी शब्दों में आज फिल्मों या समाचार पत्रों में ज्यादातर अंग्रेजी के शब्द ही आ गए हैं।

: ये 'वक्त-समय-टाइम' किसी का हाइपोथेसिस है, स्थापित सिद्धान्त नहीं। इस पर बहुत चर्चा हुई है। मैं इसे तर्कहीन मानता हूँ। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
: (सत्यम् मिश्र और हुञ्जाल एक ही व्यक्ति के दो अवतार तो नहीं??)

यदि हमें इन शब्दों का प्रचार भी करना है तो ऐसा प्रचार करना चाहिए कि पढ़ने वाले को बहुत ही आसानी से इन शब्दों का ज्ञान हो जाये। इस तरह से करना है कि जिसे इस के बारे में कुछ भी पता न हो, वो इस शब्द को देख कर याद रख सके।

वैसे यदि आप थोड़ा ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपको कई सारे अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान है। शायद ऐसे शब्दों का भी ज्ञान है, जिसका हिन्दी अर्थ भी आपको पता नहीं होगा। पर इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारे ही पाठ्यपुस्तकों में हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी नाम भी दिया होता है और हम अपने आप ही उन शब्दों को याद कर लेते हैं, जबकि हमारा उद्देश्य भी ऐसा नहीं होता है। केवल शब्दों के साथ रखने के कारण हिन्दी के अर्थ और परिभाषा के कारण ही हम उन शब्दों के अर्थ और परिभाषा को जान लेते है और किसी को न तो उसका ध्यान होता है और न ही वो उसे पढ़ने में अपना समय व्यर्थ करता है। ये सभी अपने आप ही हो जाता है। आप यदि उन शब्दों को फिर से देखोगे, तो आपको उसी समय उसका अर्थ समझ आ जाएगा क्योंकि उसे आप हिन्दी शब्द और परिभाषा के साथ ही देखे हो।

पर हम ऐसा शायद कभी नहीं कर सकते, क्योंकि हम उसके स्थान पर तो अंग्रेजी नाम ही लिख देते हैं, जिससे सभी को अर्थ पता चल सके या गूगल, बिंग आदि में पहले स्थान पर दिख सके, हालांकि लोग गूगल का अधिक उपयोग करते हैं और वो अपने आप ही हिन्दी चुने हुए लोगों के लिए अनुवाद कर के हिन्दी में ही परिणाम दिखा देता है और उस कारण हिन्दी विकिपीडिया का लेख ऊपर दिख जाता है। और जो लोग हिन्दी को परिणाम दिखाने के लिए नहीं चुने हैं, उन लोग चाहें तो हिन्दी में भी लिख लें, बहुत कम संभावना है कि हिन्दी विकिपीडिया का ऊपर दिखेगा। और यदि वे लोग अंग्रेजी में लिख दिये तो हिन्दी का कोई लेख तो दिखेगा ही नहीं, चाहे हिन्दी में कितना भी अंग्रेजी लिख लें।

हमें हिन्दी के शब्दों के लेखों में अंग्रेजी शब्दों को रखने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गूगल अपने आप ही उन शब्दों को खोजने से हिन्दी में हिन्दी विकिपीडिया के लेख को आगे ले आएगा और यदि कोई लेख में शब्द खोजने लगा तो उसे दूसरे भाषाओं की कड़ी में तो मिल ही जाएगा। वैसे यदि कोई विकिपीडिया में ही उस शब्द को ढूँढने लगे तो भी सन्दर्भ में एक भी जगह उसका अंग्रेजी शब्द हुआ तो उससे वो लेख मिल ही जाएगा।

: गूगल बिंग आदि की बात पता नहीं क्यों कर रहे हैं। यह अपने-आप में एक अलग विषय है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

यदि कोई शब्द थोड़ा ही प्रचलित है तो उसके स्थान पर कोई और हिन्दी शब्द लिखने से भी चलेगा, पर जो शब्द पाठ्यपुस्तकों में भी रहता है, फिल्मों के गानों में भी उपयोग किया जाता है और सामान्य बातचीत में भी उपयोग किया जाता है, ऐसे शब्दों को हटाना ठीक नहीं है। पर यदि बाद में कोई हिन्दी शब्द उसके स्थान पर प्रचलित हो जाये तो उसे लिख सकते हैं। लेकिन तब तक ऐसा करना सही नहीं है। यदि "अंगूर" शब्द उर्दू में है तो ये और भी अच्छा है, क्योंकि इससे शब्द को प्रचलित रखने या और अधिक प्रचलित करने में बहुत आसानी होगी। पर दो अलग अलग शब्दों के चक्कर में ही हम रहे तो तीसरे अंग्रेजी शब्द को प्रचलित बनाने का ही कार्य करेंगे। हो सकता है कि कभी द्राक्षा शब्द भी प्रचलन में आ जाये, पर उससे यही होगा कि हिन्दी भाषी सोचेगा कि किस शब्द का उपयोग करूँ और किस शब्द का नहीं, और अंत में वो हो सकता है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करने की सोचे। पर हम सभी "अंगूर" शब्द को ही प्रचलित बनाए रखने का प्रयास करें तो हिन्दी में हमेशा ही लोग "अंगूर" ही लिखेंगे और कोई उसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोचेगा ही नहीं।

वैसे किसी शब्द के प्रचार करने हेतु हमें केवल यही तरीका मिलता है कि उस लेख का नाम उस शब्द से बदल दिया जाये, पर एक ही माध्यम से इस तरह का प्रचार करने से ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं या कम हैं, उनके स्थान पर आसनी से उपयोग कर सकते हैं। शायद कम प्रचलित शब्दों को हटाने से कोई समस्या नहीं होगी। पर हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों को हटाना पड़ेगा और नए आ रहे शब्दों को रोकना भी पड़ेगा। क्योंकि फारसी आदि भाषाओं से शब्दों का आना तो वैसे भी बंद हो गया है और नए शब्द आ भी नहीं सकते या आए भी तो किसी को समझ नहीं आएंगे, पर अंग्रेजी में ऐसा नहीं है। अभी अंग्रेजी के कई सारे शब्द हिन्दी में उपयोग हो रहे हैं पर ऐसे शब्दों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों के बारे में सोचना चाहिए और उसका उचित अनुवाद और उसके स्थान पर ठीक तरीके से हिन्दी शब्दों का उपयोग करना चाहिए।

हिन्दी में लिखते समय कई बार दो या उससे अधिक शब्दों में से एक को चुनना पड़ता है। उसके कारण समस्या भी उत्पन्न हो जाती है और लिखने का काम धीमा हो जाता है। हिन्दी विकि में "श्रेणी" शब्द का ही उपयोग होता है। इस कारण सभी सक्रिय सदस्यों को इसका अर्थ पता होगा। लेकिन हम उसके जगह कोई और शब्द भी रख दें तो कुछ लोग भ्रम में रहेंगे कि श्रेणी का उपयोग करें या किसी और शब्द का उपयोग सही रहेगा। उसके बाद हो सकता है कि वे लोग अंग्रेजी के ही शब्द को लिखने लगें क्योंकि उन्हें "श्रेणी" शब्द ही याद नहीं रहेगा। दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं और उनका उपयोग लगभग आधा हो जाता है। यदि मान लें कि कोई शब्द पचास प्रतिशत प्रचलित है और कोई दूसरा शब्द भी उतना ही प्रतिशत प्रचलित है। तो कोई व्यक्ति यदि कुछ लिख रहा हो तो वो उन दोनों में से कौनसा शब्द उपयोग करेगा? वो यही देखेगा कि किस शब्द का उपयोग अधिक हो है और उसे ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो उस शब्द को समझ नहीं पाएंगे तो वो अपने लेख में उस शब्द के स्थान पर कोई सभी को समझ में आने लायक शब्द खोजेगा। पढ़ाई में तो वैसे भी अंग्रेजी पढ़ाया जाता ही है, चाहे आप हिन्दी माध्यम में भी क्यों न पढ़े हों। इस कारण वो इन दोनों शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्द को चुन लेगा।

: '''दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं '''- सत्य से कोसों दूर है। सू्र्य के बीसों पर्याय हमें रटाए जाते थे। रामचरित मानस पढ़िए, पता चलेगा कितने पर्याय प्रयुक्त होते है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

आप लोगों ने फुट डालो और राज करो की नीति के बारे में तो सुना ही होगा। शब्द भाषा की शक्ति होती है और जिस भाषा के जिस शब्द का अधिक उपयोग करें, वो उतना ही शक्तिशाली होता है। लेकिन दो या उससे अधिक शब्द के उपयोग करने से ये कुछ "फुट डालो और राज करो" की नीति के समान हो जाएगा। जिसके कारण शब्दों की शक्ति आधी या और कम हो जाएगी। इस कारण यदि हिन्दी में कोई एक शब्द प्रचलित है तो उसे ही उपयोग करना सही रहेगा।

फारसी आदि भाषाओं से जितने शब्द हिन्दी में आए हैं, उतने ही रहेंगे, अब उनकी संख्या नहीं बढ़ने वाली, पर हमें अंग्रेजी से आने वाले शब्दों को ही रोकना चाहिए, क्योंकि उसके कई सारे शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों की जगह ले रहे हैं और उनके शब्द तो अभी भी आ रहे हैं। "रेडियो", "मोबाइल" जैसे शब्दों को रखने में कोई बुराई नहीं है, पर हॉरर, रिलीज़, स्टोरेज, जैसे कई सारे अंग्रेजी शब्दों को रोकना चाहिए। इस तरह के शब्दों को हम तभी रोक सकेंगे, यदि हम हिन्दी के वर्तमान प्रचलित शब्दों को ही प्रचलित करने और प्रचलन में बनाए रखने का प्रयास करें।

: कुछ विदेशी शब्दों को छोड़कर सभी को हटाना चाहिए- कुछ को तुरन्त, कुछ को समयबद्ध रूप में धीरे-धीरे। हिन्दी की घोषित नीति होनी चहिए कि उसे ऐसे शब्द अपनाने-बनाने हैं जिससे वह अन्य भारतीय भाषाओं के और भी निकट आ सके। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)

हमें केवल प्रचलित शब्दों का ही उपयोग नहीं करना है। हम सभी हिन्दी के शब्दों के बारे में लेख में बता सकते हैं कि अंगूर को इन इन नामों से भी जाना जाता है। इस तरह से नाम बताएँगे तो उनके मन में कहीं न कहीं वो नाम तो रहेगा ही, जिससे हो सकता है कि भविष्य में "द्राक्षा" शब्द ही अंगूर से अधिक प्रचलित हो जाये, पर उसे प्रचलित करने के लिए पूरे लेख का नाम बदल देंगे तो दोनों शब्द अप्रचलित हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि लोग कारण विकिपीडिया में आना ही छोड़ दें कि इसके शब्द उन्हें समझ ही नहीं आते हैं। इसके साथ साथ ये भी हो सकता है कि उन्हें हिन्दी ही कठिन लगने लगे, क्योंकि उन्हें शब्दों का उतना ज्ञान ही नहीं हैं।

:-- नया कुछ नहीं है, पुनर्पुनरावृत्ति ।।।।।।।। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

यदि कोई बच्चा बचपन से अंगूर खाते हुए उसे अंगूर के ही नाम से जानता हो और बाद में उसे कहा जाये कि ये द्राक्षा है तो हम उसी समय अंगूर शब्द की शक्ति को दस प्रतिशत तक कम कर देंगे। उससे उस बच्चे को कभी लिखने कहा जाये कि ये इस फल का क्या नाम है तो वो सोचेगा फिर लिखेगा। जबकि उसे अंगूर शब्द ही पता होगा तो उसे सोचने की जरूरत भी नहीं होगा और वो तेजी से उस शब्द को लिख देगा। अंग्रेजी के शब्दों के कारण वैसे भी हिन्दी के शब्दों की शक्ति कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यदि हम जानबूझ कर हिन्दी के प्रचलित शब्दों को मारने का प्रयास करें तो ये सच में शब्दों को मारना ही होगा। पर जिस शब्द के लिए आप उस शब्द को मारने की सोच रहे हैं, वो शब्द भी कोई उपयोग नहीं करेगा और उसके जगह अंग्रेजी के शब्द ही आ जाएँगे।

: पुनरावृत्ति [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

अंग्रेजी के शब्द दूसरे भाषाओं में उतने नहीं आए हैं और न ही उतने तेजी से आ रहे हैं। सिर्फ हिन्दी ही है, जिसमें इसके शब्द अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक आ रहे हैं। इसका कारण भी हम ही लोग हैं, जो हिन्दी के प्रचलित शब्दों के स्थान पर अप्रचलित शब्द का उपयोग करते हैं। इसका दूसरा कारण भी इसी से जुड़ा है। हम शब्दों के अनुवाद में किसी एक शब्द का ही सही ढंग से उपयोग नहीं करते हैं। इस कारण किसी सॉफ्टवेयर या वेबसाइट का अनुवाद करें तो ऐसा लगता है जैसे वो शब्द किसी को समझ ही नहीं आएगा।

वैसे अनुवाद से ही एक और समस्या याद आई। हम लोग अनुवाद में एक ही शब्द का उपयोग कभी नहीं करते, खास तौर से दो अलग अलग अंग्रेजी शब्दों के लिए तो कभी नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लिखना शब्द और टाइप शब्द अंग्रेजी में दोनों अलग अलग है। हम टाइप शब्द के लिए या तो टाइप शब्द ही उपयोग करते हैं या टंकण ही लिख देते हैं। पर चाहे हम कम्प्युटर में लिखें या किसी कागज में लिखें, लिख तो दोनों में ही रहे हैं, पर हम उसमें कभी "लिखना" शब्द का उपयोग नहीं करते हैं। अंग्रेजी में एप्लिकेशन शब्द का उपयोग आवेदन और अनुप्रयोग दोनों में उपयोग हो जाता है, फिर भी कोई समस्या उन्हें नहीं आती है। क्योंकि उन्हें पता है कि दोनों का अलग अलग जगह अलग अलग अर्थ होगा। वैसे ही कम्प्युटर में लिखने का अर्थ कम्प्युटर में टाइप करना ही होगा, पर हम उसके जगह टाइप या टंकण जैसे शब्द का उपयोग करते हैं। ऐसे में "लिखना" शब्द अप्रचलित तो नहीं होगा, लेकिन उसका इस शब्द के लिए भी उपयोग करने से वो काफी प्रचलित हो जाता और कम से कम "टंकण" शब्द से तो अच्छा ही रहता।

: अप्रसांगिक, सन्दर्भच्युत। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

हमें पढ़ाई से जुड़े लेखों के निर्माण करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए कि लेख का नाम हिन्दी माध्यम के पुस्तकों के अनुसार हो, ताकि विद्यार्थी आसानी से उन शब्दों को खोज सकें। हिन्दी माध्यम में कोई भी पढ़ा हो तो उसे "अंगूर" शब्द पता ही होगा, पर कहीं द्राक्षा शब्द तो बताया ही नहीं गया है। पर्यायवाची शब्दों के बारे में पढ़ाते समय फूल, नदी, पानी, आकाश, धरती आदि के बारे में ही बताया जाता था, किसी फल के बारे में न तो बताया गया और न ही पुस्तकों में लिखा था। क्या इस शब्द का उपयोग किसी पढ़ाई के पुस्तकों में हो रहा है ? यदि नहीं हो रहा तो इसे "अंगूर" ही रखना उचित है। ताकि अंगूर शब्द को हम अत्यधिक प्रचलित कर सकें और कोई भी इसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोच भी न सके। पर ऐसा तभी होगा, जब हम सब मिल कर "अंगूर" शब्द का ही हर जगह उपयोग करेंगे। अंगूर शब्द का तो पुस्तकों में उपयोग तो होता ही है और कई फिल्मों में भी "अंगूर" शब्द का उपयोग हो ही रहा है। तो ऐसे में इस शब्द स्थान पर कोई और शब्द लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। पर यदि किसी को अंग्रेजी शब्द से ही प्यार हो तो इसे वापस द्राक्षा कर दें, और कुछ साल बाद अंग्रेजी के शब्द के रूप में परिणाम देखने को मिल जाएँगे। हो सकता है कि उसके कुछ साल बाद कोई आकर इसे अंग्रेजी शब्द में लिखने की सोचे, क्योंकि "अंगूर" शब्द का उपयोग कम होने से यकीनन अंग्रेजी के शब्द को ताकत मिलेगी और उसका उपयोग और तेजी से होने लगेगा। आप लोग चाहें तो इसे द्राक्षा ही रखें, पर किसी भी जगह इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्द का उपयोग हुआ तो उसके दोषी आप ही लोग होंगे।

: पुनरावृत्ति ।।।। 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

अंगूर और द्राक्षा की बात समाप्त कर अब हमला और आक्रमण में आता हूँ। पहले से ही कई लेखों में हम लोगों ने "हमला" शब्द ही उपयोग किया है। इसी शब्द का उपयोग हिन्दी समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा किया जाता है। गूगल या बिंग आदि में कोई घटना के बारे में खोजता तो उसे ___ हमला वाला सुझाव पहले दिखता, इस कारण वो उसी शब्द को खोजता, वैसे भी आक्रमण शब्द से हमला शब्द अधिक प्रचलित है। पर इसका ये अर्थ नहीं है कि आक्रमण शब्द लिखने से कोई समझ नहीं सकेगा। आक्रमण शब्द का उपयोग इतिहास के पुस्तकों में कई बार हुआ है और इस कारण कोई भी हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी उस शब्द को बहुत ही आसानी से समझ सकता है। पर यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हमला शब्द अधिक लोग खोजेंगे और उसका लाभ हिन्दी विकिपीडिया को अधिक लोगों के आने से मिलेगा। इसके अलावा पहले के कई लेखों में भी हम लोगों ने और पहले सक्रिय रहने वाले सदस्यों ने भी "हमला" शब्द का ही उपयोग किया है। यदि हम इस तरह के सभी घटनाओं में "हमला" शब्द ही उपयोग करें तो ये शब्द ही प्रचलित रहेगा और इसके स्थान पर कोई अंग्रेजी शब्द उपयोग करने की सोचेगा भी नहीं। पर हम ऐसे प्रचलित हिन्दी शब्दों का ही उपयोग नहीं करेंगे तो हम उसे अप्रचलित होने का कारण दे रहे हैं। इस तरह से ही शब्द अप्रचलित होते जाएँगे, जो अभी अन्य सभी शब्दों से भी अधिक प्रचलित है। हमला भी हिन्दी शब्द ही है। यदि न भी हो तो भी उसका लाभ हिन्दी को ही मिल रहा है, क्योंकि ये शब्द अंग्रेजी का नहीं है। वर्तमान समय में हमें केवल अंग्रेजी से ही खतरा है। बाकी दुनिया के किसी भी भाषा से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। पर इस तरह से प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे हिन्दी शब्द का उपयोग हो तो पहले वाले शब्द की शक्ति थोड़ी न थोड़ी कम हो ही जाएगी, चाहे आप किसी एक लेख में भी इस तरह का बदलाव क्यों न करें, पर प्रभाव सभी जगह पड़ेगा ही, लेकिन इसका प्रभाव आपके इच्छा अनुसार न हो कर इससे अंग्रेजी शब्द को लाभ मिलेगा। आप चाहें तो "आक्रमण" शब्द को दो देशों के युद्ध के लेखों में उपयोग करें, उससे कोई भी आपको नहीं रोकेगा। उससे एक तरह से हिन्दी का विकास ही होगा, क्योंकि इस का अधिक से अधिक उपयोग वहीं मिलता है। इस तरह से दोनों शब्दों का अलग अलग जगह उपयोग करेंगे तो लोगों को शब्द चुनने में कोई समस्या नहीं होगी और लोग उन दोनों शब्दों को आसानी से समझ भी लेंगे। इस तरह से दोनों शब्दों का प्रचार हो सकता है।

आक्रमण शब्द इतिहास से जुड़े लेखों में उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इसका सबसे अधिक उपयोग "इतिहास" विषय के पुस्तक में मिलता है। "किसी देश ने किसी दूसरे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया" इस तरह का बहुत सारा वाक्य आपको उस तरह के पुस्तकों में देखने को मिलेगा। एक तरह से इन दोनों शब्दों को अलग अलग जगह उपयोग करने के कारण अर्थ में इसी तरह का बदलाव भी हो गया है। इस कारण "आक्रमण" शब्द उस तरह लेखों में बहुत अच्छा लगता है। वहीं "हमला" शब्द का उपयोग समाचार वालों ने बहुत ज्यादा किया है, वो भी इस तरह के हमलों के लिए ही किया है। इस कारण इस तरह के घटनाओं के लिए "हमला" शब्द सबसे सटीक और उपयोगी रहेगा। वैसे कोई यदि इस घटना के बारे में खोजेगा और देखेगा कि सभी जगह हमला लिखा हुआ और केवल विकिपीडिया में ही "आक्रमण" लिखा हुआ है तो उसे अजीब लगेगा। मुझे यकीन है कि सभी को ये शब्द समझ में तो आ ही जाएगा, पर इस तरह के घटनाओं में "हमला" शब्द ज्यादा अच्छा रहेगा। केवल समझने में ही नहीं, बल्कि खोज परिणाम में भी इसका प्रभाव होगा। इससे देखने वाले तो अधिक आएंगे ही और साथ ही साथ इस शब्द का प्रचलन भी अधिक रहेगा। इस शब्द की जगह अंग्रेजी का शब्द न ले ले, इस कारण हमें इसके उपयोग में कभी कमी नहीं होने देना है। ताकि कई सालों बाद भी इस शब्द के बारे में सभी को पता रहे और ये प्रचलन में बना रहे।

शब्दों को प्रचलित करना काफी कठिन कार्य है, क्योंकि इसके लिए कई सारे माध्यमों की जरूरत होती है और प्रचार भी ऐसा करना होता है कि पढ़ने या सुनने वाले को अर्थ भी समझ आ जाये। यदि आप विज्ञापन देखते हो तो उसमें आपने जरूर देखा होगा कि कई बार हिन्दी शब्द के बाद अंग्रेजी शब्द बोल दिया जाता है। या साथ साथ उस शब्द को भी बोला जाता है। जिससे लोगों को अंग्रेजी शब्द भी समझ आ जाये और हिन्दी भी। एक तरह से जिसे हिन्दी शब्द न पता हो उसे पता चल सकता है, और जिसे अंग्रेजी शब्द न पता हो, उसे अंग्रेजी शब्द का पता चल जाता है। हो सकता है कि इस तरह से हिन्दी को लाभ मिलता हो, पर ज्यादातर तो ऐसे शब्द ही होते हैं, जिसे हिन्दी भाषी जानते हों और उसका अंग्रेजी नाम न पता हो, इस कारण अंग्रेजी शब्द का ही प्रचार हो जाता है। पता नहीं इस तरह के विज्ञापन का उद्देश्य क्या है, पर हमें तो एक ही शब्द का प्रचार है। ताकि वो शब्द कभी अप्रचलित न हो सके।

वैसे हमारी भाषा यदि अंग्रेजी से बच गई तो फिर कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द ही अभी की सबसे बड़ी समस्या है। जिसका काफी हद तक कारण हिन्दी भाषी ही हैं। कई हिन्दी भाषी अपने बच्चों को हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में नहीं पढ़ाते हैं। तो वे लोग कई सारे हिन्दी शब्द कभी समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में कोई उस तरह से पढ़ा हिन्दी भाषी हिन्दी में योगदान करना भी चाहे तो उसे ऐसा ही लगेगा कि ये शब्द हिन्दी में होते ही नहीं या बहुत कम उपयोग होते हैं, इस कारण वो अंग्रेजी शब्द को ही प्रचलित मान लेता है। ठीक उसी प्रकार कई बार ऐसा होता है कि हम अंग्रेजी के प्रचलित शब्द को हटाने की कोशिश करते हैं, ऐसा कर तो सकते हैं, पर जब तक हर माध्यम से उस शब्द का प्रचार न हो, तब तक लोग उसे अप्रचलित ही मान लेंगे और विकि में किसी को आने का मन ही नहीं करेगा। क्योंकि उसे शब्द समझ ही नहीं आएंगे। पर हमें कोशिश यही करना है कि संज्ञा को छोड़ कर सभी का अनुवाद कर के ही डाल दें, क्योंकि संज्ञा का अनुवाद तभी सही रहता है, जब सभी को उसका दूसरा शब्द पता हो। अंग्रेजी शब्द का इस चर्चा से लेना देना नहीं है, पर एक तरह से अंग्रेजी के शब्द का ही इस चर्चा से अधिक लेना देना है। मैं बस इसमें यही बोल रहा हूँ कि संज्ञा शब्द यदि हिन्दी में न हो तो उसे अंग्रेजी में रख लेने में कोई बुराई नहीं है, जैसे, सर्वर, सीडी, आदि। पर हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि बाकी सभी का अनुवाद होता ही है। यदि कोई शब्द न हो तो उसका परिभाषा के अनुसार अर्थ लिख सकते हैं। पर गैर-संज्ञा शब्दों को हिन्दी में ही लिखना चाहिए। पर ऐसा हम लोग नहीं करते हैं और कई गैर-संज्ञा शब्द को अंग्रेजी में ही लिख देते हैं और संज्ञा शब्द का अनुवाद करने लगते हैं। यदि किसी संज्ञा शब्द का हिन्दी में अर्थ न हो तो उसका उपयोग वैसे भी कम ही होगा। और आज के समय में कई लोग उसका पहले ही अंग्रेजी शब्द जान जाते हैं, इस कारण उसका अनुवाद करने से वो कठिन बन जाता है। अर्थात समझने में कठिन हो जाता है। वैसे जिसने भी ''विलेज पंप'' को गाँव का पंप आदि करने के स्थान पर चौपाल करने का सुझाव दिया था, उसने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है। हमें भी अनुवाद इसी तरह करना चाहिए। ठीक वैसे ही उपयोगकर्ता शब्द के स्थान पर सदस्य शब्द का उपयोग बहुत ही अच्छा है। एक तो सदस्य लिखना बहुत ही छोटा होता है और इस शब्द का उपयोग भी बहुत आसानी से होता है। हम इस शब्द का ''मेम्बर'' के लिए भी कर सकते हैं और ''यूज़र'' के लिए भी कर सकते हैं। इस कारण इस शब्द का प्रचार काफी अधिक हो है। इस कारण इसे प्रचलित रखने में हमें थोड़ा कम मेहनत करना पड़ेगा। हमें अपनी सोच इसी तरह बदलनी होगी और अंग्रेजी के शब्दों के लिए कोई नया शब्द ढूँढने के स्थान पर इसी तरह दूसरे शब्द का उपयोग करना चाहिए। जैसे टाइप के लिए भी "लिखना" और उपयोगकर्ता के लिए भी "सदस्य" शब्द का उपयोग।

: भारतीयों में एक गुप्त शक्ति है जो उन्हें अदम्य बनाती है। कितने सारे पुस्तकालय जला दिए गये फिर भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ उन्होने बचा ली। दस-बीस वर्ष नहीं, हजारों वर्ष तक बचाये रखा। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

हमला और आक्रमण में से हम किसी एक ही शब्द का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही किसी न किसी तरह से प्रचलित ही हैं। लेकिन आक्रमण शब्द किसी देश या साम्राज्य के मध्य युद्ध से जुड़ा है तो दूसरा "हमला" शब्द किसी पर भी चाकू से हमला करने को भी हम "हमला" कह सकते हैं। यदि हमें इन दोनों को प्रचलन में बनाए रखना है तो हमें इन दोनों का अलग अलग कार्यों में उपयोग करना चाहिए, ताकि लोग आसानी से तुरंत फैसला ले सकें और इन शब्दों का उपयोग कर सकें। पर "हमला" शब्द समाचारों में काफी प्रचलित है। इस कारण मेरी राय में इसे ही ___ हमला में उपयोग किया जाना चाहिए और "आक्रमण" शब्द दो देशों या साम्राज्य के मध्य लड़ाई में उपयोग होता है, तो उसे उसमें उपयोग करना ज्यादा अच्छा होगा।

: समाचार मुख्यतः 'श्रव्य-दृष्य' है, हिन्दी विकि पर 'लिखा' जाता है। दोनों की भाषा की अलग होगी। कोई नहीं मानेगा कि 'चाकू से हमला करना ठीक है' और 'चाकू से आक्रमण करना गलत'। किसी शब्दकोश में दिए अर्थ के अनुसार आपने लिखा हो तो कृपया उसका सन्दर्भ दीजिए।[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

अब हमला और आक्रमण वाली बात से हट कर खिड़की और वातायन में आता हूँ। इसमें तो साफ है कि लोगों को खिड़की शब्द के बारे में अच्छी तरह जानकारी होगा ही। खिड़की नाम से एक धारावाहिक भी बना था। शायद पिछले कुछ वर्षों में ही प्रसारित हो चुका है। कुछ हिन्दी गानों में भी "खिड़की" शब्द का उपयोग हुआ है। इनमें कुछ नए फिल्म भी हैं। पुस्तकों में भी साफ साफ कई जगह केवल और केवल खिड़की शब्द का उपयोग हुआ है। इसे बदलने का तो कोई कारण ही नहीं था।

वैसे सलमा जी ने जब आक्रमण को हमला करने हेतु लेख के नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था, तो वहाँ मैंने कई सारे समाचार सन्दर्भ दिये थे, कि इतने सारे समाचार स्रोत "हमला" शब्द का ही उपयोग कर रहे हैं। वैसे सभी समाचार स्रोत इसका उपयोग न भी करें, पर पिछले कई लेखों का नाम इसी अनुसार ही रखा गया है। इस बारे में भी मैंने कहा था। उस समय मुझे जल्दी थी कि "हमला" शब्द के उपयोग करने से पाठकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी ही। पर उस दौरान आधे से अधिक समय तक उसका नाम आक्रमण ही रखा गया था, शायद उसके कारण जितने लोग आने थे, उससे थोड़े कम आए होंगे। वैसे आक्रमण शब्द तो प्रचलित ही है, लेकिन उसका इस तरह उपयोग नहीं किया गया है, इस कारण इस घटना को खोजने वाले भी "हमला" लिख कर ही खोजते या खोजेंगे।

: यह शुद्ध कपोलकल्पना है कि 'हमला' देखकर अधिक लोग हिन्दी विकी पर आयेंगे। हिन्दी विकी पर सामग्री खोजते हुए लोग आते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है- इसे ठीक करना होगा। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

वैसे हिन्दी विकिपीडिया में कुछ लेखों के नामों को बदलने से इस तरह के शब्द प्रचलित नहीं हो सकते, पर यकीनन इससे विकि पाठकों को अच्छा नहीं लगेगा, जो खिड़की वाला लेख देखने के लिए इसे खोलेंगे और नाम ही बिल्कुल अलग दिखेगा। मैंने ऊपर भी कहा है कि प्रचलित हिन्दी शब्दों के कमजोर होने से उसका लाभ पूरी तरह अंग्रेजी को ही मिलेगा। इस कारण इस लेख का नाम "खिड़की" ही रखना ठीक रहेगा, पर इसमें जानकारी के लिए आप "वातायन" लिख सकते हैं। ताकि लोगों को पता रहे कि इसे वातायन भी बोलते हैं।

पढ़ाई की पुस्तकों में इसे खिड़की के नाम से ही देखा हूँ, कहीं भी वातायन नहीं देखा। क्या आपके पढ़ाई के पुस्तक में "वातायन" नाम लिखा है ? वैसे बचपन से ही हिन्दी नाम के रूप में "खिड़की" शब्द ही बताया जाता है। इसे अचानक से "वातायन" करने से किसको अच्छा लगेगा? जबकि कई जगह इसी शब्द का उपयोग मिल रहा है।

यदि अंग्रेजों ने भी इस तरह से शब्दों को बदला होता तो बहुत से लोग इसका विरोध ही करते, पर उनके कार्य बहुत धीमे धीमे हुआ है। इस कारण कई सारे शब्द ऐसे हैं, जिसे हम जानते हुए भी उपयोग कर लेते हैं। हमें प्रचलित हिन्दी शब्दों से ही लेख का शीर्षक रखना चाहिए, ताकि लोगों को हिन्दी बहुत ही आसान लगे और अन्दर में उन शब्दों का उल्लेख करना चाहिए, जैसे अंगूर को द्राक्षा भी कहा जाता है।, खिड़की को वातायन भी कहा जाता है, आदि । इससे लोगों को धीरे धीरे ही इन शब्दों के बारे में पता चलेगा और हमें विकिपीडिया के साथ साथ दूसरे माध्यमों से भी इन शब्दों का प्रचार करना पड़ेगा, क्योंकि एक माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो प्रचार भी अच्छे से नहीं होगा और लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।

बचपन से ही "अंगूर", "खिड़की" जैसे शब्द हिन्दी के ही बोले गए और पढ़ाई में भी इन शब्दों का उल्लेख था, ऐसे में उसे अचानक से बदलने से ऐसा लग रहा है जैसे मैं जिस हिन्दी को जानता हूँ और जिस कारण से विकिपीडिया में योगदान दे रहा, वो हिन्दी कोई और ही है।

अ़़ब़ ऩुक़़्त़ा क़ी ब़ा़त़, ज़ो श़ा़य़द क़िस़ी भ़ी ह़िऩ़्द़ी म़ाध़्य़म़ क़े व़िद्यार्थी को पता ही नहीं होगी और इसके कारण मेरे कुछ दोस्तों का दिमाग भी खराब हो जाता है। वैसे मुझे इसके बारे में विकिपीडिया में आने से पहले कुछ पता ही नहीं था और न ही इसका उच्चारण पता है। पढ़ाये जाने वाले किसी भी पुस्तक में मैंने एक भी नुक्ता नहीं देखा। पता नहीं विकिपीडिया में पढ़ाई से जुड़े लेखों में भी नुक्ते का इतना उपयोग क्यों होता है। पर मुझे इससे अभी तो कोई समस्या नहीं है, पर कुछ फॉन्ट में नुक्ते के कारण अक्षर समझ ही नहीं आते थे, उसे बदलने के बाद ही मैं नुक्ते वाले अक्षरों को समझ पाया। खास कर ऐसे शब्द जिसमें नुक्ता भी हो और तिरछा किया गया हो, वो तो बिल्कुल कोई अलग शब्द ही लगने लगता है। इसके अलावा एक और समस्या दो अलग अलग नुक्ते में है।

नुक्ते़ अ़ल़ग़ अ़ल़ग़ भ़ी ह़ोत़े है़ं, इ़स़क़ा प़त़ा़ भ़ी़ क़ई़ स़म़य़ क़े ब़ा़द प़त़ा च़ल़ा। जै़से फ़ = फ़, ज़ = ज़ दोनों ओ़़ऱ नु़क़्त़े है़ं, ल़ेक़िऩ द़ोऩों ए़क़ ऩह़ीं ह़ै। इ़स़क़े क़ाऱण़ ख़ोज़ऩे मे़ं और कड़ी जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है और कई बार एक से अधिक लेख भी बन जाता है। इसके कारण कुछ अन्य जगहों पर भी समस्या उत्पन्न हो गई है। खास कर लिखने वाले वेबसाइट में, जिसमें हिन्दी में कितने तेज लिख सकते हो, वो पता चलता है। वो सब ठीक से काम ही नहीं करता है। उसका कारण भी नुक्ता ही है। दो अलग अलग तरह के नुक्ते के कारण आप आसानी से लिख ही नहीं सकते। मैंने उन सभी को इस समस्या को हल करने लिए ईमेल भी किया था, पर एक का ही जवाब आया और वे भी समस्या को समझ नहीं पा रहे। चाहें तो पूरे विकि से नुक्ते को न हटाएँ, पर पढ़ाई से जुड़े लेखों में नुक्ते को रखना ठीक नहीं है, क्योंकि पुस्तकों में नुक्ते का उपयोग नहीं किया जाता है और शायद किसी भी हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी को नुक्ते के बारे में पता नहीं होगा । यदि वो किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी प्राप्त न किया हो। वैसे इनपुट टूल के कारण नुक्ता डालने में कोई समस्या नहीं आती है। पर इनस्क्रिप्ट उपयोग करने वालों को व्यर्थ में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पूरे विकिपीडिया से हटाएँ या न हटाएँ, पर मुझे लगता है कि इसे उन सभी लेखों से हटा देना ही सही होगा, जो पढ़ाई से जुड़े हैं। रसायन, भूगोल, गणित, विज्ञान आदि से। वैसे पूरे जगह से नुक्ता हटा भी दें तो एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लगभग सभी इनपुट टूल जैसे गूगल या माइक्रोसॉफ़्ट इनपुट टूल में अपने आप ही कई जगह नुक्ता आ जाता है। तो नुक्ता वाले लेख तो लोग बना ही लेंगे और खोजने वाले नुक्ते के साथ भी खोज सकते हैं।

अंकों के बारे में हम लोगों ने पहले भी बहुत सी चर्चाओं में चर्चा किए हैं। शायद सभी का यही निर्णय निकला था कि लेखों में जो अंक पहले से है, उसे ही पूरे लेख में रखा जाये। उसे बदला न जाये। वैसे इसका एक और हल भी है, पूरी तरह उपयोग तो नहीं कर सकते पर उसका लाभ जरूर होगा। हम लेखों में जितना हो सके, उतने जगहों पर संख्या को अंकों के स्थान पर शब्दों में लिख सकते हैं। जैसे आठ लोगों की मौत, तीन लोग डूब कर मर गए, या उन्नीस लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत आदि। कुछ लोग जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करते हैं, वे लोग अंकों को अंग्रेजी में ही बोल देते हैं। इस समस्या का हल भी इसी से हो जाएगा। इससे उन लोगों को शब्द याद रहेगा और हमें भी अंकों के बारे में उतना सोचना नहीं पड़ेगा।

: संख्यासूचक शब्दों को अंकों में लिखा जाय या शब्दों में? - इस सम्बन्ध में एक अच्छी नीति हमे बतायी गयी थी। साहित्य आदि लिखते समय शब्दों का करें ( आठ पहर लिखिए, ८ पहर नहीं।) गणित, विज्ञान आदि में अधिक से अधिक अंकों का प्रयोग करना चाहिए। इतिहास में भी तिथियाँ आदि अंकों में लिखी जानी चाहिए ( भारत सन् १९४७ में स्वतन्त्र हुआ। )[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

ऊपर की सारी चर्चाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हमें हर परियोजना हेतु शब्दावली का निर्माण करना चाहिए और उन्हीं शब्दों का उपयोग लेखों में करना चाहिए। जैसे विकिपरियोजना फिल्म में फिल्म में उपयोग होने वाले सभी शब्दों का उसके अर्थ के साथ सूची रहेगा, जिससे कोई भी सदस्य आसानी से उन सूचियों से देख कर नाम लिख लेगा, इससे इस तरह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही साथ इससे हिन्दी के शब्दों का प्रचार भी काफी अच्छे से हो सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उस विषय पर लिखने वाले सदस्यों को होगा और वो भी कोई नया सदस्य या जो उस विषय पर पहली बार लिख रहा हो।

प्रथम विश्व युद्ध या पहला विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध या दूसरा विश्व युद्ध में तो प्रथम और द्वितीय रखने में क्या समस्या हो सकती है ये तो समझ नहीं आ रहा, पर पाठ्यपुस्तकों में तो प्रथम और द्वितीय शब्द का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध लिखा रहता है।

मैं जब क्रिकेट से जुड़ा लेख बना रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि कोई एक शब्दावली हर परियोजना में होनी चाहिए, जिसे देख कर आसानी से अनुवाद किया जा सके। जब गूगल से अनुवाद करते हैं तो उसमें कई बार सही शब्द नहीं आता है या अर्थ ही नहीं दिखाता है, इस कारण मजबूरी में अंग्रेजी शब्द का ही उपयोग कर लेते हैं। पर शब्दावली रहेगा तो तुरंत कोई भी उसका हिन्दी अर्थ लिख देगा। हो सकता है कि इससे कई लोगों को अनुवादक की जरूरत भी न पड़े। हिन्दी के शब्दों का प्रचार करने और विवादों को दूर रखने में ये उपयोगी सिद्ध होगा। पर इसका निर्माण सभी से पूछ कर और सभी की सहमति से ही करना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अलग अलग परियोजनाओं में अलग अलग तरह के शब्दों का उपयोग होता है। जैसे विकिपीडिया में हम ''रिवियू'' को पुनरीक्षण लिखते हैं और अन्य जगहों में "समीक्षा" लिखते हैं।

: एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ होते ही हैं। 'कम्प्लेक्स नम्बर' और 'फ्युएल कम्प्लेक्स' और 'इनफेरिआरिटी कम्प्लेक्स' में 'कम्प्लेक्स' का अर्थ समान नहीं है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें शब्दों के साथ साथ अनुवाद विकि पर भी ध्यान देना चाहिए, उसके लिए भी हमें एक परियोजना का निर्माण करना चाहिए, जिसमें हम सभी मिल कर शब्दों को चुन कर सूची का निर्माण कर सकें। कई बार वहाँ लोग ऐसे शब्द लिख देते हैं, जो दूसरे में कुछ और व तीसरे में कुछ और होती है। सबसे ज्यादा पुनरीक्षण शब्द को समीक्षा लिख दिया जाता है। हटाने के शब्द को निकालें या अवरोध वाले शब्द को बार बार ब्लॉक लिख देते हैं। प्रतिबंध और अवरोध को भी इधर उधर कर के लिखा गया है। उसमें कई सारे शब्द में मात्रा त्रुटि भी है और कई में व्याकरण त्रुटि भी है। इस कारण हमें इस परियोजना की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के अनुवादों को उसी समय सुधार कर लिया जाये और सभी जगह एक ही शब्द लिख रहे।

हिन्दी विकिपीडिया में कई सारे अनुवाद अनुवादविकि के अनुवाद से अलग हैं, इस कारण कई सारे गलत अनुवाद दिखाई नहीं दे रहे हैं, कुछ दूसरे एक्स्टेंसन में भी कई लोगों ने खराब अनुवाद किए हैं। उन्हें भी ठीक करना पड़ेगा। पर उन सभी को ठीक करने से पूर्व हमें इस नई परियोजना का निर्माण करना पड़ेगा, जिससे शब्दों को चुनने में हमें कोई परेशानी न हो और कोई दूसरा सदस्य यदि कोई उल्टा सीधा अनुवाद कर दे तो हम उसे शब्दावली दिखा सकते हैं। पर अभी कोई दूसरे शब्द को सही बोले तो हम कुछ नहीं कर सकते। वैसे कई लोग वहाँ पृष्ठ, पन्ना, पेज, तीनों को ही लिख देते हैं। इस तरह की समस्या भी दूर हो जाएगी। --[[स:स|स]] ([[सवा:स|वार्ता]]) 17:01, 24 सितंबर 2017 (UTC)

{{ping|अनुनाद सिंह}} जी, दो दिनों के लिए विकिपीडिया पर नहीं था न ही आपने मेरी अंतिम टिप्पणी पर कोई टिप्पणी की। ऊपर इस लंबी टिप्पणी के लेखक "सदस्य:स" जी हैं। आपके कुछ वाक्यों से ऐसा लग रहा जैसे इसे आप मेरी टिप्पणी समझ बैठे। स जी की उपरोक्त बातों में कई से सहमत और कई से असहमत हूँ और समय मिलते ही लिखूँगा। बस एक चीज नहीं समझ में आई, आप हर उस व्यक्ति को हुन्जजल का अवतार क्यों घोषित करने लगते जिससे आपकी असहमति हो? क्या आपको मालुम नहीं कि कठपुतली होना एक गंभीर ग़लती है और केवल संदेह के आधार पर किसी पर इसका आरोप लगाना भी? मेरे खाते पर हुंजाजल की कठपुतली होने का संदेह व्यक्त करके क्या साबित करना चाह रहे?--[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 10:13, 26 सितंबर 2017 (UTC)

::{{ping|SM7}} तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)
:::{{सुनो|अनुनाद सिंह|SM7|स}} नेहल जी से मेरी व्यक्तिगत बातचीत हो गयी है और वो इस मुद्दे को इतना तूल देने के समर्थन में नहीं हैं। उनके हिंदुस्तानवासी जी और SM7 जी से कुछ छोटे विवाद (असहमतियाँ) हैं जिन्हें बहुत आसानी से सुलझा लिया जायेगा। इस पर इस तरह की लम्बी वार्ता और आपस में कठपुतली कहना शोभा नहीं देता। मुझे स जी, SM7 जी और Hunnjazal जी की शैली, भाषा और विचार अलग-अलग लगते हैं। कई बार देखने के नज़रिये से भी समानता दिखाई दे सकती है जैसे हम सभी हिन्दी विकि के योगदानकर्त्ता हैं और हिन्दी भाषा अपनी समानता को प्रदर्शित करती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप सभी लोग, कृपया अपनी गलतियाँ स्वीकार करके (यदि आपको नहीं लगता कि आपने गलती की है तो भी क्षमा माँग सकते हो) विवाद का अन्त करें। इस विवाद के समय को विकि-विकास में लगायें।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 18:11, 26 सितंबर 2017 (UTC)

{{सुनिए|अनुनाद सिंह}} जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किये गए संदेह को मैंने [[विकिपीडिया:प्रबंधक सूचनापट|सूचनापट]] पर रख दिया है और आशा करता हूँ इसका निर्णय बाकी के प्रबंधकगण करेंगे। आपसे उमीद करता हूँ कि आप नेहल जी के दायित्व छोड़ने के निर्णय पर चर्चा आगे बढ़ायेंगे। उक्त निर्णय में यदि भाषा शैली और/अथवा किसी अन्य नीतिगत प्रश्न पर निर्णय आप पहले आवश्यक समझते हों (अथवा कोई अन्य सदस्य आवश्यक समझता हो) तो कृपया अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्ताव के रूप में लिखें। यदि किसी को पहले उन विवादों पर निर्णय सुनाना आवश्यक लगता हो जिनके कारण आदरणीय नेहल जी ने अपने अधिकार त्याग की चर्चा आरंभ की तो कृपया उसे अलग और स्पष्ट अनुभाग में लिखें और सबकी राय लें।
:{{सुनिए|SM7}} जी, प्रबन्धक सूचनापट्ट पर आप के सन्देश को मैने पढ़ लिया है। संजीव कुमार जी ने संक्षेप में अपने विचार भी रख दिये हैं। आप और हुञ्जाल जी हिन्दी के प्रबन्धक हैं। क्या आपको नहीं लगता कि शंका को निर्मूल करने का सबसे अच्छा तरीक यह होता कि आप दो कदम और आगे जाकर अपना चेक यूजर कराने का प्रस्ताव स्वयं देते? हिन्दी विकी पर कठपुतली के इतिहास में हुञ्जाल जी का नाम भी '''अंकित''' है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 04:08, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::{{सुनिए|अनुनाद सिंह}} जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: {{सुनिए|SM7}}जी, आश्चर्य है कि इतिहास से सहसा घृणा हो गयी, वैराग्य आ गया। क्या नैतिकता की सारी बातें इतिहास हो गयीं? आपको पता है कि सोने को आग से डर नहीं लगता क्योंकि आग में जाकर सोना शुद्धतर होकर निकलता है। एक प्रबन्धक अपनी जाँच से डरे तो जनता में क्या सन्देश जाएगा?


@अन्य सदस्य -- यह अनुभाग मुझसे प्रश्न के रूप में लिखा गया था। जो मेरे वार्ता पन्ने पे किया जाना चाहिए था। अनुरोध करने पर वहाँ भी लिखा गया और पहले उन प्रश्नों का उत्तर माँगा जा रहा जिनकी वज़ह से आदरणीय नेहल जी को यहाँ आना पड़ा। मेरे उत्तर देने के विलम्ब को "कतराना" कहा गया। स्पष्ट कर दूँ कि जिन बातों पर मुझसे प्रश्न पूछा जा रहा उनका उत्तर मैं अभी कदापि नहीं दूँगा। कारण भी बता देता हूँ, मेरी स्पष्ट राय है कि विवाद पर चर्चा करने हेतु दायित्व छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है। जब तक इसका निर्णय नहीं होता किसी ऐसे विवाद पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा जिसे पहले ही सामान्य रूप से सुलझाया जा सकता था। नेहल जी (और एक और मित्र ने जाने की धमकी दी है) की कार्यशैली देखते हुए ही इस नतीज़े पे पहुँचा हूँ कि ये लोग मात्र ध्यानाकर्षण हेतु ऐसे मुद्दे इस रूप में उछालते है। यकीन न हो तो कृपया इसी पन्ने पे ऊपर देखें, (छोटा सा उदाहरण दे रहा) नेहल जी ने एक लेख को निर्वाचित घोषित कर दिया क्योंकि ''"मेरा ये करने का उद्देश ये था कि कोई तो आगे आये और इस विषय पर चर्चा करे।"'' और विकीतर वाट्स एप समूह में इसे "बम फोड़ने" की संज्ञा भी दी थी (क्षमा प्रार्थी हूँ अनौपचारिक समूह की बात लिखने के लिए)।

उक्त तरीकों से शहीद बनने और त्याग की भावना (दायित्व त्याग) दिखाने का प्रयास ये लोग कर रहे -- और माननीय अनुनाद जी का कहना है कि पवित्र युद्ध में भाग लेने वाले (जिहादी) हम हैं। ख़ुद ये लोग टीम बना कर विकिपीडिया को पवित्र करने का अभियान चला रहे और आरोप हमपे कि हम जिहाद कर रहे। खिड़की को वातायन किया जा रहा कि यह शुद्ध किया जा रहा, और टोको तो हम जा रहे, तुम हमें छोड़ने पे मजबूर कर रहे इसलिए खलनायक हुए। सामने वाले को निन्दित करने का बेहतरीन तरीका खोजा है। आरोप लगा दो, ख़ुद अच्छे साबित हो गए।

कृपया सदस्यगण इस तरह के आरोपों पर चर्चा करें और ऐसी प्रवृत्ति का उपचार सुझाएँ। --[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 19:57, 26 सितंबर 2017 (UTC)

: एक समय था जब हिन्दुस्तानीलेन्गुएज और हिन्दुस्थानवासी को एक समझा जाता था। फिर शनैः शनैः वो भ्रम दूर होता गया। अभी कुछ दिनों पूर्व की ही बात है, जब किसी पुरातन सदस्य का नाम ले कर कठपुतलि लेखा बनाई गयी थी, जिससे प्रबन्धक के लिये नामांकन किया और पुनरीक्षक पद के लिये भी आवदेन किया गया था। व्यवहार पर शंका करना और उसको व्यक्त करना अत्यावश्यक है। फिर वो असत्य या सत्य सिद्ध हो तो किसी की जय या पराजय नहीं होती, अपि तु समुदाय का हित होता है। अतः इसे आप अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाएँ। <br/>
"कतराना" शब्द आज भी उचित है और निर्वाचित लेख के समय भी उचित ही था। विकिपीडिया पर स्वान्तः सुखाय कार्य होता है और कभी कभी निष्क्रिय होना भी अत्यन्त लाभकारी होता है। इस नीति का '''प्रबन्धकगण''' अनुचित लाभ ले रहे हैं। जब किसी चर्चा पर मत देने की बात आती है या निर्णय करने की बात आती है, तो जानकर या तो निष्क्रिय हो जोते हैं या अन्य बात करते हैं। अभी तो आपके द्वारा दो दिन ही विलम्ब से उत्तर (नहीं) दिया गया। परन्तु निर्वाचित लेख के समय तो बहुत दिन हो चुके थे। अब पुछा जाये तो अन्य ही कारण मिलेगा। <br>
आपको जो प्रश्न किये हैं, वे आपको किसी सदस्य के रूप में पुछे नहीं गये। वे प्रश्न प्रबन्धक के रूप में आप से किये गये हैं। अतः अपने दायित्व से भागने का प्रयास न करें। आपकी प्रथम टिप्पणी से मैं देख रहा हूँ कि आप बात को घुमा रहे हैं। फिर भी मैं आप जैसे चाहते हैं, वैसे करने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिये नहीं कि मुझे किसी को अनुचित सिद्ध करना है। इसलिये कि मुझे समस्या का समाधान चाहिए। परन्तु प्रबन्धक के रूप में आप समाधान करने के स्थान पर पहले क्यों नहीं किया? अधिकार की आड क्यों ली? यहाँ क्यों लिखा? अमुक लेख का शीर्षक क्यों बदला? इत्यादि प्रतिप्रश्न कर विवाद को बढा रहे हैं। वास्तव में यदि आप निष्पक्ष हैं और हिन्दी की एक शैली के प्रति पक्षपाती नहीं, तो अपना मत प्रस्थापित करने से बचते (कतराते) क्यों दिख रहे हैं? <br>
बम फोड़ना शब्द प्रयोग कोई अनुचित नहीं था। क्योंकि यही वास्तविकता है कि, जब सब से मत मांगा जाता है, तब कुछ लोग निष्क्रियता का आवरण ले लेते हैं। फिर जैसे निर्णय अन्तिम चरम पर होता है, तो विवाद उत्पन्न किया जाता है। क्या एक प्रबन्धक के रूप में आपको पता नहीं था कि उस लेख के सन्दर्भ में क्या समस्या चल रही थी? अब आप कहेंगे मेरा ध्यान नहीं था। परन्तु खिड़की का वातायन होने पर आपका ध्यान है और इतना विशाल विवाद आपके ध्यान में नहीं था? या आप प्रतीक्षा कर रहे थे कि देखते हैं मेरे विचार के अनुरूप निर्णय हो तो उचित है, अन्यथा मैं कूद पडूंगा। कौन प्रबन्धक बनेगा और किसको अमुक अधिकार मिलेंगे ये नेपथ्य में ही निश्चित हो जाता है। ये व्यक्ति ? इसने तो उस दिन मुझ से अमुक प्रश्न किये थे। ये नहीं। वो? हाँ वो अच्छा है। उसने उस समय अच्छा तर्क दिया था (जो मेरे अनुकूल था)। इसे आगे बढाते हैं। <br>
नेपथ्य में विवाद के समाधान पर कार्य करना कोई अनुचित कार्य नहीं है। सब चाहते थे कि निर्वाचित लेख पर कोई अपना मत देवें। परन्तु जिनके पास ये क्षमता थी वो अघोषित रूप से अपने दायित्व से भाग रहे थे और अपने अधिकारों का अवलम्बन (आड) लेकर अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वो अधिकार के अवलम्बन में चर्चा न करना यदि उचित है, तो मेरा अधिकार त्यागने की बात कर चर्चा करवाना भी उचित ही है। वास्तव में ये आरोप ही है कि मैंने अधिकारों के अवलम्बन में चर्चा करवाई। फिर भी उसका समाधान ये है कि, चाहे इस चर्चा का निर्णय पक्ष में या विपक्ष में आये मैं ये अधिकार त्याग दूंगा। इस वाक्य से मेरी मन्शा स्पष्ट है। द्राक्षा, वातायान इत्यादि की जो बात है, वो मैं स्वीकार करता हूँ। वहाँ स्थिति ये थी कि, मैंने अधिक शुद्ध शब्दों के प्रयोग का सोचा। क्योंकि समाज में स्थानप्राप्त शब्दों को तो सब जानते ही हैं। वो खोजेंगे तो अनुप्रेषण के माध्यम से वो खोज ही लेंगे। परन्तु उनको वास्तविक शब्द नहीं पता चलेगा। उदा.। खिड़की सब उपयोग सब करते हैं, तो उसे खोजा ही जाएगा। अतः उसको कोई समस्या नहीं है। परन्तु उससे किसी को वातायन शब्द का ज्ञान नहीं होगा। यदि हम खड़की को अनुप्रेषित कर वातायन की ओर भेजें, तो अंगूर जानने वाले को वातायन शब्द का भी बोध होगा और खिड़की शब्द तो वो जानता ही है। परन्तु आप लोगो के ऐनक में ये कृत्य अन्यथा है। अतः मैं स्वीकारता हूँ कि वो मेरी क्षति थी। परन्तु यहाँ जो विषय है, उस में जानकर किसी के द्वारा प्रयुक्त शब्द को परिवर्तित कर अपने सीमित (पक्षपाती) ज्ञान के आधार पर एक ही शब्द उपयोग करने के लिये अन्य को विवश किया जा रहा है। इन दोनों अंशों को आपने स्पष्ट रूप से समान सिद्ध करने का प्रयास किया।<br>
दो व्यक्तिओं के मध्य मतभेद होता है और तृतीय व्यक्ति आता है, जिसे समाधान ज्ञात है। अब वो व्यक्ति समाधान देगा और विवाद समाप्त करेगा। परन्तु यहाँ तर्क दिया जाता है कि, उस में से एक व्यक्ति यदि ऐसे करता तो विवाद होता ही नहीं या समाधान हो सकता था, अतः मैं समाधान नहीं दूंगा। ये हास्यास्पद और स्पष्टरूप से उत्तर देने से बचने का प्रयास ही कहा जाएगा। क्योंकि वो उस द्वितीय व्यक्ति के पक्ष का तर्कसंगत पाता है और अपनी विचारधारा के अनुरूप व्यक्ति के पक्ष को और अपने पक्ष को तर्कहीन।<br>
संजीवजी से मेरी विस्तृत बात हुई है। मैं उनसे भी निवेदन किया है और उसका ही यहाँ पुनरावर्तन कर रहा हूँ। मैं विवाद नहीं चाहता और न मैंने विवाद आरम्भ किया है। मैंने लेख बनाया और उस में जितने भी तथ्यों का अभाव बताया गया वो मैंने लेख में अन्तर्भूत किये। परन्तु एक पक्षपाती रूप से शीर्षक और लेख में प्रयुक्त हिन्दी शब्द को आक्रमण, दायित्व इत्यादि शब्दों के प्रयोग से रोका गया। संख्या विवाद जो वास्तविक विवाद है भी नहीं। क्योंकि अंक परिवर्तक नामक उपकरण बना हुआ है। जिसे जो चाहे वो अंक देख सकता है। फिर भी वो अन्य के प्रयुक्त अंक को परिवर्तन करते हैं। इससे अधिक लेख में दिये उचित सन्दर्भों को नीकाला गया और पक्षपातपूर्ण लेख सज्ज किया गया। तो ऐसा करने वाले को दण्ड हो मैं नहीं चाहता परन्तु हिन्दी शब्दों के प्रयोग के लिये स्वतन्त्रता हो इतना ही हो ऐसा मैंने कहा। <br>
जब मैंने खिड़की का वातायान किया और अंगूर का द्राक्षा किया तो उसे पूर्ववत् कर दिया गया, तो अब इस अनुचित कृत्य के लिये कार्यवाही की याचना मुझे किसी भी प्रकार का भयादोहन (blackmail) नही लगता। किसी अन्य पद्धति से हो सकता था, परन्तु वास्तविकता ये है कि नहीं हुआ। अब नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिये ऐसी नीति का त्याग कर पूर्वकाल में असिद्ध को सिद्ध करना चाहिये। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 08:39, 27 सितंबर 2017 (UTC)
:सलमाजी भारत नामका एक देश है, जहाँ शताब्दीयों से नहीं युगों से मूर्तिपूजक, मूर्तिपूजा के न मानने वाले, ईश्वरवादी, ईश्वर में न मानने वाले लोग रहते हैं। उन लोगो की भावना को आहत करने वाले कुछ तत्त्वों को जब कहा जाता है कि, ये करना है तो जिस देश में ऐसा होता है, वहाँ चले जाएँ। तब वो कहते हैं कि ये देश उतना ही हमारा है, जितना तुम सबका। उस तर्क को मैं दे रहा हूँ। यदि हिन्दी के शब्दावली विभिन्न भाषाओं से प्रभावित है और भाषाविज्ञान भी उसके लिये तर्क देता है, तो किसी एक ही पक्ष की भाषा के उपयोग करने वालों का विरोध क्यों न करूं? और ये भाषा जितनी आपकी है उतनी मेरी भी है, तो मैं कहीं जा कर क्यों लिखूँ? मैं यहाँ लिखूँ या नहीं ये कोई मुजाहिद निश्चित नहीं करेगा। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 09:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)


* दोस्तों यहाँ चर्चा विश्वकोश निर्माण की नहीं, भाषा निर्माण की हो चली है। ये हमारे बस में नहीं है और हमारा काम भी नहीं है। कृपया यहाँ विकिपीडिया पर अपनी राजनीतिक आस्था लेकर युद्ध न चलाया जाए। हमारा मकसद हिन्दी में विश्वकोशीय जानकारी देना है, किसी राजनीतिक पद्धति या शब्द को प्रचारित करना नहीं है। इसके लिये ही साधारण शब्द उपयोग करने की अनुशंसा है और की गई है। कृपया इसी को ध्यान में रखें। जो कोई (मतलब हर कोई) ऐसा नहीं कर सकता वो जाने को स्वतंत्र है। उसके लिये इतना बवाल और शोर-शराबा करने की जरूरत नहीं। हम में से हर कोई किसी न किसी मकसद के लिये आया था यहाँ पर, तो जाहिर है जब वो मकसद पूरा होते हुए न लगे तो मन उखड़ जाता है और कुछ करने का मन नहीं करता। इसका उपाय यही हो सकता है कि मकसद बदल लिया जाए या विदा ली जाए। परिपक्व लोग इसे शांति से करेंगे और कुछ नहीं। पर इससे वास्तविकता नहीं बदलती। खैर इस मामले को तूल न दिया जाए और जो विकिपीडिया निर्माण के लिये आए हैं, वो अपने काम में लग जाए। जिनको कुछ और करना है वो दूसरा माध्यम तलाश लें। धन्यवाद।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 10:55, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: {{सुनिए|हिंदुस्थान वासी}} जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)
:::: इसके लिये कोई नीतिगत चर्चा पृष्ठ बना के विचार किया जाना चाहिए। ये मुद्दा कई महीनों के अंतराल पर उठता रहता है, इसका समाधान होना चाहिए। "प्रचलित" शब्द कैसे तय होंगे इसपर भी बात होनी चाहिए, खासतौर से शीर्षक में। अंदर पाठ में तो ज्यादा किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल मुद्दा संस्कृत या फ़ारसी का न बनाकर (विश्वकोश की) भाषा की सरलता और उपयोगिता पर होना चाहिए।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)

: विश्वकोश का निर्माण का आधार भाषा है यहाँ पर। हिन्दी भाषा में विश्वकोश बनाने के लिये ही सब प्रयत्न कर रहे हैं। परन्तु जो लोग अपनी राजनीतिक आस्था को गुप्त रख कर अन्यों पर राजनीतिक आस्था के लिये युद्ध करने का आरोप करें, तो उन्हें दर्पण देख लेना चाहिए। यहाँ किसी के जाने के और न जाने के विषय मैं जो बात हो रही है, वो किसी ऐसे व्यक्ति के कारण आरम्भ हुई जो अपनी मनमानी करना चाहता है। किसी अन्य को विवश करना चाहता है कि उसको और उसके राजनीतिक आस्था वालों को जो शब्द आता है, उसका ही सब लोग उपयोग करें। 'तार्किक रूप से सही' बोल कर मनमानी कर लते हैं, अतः आप से वैसे भी हि.वि के सदस्यों की चिन्ता की अपेक्षा नहीं है। परन्तु ध्यान रहे, जो अधिकार आपके पास है, वो निर्माण के लिये विनाश के लिये नहीं। जाने न जाने की चर्चा तो एस.एम.7 जी ने पहले ही समाप्त करवा दी। अब यहाँ चर्चा समाधान की हो रही है, जो आपके स्वभाव में नहीं। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 12:03, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::नेहल जी, ये तो साफ़ है कि आप संस्कृत शब्द का प्रचार ही करना चाहते हैं और ऐसे शायद संस्कृत विकिपीडिया के लिये नए सदस्य खोज रहे हैं। उसे हिन्दी बताकर सबको "शुद्ध" करना चाहते है। क्या मैंने कोई शब्द जबरदस्ती करने के लिये हो-हल्ला किया है? जो लोगों को सही लगा होने दिया। अब आप कभी जाने का और कभी न जाने की कहते हैं। कोई ढंग का लेख बनाइये, क्यों शब्द को प्रचारित करने में हमारा समय बर्बाद कर रहे।
::आप बार-बार अमरनाथ हमला की चर्चा को ले आते हैं। उसकी सच्चाई सबको दिख रही है। वहाँ सब लोग हमला शब्द करने के साथ थे (आप को छोड़कर), वो भी तर्क के साथ। आप ही नए-नए जुगाड़ निकाल रहे थे उसको न होने देने से। हर किसी का सम्पादन हटा रहे थे। जरूर आपका उन लोगों के प्रति सहानुभूति हो सकती है और आपका लेख के साथ लगाव भी। पर आप वहाँ सिर्फ एक तरफा ही लिख रहे थे जिसे आप "सच्चाई" मानते हैं। मैंने उस लेख में कोई सम्पादन नहीं किया है। नाम बदलने की चर्चा खुली हुई थी मैंने उसको बंद किया। उसके बाद से आप यहाँ पर बचकानी हरकत कर रहे जो आपको शोभा नहीं देता। आपको पुचकारने का काम खत्म, अब बड़े हो जाइए और परिपक्वता से कार्य करें।
::आपके साथ शब्द प्रचार में बिल्कुल साथ नहीं दिया जाएगा। इस विषय (विदेशी शब्द से हिन्दी को "शुद्ध" करना) में कोई समाधान की गुंजाइश नहीं है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इनको प्रचारित करने का कोई और साधन खोज लें। धन्यवाद।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)
:::: [https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 इस सम्पादन में] जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, यदि ऐसा होता रहा, तो सर्वदा शब्द युद्ध में ही सम्पादक व्यस्त रहेगा। क्योंकि उसने जो शब्द लिखें, जो उसके मन में हैं, उसे बारंबार परिवर्तित करने से कार्य कभी आगे नहीं बढ़ेगा। अंक परिवर्तक निर्मित है, जिसे जो अंक चाहिये वो देखें। उस में किसी लेख में जाकर अंको के परिवर्तन करने की आवश्यकता क्यों हैं? तब जब कुछ लोग अरबी अंक को लिखना चाहते हैं और कुछ देवनागरी। एक शब्द के तो अनेक पर्यायवाची शब्द होते हैं, तो मुझे जो पर्याय अच्छा लगता है, उसे ही में जा कर लेखों में परिवर्तित कर दूं, तो मुझे आप विकिकार्यो में विघ्न उत्पादन करने की श्रेणी में डालते हैं और समान कार्य कोई अन्य करता है, तो उसे पुचकारते हैं। ये प्रबन्धक के मत अनुरूप कार्य करने वालों के प्रति पक्षपात नहीं तो क्या है। मैं केवल शब्दों के प्रयोग में स्वतन्त्रता तो चाहता हूँ। इस में सब ने राजनीति, धार्मिकता और बहुत कुछ जोड़ दिया। उसका उत्तर इसलिये दिया क्योंकि वो आरोप लगा रहे थे। वास्तव में शुद्ध और स्तय विचार मेरा शब्दों के परिवर्तन से होने वाले विवादो के प्रति थी। परन्तु चर्चा को बारं बार यहाँ वहाँ ले जाया गया। इससे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले और समाधान भी नहीं। आप से तो समाधान की कोई अपेक्षा भी नहीं थी अतः अधिकार छोड़ जा रहा था। परन्तु आपके स्थान पर सत्यंजी ने पुछा की पुनर्विचार करें अन्यथा मैं कुछ कहे बिना ही त्याग देता। क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि, आप बिना कुछ चर्चा किये मेरे अधिकार हटा देंगे और सह समाप्त हो जाएगा। परन्तु ये चर्चा चली। वास्तव में सत्यं जी मेरे विरुद्ध केवल दिख रहे हैं, परन्तु प्रत्येक समय वो किसी न किसी प्रकार मुझे मार्ग बताते गये और अन्त में मैंने उनके संकेतो को ग्रहण किया और अधिकार त्याग की बात को अनुचित स्वीकार कर समस्या का समाधान करना चाहा। परन्तु अभी आपके प्रत्युत्तर से स्पष्ट है, कि मैंने पहले विचार जो किया था कि समाधान असम्भव है, वहीं होगा। अब {{सुनो|Innocentbunny|Mala chaubey|Anamdas|स|Sniggdha rai|Somesh Tripathi|Sushilmishra|Suyash.dwivedi|अनुनाद सिंह|चंद्र शेखर|SM7|संजीव कुमार|Hindustanilanguage|Swapnil.Karambelkar|Kamini Rathee|Ganesh591|Gaurav561|Hunnjazal|j ansari|अजीत कुमार तिवारी|ShriSanamKumar|Jayprakash12345|आशीष भटनागर|चक्रपाणी|भोमाराम सुथार}}
{{सुनो-प्रबंधक}} प्रबन्धकगण और अन्य सदस्य जो निर्णय ले मेरे लिये स्वीकार्य होगा। अधिकार की ये बात थी ही नहीं शब्द स्वतन्त्रता की बात थी। जिसे अधिकार की आड़ लेना कहा गया। परन्तु ऊपर मैंने जो सत्य था वो सब के सम्मुख प्रस्थापित किया। अब पुचकारना कहें या चर्चा करना आप सब निर्धारित करें। शब्द प्रयोग की स्वतन्त्रता ही न हो ऐसा कैसे हो सकता है? <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:46, 28 सितंबर 2017 (UTC)

06:03, 17 मार्च 2018 का अवतरण

यह एक मुक्त ज्ञानकोश है, जहाँ सभी को ज्ञानप्रसार का अधिकार है।

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    व्यिंचन

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 13:17, 27 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    नाएप्यीडॉ ‎

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 13:18, 27 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    सन्त किट्स और नेविस

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 11:08, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    सन्त विन्सेण्ट और ग्रेनाडाइन्स

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 11:09, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    सन्त लूसिया

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 11:10, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]


    मेरे विचार से तीनों के ही मामले में एक निर्णय लेकर नीतिगत कर देना चाहिये। तो वह कार्य यहीं हो तो बेहतर होगा, वर्ना एक ही बात की पुनरावृत्ति करना अनुचित होगा।

    यह किसी सन्त का नाम नहीं है जिसे हम जातिवाचक संज्ञा मानकर अनुवाद करें व सन्त बना दें। यह स्थान का नाम है अतः व्यक्तिवाचक संज्ञा है। तो इसे जैसे का तैसा लिप्यान्तरण कर सेण्ट लूसिया, आदि कर देना चाहिये। शेष सर्व सम्मति।--आशीष भटनागरवार्ता 12:32, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    जी आशीष जी, तीनों मामले एक ही जैसे हैं। इसलिये निर्णय एक साथ ही होना चाहिये।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 14:22, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: तीनों मामलों पर जल्द निर्णय लिया जाय।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 11:55, 8 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    जब हमें पता ही है कि ये व्यक्तिवाचक संज्ञा(प्रॉपर नाउन) है तो राष्ट्रों व द्वीपों, आदि स्थानों के नाम में सेण्ट ही लिखा जाये, न कि सन्त या कुछ और अनुवाद। हां आईलैण्ड को द्वीप, आईलैण्ड्स को द्वीपसमूह अवश्य किया जाए। ये मेरी राय है। इस पर अन्य टिप्पणियां एक सप्ताह के भीतर जैसी व जितनी मिलें, उस पर निर्णय लिया जाएगा। अतः १५ मार्च तक अपने विचार, राय व टिप्पणियाँ यहां दे दें:आशीष भटनागरवार्ता 12:14, 8 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    समर्थन

     समर्थन आशीष जी मैं आपके विचारों से सहमत हूँ। हम अधिक से अधिक आइलैंड को द्वीप तथा आइलैंड्स को द्वीपसमूह कर सकते हैं।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 09:13, 10 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विरोध या अन्य
    टिप्पणियाँ

    ---

    नागोरे दरगाह

    --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 18:14, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    महात्मा गाँधी पर आलेख में सुधार के संबंध में

    महात्मा गाँधी पर लिखे आलेख में पैतृक संपत्ति अनुच्छेद के अंतर्गत यह कहा गया है कि "नेल्सन मंडेला, साऊथ अफ्रीका के नेता जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे हैं, इस पुरूस्कार (गाँधी शान्ति पुरस्कार) के लिए एक प्रवासी भारतीय के रूप में प्रबल दावेदार हैं।" यह वक्तव्य अद्यतन नहीं है तथा गलत है। नेल्सन मंडेला को किसी भी प्रकार से भारतीय मूल से संबंधित नहीं किया जा सकता। १९९० में उन्हें भारत रत्न की उपाधि सें संम्मानित किया गया था, जो उन्हें एक विदेशी नागरिक के रूप में दिया गया। सन २००० में उन्हें गाँधी शान्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सन १९१३ में उनकी मृत्यु हो चुकी है।--Prabhasranjan (वार्ता) 20:16, 9 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    @Prabhasranjan: ये वाक्य और अनुच्छेद मशीनी अनुवाद प्रतीत होते हैं। आप इसको सही और सटीक जानकारी से बदल सकते हैं।-हिंदुस्थान वासी वार्ता 06:34, 10 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    -हिंदुस्थान वासी ' वार्ता यह एक संरक्षित पृष्ट है। मुझे इनमे परिवर्तन की अर्हता प्राप्त नहीं है।--Prabhasranjan (वार्ता)

    @Prabhasranjan: मैंने वो वाक्य सुधार दिया है। बाकी अब आप भी इस लेख को सम्पादित कर सकते हैं।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 17:24, 12 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    ध्यान दें

    --आर्यावर्त (वार्ता) 04:06, 10 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इजराइल-सीरिया तनाब 2018

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 12:26, 10 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    गन्ना का रस

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 14:16, 10 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    YesY पूर्ण हुआ --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 06:31, 11 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    फ़तेह चन्द बुधवार

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 16:30, 10 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    नमस्कार, कृपया उपरोक्त मुखपृष्ठ सुझाव का अवलोकन करें व कोई बदलाव, सुझाव या कमी बतायें, जिसे सुधारा जा सके। यह मुखपृष्ठ व्यक्तित्त्वस्तंभ हेतु किया गया है। यदि सही रहे व अनुमोदन मिले तो इसे शीघ्र लागू किया जा सकेगा। इसमें अनामदास जी की भी सहमैत है, किन्तु फिर भी आगे भी उनसे सुझाव अपेक्षित हैं।--आशीष भटनागरवार्ता 06:41, 12 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विकि लव्ज़ द ओलंपिक्स २०१८

    9 फरवरी 2018 को 00:01 बजे से 25 मार्च 2018 को 23:59 बजे (यूटीसी) तक शीतकालीन ओलंपिक खेलों के बारे में एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। कृपया इसमें भाग लें और हिंदी भाषा में खिलाडियों पर बने लेखों में वृद्धि करें अधिक जानकारी के लिए देखें। --Shypoetess (वार्ता) 09:16, 12 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    हिंदी-संस्कृत अन्तरविकि कार्यशाला

    २२-२३ फरवरी २०१८ को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल में हिंदी-संस्कृत अन्तरविकि कार्यशाला आयोजत की जा रही है। अधिक जानकारी हेतु यहाँ देखे।:- स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 13:47, 13 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इस कार्यशाला में पूर्ण आयोजन सुयशजी और स्वप्नीलजी ने किया। अतः मैं उनके प्रति कृतज्ञ हूँ। ॐNehalDaveND 16:19, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    आमेर दुर्ग: निर्वाचन

    नमस्कार,

    आमेर दुर्ग लेख मेरी ओर से पूर्ण हुआ। इसकी समीक्षा पूर्ण कड़ाई व निर्दयता से अपेक्षित एवं आमन्त्रित है। इसके लिये विकिपीडिया:निर्वाचित लेख उम्मीदवार#आमेर दुर्ग निर्वाचन पर जायें। वैसे वार्ता:आमेर दुर्ग पर भी टिप्पणियां दे सकते हैं। धन्यवाद: आशीष भटनागरवार्ता 17:25, 14 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    मुखपृष्ठ का स्वागत सन्देश

    हिंदी विकिपीडिया के मुखपृष्ठ के स्वागत सन्देश में कुछ सुधार की आवश्यकता है:

    1. हिंदी विकिपीडिया के मुखपृष्ठ पर स्वागत सन्देश में "हिंदी विकिपीडिया में आपका सवागत है" लिखा आता है, जोकि अटपटा सा है, मेरी तथा कई अन्य विकिसादस्यों की राय में वहाँ हिंदी विकिपीडिया के बजाय केवल विकिपीडिया लिखा होना चाहिए: "विकिपीडिया पर आपका स्वागत है!" यदि देवनागरी में विकिपीडिया लिखा है, तो उतना काफी है पाठकों को जालस्थल के परिचय हेतु, बार बार "हिंदी विकिपीडिया" अटपटा सा लगता है हम बोल-चाल के लिए हिंदी विकिपीडिया लिखें, परंतु मुखपृष्ठ पर आधिकारिक नाम: विकिपीडिया ही रहने दें, बाकि प्रत्येक भाषा के विकी पर केवल उस भाषा की लिपि में "विकिपीडिया" लिखा होता है, केवल भारतीय विकियों पर किसी कारणवश "हिंदी विकिपीडिया", "मराठी विकिपीडिया", "नेपाली विकिपीडिया", "বাংলা উকিপিডিয়ায়"("बाङ्ला विकिपीडिया"), इत्यादि लिखा रहता है, जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है। अतः मेरा यह प्रस्ताव है कि मुखपृष्ठ पर स्वागत सन्देश को "हिंदी विकिपीडिया पर आपका स्वागत है" से परिवर्तित कर "विकिपीडिया पर आपका स्वागत है!" किया जाए। कृपया इस प्रस्ताव पर सभी महानुभाव अपना समर्थन, विरोध तथा अपनी बहुमूल्य राय व टिप्पणियाँ दें।
    2. जिस प्रकार मोबाइल दृश्य के स्वागत सन्देश में अञ्जलि मुद्रा(नमस्कार मुद्रा) को किसी न किसी रूप में लगाने का प्रस्ताव है, उसी प्रकार डेस्कटॉप दृश्य में भी अञ्जलि मुद्रा को लगाया जाए।

    धन्यवाद!🙏  Innocentbunny ;)    वार्ता  12:46, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    समर्थन

    1.  समर्थन -- प्रस्तावक के तौरपर।  Innocentbunny ;)    वार्ता  12:46, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    2.  समर्थन अंग्रेजी विकिपीडिया में भी विकीपीडिया लिखा है ना कि इंग्लिश विकिपीडिया। प्रकल्प का नाम विकिपीडिया है न कि हिन्दी विकिपीडिया। ये विकिपीडिया है और इसकी पहचान विकिपीडिया के नाम से ही हो ये अच्छा है, वरना अंग्रेजी विकि विकिपीडिया है और ये हिन्दी विकिपीडिया है! जेब की दोनों ही विकिपीडिया है।--आर्यावर्त (वार्ता) 13:19, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    3.  समर्थन -- Shypoetess (वार्ता) 16:56, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    4.  समर्थन -- ये चित्र भी उचित दिख रहा है। ॐNehalDaveND 05:00, 17 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    5.  समर्थन --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 10:06, 17 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    6.  समर्थन -- नितिन मिश्र (वार्ता) 09:08, 18 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    7.  समर्थन -- Sushma_Sharma (वार्ता)


    विरोध

    चर्चा/टिप्पणी/राय

    मुखपृष्ठ-बंधू प्रकल्प एवं अन्य भाषाओं में खण्ड में छोटा सा सुधर

    मुखपृष्ठ पर बंधू प्रकल्प एवं अन्य भाषाओं में वाले खण्ड के अन्य भारतीय भाषाओं में वाले भाग में उर्दू विकिपीडिया की कड़ी नहीं है। जहाँ तक मैं जानता हूँ, उर्दू भी एक भारतीय भाषा है, अतः, कृपया वहाँ पर उर्दू को भी जोड़ दिया जाए।🙏  Innocentbunny ;)    वार्ता  15:00, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    समर्थन

    विरोध

    टिप्पणी

    प्राकृत भाषा को भी जोड़ना चाहिये। ॐNehalDaveND 05:05, 17 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इसपर भी मेरा  समर्थन है, मगर क्या प्राकृत विकिपीडिया है?  Innocentbunny    वार्ता  21:35, 20 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    मुनस्‍यारी

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 15:17, 15 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    वेद

    ऋग्वेद व अन्य वेदों की सम्पूर्ण जानकारी।साजन त्यागी (वार्ता) 16:13, 16 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विलय अनुरोध

    -- सायबॉर्ग (वार्ता) 07:52, 18 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    ११वे विश्व हिन्दी सम्मेलन हेतु सर्वेक्षण टिप्पणी

    ११वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी विकिपीडिया के भाग लेने हेतु इस सर्वेक्षण प्रपत्र को भरें। -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 13:32, 18 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इस कार्यक्रम हेतु मेटा के इस संवाद पृष्ठ पर चर्चा में भाग लेवें -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 06:25, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    भोवाली

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 07:27, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

       पूर्ण हुआ। --आशीष भटनागरवार्ता 18:21, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    अष्टामुडी झील

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 11:36, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

       सम्पन्न हुआ।--आशीष भटनागरवार्ता 18:21, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विकीडाटा भारत एडिट-ए-थॉन

    विकिमीडिया फाउंडेशन का एक महत्वपूर्ण प्रकल्प विकिडाटा ( www.wikidata.org ) 21 फरवरी 2018 - अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) से 3 मार्च 2018 - मुक्त डाटा दिवस (Open Data Day) तक ‘विकीडाटा भारत एडिट-ए-थॉन’ आयोजित कर रहा है जिसमें भारत से संबंधित सामग्री पर विकिडाटा संपादन किया जाएगा।इस कार्यक्रम की अधिक जानकारी हेतु यहाँ जाएं -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 17:25, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    International Mother Langage Day and Open Data Day Wikidata Edit-a-thon

    Please translate the message to your language, if applicable

    Hello,
    We are happy to inform you that a national level Wikidata editing campaign "IMLD-ODD 2018 Wikidata India Edit-a-thon" on content related to India is being organized from from 21 February 2018 to 3 March 2018. This edit-a-thon marks International Mother Language Day and Open Data Day.

    Please learn more about this event: here.
    Please consider participating in the event, by joining here.
    You may get a list of suggested items to work on here.

    Please let us know if you have question. -- Titodutta using MediaWiki message delivery (वार्ता) 07:12, 21 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    चौपाल शीर्ष

    कृपया नीचे दिये चौपाल शीर्ष सन्दूक के बारे में विचार व राय दें। यदि सही लगाता है तो लागू किया जा सकता है।:

    विकिपीडिया चौपाल पर आपका स्वागत है
    नये आगंतुकों का स्वागत है। विकिपीडिया एक ऐसा माध्यम है जो सभी सदस्यों के ज्ञान को एक जगह एकत्रित करता है। विकिपीडिया के द्वारा हम संस्कृति, विज्ञान, कला व दर्शन की जानकारी दुनिया भर में हिन्दी पढ़ने-लिखने वालों तक पहुँचा सकते हैं। अतः सही हिन्दी जानने वालों से अनुरोध है कि आप के पास यदि समय हो तो अपनी जानकारी को हिन्दी में विकिपीडिया पर सहेजें। यहाँ पर विकिपीडिया के सदस्य विकिपीडिया से जुड़े प्रश्न पूछ सकते हैं। तकनीकी मामलों पर भी यहाँ प्रश्न पूछे जा सकते है। नया मत लिखने के लिए सम्पादन टैब पर क्लिक करें। परंतु पहले स्क्रॉल कर पढ़ लें:
  • तथ्यपरक और अन्य प्रकार के प्रश्नों हेतु खोज संदूक या रिफरेन्स डेस्क का प्रयोग करें।
  • अपनी सुरक्षा हेतु कृपया अपना ई-मेल या संपर्क ब्यौरा यहाँ न दें। आपके उत्तर इस पृष्ठ पर ही मिलेंगे। हम ई-मेल से उत्तर नहीं देते हैं।
  • खोजें या पढ़ें प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

    आशीष भटनागरवार्ता 04:23, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    सुझाव अच्छा है ! क्या हम कोई दूसरा चित्र रख सकतें है ? अथवा क्या इस नमस्कार की मुद्रा वाले चित्रों को हम प्रति साप्ताह अथवा मास में बदल सकते है ? यह मेरा एक सुझाव है --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 06:29, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    दूसरे चित्र बदलने हेतु हमारे पास केवल तीन चित्र हैं, जिनमें से एक ये है, दूसरा वह वार्ता सम्पादन वाला, और एक और है, बस। यदि आप सुन्दर एवं आकर्षक १२-१५ नमस्कार मुद्रा के चित्र अपलोड कर पायें तो ये सुझाव सोने पर सुहागा बन जायेगा।--आशीष भटनागरवार्ता 07:06, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    आकर्षक है परन्तु क्या "चौपाल पुरालेख में खोजें" विकल्प हटाना सही रहेगा?--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 07:46, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    कुछ हटाया नहीं है, केवल चित्र जोड़ा है। ये तो मात्र उसका सन्दूक यहां चित्र की स्थिति दिखाने हेतु पेस्ट किया है, जिसमें से औरालेख वाला विकल्प पेस्ट होने से रह गया है।आशीष भटनागरवार्ता 05:03, 25 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इस चित्र के स्थान पर कोई "चर्चा" करने वाला चित्र हो तो अधिक उपयुक्त रहेगा, क्योंकि ये तो चर्चा करने का ही स्थान है और सदस्यों का स्वागत तो उनके वार्ता पृष्ठ वाले साँचे से इसी तरह के चित्र द्वारा किया जा रहा है। -- (वार्ता) 08:55, 25 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    हिन्दी विकिपीडिया के मोबाइल दृश्य के लिए नया डिज़ाइन

    विकिमीडिया फाउंडेशन की डिज़ाइन टीम के द्वारा हिन्दी विकिपीडिया के मोबाइल दृश्य के लिए नया डिज़ाइन तैयार किया गया है। इसमें हिन्दी समुदाय के द्वारा दिए गए सुझावों को जहाँ तक हो सका, शामिल किया गया है। सामग्री से संबंधित बदलाव नहीं किए जा सके। डिज़ाइन टीम को ऐसे परिवर्तन करने का ज्ञान नहीं है। इस लिए मुखपृष्ठ पर इस समय निर्वाचित लेख और समाचार अनुभाग ही रहेंगे। मैं यह भी बताना चाहूँगा कि अंग्रेजी विकिपीडिया पर भी यही दो अनुभाग हैं। नीचे मैं मौजूदा मुखपृष्ठ और नए मुखपृष्ठ के लिंक दे रहा हूँ:

    • मौजूदा डिज़ाइन
    • नया डिज़ाइन (कृपया स्वाईप करके वह डिज़ाइन देखें जिसमें लिखा है "विकिपीडिया पर आपका स्वागत है। अपनी विकियात्रा आरम्भ करें।")

    मेरे अनुसार मौजूदा डिज़ाइन से यह डिज़ाइन बहुत बेहतर है और हमें इसे अपना लेना चाहिए। रही बात सामग्री को बदलने की उसके बारे में पता करना पड़ेगा कि वह कैसे होगा परन्तु अभी हमें इस डिज़ाइन को लागू करना चाहिए और यह कार्य हिन्दी जागरूकता विडिओ के लॉन्च होने से पहले होना महत्त्वपूर्ण है। और उसके लिए हमारे पास बहुत समय नहीं है। आशा है कि आप सब इस नए डिज़ाइन का समर्थन करेंगे ताकि हम इसे जल्दी से जल्दी लागू कर सकें। --SGill (WMF) (वार्ता) 14:04, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    समर्थन

    1.  समर्थन हालाँकि कुछ सदस्य समाचार वाला भाग होने से सन्तुष्ट नहीं है, साथ ही अन्य सदस्यों की भी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है परन्तु हमारे पास शायद यही अन्तिम विकल्प है इसलिये समर्थन।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 16:00, 24 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    2.  समर्थन --जयप्रकाश >>> वार्ता 04:07, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    3.  समर्थन--राजू जांगिड़ (वार्ता) 13:50, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    4. समर्थन वर्तमान डिजाइन से बेहतर होने के कारण। --SM7--बातचीत-- 18:54, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    5. समर्थन -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 02:09, 2 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    6.  समर्थन -- RaoSahil88 (वार्ता) 07:00, 2 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    7.  समर्थन -- Shypoetess (वार्ता) 07:01, 2 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    8.  समर्थन -- Sushma_Sharma (वार्ता) 08:10, 5 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    9.  समर्थन -जे. अंसारी वार्ताचित्र:Animalibrí.gif 03:36, 14 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विरोध

    1. समुदाय द्वारा सुझाये गए बदलावों के अनुसार न होने के कारण असमर्थन। टीम को समुदाय का प्रस्ताव स्वीकार नहीं है और फिर भी मत समुदाय से लिये जा रहे हैं, जो समुदाय कहे ये नहीं होता और टीम चाहती है वहीं होता है। ऐसी स्थिति में समुदाय टीम वैसे भी जो उनकी ठीक लगे वहीं कर रही है। अभी समर्थन दे दिया तो बाद में परिष्कार नहीं होगा।--आर्यावर्त (वार्ता) 14:40, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
      • @आर्यावर्त: जी, आप बात को गलत समझ रहे हैं। जो डिज़ाइन टीम को आता है वह सब कर दिया गया है। ऊपर दिए गए सुझावों में "हिन्दी विकिपीडिया" की जगह "विकिपीडिया" कर दिया है, यात्रा की जगह विकियात्रा कर दिया है और नमस्कार इमोजी हटा दिया गया है। डिज़ाइन टीम केवल दृश्य (विजुअल) पर काम करती है, उन्हें सामग्री को बदलने का ज्ञान नहीं है। फिर भी मैंने लिखा है कि आप और मैं मिलकर इसके बारे में जानेंगे। परन्तु अभी के लिए इस डिज़ाइन का विरोध करके पुराने डिज़ाइन को रहने देने से हिन्दी विकिपीडिया पर आने वाले नए पाठकों का ही नुकसान होगा। आप यह देखें कि पुराने डिज़ाइन से यह कितना बेहतर है।--SGill (WMF) (वार्ता) 16:43, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    टिप्पणियाँ

    फिल्मोग्राफी के लिए विकिडाटा का प्रयोग

    मेरा यह सुझाव है कि फिल्मोग्राफी सेक्शन्स अथवा पृष्ठों मैं विकिडाटा का प्रयोग करा जाए ताकि वे अपडेटेड रह सके। यदि इस विशेय पर किसी को कोई आपत्ति न हो तो एक साँचे का निर्माण करने में मैं सहायता कर सकता हूँ। धन्यवाद। उदहारण Capankajsmilyo (वार्ता) 03:50, 25 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    मै भी आपसे सहमत हूँ क्योकि कई लोग फिल्मो से सम्बंधित जानकारी खोजते हुए विकी पर आते है, ताजा जानकारी विकी को विश्वसनीय बनाएँगी --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 06:35, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    कई सारे फिल्मों के लेख हिन्दी विकि में जल्दी नहीं बनते हैं, तो उसका नाम कैसे दिखेगा? यदि पिछले बार की तरह अंग्रेजी में ही रहा तो बिल्कुल सही नहीं है। -- (वार्ता) 18:08, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]


    विश्व हिंदी सम्मेलन

    विश्व हिंदी सम्मेलन के कार्यक्रम पर चर्चा हेतु एक व्हाट्सऍप ग्रुप बनाई गयी है, ताकि चर्चा जल्दी और सरल रूप से हो सके, जिसमें इस कार्यक्रम को कार्यान्वित करने में इच्छुक सभी सदस्यों को शामिल किया गया है। ताकि कार्यक्रम को बेहतरीन तरीके से, सबकी राय/मश्वरे के साथ, सब को जोड़ कर किया जा सके, इसीलिए हम चाहेंगे कि अधिक से अधिक लोग जो इस कार्यक्रम को करवाने में इछुल हैं, वे अवश्य इस ग्रुप में शामिल हों। हालाँकि, चर्चा व उसके तमाम अप्डेट्स यहाँ, (मेटा पर) भी होंगे, मगर, चर्चा में त्वरित रूपसे व और भी एफीशियंट रूपसे भाग लेने के लिए, कृपया इस ग्रुप में शामिल हो जाएँ। हम चाहते हैं के समुदाय के अधिक से अधिक लोग शामिल हों, अतः, यदि आपको इस कार्यक्रम को कार्यान्वित करने में तनिक भी दिलचस्पी है तो इस व्हाट्सऍप ग्रुप में अवश्य जुड़ें।

    इच्छुक लोग, मुझसे, सुयश जी, अनामदास जी, आर्यावर्त जी, गोड्रिक की कोठरी जी अथवा यहाँ नीचे अपनी इच्छा ज़ाहिर करके संपर्क करें। धन्यवाद🙏  Innocentbunny    वार्ता  16:06, 25 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    इच्छा

    टिप्पणी

    क्या चर्चा का कोई और माध्यम नहीं रख सकते? जिसमें मोबाइल की कोई अनिवार्यता न हो। -- (वार्ता) 17:04, 25 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    वैसे तो सारी चर्चा मुख्यतः मेटा पर ही होगी, और चौपाल पर भी सारे अप्डेट्स डाले जाएंगे, मगर विकिपीडिया पर चर्चा करने की समस्या ये है कि जो बात व्हाट्सऍप पर 5 मिनट में हो सकती है वो करने में यहाँ पर दिन भर लग जाता है...उदाहरण के लिए, ये वाली चर्चा 5 मिनट की ही थी, मगर, आपने कल रात को यह सन्देश डाला था, जिसका उत्तर मैं आज सुबह दे रहा हूँ, जिसे आप संभवतः आज रात को पढ़ेंगे और उत्तर, और कल सुबह मैं आपका प्रतिउत्तर दूँगा। हालाँकि मुख्या चर्चा मेटा पर ही होगी, मगर छोटी-छोटी बातों के कारण ताकि काम की गति धीमी न पद जाए, इसीलिए व्हाट्सऍप का माध्यम चुना गया है। फ़िलहाल हमारे दिमाग़ में सबसे सरल विकल्प व्हाट्सऍप ही आया, इसीलिए व्हाट्सऍप ही चुना गया। यदि आप भी चर्चा में शामिल होना चाहते हैं, और कोई बेहतर विकल्प सुझा सकते हैं, जिसमें मोबाइल की आवश्यक्ता ना पड़े तो अवश्य सुझाएँ, हम, सदस्यों की आम सहमति से वही अपनाएंगे। धन्यवाद!🙏  Innocentbunny    वार्ता  05:40, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुझे कोई भी माध्यम चलेगा, बस उसमें मोबाइल नंबर किसी को न दिखे। -- (वार्ता) 18:23, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    हैंगआउट्स या टेलीग्राम ऍप?  Innocentbunny    वार्ता  11:29, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    26 फ़रवरी 2018 हैंगआउट्स चर्चा

    कल 26 फ़रवरी 2018 को विश्व हिंदी सम्मलेन के आयोजन हेतु प्राथमिक चर्चा हैंगआउट्स कॉल के ज़रिये हुई थी। उस चर्चा का सारांश जा कर कृपया यहाँ देख लें। तथा अपनी कोई भी राय व टिप्पणी वहाँ अवश्य दें। काय्रक्रम के आयोजन में इच्छुक लोग अवश्य शामिल हों, और इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बनाये गए व्हाट्सऍप ग्रुप में शामिल होने हेतु अपनी इच्छा चौपाल में ऊपर दिए गए सन्देश में ज़ाहिर करें। धन्यवाद!🙏  Innocentbunny    वार्ता  06:31, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    मैं सम्पादन करूंगा नहीं और तुम करो तो मेरे अनुकूल ही करो। हिन्दी में मैं सर्वज्ञ हूँ अतः जो मुझे ज्ञात नहीं, जिसका उपयोग मैं नहीं करता और जिसका मैं विरोधी हूँ, वो नहीं होना चाहिये। प्रबन्धकगण में कुछ और कुछ चहिते लोग इस कारण विकिपीडिया के विकास को अवरोधित कर बैठे हैं। न स्वयं कुछ विशेष करते हैं, जिससे समुदाय में वृद्धि हो या सम्पादन करने वाले को प्रोत्साहन मिले और जो स्वतःप्रोत्साहित लोग हैं उनको अप्रत्यक्ष रूप से या प्रत्यक्ष रूप से निरुत्साहि/असक्रिय होने पर विवाश करते हैं। फिर आरोप ये लगा देंगे कि विकि के कार्यों में बाधा पहुचा रहे हैं। अब इसके चलते जो हानि हुई है, वो ऐसी है कि, यहाँ, यहाँ और यहाँ सूचना पुस्तिकाएँ सज्ज हैं। केवल उन्हें मुद्रित करवाना ही शेष है। परन्तु मेरे योगदान को अनुचित घोषित कर दिया गया और मैं असक्रिय हो गया। अतः कुछ कार्य आगे नहीं बढा। हो सकता है विदेश में हिन्दी को प्रोत्साहित करने जा रहा समुदाय इस कार्य को आगे बढाने में उत्पन्न बाधाओँ को दूर करने का प्रयास करेगा। अस्तु। ॐNehalDaveND 07:01, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    उपरोक्त सूचना पुस्तिकाओं के लिए नेहल जी को कोटिशः धन्यवाद,आउटरीच के कार्यक्रमों हेतु इस सामग्री की बहुधा आवश्यकता पड़ती है अतः आपको साधुवाद ,ये काम बहुत समय से अपेक्षित था जिसे आपने पूर्ण किया । स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 08:59, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    उपरोक्त कड़ियों को साँझा करने एवं इस सूचना पुस्तिका पर पहले से ही काम करने हेतु @NehalDaveND: जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह सामग्री, फाइनल सूचना पुस्तिका को तैयार करने में बहुत सहायक होगी। और न केवल इस विश्व हिंदी सम्मेलन के कार्यक्रम में बल्कि भविष्य में अन्य किसी भी प्रचार कार्यक्रम या कार्यशाला इत्यादि को करवाने में अत्यंत सहायक होगी। धन्यवाद!🙏  Innocentbunny    वार्ता  10:41, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    अनुदान समिति का चयन

    विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन हेतु ३ सदस्यों की अनुदान समिति गठित की जायेगी, जिनका चयन समुदाय में से, एवं समुदाय द्वारा होगा। इस समिति में निर्वाचन हेतु, यहाँ नामांकन प्रस्तुत करें। हर कोई अपना, तथा समुदाय के किसी भी अन्य सदस्य का नामांकन करने हेतु स्वतंत्र है।  Innocentbunny    वार्ता  23:00, 6 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख

    यह चर्चा [1] के सन्दर्भ में है और उसे विधिवत आगे बढाने के लिए है। कृपया सदस्यगण अपने विचार रखें कि एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख उपयोगी हैं या नहीं? क्या एक उल्लेखनीय विषय पर बना लेख हटा दिया जाना चाहिये? एक वाक्य के लेख के लिए क्या सन्दर्भ आवश्यक है? क्या सन्दर्भ सभी कथनों (वाक्यों) के लिए होता है या केवल ऐसी बात के लिए जो दूसरों को आपत्तिजनक/असत्य/न पचने लायक/सन्देहास्पद लगती हो? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:28, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    कोई भी टिप्पणी लिखने से पूर्व मैं ये कहना चाहूंगा कि मुज़म्मिल जी एवं अनुनाद जी, दोनों ही मेरे प्रिय हैं व टिप्पणी मात्र मुद्दे पर है, इनमें से किसी व्यक्तिविशेष पर नहीं। मेरे विचार से किसी लेख को गलत पाठ, दोहराव (द्विरावृत्ति), फालतू पाठ जो विषय से सम्बन्धित न हो, आदि किसी कारण से हटाया जाए तो सही, अन्यथा मात्र इन दो कारणों से हटाया जाए कि
    • कारण १: एक वाक्य
    • कारण २: सन्दर्भहीन
    कारण १ -- एक वाक्य लेख बुरे से बुरा क्या हानि कर सकता है, कुछ या कई वर्षों के बाद भी किसी ने उस पर सुधार या वृद्धि नहीं की और लोग यह कहेंगे कि यहां तो ऐसे ही लेख बने हुए हैं। यदि मूल सम्पादक ने उसे कुछ बड़ा ही बना दिया होता तो शायद ये बात न होती। अब सोचिये कि यदि सम्पादक ने उस विषय पर लेख बनाय़ा ही न होता, और कुछ या कई वर्षों के बाद लोग देखेंगे कि अमुक विषय पर यहां कोई लेख है ही नहीं। क्या ये है ही नहीं वाली स्थिति अधिक श्रेयस्कर होगी? वह उपयोक्ता कहेगा कि कम से कम १-२ वाक्य तो लिख दिये होते इस विषय पर--- वही तो लिखे हैं इन एक वाक्य लेखों में। और बाद में यदि किसी को वह लेख मिलता है, जो उसमें कुछ वृद्धि कर सकता है - तो हार्दिक स्वागत है। वह कर ही देगा। जैसे मैंने आमेर दुर्ग को निर्वाचन स्तर तक पहुंचाने का प्रयास किया है। (कृपया लगे हाथों उसकी समीक्षा भी कर दें)
    कारण २ -- सन्दर्भहीन लेख यदि बना हुआ है और किसी की दृष्टि पड़ती है तो बजाय उस पर ये टैग लगाए, एकाध सन्दर्भ ही न लगा दे। वर्ना टैग लगे लेखों को कभी किसी दिन कोई भी अच्छा सम्पादक, उठा कर १०-१२ या २०-२५ लेखों में सन्दर्भ ही लगा दें व टैग हटा दें। इस पर कार्यशाला भी रखी जा सकती है, और ये योजना भी है कि कार्यशाला करेंगे।
    अब इसके अलावा छोटे लेख बनाने के कुछ अन्य कारणों का विस्तार मैंने प्रबन्धक हेतु निवेदन पृष्ठ पर भी दिये हैं। इन सबके प्रकाश में एवं जिमी वेल्स के कथनानुसार एक वाक्य लेख भी उतने बुरे नहीं हैं जितने बताये जाते हैं। अब ये मेरी निजी राय है जिससे कुछ अन्य प्रबन्धक भी इत्तेफ़ाक़ रखते हैं, किन्तु ये नियम नहीं है। शेष सर्वसम्मति।आशीष भटनागरवार्ता 13:51, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    आशीष जी, आपका धन्यवाद कि आपने एक प्रकार से निष्पक्ष रूप से अपने विचार रखे। असल मुद्दा जैसा मैंने समझा है, यह है कि एक अनुभवी योगदानकर्ता के रूप में आपका योगदान कैसा होना चाहिए? मेरे विचार से यदि आपको छोटे लेख लिखना ही है, तो उसमें कुछ वाक्य अवश्य होना चाहिए। यदि एक वाक्य तक ही सीमित कोई लेख हो तो कम से कम स्रोत-सन्दर्भ अवश्य होना चाहिए - यह बात केवल अनुभवी, विशेषाधिकार-प्राप्त लोगों के बारे में है कि वे गुणवत्ता का ध्यान रखते हैं या नहीं। रहा यह प्रश्न कि क्या यदि कोई अन्य सदस्य एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख लिखे तो क्या उन्हें हम स्वीकार करेंगे - हम सब स्वयंसेवक हैं - किसी को किसी चीज़ पर बाध्य नहीं किया जा सकता - सामग्री की प्रबंधकगण जाँच कर सकते हैं और यदि कोई स्थान/व्यक्ति/ विषय को वास्तविक अथवा ज्ञानकोशीय वे पाते हैं तो रहने दें - अन्यथा हटा दें। परन्तु ये सब मेरे विचार हैं। --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 17:22, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुज़म्मिलुद्दीन जी, इतनी विनती करने के बाद अपने सबसे चहेते विषय पर आपने लिखा किन्तु आप क्या कहना चाहते हैं, सब घालमेल हो गया। आपके इस सन्देश से तो 'एक वाक्य वाले सन्दर्भहीन लेखों' की तुच्छता कहीं सामने नहीं आ रही, जबकि इसे लेकर ही आप किसी की कबर खोदने में लगे हुए थे।---अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:47, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुज़म्मिलुद्दीन जी, सन्दर्भ नीकालने के सन्दर्भ में आप क्या कहते हैं? तब सन्दर्भ की अनिवार्यता का तर्क कहाँ चला जाता है? क्यों सन्दर्भ नीकालने पर भी सब मौन हो जाते हैं? केवल इस लिये कि करने वाला अपने अनुकूल है, अन्ततः समर्थन तो उन्हीं से मिलने वाला है, तो मौन रहो और किसी की कोई छोटी सी क्षति/मतभेद हो जाए और अपने अनुकूल नहीं, तो विरोध करो या उसे दुर्गुण घोषित कर ढंढेरा पीटो? ॐNehalDaveND 17:32, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुझे जहाँ तक याद पड़ता है, जिस सदस्या से इस लेख-सामग्री पर चर्चा हो रही थी, उसने विकि ही पर मुझे उनके पक्ष में आवाज़ उठाने के लिए कहा था। परन्तु असहमत होने के कारण मैंने नहीं किया। --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 17:41, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    यही तो बात है महोदय, कितना निष्पक्ष हो कर आपने यह प्रत्युत्तर और वहाँ आचरण किया। ऐसे समय सत्य को सत्य और असत्य को असत्य कहने की शक्ति कहाँ जाती है? परन्तु जैसे ऊपर आप सन्दर्भ की अनिवार्यता पर अटल/आक्रामक हैं, वैसे क्यों वहाँ प्रतीत नहीं हो रहे? अब ये प्रश्न चिह्न ही नहीं, वास्तविकता का चिह्न है। ॐNehalDaveND 04:37, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
     टिप्पणी यह चर्चा अनुनाद सिंह जी ने एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेखों के बारे में प्रारंभ की है, किसी व्यक्ति विशेष पर केन्द्रित नहीं की थी। हिन्दी विकिपीडिया पर किसी महाप्रबंधक / Superhero का कोई प्रावधान नहीं जो हर मामले में हस्तक्षेप करे। अगर इस प्रकार के लोग होते अवश्य "ढंढेरा पीटो" जैसी भाषा पर टोका जाता या कम से कम स्थिति स्पष्ट की जाती कि यदि अनिरुद्ध जी आज प्रबंधक बने भी हैं तो केवल इसलिए कि एक सदस्य जो उनके कुछ सम्पादनों से असंतुष्ट था, उनके विरुद्ध अपने मत का प्रयोग नहीं किया। इस पूरे मामले को अन्देखा करके तुच्छता और "सत्य और असत्य" जैसी बातें करके असल मुद्दे से हटकर यहाँ राजनीति से प्रेरित बातें रखी जा रही जो व्यर्थ में समुदाय का समय नष्ट करने का प्रयास है और पूर्ण रूप से अप्रसांगिक है। --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 17:44, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुज़म्मिलुद्दीन जी, मेरा मानना है कि विकि के बारे में दो बातें जो नहीं जानता है उसे किसी विकि का प्रबन्धक होने पर शर्म आनी चाहिये। उसमें से पहली बात आधार लेखों का महत्व और दूसरी बात 'साधारण लोगों के कोलैबोरेशन से असाधारण काम का होना' है। आपने बड़े जोर से 'एक वाक्य वाले स्रोतरहित लेखों' के मुद्दे का उपयोग करना शुरू किया था किन्तु अभी तक उनके महत्वहीनता (तुच्छता) पर एक वाक्य भी नहीं लिख पाये। चार वाक्य तो बड़े दूर की कौड़ी है। उसके बजाय तरह-तरह के बहाने बनाये जा रहे हैं। कहीं 'तुच्छता' का उपयोग आपको खलने लग रहा है, कहीं अलग से चर्चा करने का निवेदन। श्रीमान जी, मैं बहुत पहले इस समूह को बता चुका हूँ कि हिन्दी विकि पर आपका अवतरण ही उस समय हुआ था जब यहाँ राजनीति ही नहीं बल्कि डिक्टेटरशिप चल रहा थी। मैं उसे फिर से दोहराऊँ, शायद इसकी आवश्यकता नहीं है। लोगों की स्मृति इतनी कमजोर भी नहीं होती।-अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:41, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मेरे विचार से ऐसे लेखों को हटा देना चाहिए। यदि एक भी संदर्भ नही है तो उस वाक्य की कोई प्रमाणिकता नही है। विकि एक encyclopaedia है जिसके लिए प्रमाणिकता एक अहम जरूरत है। इसके अतिरिक्त यदि किसी को वह पृष्ठ रखना हो तो वह संदर्भ के साथ कभी भी पुनर्निर्माण कर सकता है। Capankajsmilyo (वार्ता) 01:45, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    क्या कहीं लिखा है कि 'गाय के चार पैर होते हैं' तो इसके लिए आप सन्दर्भ मांगेंगे? कहीं १० x २ = २० लिखा है तो आपको सन्दर्भ चाहिए? कोई लिख दे कि 'आलू जमीन में पैदा होता है' तो वहाँ भी आपको सन्दर्भ चाहिए? क्या आपको पता है कि 'आधार लेख' या 'बीज लेख' का क्या अर्थ है? बीज जमीन में सालों पड़ा रहता है और जब उचित परिस्थितियाँ पैदा होतीं हैं तो उसमें से अंकुर निकलता है जो वटवृक्ष भी हो सकता है। एक वाक्य का लेख बना दिया और उसे अन्य भाषाओं के लेखों से जोड़ दिया तो ही बहुत बड़ा काम हो गया। उदाहरण के लिए किसी रोग पर आपने लेख बना दिया तो आपने कुछ खोज करके या अपनी जानकारी के आधार पर उस रोग का हिन्दी नाम दे दिया है- यह बहुत बड़ा काम है। हो सकता है कोई इसीलिए लेख नहीं शुरू कर पा रहा हो कि उसे हिन्दी शब्द पता नहीं है जबकि वह उस रोग के बारे में लिखने में सक्षम है। कोई हिन्दी वाला उस रोग का नाम जानता हो, वह खोजते-खोजते उसके संगत अंग्रेजी लेख तक पहुँच सकता है (हो सकता है वह उस रोग का अंग्रेजी नाम न जानता हो)। वह अंग्रेजी वाले लेख से पढ़कर कुछ वाक्य हिन्दी में लिख सकता है। इसके अलावा यह बात पहले ही कही जा चुकी है कि सन्दर्भ न होने के कारण उस लेख को हटाने का परिश्रम करने के बजाय सन्दर्भ खोजकर उसमें जोड़ने का परिश्रम क्यों न किया जाय? एक वाक्य से दो वाक्य बनाने का परिश्रम क्यों न हो? क्या हमारे हिन्दी वाले इतना अयोग्य हैं कि एक वाक्य वाले लेख में एक सन्दर्भ नहीं लगा सकते, एक चित्र नहीं जोड़ सकते, एक-दो वाक्य बढ़ा नहीं सकते, कोई बाहरी कड़ी नहीं लगा सकते?--अनुनाद सिंह (वार्ता) 10:50, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मुज़म्मिलुद्दीन जी, जो दोनों बातें सन्दर्भ की हो वें कैसे अप्रासङ्गिक हो सकती हैं? राजनीति सर्वदा किसने प्रारम्भ की है और कौन करता है, यह किसी से छिपा नहीं है। जब तर्क न दे पाएँ, तो सदस्य की भाषा पर प्रश्नार्थ करके सदस्य पर ही दोषारोपण कर दिया जाता है। परन्तु वास्तविकता ये है कि कुछ लोग पक्षपाती कार्य करने के लिये ही हिन्दी विकिपीडिया की नीतिओं की आड लेते हैं। उसके अतिरिक्त नीतिओं और व्यवस्था की बात व्यर्थ चर्चा बन जाती है। अतः किसी भी राजनीति के भय के विना मैं पक्षपाती सदस्य के विरोध में खड़ा रहता था और रहूँगा। यहाँ "तुच्छता" शब्द अनावश्यकता के सन्दर्भ में प्रयुक्त हुआ है, परन्तु आप "ढंढेरा पीट कर" उसे मार्गान्तरण दे रहे हैं। ये प्रमाण है आपके पक्षपात का और सार्थक चर्चा को व्यर्थ बनाने के प्रयास का। प्रबन्धक मौन हैं, चहिते लोग सीधे सीधे उत्तर नहीं मिलेगा बोलकर नीकल जाते है, कुछ लोग "उखड़ जाओ" कह कर अपनी तानाशाही का परिचय दे रहे हैं, परन्तु व्यर्थ चर्चा और अप्रासङ्गिक बात कर समुदाय का समय मैं व्यर्थ कर रहा हूँ? ॐNehalDaveND 05:49, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    इस चर्चा को सार्थक बनाने के लिए मैंने अंग्रेजी विकिपीडिया से विकिपीडिया:एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख का निर्माण किया है| सभी सदस्यों को इसके संपादन में आमंत्रित करना चाहूंगा| Capankajsmilyo (वार्ता) 10:59, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    Capankajsmilyo, कुछ लिखने के पहले ही आपने सारांश लिख दिया है। मेरा विचार है कि यह जो चर्चा हो रही है उसी को वहाँ सारांश रूप में लिखना चाहिए। पहले तो आप यह स्पष्ट करें कि 'जिनका विस्तार सम्भव नहीं है' का क्या अर्थ है? कौन निर्धारित करेगा कि किसी लेख का विस्तार सम्भव है या नहीं? क्या विस्तार होने की आशा रखना (अशावादी होना) मूर्खता है? आप ऐसे लेखों को बनाए रखने (न हटाने) से होने वाली केवल एक हानि भी गिना सकते हैं? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:25, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    अनुनाद जी अपने प्रश्नो के उत्तर के लिए कृपया en:wikipedia:One sentence does not an article make देखें| Capankajsmilyo (वार्ता) 11:37, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    Capankajsmilyo, बन्धु , अंग्रेजी विकि और हिन्दी विकि की स्थिति में बहुत बड़ा अन्तर है। इतना अन्तर है कि कह सकते हैं कि कुछ बातों में दोनों एक दूसरे के उल्टे हैं। हिन्दी विकि पर लेख बनाने और बढ़ाने वालों के लाले हैं। अंग्रेजी विकि पर वे लेख न हटाये और किसी भी ऐरू-गैरू के सम्पादन को बनाये रखें तो वहाँ अराजकता फैल जायेगी। इसलिए वे जो तर्क कर रहे हैं अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए कर रहे हैं। हम अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए चर्चा करें और निर्णय लें, दूसरे की अंधी नकल करके नहीं। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:49, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    Capankajsmilyo, इसके अलावा बड़े साफ शब्दों में लिखा है कि वह (लेख/राय) कोई अंग्रेजी विकि की नीति नहीं है बल्कि एक या कुछ लोगों की निजी राय है। अतः आप उसको पढ़ने का क्या लाभ है, स्वयं समझ सकते हैं। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:55, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    आपका कथन से मैं कुछ हद तक सहमत हूँ | इसीलिए मैंने केवल शीर्षक अवतरण करके सूचना दी है और यहाँ के समुदाय को अपनी निति स्वयं तय करने के लिए आमंत्रित भी किया है | इस पृष्ठ को निर्मित करने का मेरा मुख कारन है इस चर्चा का सार्थक परिणाम निकलना है | पुराणी बहुत से चर्चाओं में कोई नतीजे का निर्णय नहीं किया गया और बहुत सी चर्चाओं में तो भाग भी नई लिया गया | इससे उत्पन्न होने वाले निरंतर विवादों को काम करने के लिए मैंने इस प्रकार के पृष्ठ के निर्माण की पहल की है | Capankajsmilyo (वार्ता) 12:01, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    Capankajsmilyo, बन्धु, आपकी खुली सोच के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैंने बाद में देखा कि उक्त लेख के वार्ता पृष्ट में लोगों ने बड़ी सफाई से उस विचार का प्रतिकार किया है। वार्ता में लोगों ने कमोबेश वही बातें लिखीं है जो मैं ऊपर हिन्दी में लिख चुका हूँ। अन्त में किसी ने उस लेख को ही हटाने का प्रस्ताव कर दिया है। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:09, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विकिपीडिया:एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख

    इस लेख को प्रथम-दृष्टा तैयार कर दिया गया है| सभी सदस्यों से अनुरोध है की इसमें यदि बदलाव की आवश्यकता हो तो प्रस्तावित करे अन्यथा इसके समर्थन या विरोध में अपने विचार प्रकट करे | Capankajsmilyo (वार्ता) 13:15, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    समर्थन

    विरोध

    टिप्पणी

    @Capankajsmilyo: जी, आप से अनुरोध है कि ये कार्य हिन्दी विकिपीडिया के सक्रिय एवं वरिष्ठ सदस्यों पर छोड़ दें। विरिष्ठ सदस्यों के बदलाव पूर्ववत न करें।--आर्यावर्त (वार्ता) 02:24, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    आपकी अपमानजनक टिप्पणी के लिए धन्येवाद। Capankajsmilyo (वार्ता) 03:38, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    हिंदी विकि पर आकर मैंने एक नई चीज देखी है जो अन्य विकि पर नही है। जिस प्रकार माननीय सदस्य ने विषय की बजाय मुझपर चर्चा करने में अधिक रुचि दिखाई इसी प्रकार यहाँ की अधिकतर चर्चाये हिंदी विकि की बजाय एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में अधिक रूप लेती है। यदि कम से कम इस चर्चा को विषय पर केंद्रित रखा जाए तो मेहरबानी होगी। Capankajsmilyo (वार्ता) 03:58, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    कुछ विकिनीतियों की और सभी सदस्यों का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा - विकिपीडिया:शिष्टाचार विकिपीडिया:अच्छी नीयत माने विकिपीडिया:निजी टिप्पणियाँ एवं आक्षेप विकिपीडिया:नए उपयोगकर्ताओ से अच्छा व्यवहार Capankajsmilyo (वार्ता) 04:10, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    @Capankajsmilyo: जी, अगर एक वाक्य के सन्दर्भरहित सारे लेख हटा दिये जायेंगे तो भारत के जिलों का तो एक भी लेख नहीं बचेगा। केवल वे लेख जो उल्लेखनीय नहीं हैं वही हटाये जाने चाहिये। धन्यवाद!--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 15:07, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    Godric ki Kothri जी, मैं आपकी बात से सहमत हूँ। इसलिए मैंने जो प्रस्ताव रखा है वह कुछ इस प्रकार है Capankajsmilyo (वार्ता) 15:31, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    एक वाक्य वाले सन्दर्भरहित लेख यदि उल्लेखनीय न हो तो उन्हें पृष्ठ हटाने की नीति के अनुसार हटाया जाए। पृष्ठ को बनाये रखने के तर्क देते समय कृपया सत्यापनीयता तथा विशेष रूप से वि:बोझ का ध्यान रखें।
    यदि कोई लेख उल्लेखनीय नहीं हो तो पहले भी हटाया जाता रहा है। इसमें नया क्या है? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 16:51, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    पृथ्वीराज चौहान

    ॐNehalDaveND 04:37, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    महादेवी वर्मा के लेख में सुधार संबंधी

    मैं इस लेख को सुधारना चाहती हूँ। अभी यह सुरक्षित है, यदि संभव हो तो इसे सात दिनों के लिए संपादन हेतु खोल दें। नीलम (वार्ता) 09:44, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    नीलम जी, कृपया प्रतीक्षा करें। @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: गण से कोई न कोई इस निवेदन पर यथाशीघ्र कुछ कार्यवाही करेंगे। धन्यवाद। ॐNehalDaveND 09:50, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @नीलम: जी, महादेवी वर्मा लेख को कोई भी स्वतः स्थापित सदस्य संपादित कर सकता हैं अतः आप भी अवश्य संपादित कर सकते हैं। आपको क्या समस्या आ रही है?--आर्यावर्त (वार्ता) 10:07, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    मानचित्रों में लुआ त्रुटि

    मैं हिन्दी विकिपीडिया पर हाल में बनाये गये सभी मानचित्र सम्बन्धी लेखों में लुआ त्रुटि की समस्या देख रहा हूँ। यदि संभव हो तो कृपया इसका एक स्थायी समाधान किया जाय। अब हर लेख बनने के बाद किसी विशेषज्ञ को कष्ट तो नहीं दिया जा सकता है।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 10:34, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    क्या इस समस्या के कारण के बारे में किसी उत्साही सदस्य ने कुछ पता किया है? इसका समाधान न मिलना या न खोजना हमारी सामूहिक शिथिलता का शायद सबसे बड़ा उदाहरण है। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 14:00, 27 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    वाकई एक समस्या है, हिंदी विकी पर मानचित्र में हमेशा त्रुटि आती है, मुझे लगता था कि संभवतः मैंने कोई भूल की है, मगर ये हर बार होता है, किसी अनुभवी सदस्य को इसपर ध्यान देना चाहिए, संभवतः हिविकी में मानचित्रों के साँचों के कोड में ही कुछ समस्या है, हो सकता है, हिंदी वाले कोड और अंग्रेजी वाले कोड के बीच प्रूफ़रीडिंग करने से समस्या सुलझ जाए। अन्यथा यह भी हो सकता है कि क्योंकि अधिकांश बार मैं ज्ञानसंदूक को अंग्रेज़ी वाले लेख से कॉपी-पेस्ट कर लेता हूँ, और हो सकता है कि हिंदी और अंग्रेजी वाले साँचों के बीच सिण्टैक्स अंतर है, इसीलिए ऐसा हो रहा हो...  Innocentbunny    वार्ता  10:05, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    अंग्रेजी विकी पर पहले एक ही मानचित्र रहता था अब एक साथ दो मानचित्र (एक राज्य तथा दूसरा देश) रहते हैं साथ में तीसरा विकल्प Show all भी रहता है जबकि पहले ऐसा नहीं था। शायद इसी कारण कही प्रोग्रामिंग में समस्या आ रही है। हमे भी मौड्यूल व साँचे शायद उसी प्रकार से बदलने पड़े शायद तभी इसका स्थायी हल मिल सकता है।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 13:46, 28 फ़रवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    जी की सहायता से समस्या को दूर कर दिया गया है। फिर भी कहीं समस्या दिखाई देती है तो सूचित करें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:06, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    धन्यवाद तथा संजीव कुमार जी, अब यह समस्या दूर हो गयी है।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 13:54, 1 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    Merging identical categories

    (My apologies for writing in English, and my apologies if I am posting in the wrong place.) I am working to merge items across different language wikis on Wikidata, and I have come to notice many category items with nearly identical names from this wiki. If it is appropriate to do so, within each pair of categories, one category should be deleted and its contents should be migrated to the other category. If it is not appropriate to do so, then feel free to add {{Not done}} next to said pair with some rationale for keeping both—and, if possible, find a Wikidata item with which the category without links to other wikis should be merged. (This list may be expanded as I find more identically named items.) Mahir256 (वार्ता) 07:05, 2 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    Some special cases:

    @Mahir256: Except for last one all are now merged in both Wikipedia and Wikidata. You can write on my talk page here or on Wikidata if you find more.--हिंदुस्थान वासी वार्ता 15:45, 2 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    Editing News #1—2018

    20:56, 2 मार्च 2018 (UTC)

    वर्तनी के कारण बने नकल पृष्ठ

    हिंदी विकिपीडिया पर अनेक पृष्ठ ऐसे है जो वर्तनी के मामूली अंतर के कारण बन गए है। मैंने ऐसे पृष्ठों मैं से कुछ को तो पुनरप्रेक्षित किया है पर ऐसे बहुत सारे है। क्या ऐसे सभी पृष्ठों की कोई सूची मिल सकती है? Jayprakash12345 आपको हिंदी विकि की काफी तकनीकी जानकारी है। क्या आप इसमें कुछ सहायता कर सकते है? Capankajsmilyo (वार्ता) 08:19, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    पंकज जी, मेरा ज्ञान मे अभी तक ऐसा कोई टूल नहीं है जो वर्तनी के मामूली अंतर से बने पृष्ठ की सूची बनाता हो। और यह कार्य मुश्किल भी हैं। क्यूकी आनंद और आनंद फिल्म मे मामूली अंतर है लेकिन दोनों में तो जमीन आसमान का अंतर है। यह कार्य मैन्युअली करना होगा। इसके लिए विशेष:उपसर्ग अनुसार पृष्ठ मे जाकर सूची मिल सकती है। जैसे आ उपसर्ग के पृष्ठ निकालने पर हमे आनंद और आनंद (फिल्म) एक क्रम मे मिलेंगे।--जयप्रकाश >>> वार्ता 09:10, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    जी मेरा आशय ऑयन और आयन, पाँचाल और पाञ्चाल जैसे पृष्ठों से था जो केवल एक मात्रा या हलंत के कारण बन जाते है। आनंद और आनंद फ़िल्म में तो शब्द जुड़ गए है। Capankajsmilyo (वार्ता) 09:18, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    More examples - [5] [6]Capankajsmilyo (वार्ता) 02:27, 4 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    चित्र प्रेरक अधिकार सदस्य समूह हटाने हेतु अनुरोध

    चित्र प्रेरक अधिकार प्राप्त सदस्य चित्र नामस्थान के पृष्ठों को भी स्थानांतरित कर सकते हैं मतलब की वे किसी भी फ़ाइल का नाम बदल सकते हैं। इसमे कोई दो राय नहीं हैं कि यह सदस्य समूह वाकई मे अच्छा है। लेकिन क्या हिन्दी विकि को सच मे जरूरत हैं? चित्र प्रेरक अधिकार प्राप्त सदस्य को movefile (विशेष:सदस्य समूह अधिकार) अधिकार प्राप्त होता है। जो प्रबन्धको समूह में भी हैं। हाल के परिवर्तन देखने से लगता हैं अगर हम चित्र अपलोड को देखे तो उसका औसत 2 चित्र प्रति दिन से भी कम है इनमे से भी ज़्यादातर सही नाम से अपलोड होती है। तो इस पर एक प्रश्न है कि क्या हमे वाकई मे इस सदस्य समूह की जरूरत है? सदस्यसूची मे देखने से पता चला कि वर्तमान में मुज़म्मिल जी इस समूह के सदस्य हैं। और स्थानान्तरण लॉग से पता चला कि सदस्य मुज़म्मिल जी ने 28 जून 2012 से आज तक केवल 1 स्थानान्तरण किया हैं।

    08:22, 3 सितंबर 2017 Hindustanilanguage (चर्चा | योगदान) ने चित्र वार्ता:Shubh-story 647 042517045349.jpg पृष्ठ चित्र वार्ता:Shubh Mangal Savdhan Poster.jpg पर स्थानांतरित किया (नाम) (पुराने अवतरण पर ले जाएं)
    08:22, 3 सितंबर 2017 Hindustanilanguage (चर्चा | योगदान) ने चित्र:Shubh-story 647 042517045349.jpg पृष्ठ चित्र:Shubh Mangal Savdhan Poster.jpg पर स्थानांतरित किया (नाम) (पुराने अवतरण पर ले जाएं)
    

    सदस्य मुज़म्मिल जी चित्रो के मामले में काफी अनुभवी है। इसमे भी कोई दो राय नहीं हैं। लेकिन जब इस अधिकार की हिन्दी विकि पर कोई जरूरत ही नहीं है तो वह भी कौन से चित्रो का स्थानान्तरण करे। इस पर मैं मुज़म्मिल जी से टिप्पणी चाहूँगा क्यूकी शायद जो मुझे दिख रहा हो परिस्थिति उसके विपरीत हो। वाकई मे हिन्दी को इस अधिकार की जरूरत हो। परंतु अभी मैं अपनी समझ के अनुसार इसे हिन्दी विकि से हटाने का प्रस्ताव देता हूँ

    सदस्यो के भाव
    1. समूह हटाये- ऊपर के तर्क के अनुसार--जयप्रकाश >>> वार्ता 16:03, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    2. कोई काम का नहीं है, और इसके साथ "वरिष्ठ संपादक" वाले सदस्य समूह को भी हटा देना चाहिए। उसका आज तक उपयोग ही नहीं हुआ है और वर्तमान में किसी के पास ये अधिकार भी नहीं है। -- (वार्ता) 16:55, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    3. जी ,दोनों समूह अच्छे होते हुए भी किसी काम के नहीं है या कहे की अभी हिंदी विकी के लिए आवश्यक नहीं और किसी सदस्य के पास इसके अधिकार भी नहीं है ,विलोपित करना अथवा हटाया जाना उचित।:स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 13:47, 7 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    टिप्पणियाँ
    • विशेष रूप से इस अधिकार का मैंने कितनी बार प्रयोग किया है, ये तो स्वयं मुझे भी याद नहीं। आपने आकलन करके बताया है, तो सम्भव है कि ठीक ही हो। मेरी व्यक्तिगत राय ये है कि 1111.jpg या AAAA.jpg जैसे नाम जो चित्र का कोई सही विवरण नहीं देते या फिर कोई आपत्तिजनक नाम जैसेकि fool-laughing.jpg जिसे सम्भवतः laughing-boy.jpg या हँसता-बच्चा.jpg हो तो निरापत्तिजनक हो सकता है - ऐसी विशेष स्थितियों में बदला जा सकता है। पर अगर अन्य सदस्य इस अधिकार को समाप्त करना चाहते हैं तो भी मुझे कोई आपत्ति नहीं क्योंकि प्रश्न इन स्थितियों के आने और अधिकार के प्रयोग का है। इस मामले में प्रबंधकगण उचित राय दे सकते हैं। --मुज़म्मिल (वार्ता) 17:00, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    नया विकिपीडिया

    नमस्कार, हरियाणवी विकिपीडिया का प्रस्ताव रखा गया है। इछुक सदस्यो को संपादन का निमंत्रण है। धन्यवाद Capankajsmilyo (वार्ता) 16:52, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    पंकज जी, सच में ऐसा नहीं हैं। meta:Requests_for_new_languages#Wikipedia देखें।--जयप्रकाश >>> वार्ता 16:57, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    Jayprakash12345 वहाँ भी अनुरोध जोड़ दिया गया है। Capankajsmilyo (वार्ता) 17:26, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    जी अच्छा किया। लेकिन आपने जो incubator पर पेज बनाया है उसे भाषा समिति के सदस्य बनाते है। जब परियोजना को eligible कर दिया जाता हैं। हरियाणवी भाषा के लिए विकिपीडिया थोड़ा मुश्किल है। क्यूकी हरियाणवी भाषा के लिए कोड ISO 639-3 हैं। जबकि ISO 639-2 कोड वाली भाषाओ को भी भाषा समिति बहुत मुश्किल से मंजूर करती हैं।--जयप्रकाश >>> वार्ता 17:42, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    पंकज जी, मैथिली को इंकोब्यूटर से निकालने के अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि आपका ५-१० सक्रिय सदस्यों की आवश्यकता होगी जो कम से कम ६ महीने तक परियोजना में योगदान दें। फिर प्रश्न लेखों की संख्या, सिस्टम मेसेजेज़ और भाषाविदों से प्रमाण लेना कि लेख सामग्री की वही भाषा है जो परियोजना की होना चाहिए - देखी जाएगी। धन्यवाद। --मुज़म्मिल (वार्ता) 17:58, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    कड़िया

    जगसीर सिंह

    --मुज़म्मिल (वार्ता) 19:51, 3 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    दुसाद

    --मुज़म्मिल (वार्ता) 07:58, 4 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    विश्व हिन्दी सम्मेलन

    विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी विकिपीडिया की सहभागिता हेतु कल एक हैंगआउट चर्चा हुई जिसमे अनुदान प्रस्ताव व बजट को अंतिम रूप दिया गया। इस विषय में विस्तार से जानने के लिये यहाँ देखें।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 12:54, 5 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    उपरोक्त लेख को निर्वाचन परख में गये एक माह होने को है। निवेदन है कि उसकी समीक्षा शीघ्रातिशीघ्र की जाये, जिससे उन पर कार्रवाई की जा सके। अधिक समय होने से सुधार कार्रवाई का कार्य कठिन हो जाता है, क्योंकि लेख मुख्य स्मृति से उतर जाता है। अतः पुनर्निवेदन है कि उसकी समीक्षा शीघ्र कर निर्णय की ओर अग्रसर किया जाए, जिससे कि हमें एक नया निर्वाचित लेख मिले तथा एक और लेख को इस श्रेणी की ओर तैयार करने का कार्य आरम्भ किया जा सके। साभार:--आशीष भटनागरवार्ता 00:03, 8 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    नागालैंड लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

    --गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 10:35, 10 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    Galicia 15 - 15 Challenge

    Wikipedia:Galicia 15 - 15 Challenge is a public writing competition which will improve improve and translate this list of 15 really important articles into as many languages as possible. Everybody can help in any language to collaborate on writing and/or translating articles related to Galicia. To participate you just need to sign up here. Thank you very much.--Breogan2008 (वार्ता) 14:07, 12 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    अत्यावश्यक लेख

    नमस्कार, अभी अभी विकिपीडिया:अत्यावश्यक लेख/स्तर/१ का गठन किया गया है। किंतु मैं यह नही जानता कि हिंदी विकिएडिया के १० अत्यावश्यक लेख कोनसे है। तो कृपया सूची सही करने के लिए मार्गदर्शन करें। धनयवाद। Capankajsmilyo (वार्ता) 04:34, 13 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    हिन्दी विकिपीडिया की अक्षमता

    दोस्तों, यह कहते हुये खेद होता है कि अभी तक हिन्दी विकिपीडिया के आलेखों में नाम मात्र की वृद्धि हुयी है। क्या हमारे पास जीव विज्ञानी या वनस्पति शास्त्रियों की कमी है कि हम इन सब में लेख नहीं लिख सकते हैं? कृपया अच्छे लेखक खोजे जायें और उनसे अनुरोध किया जाये कि वो हिन्दी विकिपीडिया में योगदान दें। धन्यवाद Mastmastkalandar (वार्ता) 16:10, 14 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    @Mastmastkalandar: जी आपने बहुत अच्छा विषय उठाया कृपया अपने स्तर पर जीव विज्ञानी या वनस्पति शास्त्रियों की खोज जारी रखे एवं उन्हें विकी पर योगदान देने हेतु प्रेरित करें ,समुदाय आपके साथ है।आपकी सक्षमता ही विकी की सक्षमता है। -स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 13:44, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    भारत के राजनीतिक दलों की सूची

    - सायबॉर्ग (वार्ता) 16:23, 14 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    प्रबन्धकों के कार्य का विभाजन

    सामान्यतः विकिपीडिया पर प्रबन्धक कुछ काम बांट लेते हैं तो कार्य आसान हो जाता है। हिन्दी विकिपीडिया पर पिछले कुछ वर्षों में प्रबन्धकों की भारी कमी थी अतः यह कार्य नहीं हो पाया लेकिन वर्तमान में प्रबन्धकों की कुल संख्या 9 (+1 बॉट-प्रबन्धक) है। अतः मुझे लगता है प्रबन्धकों को कार्य का विभाजन कर लेना चाहिये। जिसमें ५ प्रबन्धकों को अलग-अलग कार्य दे दिया जाये बाकी हर जगह प्रबन्धक एक दूसरे की सर्वसम्मति रख सकें। मैंने पिछले ४-५ दिन में एक साथी प्रबन्धक (सदस्य नाम: आर्यावर्त) जी का सन्देश पढ़ा है कि वो मुखपृष्ठ समाचार के लिए प्रबन्धक नहीं बने। मैं चाहता हूँ कि समुदाय यह स्पष्ट कर दे कि उन्हें प्रबन्धक कौनसे कार्य के लिए बनाया है, जिससे उन्हें पिंग (ping) करने के काम में आसानी रहे।

    ऐसा करने से नये प्रबन्धक बनाने की राह भी आसान होगी और कार्य की प्रगति भी होगी।☆★संजीव कुमार (✉✉) 09:28, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    @Suyash.dwivedi, आशीष भटनागर, अनुनाद सिंह, Godric ki Kothri, Jayprakash12345, और Swapnil.Karambelkar: कृपया स्पष्ट करें कि आपने प्रबन्धक चुनाव को किस उद्देश्य से समझा है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 09:35, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @संजीव कुमार: अगर कार्य विभाजन की बात करें तो मैं विशेष कार्य केवल नये प्रबंधकों को ही देने का पक्षधर हूँ। अजीत जी ने शीघ्र हटाने योग्य लेखों को हटाने में उल्लेखनीय कार्य किया है। अगर वे चाहे तो उन्हें स्थायी प्रबंधक बनाने का मैं पक्षधर हूँ। छोटी मोटी खामियों को छोड़ दें तो आर्यावर्त जी को पुनरीक्षण कार्य का अनुभव है अतः उन्हें यह कार्य दिया जा सकता है। अनिरुद्ध जी के अधिक योगदान मुझे पता नहीं हैं अतः मैं उनके बारें में कुछ कह नहीं सकता। बाकी आप, आशीष जी, हिन्दुस्तान वासी जी और अनामदास जी एक अनुभवी प्रबंधक हैं। आपके कार्यों से किसी को कोई समस्या नहीं होगी।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 10:37, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @Godric ki Kothri: आपसे सहमत हूँ, लेकिन क्या अजीत जी और आर्यावर्त जी भी सहमत हैं? कुछ प्रबन्धकों को सर्वव्यापी भी रहना पड़ेगा क्योंकि यदि काम का अतिव्यापन (overlapping) नहीं हुआ तो फिर पहले वाली स्थिति ही रहेगी। अनिरुद्ध जी को प्रबन्धक कुछ विशिष्ट कारणों से बनाया गया है। वो हिन्दी विकि के कुछ ऐसे विकारों को ठीक कर सकते हैं जो हम लोग (जो अपने आप को सर्वज्ञानी एवं सम्पूर्ण समझते हैं) नहीं कर सकते। चूँकि अनिरुद्ध जी व्यवसाय से हिन्दी विषय में अच्छे पद पर हैं अतः यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। लेकिन पहले सभी प्रबन्धक अपनी रुचि के विषय बतायेंगे तो ही कार्य का विभाजन हो सकेगा। मैंने आप लोगों को पिंग इसलिए किया था क्योंकि आर्यावर्त जी के कथन (कि मैं इस कार्य के लिए प्रबन्धक नहीं बना) से मुझे समझ नहीं आ रहा कि वो प्रबन्धक क्यों बने हैं। वैसे ये जानना मेरा काम है भी नहीं लेकिन एक प्रबन्धक होने के नाते ऐसा जानने के बाद मैं उन्हें अनावश्यक स्थानों पर पिंग नहीं करूँगा और कुछ स्थानों पर उनके साथ मिलकर काम करना आसान हो जायेगा। अब वो तो इस प्रश्न का उत्तर दे नहीं रहे, अतः मैंने उन सभी लोगों से पूछना उचित समझा जिन्होंने मिलकर प्रबन्धक बनाया है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:43, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @संजीव कुमार: हालाँकि इस विषय का जवाब @आर्यावर्त: जी ही देते तो बेहतर होता लेकिन फिर भी आप विकिपीडिया:प्रबन्धन अधिकार हेतु निवेदन#आर्यावर्त पर देख सकते हैं कि उन्होंने मुख्यतः बर्बरता से लड़ने व् पृष्ठ सुरक्षित करने के लिये यह अधिकार लिया है और मैंने भी उन्हें बर्बरता हटाने में उनके कार्य को देख कर ही समर्थन किया था। लेकिन मुझे यह अंदाजा नहीं था की वे बार बार यह कहेंगे कि मैंने मुखपृष्ठ समाचार अद्यतन के लिये यह पद नहीं लिया है।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 12:30, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @संजीव कुमार:जी , सदस्य @आर्यावर्त:जी ने उक्त कार्य के लिए प्रबंधक अधिकार मांगे थे - "बर्बरता आदि से लड़ने के लिए बाबा जैसे सदस्यों को प्रतिबंधित करना, अधिक बर्बरता वालें पृष्ठों को सुरक्षित करना या सुरक्षा हटाना, पृष्ठ हटाना आदि टूल मुझे इस कार्य में अधिक उपयोगी हो सकते हैं और इसकी मदद से मेरे कार्यों में वृद्धि होगी।",जिसपर मेरी टिपण्णी ये थी "मेरे विचार से उपरोक्त कार्य हेतु इन्हे टूल्स की पहुंच सुलभ करवाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।" .प्रथम दृष्टया आर्यावर्त जी का ये कहना कि "मैं इस कार्य (मुखपृष्ठ समाचार) के लिए प्रबन्धक नहीं बना" की बजाय ये कहते की "मैं इस कार्य (बर्बरता आदि से लड़ने) के लिए प्रबन्धक बना हु " तो ये ग़लतफ़हमी नहीं रहती।दूसरा, प्रबंधक भी सामान्य सदस्य ही होता है और विकी आनंद के लिए ही कार्य करता है अतः जिसकी जो रूचि हो ,वही कार्य ही अच्छे से और मन लगा कर करे। हां यदि कोई सदस्य /प्रबंधक अपनी रूचि के ना होते हुए भी कोई कार्य करने हेतु आगे आता है तो उनका स्वागत,अभिनन्दन और धन्यवाद। अतः समुदाय ही प्रबंधको की स्वरुचि को ध्यान में रखते हुए कार्य विभाजन/आग्रह करे तो अच्छा (मैं पुनः कहूंगा की ये सदस्य/प्रबंधक की स्वरुचि एवं विशेषज्ञता पर आधारित होना चाहिए ,थोपा नहीं जाना चाहिए ):स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 13:34, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    नमस्कार! मैं ज़रा दिल्ली से बाहर भ्रमण पर गया था, अतएव अनुपस्थिति के कारण कुछ विलम्ब हुआ- क्षमाप्रार्थी हूँ। (और इसी बीच ये विवाद खड़ा हो गया) वैसे तो स्वपनिल जी ने उद्धरण करके सारगर्भित उत्तर दिया है, और मैं भी उसे बढ़ाते हुए यह और कहना चाहूंगा कि:
    • प्रबन्धक नामांकन करते हुए चाहे किसी विशेष या कई कार्य विशेष का उल्लेख किया गया हो, किन्तु अभी तक किसी नामांकन सफ़ल होने को सशर्त नहीं बनाया गया है कि अमुक व्यक्ति अमुक कार्यविशेष हेतु चुना गया है। ये तो अपनी रुचि अनुसार अभ्यास बन जाता है और फिर अनलिखा, अनकहा दायित्व बन जाता है। किन्तु फिर भी अन्य दायित्वों से मुख नहीं मोड़ सकते हैं।
    • आर्य*जी द्वारा कथित वाक्यांश अक्षरशः न देखकर उसके मूल को समझ लेना चाहिये (हालांकि ये बात उनके वाक्यांश के समर्थन में नहीं है, किन्तु कई अन्य सन्देहों का लाभ (benefit of doubt) देते हुए अनदेखा किया जा सकता है बशर्ते कि ये भी ध्यान रखें कि इसकी पुनरावृत्ति न करें व दायित्वों के अतिव्यापन को भी समझें। ये भी भली-भांति समझें कि सभि दायित्व मोटे तौर पर सभी प्रबन्धकों के हैं। वो तो अपनी अपनी सुविधानुसार हमने बांट लिये हैं, किन्तु यदि कोई गलती होती है तो आरोप सभी पर समान रूप से पहुंचता है। मूल दायित्व अवश्य उसी का है जिसने ले रखा है, किन्तु ये सुविधामात्र है, इसे लिखा या बोला नहीं जाना चाहिये- बस समझा जाता है कि अमुक कार्य अमुक प्रबन्धक देखता है। उदाहरण के लिये यदि प्रमुख चित्र संबंधी कार्य में कुछ समस्या है तो मुझे बतायें, किन्तु यदि कोई गलती हो तो अन्य सदस्य
      • किसी भी प्रबन्धक को कह सकते हैं,
      • कोई भी प्रबन्धक उसे सुधार सकता है।
      • किसी भी प्रबन्धक का अन्य सदस्य को ये कहना उचित नहीं होगा कि ये मेरा कार्य नहीं है, अथवा मैं प्रमुख चित्र, आदि के लिये नहीं बना हुं। (वैसे दायित्व मेरा ही है, गलती का दोषी भी मैं ही होऊंगा)
    इसी प्रकार आर्य जी के मूल कार्य जिनका उल्लेख स्वपनिल जी ने किया है, उनमें कहीं कोई कमी नहीं मिली है, बस अपनी लेखनी को थोड़ा बुद्धिदान व धैर्य दान दें कि वो उन्हें इस प्रकार के विवादों से बचा सके। आशा है कि मैंने कुछ ऐसा नहीं लिखा है कि इनके बाद मैं भी किसी ऐसे विवाद में स्वयं को खड़ा पाऊं। शेष सर्वसम्मति एवं स्वविवेक: सादर --आशीष भटनागरवार्ता 23:17, 15 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    ┌──────────────────────────┘
    आशीष जी, स्वप्निल जी और गॉड्रिक की कोठरी जी, आप लोगों के कथनों से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि जयप्रकाश जी द्वारा नामांकित लेखों को हटाकर उन्होंने अपनी इच्छा का कार्य नहीं किया। मैं स्वयं भी अतिव्यापन का पक्षधर हूँ लेकिन अतिव्यापन बहुत अधिक मात्रा में नहीं होना चाहिए। फिर भी मोटे तौर पर कार्य का विभाजन आवश्यक है। मेरा सभी प्रबन्धकों से निवेदन है कि अपनी रूचि के अनुरूप अपने कार्यों के बारे में लिखें। मैं मेरे अनुसार एक छोटा सा विभाजन कर रहा हूँ, यदि किसी को समस्या हो तो लिखें :

    • अजीत जी: अस्थायी प्रबन्धक हैं, अतः उनके प्रबन्धन कार्य को विस्तार की आवश्यकता है। नियमावली के 2, 5 और 7 पर काम करेंगे।
    • आर्यावर्त जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। नियमावली के नियम 1 और 3 पर काम करेंगे।
    • आशीष जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। नियम 2, 4 और मुखपृष्ठ से सम्बंधित बदलाव, जैसे मुखपृष्ठ चित्र, निर्वाचित लेख आदि।
    • हिंदुस्थान वासी जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। नियम 1, 3, 5, 7 पर काम करेंगे।
    • अनिरुद्ध जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। नियम: इन्ण्टरफेस सुधार से सम्बंधित सुधार, सामान्यतः वो सुधार जो हम अन्य प्रबन्धक नहीं कर सकते।
    • अनामदास जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। नियम 4, 5 और मुखपृष्ठ से सम्बंधित बदलाव, जिनमें समाचार, क्या आप जानते हैं आदि हैं।
    • संजीव कुमार (मैं स्वयं): स्थायी प्रबन्धक। नियम 2, 3, 5 पर सीधे काम करता हूँ। नियम 6 पर कुछ साथियों की मदद से काम कर सकता हूँ जिनमें SM7 जी, स जी और जयप्रकाश जी शामिल हैं। चूँकि SM7 जी ने प्रबन्धन दायित्वों से सेवानिवृत्ति ली है अतः यदि वो कभी भी वापसी चाहें तो उन्हें नियम 6 पर काम करने के लिए दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि स जी को भी इस कार्य हेतु लगाया जाना चाहिए।
    • माला जी: स्थायी प्रबन्धक हैं लेकिन सक्रियता नगण्य होने के कारण कुछ विशेष कार्य नहीं दिया जा सकता और उन्हें सभी कार्यों पर अतिव्यापित रखा जाये।
    • चक्रपाणी जी: स्थायी प्रबन्धक हैं। मुझे इनका भी नहीं पता कि प्रबन्धक क्यों बने लेकिन जहाँ तक ज्ञात है, मुखपृष्ठ को चलायमान बनाने के लिए प्रबन्धक बने थे तो उन्हें भी निर्वाचित लेख बनाना और अन्य मुखपृष्ठ से सम्बंधित कार्य दे दिये जाने चाहियें।
    • Sanjeev bot (मतलब मेरा बॉट खाता): स्थायी बॉट-प्रबन्धन खाता। कोई भी प्रबन्धन कार्य जो बॉट से करना आसान हो। उदाहरण के लिए बड़ी मात्रा में लेखों को हटाना। बड़ी मात्रा में लेखों को सुरक्षित करना आदि।

    मैंने ये अन्तिम विभाजन नहीं है केवल मेरे अनुमान हैं। यदि किसी को इससे ऐतराज हो तो वो भी नीचे लिखें। इसके अतिरिक्त कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में थोड़ा इधर-उधर भी काम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कोई भी काम करने में अन्य प्रबन्धकों से राय ली जा सकती है। कुछ अन्य कार्यों से भी (समय के साथ) दक्षता प्राप्त करने के बाद हाथ बंटाया जा सकता है। यदि उपरोक्त कार्य किसी परिणाम तक पहुँचता है तो सम्बंधित सूची भी अद्यतन कर दी जायेगी। इसके अतिरिक्त यदि कोई नियम नियमावली में शामिल नहीं है और प्रबन्धकों को लगता है कि शामिल होना चाहिए तो उसे भी नियमावली में शामिल कर लिया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 03:57, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    • मुझे इस तरह के वक्तव्य और विभाजन दोनों पर आपत्ति है। हमारे सर्वप्रिय प्रबंधक अनामदास जी कई बार चर्चाओं में (कम से कम एक बार विकिपीडिया पर और कई बार बाहर) कह चुके हैं कि वे मुखपृष्ठ के लिए प्रबंधक हैं। मुझे आज तक इसका मतलब समझ में नहीं आया। "मुखपृष्ठ को चलायमान बनाने के लिए प्रबन्धक" जैसा कुछ पहले भी कहा गया था और मैंने तब भी पूछा था कि प्रबंधक कम होने से इसमें किस प्रकार बाधा पड़ती है, या ख़ास इसी के लिए प्रबंधक बना दिए जाएँ तो कैसे यह चलायमान रहेगा? अनामदास जी से चाहूँगा कि वे भी यह उक्ति थोड़ा स्पष्ट करें। आर्यावर्त जी से भी अनुरोध है कि वे थोड़ा प्रकाश डालें कि उनके वक्तव्य का क्या आशय है कि वे मुखपृष्ठ के लिए प्रबंधक नहीं बने। इसके बाद ही ऊपर के प्रस्ताव पर राय दे पाऊँगा, क्योंकि इस तरह के वक्तव्यों को थोड़ा और समझना चाहता हूँ।--SM7--बातचीत-- 04:14, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    मैं इस चर्चा का हिस्सा नहीं हूँ और ना ही सहमत। जिसे जो रुचि हो वहीं कार्य करते हैं। किसी को न तो बाध्य कर सकते हैं और न ही किसी कार्य को न करने पर स्पष्टता देने के लिए बाध्य कर सकते हैं। यहाँ पर सभी स्वयंसेवक हैं। चर्चाओं के बदले मैं अपने कार्य में ध्यान देना चाहूंगा। मेरी और से चर्चा समाप्ति की घोषणा करता हूँ।--आर्यावर्त (वार्ता) 04:30, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    चर्चा आपके नहीं आपके वक्तव्य के ऊपर है। स्वयंसेवक होने का तात्पर्य यह नहीं कि आप कुछ बोलें और उसके बाद कह दें कि आप आगे व्यस्त हैं और अपना कार्य कर रहे, चर्चा समाप्त। कम से कम अपने वक्तव्य को स्पष्ट तो कर ही सकते हैं थोड़ा समय निकाल कर। --SM7--बातचीत-- 04:38, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @SM7:कैसे दूसरों से प्रत्युत्तर पाने के लिये इतने तड़प रहे हैं आप? यहाँ दूसरों को भी प्रत्युत्तर दे देते, तो अच्छा था। ये विकि किसी ने अतिक्रान्त अवश्य कर रक्खा हो। परन्तु कभी न कभी ये अपने विशाल स्वरूप को अवश्य धारण करेगा। आर्यावर्तजी से प्रत्युत्तर पाने से पूर्व आपको उस प्रश्न का प्रत्युत्तर देना चाहिये। ॐNehalDaveND 02:22, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    NehalDaveND जी इतना तड़प तो नहीं रहा जितना आपको प्रतीत हो रहा है, हाँ इस तरह के वक्तव्यों को समझने की कोशिस ज़रूर कर रहा। नीचे आपकी टिप्पणी भी कुछ ख़ास समझ में नहीं आई, न ही यह कि अचानक आप किस कारण इधर-उधर हर जगह मुझे लक्ष्य करके बयानबाजी कर रहे। एक निंदा प्रस्ताव यहीं चौपाल पर अलग से लिख डालें मेरे बारे में और एक साथ ही आप और आप के साथीगण जो मुझसे बहुत परेशान हों अपने सभी गिले-शिकवे लिख डालें। समुदाय एक साथ आम सहमति से तय कर ले कि मुझे अवरोधित करना चाहता है या मेरे कार्यों के किन्ही उदाहरणों के आधार पर नए बनने वाले प्रबंधकों को कोई विशेष छूट देना चाहता। बाक़ी अगर उक्त दोनों प्रबंधक उत्तर नहीं देते तो जितना उनका वक्तव्य समझ में आया फिर उसी आधार पर चर्चा में आगे बढूँगा, आपकी तरह प्रत्युत्तर पाने के लिए अटके रहने का कोई इरादा नहीं है।--SM7--बातचीत-- 02:49, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @SM7: प्रत्येक बार एक बात को इधर-उधर घुमाना कोई आप से सीखें। मैंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया था, न कर रहा हूँ, जो किसी को आहत करे। परन्तु बारंबार प्रश्न को टालने पर भी प्रत्युत्तर न मिले तो सामने वाले की मनसा पर प्रश्न उठता है। कैसे आप यहाँ "अपने वक्तव्य को स्पष्ट तो कर ही सकते हैं थोड़ा समय निकाल कर।" आर्यावर्तजी को कह रहे हैं। तब मैं भी आप से और संजीवजी से यही कह रहा था। परन्तु तब तो आप भिन्न बातें कर रहे थे। अब भिन्न बात कर रहे हैं। मुझे किसी के विरुद्ध निन्दा प्रस्ताव पारित करवाने की आवश्यकता नहीं है। वो तो सदस्य ही निश्चित करेंगे। मैं सही से सम्पादन कर रहा था, मेरी क्षति क्या थी? मैंने कौन सा नकारात्मक कार्य किया था? त्रुटि सब से होती है और उसे सुधारने का भी प्रयास किया था मैंने। परन्तु बारंबार प्रबन्धक के रूप में आप से सहायता मांगने पर भी आप और संजीवजी टालते रहे। अभी भी यही कर रहे हैं। ॐNehalDaveND 05:57, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    ┌──────────────────────────┘
    :आदरणीय श्री @NehalDaveND: जी एवं @SM7: जी, कृपया इस चर्चा को कार्यविभाजन तक ही सीमित रहने दें तो बेहतर होगा। नेहल जी ने एकाधिक जगहों पर संपादन पूर्ववत किए जाने को लेकर अपनी चिंताएं और सवाल रखे हैंं। संबंधित सदस्यों को उनके जवाब जरूर देने चाहिए। साथ ही नेहल जी व्यक्तिगत आक्षेप की मुद्रा में जब तक बने रहेंगे तब तक स्वस्थ चर्चा संंभव नहीं है। पूर्वग्रह छोड़कर ही आपस में चर्चा की जानी चाहिए। मुझे संजीव जी का यह प्रस्ताव तब तक स्वीकार्य और सुविधाजनक लगता है जब तक कि किसी को अन्य कार्यों के लिए सीमित या अवरोधित न कर दिया जाय। मुझे किसी कार्य विशेष को करने में न तो अतिरिक्त रूचि है और न ही कार्यविशेष को लेकर कोई अनमयस्कता। जब जो भी कार्य आवश्यक लगेगा उसके लिए तत्पर रहूंगा। किसी भी सदस्य का यह कहना कि मैंने अमुक कार्य के लिए यह दायित्व नहीं लिया है एक चिंताजनक वक्तव्य है। आप भले ही उस कार्य में रुचि न रखते हों लेकिन आपका यह कहना आपके दायित्वबोध पर प्रश्नचिह्न लगाता है। तब जबकि आपने उक्त स्थल पर समीक्षा भी की हो। कार्यविभाजन यदि सुविधा और कार्यविशेष मेंं सदस्य की रुचि और दक्षता के आधार पर है तब तक स्वीकार्य है अन्यथा यथास्थिति रखी जाय और निर्णय सदस्य के विवेक पर छोड़ दिया जाय। धन्यवाद। (यहाँ के कुछ संपादन गलती से पूर्ववत हो गए थे उसके लिए क्षमा चाहूँगा।) -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 03:46, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    अजीत कुमार तिवारी जी, कृपया अपनी टिप्पणी से उस हिस्से को अलग से तारांकित (* ....) करके नीचे लिखे जिसमें आप ने मूल प्रस्ताव पर अपना मत दिया है। इससे स्पष्ट रहेगा कि आपने अपना मत कहाँ लिखा है और किसी अन्य व्यक्ति के मत पर टिप्पणी कहाँ लिखी। --SM7--बातचीत-- 04:39, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    • प्रबन्धक पद यहाँ कोई मन्त्री पद जैसा प्रतीत होता है। विपक्ष में आते ही मन्त्री किसी भी प्रकार अपने को उचित और सामने वाले को अनुचित घोषित करने के लिये प्रयत्नशील हो जाता है। उस समय उसे जनता (सामान्य सदस्यों, विकिनियमों) की सब से अधिक चिन्ता होने लगती है। स्वयं मन्त्री पद पर रह कर कितने सक्रिय होते हैं और कितने काम करते हैं, ये सब जानते हैं। उक्त प्रबन्धकों में अधिकांश ऐसे हैं, जो प्रबन्धक पद (लाल बत्ती) को धारण कर फिरते तो हैं, परन्तु इस लिये कि लाल बत्ती पर रुकना न पड़े। जब तक पद नहीं मिला, तब तक सक्रिय रहो, उसके पश्चात् निष्क्रिय हो जाओ। (कभी कभी आओ और नीकल लो) विकिपीडिया का नियम (संविधान) है, जितना हो सके उतना करो। ये नियम प्रबन्धक बनने के पश्चात् ही उपयोग में लिया जाता है अधिकांश द्वारा। कुछ लोग बोलते अधिक है, करते कुछ नहीं। नाम के प्रबन्धक। ऐसे में कार्य विभाजन करना अत्यन्त आवश्यक है। इसलिये नहीं कि एक कार्य अन्य नहीं कर सकता। अपि तु इस लिये कि लाल बत्ती वाले यान में बैठने के योग्यता है या नहीं। यहाँ कोई जनता तो है नहीं कि मत देकर अन्य को मन्त्री बना देगी। एक बार चयन हुआ तो वर्षो तक कार्य करो या न करो। सब कभी न कभी व्यस्त हो जी जाते हैं जीवन में, अतः अनिवार्य कुछ भी नहीं कर सकते हैं। परन्तु परस्पर सौहार्द से तो ये कार्य विभाजन करना ही चाहिये। इससे वास्तविक प्रबन्धक और नाम के प्रबन्धक का चित्र स्पष्ट हो जाएगा। वास्तव में अभी भी स्पष्ट ही है, परन्तु प्रमाण सहित बोल नहीं सकते। तो प्रमाण सहित विकिपीडिया के नियमानुसार बोलने का अवसर मिलेगा। चूंकि यहाँ मतदान कर पुनः चयन करने की व्यवस्था नहीं है, तो जनता (सामान्य सदस्य) को इतना अधिकार तो देना ही चाहिये। ये लोकतन्त्र नहीं, ये बहुत अच्छा है। परन्तु लोगों से चले ये आवश्यक है। कोई माने या न माने परन्तु यहाँ प्रबन्धक का अधिकार विशिष्टता का बोध तो करवाता ही है। अन्यथा कोई बिना कारण बताए, कुछ कर दे और बारंबार विरोध करने पर कुछ बोला न जाए किसी अन्य प्रबन्धक या सदस्य द्वारा, ये शक्य नहीं है। तो उस विशिष्ट दायित्व के लिये योग्यता तो अविरत सिद्ध करते ही रहना चाहिये। प्रबन्धक बनने से पूर्व यदि कोई संस्कृतीकरण और उदूकरण के विरोधी या समर्थक हो, परन्तु जब वो प्रबन्धक बनता है, तो वो समर्थकों के लिये नहीं अपि तु हिन्दी विकिपीडिया के लिये प्रबन्धक बनता है। और हिन्दी विकिपीडिया हिन्दी भाषा पर निर्भर है। हिन्दी भाषा किसी एक प्रान्त में नहीं बोली जाती। अतः सब की भिन्न भिन्न पद्धति है। ऐसे मैं एक ही पद्धति उचित है (जौ मैं जानता हूँ, मानता हूँ और समझता हूँ) ये सोचना "कूप मंडूक" नीति होगी। व्याकरण के अनुसार, भाषा दृष्टि से और प्रायोगिक रूप से उचित है, तो वो उचित ही होगा। वहाँ आप किसी बात के विरोधी हैं, उसका प्रभाव डालना न केवल प्रबन्धक पद के लिये, अपि तु हिन्दी विकिपीडिया के लिये (यदि वास्तव में अपने मत का विस्तार नहीं करने आये तो) हानि कारक होगा और हो रहा है। अस्तु। ॐNehalDaveND 05:45, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @NehalDaveND: लगता है आप यह समझ पाये कि यह चर्चा हो क्यों रही है। वैसे कोई बात नहीं मैं भी प्रारम्भ में नहीं समझ पाया था। पहले तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आर्यावर्त जी ने पिछले दो समाचारों के नामांकन में बार बार यह कहा कि वे मुखपृष्ठ अद्यतन के लिये प्रबंधक नहीं बनें। जब प्रबंधक से कोई गलत कार्य होता है तो जवाबदेही सभी प्रबंधकों की होती है। अगर उन्हें मुखपृष्ठ अद्यतन में रूचि नहीं है तो कम से कम वहाँ बिना नियमावली पढ़े अपनी निजी राय नहीं देनी चाहिये। मेरे बिप्लब कुमार देब, नेफियू रियो तथा कॉनराड संगमा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले समाचार अद्यतन के समय व्हाट्सएप्प सदस्य दल पर उन्होंने लेख में 3-4 लाल कड़ीयों का हवाला दिया और इसे मुखपृष्ठ पर लाने का विरोध किया और फिर कहा कि नियम मैं नहीं जानता मगर यह मेरी राय है।(आप स्वयं यहाँ नियम पढ़ सकते हैं) मैंने उन्हें सुझाव भी दिया कि अगर वे अपने राय को नियम में लाना चाहते हैं तो चौपाल पर प्रस्ताव रखें मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया।(हालाँकि समाचार में आने वाले लेख में अत्यधिक लाल कड़ीयों मैं भी विरोधी हूँ) फिर वहाँ यह भी कहने मैं मुखपृष्ठ अद्यतन के लिये प्रबंधक नहीं बना। एक बार फिर से स्टीफन हॉकिंग की खबर पर यही कहा और साथ में यह भी कहा मैं मुखपृष्ठ अद्यतन के लिये प्रबंधक नहीं बना। इसीलिये संजीव जी को कार्य विभाजन का मुद्दा उठाना पड़ रहा है। उम्मीद है आप समझ गये होंगे कि यह लाल बत्ती और विधायकों की चर्चा नहीं है। अब साथ में यह भी उम्मीद करता हूँ कि आर्यावर्त जी अपनी चूक को सुधारेंगे। हम सभी उनके शुभ चिन्तक ही हैं। सादर!--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 10:31, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @Godric ki Kothri: किसको, क्यों, कौनसा मुद्दा उठाना पड़ा ये मुझे पता है। अब आप किसकी कठपूतली हैं, ये कृपया बता देवें। या ये बता देवें आप क्यों अनावश्यक मुझे नासमझ सिद्ध करना चाहते हैं? यहाँ जो अंश लिखे हैं, उसमें स्पष्ट है कि कार्य विभाजन की चर्चा हो रही है और मैंने कार्य विभाजन पर ही बात की है, उसके साथ साथ मेरे मत का कारण भी लिखा है। अभी आप अच्छे शुभचिन्तक बने हैं। बने रहें, परन्तु कभी वास्तविक अन्याय होता है, तब भी शुभचिन्तक बनें, तो हिन्दी विकिपीडिया के शुभचिन्तक माने जाएँगे। यहाँ, यहां भी थोड़ा शुभचिन्तक बनें। @Hindustanilanguage: जी ने किसी अन्य प्रबन्धक के शब्दों को तोड़ मरोड़ कर मार्गान्तरण देने का प्रयास किया और वहीं मैंने उनका प्रयास निरस्त कर दिया। फिर भी वो कहते हैं कि विषयान्तर हो रहा है। उसके पश्चात् वो "अदर्शनं लोपः" हो गये। अब आप शुभचिन्तक जी मैं मुद्दा समझा नहीं करके मेरे विचारों पर ही प्रश्नार्थ लगा कर विषान्तर का (अप्रत्यक्ष) आरोप लगा रहे हैं। मैंने तो जो संजीवजी ने प्रस्ताव किया उस पर ही मत दिया, जिस में कुछ विषयान्तर नहीं है। अतः शुभचिन्तक महोदय आप किसी नवीन प्रबन्धक के कुछ कहने पर उन पर मित्र बनकर आक्रमण करने से बचें। आर्यावर्त जी की त्रुटि जो भी रही हो या उनको भी लपेटने का प्रयोस हो रहा हो, वो परिष्कार और प्रतिकार के लिये सक्षम हैं। आशा करता हूँ आप मेरे विचारों को इस बार अच्छे से समझ पाएंगे। अस्तु। ॐNehalDaveND 12:43, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @NehalDaveND: धन्यवाद आपके उत्तर का! वैसे जब आपका Hindustanilanguage जी के साथ यह विवाद हुआ था तब मैं विकिपीडिया पर सक्रीय नहीं था। अगर सक्रीय होता तो शत प्रतिशत इस मुद्दे पर आपको समर्थन देता। किसी प्रबंधक की कुछ कमी है तो इंगित करना सदस्यों का कर्तव्य है ताकी आगे जाकर यह बड़ा विवाद न बनें। अगर आप इसे कठपुतली व्यवहार कहेंगे तो कहिये। और हाँ, आर्यावर्त जी इसे सुधार लेंगें मेरा ऐसा विश्वास है। और आप किसे नया प्रबंधक कह रहें है संजीव जी तब से प्रबंधक हैं जबसे मैंने २०१३ में संपादन करना प्रारम्भ किया था। संजीव जी ने मुझसे इस चर्चा में उत्तर मांगा था क्योंकि मैंने स्वयं आर्यावर्त जी का प्रबंधक पद के लिये समर्थन किया था।--गॉड्रिक की कोठरी (वार्ता) 13:10, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @संजीव कुमार:जी पुरातन प्रबन्धक और सदस्य है, मैं उनकी बात नहीं कर रहा था। जैसे आर्यावर्तजी के लिये संजीवकुमारजी इतना कष्ट उठा रहे हैं, कदाचित् वो पीयूषजी के लिये भी उठा लेते, तो अच्छा था। स्मजी हो या अनामजी सब अन्यों के वर्तन में परिष्कार चाहते हैं, परन्तु अपने "कूप मंडूक" नीति के लिये मौन धारण कर लेते हैं। क्या उनको पता नहीं कि हिन्दी विकिपीडिया में विवाद क्यों हो रहा है? परन्तु ये सब तब ही सक्रिय हो जाते हैं, जब उनकी विचारधारा के विपरीत कोई कार्य हो रहा हो, चाहे वो हिन्दी विकि के अनुसार ही क्यों न हो रहा हो। निर्वाचित लेख के लिये कोई व्यक्ति बारंबार निवेदन करता है कि समीक्षा कर लेवें कृपया। तब नहीं आते, परन्तु जैसे ही उस लेख को निर्वाचित घोषित करो, ये जागृत हो जाते हैं। तब संजीवकुमारजी कहाँ थे? क्या अब सक्रिय हो कर ये आर्यावर्तजी को प्रबन्धक बनने का अप्रत्यक्ष पाठ पढा रहे हैं? तो पीयूषजी ने जब बिना कारण दिये सन्दर्भों, श्रेणीयों, शीर्षकों को हटाया तो वे कहाँ थे? क्या केवल एक प्रान्त के लोगों को हिन्दी लिखने का अधिकार है? जहाँ प्रबन्धक रहते हैं, क्या उसी प्रान्त के लोगों को विकिपीडिया में सक्रिय रहना चाहिये? बाकि सब क्या करे? इसे चाहे कोई विषयान्तर कहे परन्तु वास्तविकता ये है कि, नवीन प्रबन्धक की त्रुटि को व्यक्तिगत रूप से समझाने के स्थान पर उसे विस्तार दे कर ये सिद्ध किया जा रहा है कि वो इस पद के लिये योग्य नहीं है। अतः मेरा कहना कहीं से भी विषयान्तर नहीं है। यदि यहाँ बोल रहे हैं, तो वहाँ भी बोलना चाहिये था। इतना भी पक्षपात क्यों? ॐNehalDaveND 14:27, 16 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]
    @NehalDaveND: आप शायद एक सकारात्मक चर्चा करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वर्तमान में यह मूल विषय से हटकर है। आपको हमला/आक्रमण पर अथवा आतंकी हमले और अन्य हमले पर चर्चा चाहिये तो नया अनुभाग निर्मित करें। आपको वहाँ उत्तर अवश्य मिलेग।☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:56, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    चर्चा भाग २

    उपरोक्त विषय पर सभी प्रबन्धकों (अन्तिम सम्पादन के क्रम में: आर्यावर्त जी, अजीत जी, पीयूष जी, आशीष जी, अनिरुद्ध जी, माला जी, अनाम जी और चक्रपाणी जी) से अनुरोध है कि अपना पक्ष रखें। ध्यान रहे, आपका कथन लघु और सारगर्भित हो तो लाभदायक होगा। यदि कोई प्रबन्धक इसमें अपना मत नहीं रखना चाहे तो कृपया उसका भी कारण दें जिससे स्थिति को स्पष्ट करने में आसानी रहे।☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:56, 17 मार्च 2018 (UTC)[उत्तर दें]

    SM7 को प्रश्न

    @SM7:जी आप से प्रश्न पुछना चाहता हूँ कि ...

    1. क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश किया जा सकता है?
    2. खिड़की का वातायन करना अनुचित है, तो आक्रमण का हमला करना क्यों अनुचित नहीं है?
    3. अंक का जो विवाद है, उस में निवेश में अरबी अंक और परिणाम में भारतीय अंक हो तो क्या आप उस समस्या का समाधान करने के लिये तत्पर हैं?
    4. बिना चर्चा के "तार्किक रूप से सही" कहने वाले पीयूषजी से आप प्रश्न करेंगे कि क्या तर्क है, जो उस निर्णय पर बिना चर्चा के भी सही है?
    5. इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, उसके लिये आप क्या कार्यवाही करेंगें?

    मैंने ये अनुभव किया है। जब तर्क समाप्त हो जाते हैं, तो ऐसे कारण देकर उसे टाला जाता है, जो वास्तव में एक व्यक्ति नहीं करता है। आप से इन प्रश्नों पर वैसे ही स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा है, जैसी भाषा में आप अन्यों से प्रश्न पूछते हैं। अस्तु। ॐNehalDaveND 03:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    किसी ने 'द्वितीय विश्वयुद्ध' को 'दूसरा विश्व युद्ध' कर दिया था। कारण दिया था 'द्वितीय' एक संस्कृत शब्द है।'अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:26, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    हमला और आक्रमण में अंतर
    • हमला: हमला प्रायः और अस्त्र -शस्त्र रहित भी हो सकते हैं।
    • आक्रमण : जब हमला योजनाबद्ध हो और अस्त्र -शस्त्र प्रयुक्त हों। वहां आक्रमण शब्द प्रयुक्त होना चाहिए।

    -- ए० एल० मिश्र (वार्ता) 14:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    ये संपादन अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    • पिछले बहुत दिनों से सक्रिय नहीं रह पाने के कारण मैं इस चर्चा से अलग चल रह आथा, किन्तु अभी इस चर्चा पर कुछ उड़ती दृष्टि डाली। इस सन्दर्भ में ये लिखना चाहूंगा कि एक शब्द होता है हमलावर, जिसका अर्थ है हमला करने वाला। अब यहां वर प्रत्यय का प्रयोग किया गया है जो कि उर्दु (संभवतः फारसी मूल) से आया है। हिन्दी में आक्रमणकारी शब्द होता है। इस को ध्यान में रखते हुए हम शायद इस निष्कर्ष पर पहुंच पायें कि हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।
    • एक शायद बेकार का तर्क ये भी है कि हमला छोटा व आक्रमण बड़े हमले के लिये प्रयोग होता है, किन्तु ये बेकार का ही तथ्य है।
    कई निजी समाचार टीवी चैनल्स पर उर्दु का अत्याधिक मिश्रण किया जाता है, जैसे आजतक पर विशेषरूप से शख़्स, आदि। अब अगली पीड़ी तो उसे पढ़ते पढ़ते हिन्दी चैनल के कारण इसे हिन्दी शब्द ही समझेंगे व उदाहरण के साथ तर्क भी देंगे।
    *एक सीधा सादा तरीका समाधान ढूंढने का ये भी हो सकता है कि हमला हिन्दी हो न हो, किन्तु आक्रमण पर सभी एकमत होंगे तो कम से कम आक्रमण पर आक्रमण न किया जाये व उसे रहने ही दिया जाये।(मेरे विचार में) आशीष भटनागरवार्ता 02:01, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    हम आशीष भटनागर के विचारों से सहमत हैं। -- ए० एल० मिश्र (वार्ता) 06:08, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    आशीष जी ने निःसंदेह अच्छे से समझाया। मेरे विचार से भी, हम सब एक मत से उनकी इस बात को समझ सकते है और मान सकते है। पूर्ण रूप से सहमत। स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 06:15, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है, ज़रा बता दीजिए इसका संस्कृतकरण कैसे करेंगे आप लोग? हमारी सदियों पुरानी भाषा, ज़बान-ए हिन्द, हिन्दुस्तानी खाड़ीबोली यानि कि हिन्दी की इस बेइज़्ज़ती बन्द कीदिए अब।
    विकिपीडिया:लेखन शैली में साफ़ लिखा है कि "हिन्दी विकिपीडिया पर लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये। हालाँकि तकनीकी तथा विशेष शब्दावली हेतु शुद्ध संस्कृतिनष्ठ हिन्दी के ही प्रयोग की संस्तुति की जाती है।" - यह सही शैली-मार्गदर्शिका है और विकी के सारे लिखने और पढ़ने वालों के लिए सबसे उत्तम है।
    इस ज़ाहिर सी बात को समझाने की ज़रूरत नहीं है कि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" आदि सारे शब्द हिन्दी की आम शब्दावली में आते हैं, इनकी जगहों पर फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है। "आक्रमण", "उत्तरदायित्व", "द्राक्षा", "एवं", "किन्तु-परन्तु" जैसी शब्दावली हिन्दी की आम और प्रचलित बोलचाल की शब्दावली में कभी नहीं आते हैं। तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे लेकिन किसी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के लिए हमारी प्रचलित और आम शब्दावली का अनादर मत कीजिए। विकिपीडिया अपने मास संस्कृताइज़ेशन और सेफ़्रोनाइज़ेशन आन्दोलन चलाने के लिए जगह नहीं है। अगर आप लोग संस्कृत के इतने बड़े प्रेमी हैं, तो sa.wikipedia.org/ पर जाइए और ख़ूब लिखिए। हर भाषा अपनी प्रचलित शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए, वैसे ही अगर हमें हिन्दी में लिखना है तो हम हिन्दी की प्रचलित शब्दावली की नज़रअंदाज़ी कैसे कर सकते हैं?
    सादर, --सलमा महमूद 22:33, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    सलमा जी ने समस्या का मूल बता दिया, जो ये लेखन शैली नीति। इसमें बदलाव हो या तो विकि में निराश होकर लिखना छोड़ दें। ये सब अब नहीं।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:23, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    @Salma Mahmoud:आप अपना आतंकवाद क्यों नहीं उर्दू विकि पर जा कर करती हैं? "फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है।" इस वाक्य से आपने आरम्भ किया तो अब मैं शान्त नहीं रहूंगा। महिला हैं, अतः इतना ही लिखा। महिला का सम्मान करते हुए मैंने सर्वदा आप से चर्चा की है। परन्तु आपको पहले चर्चा करने की शैली ज्ञात हो ये आवश्यकता है। जब भी आप से बात करते हैं, आप विषय को अन्यत्र ले जाती हैं, और अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। यहाँ चर्चा ये हो रही है कि, जैसे हमला शब्द का प्रयोग स्वतन्त्रता से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वो एक हिन्दी शब्द के रूप में गिना जाता है, तो हिन्दी शब्द के रूप में ही गिने जाने वाले आक्रमण शब्दो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया है?

    आपने कहा वो आतंकवादी नहीं है और सभी स्रोत कहते हैं, वो आतंकवादी थे। एक भी स्रोत ले कर आवें, जहाँ लिखा है कि वो आक्रमणकारी थे। आपने जितनी भी बातें कहीं, वो सभी पक्षपात से परिपूर्ण थीं। अपनी विचारधारा के समान आपकी चर्चा के अंश भी निर्मूल और पक्षपाती हैं। आप कदाचित् उन लोगों की अवगणना कर रही हैं, जो शुद्ध भाषा में बोलते हैं। कभी भोपाल जाएं और वहाँ की हिन्दी विश्वविद्यालय में देखें, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और इग्नू में भी हिन्दी का स्तर देखें। स्वयं निरक्षर लोग कक्षा में न जाकर जब शब्दों को केवल बातों के शब्दों से सिखते हैं, तो वो मेरेको, तेरेको, अपनको ही सिखते हैं। किसी भी भाषा के किसी भी तज्ज्ञ सें पुछें कि, क्या बोलने की भाषा और लिखने की भाषा में अन्तर होता हैं? उत्तर यदि सकारात्मक न हो, तो कहें। सर्वदा भाष्यमाणा भाषा और लेख्यमाना भाषा भिन्न भिन्न स्तरों पर होती हैं। क्योंकि लेखन को भाषण से अधिक प्राधान्यता मिलती हैं। आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। परन्तु जो लोग सभ्य हैं, वो सोचकर और उचित अनुचित का निर्णय करके लिखते हैं, क्योंकि ये एक अभिलेख हो सकता है।
    यदि भाषा की दृष्टि से देखें, जो तर्क आप दे रही हैं, तो हमला और आक्रमण दोनों हिन्दी शब्द हैं। यदि कोई हमला शब्द, जो आपके ऐनक में अधिक बोला जाने वाला हिन्दी शब्द है, तो आक्रमण कोई हिन्दी से निष्कासित नहीं हो जाता। वो भी हिन्दी शब्द ही रहेगा, भले ही कल हमला शब्द भी अप्रचलित हो जाए और उसके स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रचलित हो। जब दोनों शब्द हिन्दी हैं, तो आप केवल "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इन शब्दों के प्रयोग पर ही कैसे पक्षपातपूर्ण रूप से विवश कर सकती हैं? यदि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इत्यादि शब्द उचित हिन्दी हैं, तो "आक्रमण", "दायित्व", "द्राक्षा", "परन्तु" इत्यादि अनुचित सिद्ध करें कि ये हिन्दी नहीं हैं।
    अब आपने जो लिखा है कि, 'तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे' ये आपके शब्द स्मरण रखना और यदि विस्मृत हो जाएँ, तो चिन्ता न करें, मैं आपको इस चर्चा का सन्दर्भ दे कर स्मरण करवाउंगा। मैं इस के पश्चात् हिन्दी विकिपीडिया पर जितने भी इस प्रकार के नीतिगत पृष्ठ हैं, उनमें परिवर्तन का प्रकल्प आरंभ करूंगा। उस समय आप ये न कहना कि यहाँ भी बोलनें में आने वाले प्रसिद्ध शब्द ही होनें चाहिए, क्योंकि नीति सामान्य लोगो को पढ़नी है। जैसे एस.एम.7 जी प्रश्नों का उत्तर देनें से कतरा रहे हैं, आप भी मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से कतराना नहीं। यदि वास्तव में आपके लिये भाषा महत्त्वपूर्ण हैं और आप हिन्दी में प्रयुक्त होने (अधिक उपयोग होने वाले और न्यून उपयोग होनो वाले) सभी शब्दों को हिन्दी के अन्तर्भूत मानते हैं, (भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है) तो जैसे हमें ये चिन्ता नहीं कि आप लेकिन लिखें उत परन्तु, वैसे ही आपको भी चिन्ता नहीं होनी चाहिये कि सामने वाला परन्तु लिखें उत लेकिन। हिन्दी को अपनी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के आधार पर विभक्त न करें। विकिपीडिया अपना शाब्द-आतंकवाद और जिहादी आन्दोलन चलाने के लिए स्थान नहीं है।
    यदि आप चाहते हैं कि, आगे से हम केवल तर्कों और तथ्यों पर चर्चा करें, तो अपने शब्दों के चयन पर विचार करें। क्योंकि आपके प्रत्युत्तर के पश्चात् मैं भी उसी भाषा में प्रत्युत्तर दूंगा, जिसका प्रयोग आप करेंगें। आपने असभ्यता का आरम्भ किया था, तो आपको ही इसका अन्त करना होगा। यदि आप मुझे फिर से ऐसा कुछ लिखेंगे, तो मैं भी लिखूंगा। अस्तु। ॐNehalDaveND 04:08, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    नेहाल जी फिर से अपने ज्ज़बातों में आकर गालियाँ दे रहे हैं। इंडिया के इंटरनेट यूज़रों की गिनती पूरी अमरीका की आबादी से भी ज़्यादा है, लेकिन हिन्दी विकी पर सदस्यगण और लेखों की गिनती इतनी कम क्यों है? क्योंकि यहाँ पर उन बयालीस करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़बान की बेइज़्ज़ती हो रही है। अगर आम हिन्दुस्तानियों की बोली से प्रेम करना, और इसकी इज़्ज़त करना अब एक "जिहाद" है तो समझिए कि मैं मुजाहिद हूँ। अगर हिन्दी से इतनी नफ़रत है तो यहाँ से ज़रूर जाइएगा। इस सदियों पुरानी ज़बान की विकिपीडिया पर अपनी इस नई हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी लिंग्विस्टिक पियूरिज़्म विचारधारा का प्रचार मत कीजिए। "हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।" - इसी "तर्क" के मुताबिक़ शब्द "हिन्दी" भी "हिन्दी मूल" का नहीं है। यह भी भाषा विज्ञान द्वारा स्थापित तथ्य है कि हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा है। मैने अभी आप लोगों को इस बात के बारे में समझाया कि हिन्दी की शब्दावली के विभिन्न स्रोत होते हैं। तो इस तर्कहीन, अवैज्ञानिक, अनपढ़ और मूर्खतापूर्ण प्रसाव पर हिन्दी विकी की लेखन शैली नीति का पुनर्निर्माण करना अनावश्यक है। लिखित रूप में खाड़ीबोली, हिन्दुस्तानी अथवा सामान्य हिन्दी का इस्तेमाल नेहाल डेव जी की इस नक़ली, बेकार में संस्कृतनिष्ठ भाषा से बहुत ही ज़्यादा आम है। तो सामान्य व प्रचलित हिन्दी शब्दावली का विकिपीडिया पर इस्तेमाल करना बिल्कुल ही जायज़ है। सादर, --सलमा महमूद 12:03, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    सलमा जी,
    'हिन्दी' का नाम लेकर आप हिन्दी के फारसीकरण का समर्थन कर रहीं हैं। दूसरों पर 'भगवाकरण' का आोप लगाकर पूरा हरा-काला करने का ही यत्न हो रहा है। आप 'हिन्दी के अपमान' का नाम लेकर वैसे ही आक्रमण कर रही हैं जैसे काश्मीर में आतंकी सेना की छद्मवर्दी में घुसकर आक्रमण करते हैं। पर यह बार-बार सफल नहीं हो सकता। जिसे आप 'हिन्दी' कह रहीं हैं उसे लोगों ने १०० वर्ष पहले ही समझ लिया था कि यह उर्दू-फारसी है, हम पर एक प्रकार की गुलामी लादी गयी है, इससे हमे मुक्ति पाना है- यह सब सोचकर एक आन्दोलन चलाया और सफल हुए। पिछले १५-२० वर्षों में कुछ लोगों ने 'सरलता' का नाम लेकर हिन्दी के क्रियोलीकरण की प्रक्रिया शुरू की। जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि आपको 'आक्रमण', 'तथा', 'एवं', 'किन्तु' आदि शब्द कठिन लगने लगे हैं। सलमा जी, ये वे शब्द हैं जो पूरे भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बोले समझे जाते हैं। 'हिन्दी' शब्द विदेशियों ने दिया तो क्या हुआ? अपने शब्द होते हुए भी हम विदेशी शब्द प्रयोग करेंगे? हिन्दी और उर्दू कितनी एक हैं और कितनी अलग है, सबको पता है। दोनों एक हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पुरस्कार क्यों है? कई राज्यों में हिन्दी प्रथम भाषा और उर्दू द्वितीय भाषा क्यों है? समय आने पर परायी भाषा को सभी देशों ने एकबार में या धीरे-धीरे हटाया है। तुर्की और बांगलादेश को देखिए। चीनी-जापानी कठिन कही जाती हैं लेकिन वे सरल शब्दों की खोज में सउदी-अरब तो नहीं जाते।- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:37, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

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    जिसे हम अप्रचलित शब्द कहते हैं, उनमें से कई सारे शब्द दूसरे भाषाओं में आम बोलचाल में उपयोग होते हैं और ऐसे शब्द जो अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद के लिए बनाए गए हैं, वे सब सच में अप्रचलित ही हैं। क्योंकि उन्हें केवल हिन्दी में अनुवाद करने हेतु ही बनाया गया है। तो ऐसे शब्द आप लोग केवल पुस्तकों में ही देखेंगे, या हो सकता है कि कुछ लोग उसी शब्द को बोलते हों, पर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले अधिकांश लोग उस शब्द से परिचित नहीं होते हैं, हालांकि ऐसे शब्दों को विकिपीडिया में आसानी से लिख सकते हैं। क्योंकि उनका कोई अन्य रूप हिन्दी के शब्द के रूप में प्रचलित नहीं है। समस्या केवल उन शब्दों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका कोई और शब्द पहले से ही काफी प्रचलित हो।

    प्रचलित/अप्रचलित का मुद्दा आधारहीन है, इसका मापन सम्भव नहीं। कौन सा सिद्धान्त कहता है कि प्रचलित को ही लिखा जाएगा? यह तो भाषा संरक्षण की नीति के विरुद्ध है। यह नीति उन भषाओं का गला ही दबा देगी जो मरणासन्न हैं। यदि प्रचलित को ही लिखना होता तो वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग बनाने की आवश्यकता क्या थी? तकनीकी शब्द-निर्माण के लिए लगभग सभी सभ्य और आत्मसम्मानी देशों ने संस्थाएँ बनायी है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    विद्यालयों में क ख ग वाली पुस्तकों में अं से अंगूर और से दवात लिखा होता है। शुरू से हमें "अंगूर" शब्द ही हिन्दी में पढ़ाया जाता है, यदि अचानक हम उसे कुछ और कर देंगे तो किसी को अच्छा नहीं लगेगा। पढ़ाई में "अंगूर" शब्द ही प्रचलित है और लोग भी अंगूर शब्द से तुरंत समझ जाते हैं। द्राक्षा जैसा शब्द तो मैंने पहली बार यहीं सुना था।

    पहले आपने यह लिखा था कि 'द्राक्षासव' आपने सुना था किन्तु उसका अर्थ बहुत बाद में समझ आया था। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    आवश्यकता, दायित्व जैसे कई सारे शब्द तो हिन्दी माध्यम के पुस्तकों में रहते ही हैं और अंग्रेजी माध्यम में हिन्दी विषय में भी इसका उपयोग होता ही होगा। तो सभी को इसका अर्थ पता ही होगा, पर बातचीत में इन शब्दों का बहुत ही कम उपयोग है। फिर भी इनके उसे कोई समस्या नहीं है। पर समस्या ऐसे शब्दों से हो जाती है, जो हिन्दी माध्यम की पुस्तकों में होती ही नहीं है और उसका विकिपीडिया में उपयोग किया जाता है। अंगूर और खिड़की शब्द का उपयोग पुस्तकों में भी होता है और सामान्य बातचीत में भी बहुत उपयोग होता है। इसके अलावा फिल्मों में गानों में भी इसका उपयोग किया गया है।

    यह एक सुप्रसिद्ध तथ्य है कि लिखित भाषा, बोलचाल की भाषा से बहुत भिन्न होती है। इतना ही नहीं, विषय के अनुसार भाषा बदलनी पड़ती है। गणित की अपनी भाषा है, रसायन की अपनी भाषा है। दार्शनिक विषयों पर 'बॉलीवुड की भाषा' में नहीं लिखा जा सकता। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    कोई भी शब्द किसी एक माध्यम से प्रचलित नहीं हो सकता। विकिपीडिया में यदि हम अंगूर को द्राक्षा भी कर दें तो शायद अंगूर शब्द अप्रचलित हो जाये, पर द्राक्षा का प्रचलित होना मुश्किल है। पर अंगूर शब्द अप्रचलित हुआ तो उसका स्थान अंग्रेजी शब्द ही ले लेगा। वैसे भी धीरे धीरे अंग्रेजी के शब्द बहुत ही अधिक हो रहे हैं। फिल्मों से लेकर समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी के शब्द अधिक हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि हम किसी प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे शब्द को लाने का प्रयास करेंगे तो इसका लाभ केवल अंग्रेजी के शब्द को ही मिलेगा। शायद हिन्दी में ढेर सारे अंग्रेजी शब्द के प्रचलित होने का कारण भी यही है कि हम उसे दूसरे भाषा का शब्द है बोल कर उसे अलग कर के दूसरे शब्दों को प्रचलित करने में समय व्यर्थ कर देते हैं। ऐसे सभी शब्दों में आज फिल्मों या समाचार पत्रों में ज्यादातर अंग्रेजी के शब्द ही आ गए हैं।

    ये 'वक्त-समय-टाइम' किसी का हाइपोथेसिस है, स्थापित सिद्धान्त नहीं। इस पर बहुत चर्चा हुई है। मैं इसे तर्कहीन मानता हूँ। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    (सत्यम् मिश्र और हुञ्जाल एक ही व्यक्ति के दो अवतार तो नहीं??)

    यदि हमें इन शब्दों का प्रचार भी करना है तो ऐसा प्रचार करना चाहिए कि पढ़ने वाले को बहुत ही आसानी से इन शब्दों का ज्ञान हो जाये। इस तरह से करना है कि जिसे इस के बारे में कुछ भी पता न हो, वो इस शब्द को देख कर याद रख सके।

    वैसे यदि आप थोड़ा ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपको कई सारे अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान है। शायद ऐसे शब्दों का भी ज्ञान है, जिसका हिन्दी अर्थ भी आपको पता नहीं होगा। पर इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारे ही पाठ्यपुस्तकों में हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी नाम भी दिया होता है और हम अपने आप ही उन शब्दों को याद कर लेते हैं, जबकि हमारा उद्देश्य भी ऐसा नहीं होता है। केवल शब्दों के साथ रखने के कारण हिन्दी के अर्थ और परिभाषा के कारण ही हम उन शब्दों के अर्थ और परिभाषा को जान लेते है और किसी को न तो उसका ध्यान होता है और न ही वो उसे पढ़ने में अपना समय व्यर्थ करता है। ये सभी अपने आप ही हो जाता है। आप यदि उन शब्दों को फिर से देखोगे, तो आपको उसी समय उसका अर्थ समझ आ जाएगा क्योंकि उसे आप हिन्दी शब्द और परिभाषा के साथ ही देखे हो।

    पर हम ऐसा शायद कभी नहीं कर सकते, क्योंकि हम उसके स्थान पर तो अंग्रेजी नाम ही लिख देते हैं, जिससे सभी को अर्थ पता चल सके या गूगल, बिंग आदि में पहले स्थान पर दिख सके, हालांकि लोग गूगल का अधिक उपयोग करते हैं और वो अपने आप ही हिन्दी चुने हुए लोगों के लिए अनुवाद कर के हिन्दी में ही परिणाम दिखा देता है और उस कारण हिन्दी विकिपीडिया का लेख ऊपर दिख जाता है। और जो लोग हिन्दी को परिणाम दिखाने के लिए नहीं चुने हैं, उन लोग चाहें तो हिन्दी में भी लिख लें, बहुत कम संभावना है कि हिन्दी विकिपीडिया का ऊपर दिखेगा। और यदि वे लोग अंग्रेजी में लिख दिये तो हिन्दी का कोई लेख तो दिखेगा ही नहीं, चाहे हिन्दी में कितना भी अंग्रेजी लिख लें।

    हमें हिन्दी के शब्दों के लेखों में अंग्रेजी शब्दों को रखने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गूगल अपने आप ही उन शब्दों को खोजने से हिन्दी में हिन्दी विकिपीडिया के लेख को आगे ले आएगा और यदि कोई लेख में शब्द खोजने लगा तो उसे दूसरे भाषाओं की कड़ी में तो मिल ही जाएगा। वैसे यदि कोई विकिपीडिया में ही उस शब्द को ढूँढने लगे तो भी सन्दर्भ में एक भी जगह उसका अंग्रेजी शब्द हुआ तो उससे वो लेख मिल ही जाएगा।

    गूगल बिंग आदि की बात पता नहीं क्यों कर रहे हैं। यह अपने-आप में एक अलग विषय है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    यदि कोई शब्द थोड़ा ही प्रचलित है तो उसके स्थान पर कोई और हिन्दी शब्द लिखने से भी चलेगा, पर जो शब्द पाठ्यपुस्तकों में भी रहता है, फिल्मों के गानों में भी उपयोग किया जाता है और सामान्य बातचीत में भी उपयोग किया जाता है, ऐसे शब्दों को हटाना ठीक नहीं है। पर यदि बाद में कोई हिन्दी शब्द उसके स्थान पर प्रचलित हो जाये तो उसे लिख सकते हैं। लेकिन तब तक ऐसा करना सही नहीं है। यदि "अंगूर" शब्द उर्दू में है तो ये और भी अच्छा है, क्योंकि इससे शब्द को प्रचलित रखने या और अधिक प्रचलित करने में बहुत आसानी होगी। पर दो अलग अलग शब्दों के चक्कर में ही हम रहे तो तीसरे अंग्रेजी शब्द को प्रचलित बनाने का ही कार्य करेंगे। हो सकता है कि कभी द्राक्षा शब्द भी प्रचलन में आ जाये, पर उससे यही होगा कि हिन्दी भाषी सोचेगा कि किस शब्द का उपयोग करूँ और किस शब्द का नहीं, और अंत में वो हो सकता है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करने की सोचे। पर हम सभी "अंगूर" शब्द को ही प्रचलित बनाए रखने का प्रयास करें तो हिन्दी में हमेशा ही लोग "अंगूर" ही लिखेंगे और कोई उसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोचेगा ही नहीं।

    वैसे किसी शब्द के प्रचार करने हेतु हमें केवल यही तरीका मिलता है कि उस लेख का नाम उस शब्द से बदल दिया जाये, पर एक ही माध्यम से इस तरह का प्रचार करने से ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं या कम हैं, उनके स्थान पर आसनी से उपयोग कर सकते हैं। शायद कम प्रचलित शब्दों को हटाने से कोई समस्या नहीं होगी। पर हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों को हटाना पड़ेगा और नए आ रहे शब्दों को रोकना भी पड़ेगा। क्योंकि फारसी आदि भाषाओं से शब्दों का आना तो वैसे भी बंद हो गया है और नए शब्द आ भी नहीं सकते या आए भी तो किसी को समझ नहीं आएंगे, पर अंग्रेजी में ऐसा नहीं है। अभी अंग्रेजी के कई सारे शब्द हिन्दी में उपयोग हो रहे हैं पर ऐसे शब्दों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों के बारे में सोचना चाहिए और उसका उचित अनुवाद और उसके स्थान पर ठीक तरीके से हिन्दी शब्दों का उपयोग करना चाहिए।

    हिन्दी में लिखते समय कई बार दो या उससे अधिक शब्दों में से एक को चुनना पड़ता है। उसके कारण समस्या भी उत्पन्न हो जाती है और लिखने का काम धीमा हो जाता है। हिन्दी विकि में "श्रेणी" शब्द का ही उपयोग होता है। इस कारण सभी सक्रिय सदस्यों को इसका अर्थ पता होगा। लेकिन हम उसके जगह कोई और शब्द भी रख दें तो कुछ लोग भ्रम में रहेंगे कि श्रेणी का उपयोग करें या किसी और शब्द का उपयोग सही रहेगा। उसके बाद हो सकता है कि वे लोग अंग्रेजी के ही शब्द को लिखने लगें क्योंकि उन्हें "श्रेणी" शब्द ही याद नहीं रहेगा। दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं और उनका उपयोग लगभग आधा हो जाता है। यदि मान लें कि कोई शब्द पचास प्रतिशत प्रचलित है और कोई दूसरा शब्द भी उतना ही प्रतिशत प्रचलित है। तो कोई व्यक्ति यदि कुछ लिख रहा हो तो वो उन दोनों में से कौनसा शब्द उपयोग करेगा? वो यही देखेगा कि किस शब्द का उपयोग अधिक हो है और उसे ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो उस शब्द को समझ नहीं पाएंगे तो वो अपने लेख में उस शब्द के स्थान पर कोई सभी को समझ में आने लायक शब्द खोजेगा। पढ़ाई में तो वैसे भी अंग्रेजी पढ़ाया जाता ही है, चाहे आप हिन्दी माध्यम में भी क्यों न पढ़े हों। इस कारण वो इन दोनों शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्द को चुन लेगा।

    दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं - सत्य से कोसों दूर है। सू्र्य के बीसों पर्याय हमें रटाए जाते थे। रामचरित मानस पढ़िए, पता चलेगा कितने पर्याय प्रयुक्त होते है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    आप लोगों ने फुट डालो और राज करो की नीति के बारे में तो सुना ही होगा। शब्द भाषा की शक्ति होती है और जिस भाषा के जिस शब्द का अधिक उपयोग करें, वो उतना ही शक्तिशाली होता है। लेकिन दो या उससे अधिक शब्द के उपयोग करने से ये कुछ "फुट डालो और राज करो" की नीति के समान हो जाएगा। जिसके कारण शब्दों की शक्ति आधी या और कम हो जाएगी। इस कारण यदि हिन्दी में कोई एक शब्द प्रचलित है तो उसे ही उपयोग करना सही रहेगा।

    फारसी आदि भाषाओं से जितने शब्द हिन्दी में आए हैं, उतने ही रहेंगे, अब उनकी संख्या नहीं बढ़ने वाली, पर हमें अंग्रेजी से आने वाले शब्दों को ही रोकना चाहिए, क्योंकि उसके कई सारे शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों की जगह ले रहे हैं और उनके शब्द तो अभी भी आ रहे हैं। "रेडियो", "मोबाइल" जैसे शब्दों को रखने में कोई बुराई नहीं है, पर हॉरर, रिलीज़, स्टोरेज, जैसे कई सारे अंग्रेजी शब्दों को रोकना चाहिए। इस तरह के शब्दों को हम तभी रोक सकेंगे, यदि हम हिन्दी के वर्तमान प्रचलित शब्दों को ही प्रचलित करने और प्रचलन में बनाए रखने का प्रयास करें।

    कुछ विदेशी शब्दों को छोड़कर सभी को हटाना चाहिए- कुछ को तुरन्त, कुछ को समयबद्ध रूप में धीरे-धीरे। हिन्दी की घोषित नीति होनी चहिए कि उसे ऐसे शब्द अपनाने-बनाने हैं जिससे वह अन्य भारतीय भाषाओं के और भी निकट आ सके। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    हमें केवल प्रचलित शब्दों का ही उपयोग नहीं करना है। हम सभी हिन्दी के शब्दों के बारे में लेख में बता सकते हैं कि अंगूर को इन इन नामों से भी जाना जाता है। इस तरह से नाम बताएँगे तो उनके मन में कहीं न कहीं वो नाम तो रहेगा ही, जिससे हो सकता है कि भविष्य में "द्राक्षा" शब्द ही अंगूर से अधिक प्रचलित हो जाये, पर उसे प्रचलित करने के लिए पूरे लेख का नाम बदल देंगे तो दोनों शब्द अप्रचलित हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि लोग कारण विकिपीडिया में आना ही छोड़ दें कि इसके शब्द उन्हें समझ ही नहीं आते हैं। इसके साथ साथ ये भी हो सकता है कि उन्हें हिन्दी ही कठिन लगने लगे, क्योंकि उन्हें शब्दों का उतना ज्ञान ही नहीं हैं।

    -- नया कुछ नहीं है, पुनर्पुनरावृत्ति ।।।।।।।। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    यदि कोई बच्चा बचपन से अंगूर खाते हुए उसे अंगूर के ही नाम से जानता हो और बाद में उसे कहा जाये कि ये द्राक्षा है तो हम उसी समय अंगूर शब्द की शक्ति को दस प्रतिशत तक कम कर देंगे। उससे उस बच्चे को कभी लिखने कहा जाये कि ये इस फल का क्या नाम है तो वो सोचेगा फिर लिखेगा। जबकि उसे अंगूर शब्द ही पता होगा तो उसे सोचने की जरूरत भी नहीं होगा और वो तेजी से उस शब्द को लिख देगा। अंग्रेजी के शब्दों के कारण वैसे भी हिन्दी के शब्दों की शक्ति कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यदि हम जानबूझ कर हिन्दी के प्रचलित शब्दों को मारने का प्रयास करें तो ये सच में शब्दों को मारना ही होगा। पर जिस शब्द के लिए आप उस शब्द को मारने की सोच रहे हैं, वो शब्द भी कोई उपयोग नहीं करेगा और उसके जगह अंग्रेजी के शब्द ही आ जाएँगे।

    पुनरावृत्ति अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    अंग्रेजी के शब्द दूसरे भाषाओं में उतने नहीं आए हैं और न ही उतने तेजी से आ रहे हैं। सिर्फ हिन्दी ही है, जिसमें इसके शब्द अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक आ रहे हैं। इसका कारण भी हम ही लोग हैं, जो हिन्दी के प्रचलित शब्दों के स्थान पर अप्रचलित शब्द का उपयोग करते हैं। इसका दूसरा कारण भी इसी से जुड़ा है। हम शब्दों के अनुवाद में किसी एक शब्द का ही सही ढंग से उपयोग नहीं करते हैं। इस कारण किसी सॉफ्टवेयर या वेबसाइट का अनुवाद करें तो ऐसा लगता है जैसे वो शब्द किसी को समझ ही नहीं आएगा।

    वैसे अनुवाद से ही एक और समस्या याद आई। हम लोग अनुवाद में एक ही शब्द का उपयोग कभी नहीं करते, खास तौर से दो अलग अलग अंग्रेजी शब्दों के लिए तो कभी नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लिखना शब्द और टाइप शब्द अंग्रेजी में दोनों अलग अलग है। हम टाइप शब्द के लिए या तो टाइप शब्द ही उपयोग करते हैं या टंकण ही लिख देते हैं। पर चाहे हम कम्प्युटर में लिखें या किसी कागज में लिखें, लिख तो दोनों में ही रहे हैं, पर हम उसमें कभी "लिखना" शब्द का उपयोग नहीं करते हैं। अंग्रेजी में एप्लिकेशन शब्द का उपयोग आवेदन और अनुप्रयोग दोनों में उपयोग हो जाता है, फिर भी कोई समस्या उन्हें नहीं आती है। क्योंकि उन्हें पता है कि दोनों का अलग अलग जगह अलग अलग अर्थ होगा। वैसे ही कम्प्युटर में लिखने का अर्थ कम्प्युटर में टाइप करना ही होगा, पर हम उसके जगह टाइप या टंकण जैसे शब्द का उपयोग करते हैं। ऐसे में "लिखना" शब्द अप्रचलित तो नहीं होगा, लेकिन उसका इस शब्द के लिए भी उपयोग करने से वो काफी प्रचलित हो जाता और कम से कम "टंकण" शब्द से तो अच्छा ही रहता।

    अप्रसांगिक, सन्दर्भच्युत। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    हमें पढ़ाई से जुड़े लेखों के निर्माण करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए कि लेख का नाम हिन्दी माध्यम के पुस्तकों के अनुसार हो, ताकि विद्यार्थी आसानी से उन शब्दों को खोज सकें। हिन्दी माध्यम में कोई भी पढ़ा हो तो उसे "अंगूर" शब्द पता ही होगा, पर कहीं द्राक्षा शब्द तो बताया ही नहीं गया है। पर्यायवाची शब्दों के बारे में पढ़ाते समय फूल, नदी, पानी, आकाश, धरती आदि के बारे में ही बताया जाता था, किसी फल के बारे में न तो बताया गया और न ही पुस्तकों में लिखा था। क्या इस शब्द का उपयोग किसी पढ़ाई के पुस्तकों में हो रहा है ? यदि नहीं हो रहा तो इसे "अंगूर" ही रखना उचित है। ताकि अंगूर शब्द को हम अत्यधिक प्रचलित कर सकें और कोई भी इसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोच भी न सके। पर ऐसा तभी होगा, जब हम सब मिल कर "अंगूर" शब्द का ही हर जगह उपयोग करेंगे। अंगूर शब्द का तो पुस्तकों में उपयोग तो होता ही है और कई फिल्मों में भी "अंगूर" शब्द का उपयोग हो ही रहा है। तो ऐसे में इस शब्द स्थान पर कोई और शब्द लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। पर यदि किसी को अंग्रेजी शब्द से ही प्यार हो तो इसे वापस द्राक्षा कर दें, और कुछ साल बाद अंग्रेजी के शब्द के रूप में परिणाम देखने को मिल जाएँगे। हो सकता है कि उसके कुछ साल बाद कोई आकर इसे अंग्रेजी शब्द में लिखने की सोचे, क्योंकि "अंगूर" शब्द का उपयोग कम होने से यकीनन अंग्रेजी के शब्द को ताकत मिलेगी और उसका उपयोग और तेजी से होने लगेगा। आप लोग चाहें तो इसे द्राक्षा ही रखें, पर किसी भी जगह इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्द का उपयोग हुआ तो उसके दोषी आप ही लोग होंगे।

    पुनरावृत्ति ।।।। 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)

    अंगूर और द्राक्षा की बात समाप्त कर अब हमला और आक्रमण में आता हूँ। पहले से ही कई लेखों में हम लोगों ने "हमला" शब्द ही उपयोग किया है। इसी शब्द का उपयोग हिन्दी समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा किया जाता है। गूगल या बिंग आदि में कोई घटना के बारे में खोजता तो उसे ___ हमला वाला सुझाव पहले दिखता, इस कारण वो उसी शब्द को खोजता, वैसे भी आक्रमण शब्द से हमला शब्द अधिक प्रचलित है। पर इसका ये अर्थ नहीं है कि आक्रमण शब्द लिखने से कोई समझ नहीं सकेगा। आक्रमण शब्द का उपयोग इतिहास के पुस्तकों में कई बार हुआ है और इस कारण कोई भी हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी उस शब्द को बहुत ही आसानी से समझ सकता है। पर यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हमला शब्द अधिक लोग खोजेंगे और उसका लाभ हिन्दी विकिपीडिया को अधिक लोगों के आने से मिलेगा। इसके अलावा पहले के कई लेखों में भी हम लोगों ने और पहले सक्रिय रहने वाले सदस्यों ने भी "हमला" शब्द का ही उपयोग किया है। यदि हम इस तरह के सभी घटनाओं में "हमला" शब्द ही उपयोग करें तो ये शब्द ही प्रचलित रहेगा और इसके स्थान पर कोई अंग्रेजी शब्द उपयोग करने की सोचेगा भी नहीं। पर हम ऐसे प्रचलित हिन्दी शब्दों का ही उपयोग नहीं करेंगे तो हम उसे अप्रचलित होने का कारण दे रहे हैं। इस तरह से ही शब्द अप्रचलित होते जाएँगे, जो अभी अन्य सभी शब्दों से भी अधिक प्रचलित है। हमला भी हिन्दी शब्द ही है। यदि न भी हो तो भी उसका लाभ हिन्दी को ही मिल रहा है, क्योंकि ये शब्द अंग्रेजी का नहीं है। वर्तमान समय में हमें केवल अंग्रेजी से ही खतरा है। बाकी दुनिया के किसी भी भाषा से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। पर इस तरह से प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे हिन्दी शब्द का उपयोग हो तो पहले वाले शब्द की शक्ति थोड़ी न थोड़ी कम हो ही जाएगी, चाहे आप किसी एक लेख में भी इस तरह का बदलाव क्यों न करें, पर प्रभाव सभी जगह पड़ेगा ही, लेकिन इसका प्रभाव आपके इच्छा अनुसार न हो कर इससे अंग्रेजी शब्द को लाभ मिलेगा। आप चाहें तो "आक्रमण" शब्द को दो देशों के युद्ध के लेखों में उपयोग करें, उससे कोई भी आपको नहीं रोकेगा। उससे एक तरह से हिन्दी का विकास ही होगा, क्योंकि इस का अधिक से अधिक उपयोग वहीं मिलता है। इस तरह से दोनों शब्दों का अलग अलग जगह उपयोग करेंगे तो लोगों को शब्द चुनने में कोई समस्या नहीं होगी और लोग उन दोनों शब्दों को आसानी से समझ भी लेंगे। इस तरह से दोनों शब्दों का प्रचार हो सकता है।

    आक्रमण शब्द इतिहास से जुड़े लेखों में उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इसका सबसे अधिक उपयोग "इतिहास" विषय के पुस्तक में मिलता है। "किसी देश ने किसी दूसरे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया" इस तरह का बहुत सारा वाक्य आपको उस तरह के पुस्तकों में देखने को मिलेगा। एक तरह से इन दोनों शब्दों को अलग अलग जगह उपयोग करने के कारण अर्थ में इसी तरह का बदलाव भी हो गया है। इस कारण "आक्रमण" शब्द उस तरह लेखों में बहुत अच्छा लगता है। वहीं "हमला" शब्द का उपयोग समाचार वालों ने बहुत ज्यादा किया है, वो भी इस तरह के हमलों के लिए ही किया है। इस कारण इस तरह के घटनाओं के लिए "हमला" शब्द सबसे सटीक और उपयोगी रहेगा। वैसे कोई यदि इस घटना के बारे में खोजेगा और देखेगा कि सभी जगह हमला लिखा हुआ और केवल विकिपीडिया में ही "आक्रमण" लिखा हुआ है तो उसे अजीब लगेगा। मुझे यकीन है कि सभी को ये शब्द समझ में तो आ ही जाएगा, पर इस तरह के घटनाओं में "हमला" शब्द ज्यादा अच्छा रहेगा। केवल समझने में ही नहीं, बल्कि खोज परिणाम में भी इसका प्रभाव होगा। इससे देखने वाले तो अधिक आएंगे ही और साथ ही साथ इस शब्द का प्रचलन भी अधिक रहेगा। इस शब्द की जगह अंग्रेजी का शब्द न ले ले, इस कारण हमें इसके उपयोग में कभी कमी नहीं होने देना है। ताकि कई सालों बाद भी इस शब्द के बारे में सभी को पता रहे और ये प्रचलन में बना रहे।

    शब्दों को प्रचलित करना काफी कठिन कार्य है, क्योंकि इसके लिए कई सारे माध्यमों की जरूरत होती है और प्रचार भी ऐसा करना होता है कि पढ़ने या सुनने वाले को अर्थ भी समझ आ जाये। यदि आप विज्ञापन देखते हो तो उसमें आपने जरूर देखा होगा कि कई बार हिन्दी शब्द के बाद अंग्रेजी शब्द बोल दिया जाता है। या साथ साथ उस शब्द को भी बोला जाता है। जिससे लोगों को अंग्रेजी शब्द भी समझ आ जाये और हिन्दी भी। एक तरह से जिसे हिन्दी शब्द न पता हो उसे पता चल सकता है, और जिसे अंग्रेजी शब्द न पता हो, उसे अंग्रेजी शब्द का पता चल जाता है। हो सकता है कि इस तरह से हिन्दी को लाभ मिलता हो, पर ज्यादातर तो ऐसे शब्द ही होते हैं, जिसे हिन्दी भाषी जानते हों और उसका अंग्रेजी नाम न पता हो, इस कारण अंग्रेजी शब्द का ही प्रचार हो जाता है। पता नहीं इस तरह के विज्ञापन का उद्देश्य क्या है, पर हमें तो एक ही शब्द का प्रचार है। ताकि वो शब्द कभी अप्रचलित न हो सके।

    वैसे हमारी भाषा यदि अंग्रेजी से बच गई तो फिर कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द ही अभी की सबसे बड़ी समस्या है। जिसका काफी हद तक कारण हिन्दी भाषी ही हैं। कई हिन्दी भाषी अपने बच्चों को हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में नहीं पढ़ाते हैं। तो वे लोग कई सारे हिन्दी शब्द कभी समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में कोई उस तरह से पढ़ा हिन्दी भाषी हिन्दी में योगदान करना भी चाहे तो उसे ऐसा ही लगेगा कि ये शब्द हिन्दी में होते ही नहीं या बहुत कम उपयोग होते हैं, इस कारण वो अंग्रेजी शब्द को ही प्रचलित मान लेता है। ठीक उसी प्रकार कई बार ऐसा होता है कि हम अंग्रेजी के प्रचलित शब्द को हटाने की कोशिश करते हैं, ऐसा कर तो सकते हैं, पर जब तक हर माध्यम से उस शब्द का प्रचार न हो, तब तक लोग उसे अप्रचलित ही मान लेंगे और विकि में किसी को आने का मन ही नहीं करेगा। क्योंकि उसे शब्द समझ ही नहीं आएंगे। पर हमें कोशिश यही करना है कि संज्ञा को छोड़ कर सभी का अनुवाद कर के ही डाल दें, क्योंकि संज्ञा का अनुवाद तभी सही रहता है, जब सभी को उसका दूसरा शब्द पता हो। अंग्रेजी शब्द का इस चर्चा से लेना देना नहीं है, पर एक तरह से अंग्रेजी के शब्द का ही इस चर्चा से अधिक लेना देना है। मैं बस इसमें यही बोल रहा हूँ कि संज्ञा शब्द यदि हिन्दी में न हो तो उसे अंग्रेजी में रख लेने में कोई बुराई नहीं है, जैसे, सर्वर, सीडी, आदि। पर हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि बाकी सभी का अनुवाद होता ही है। यदि कोई शब्द न हो तो उसका परिभाषा के अनुसार अर्थ लिख सकते हैं। पर गैर-संज्ञा शब्दों को हिन्दी में ही लिखना चाहिए। पर ऐसा हम लोग नहीं करते हैं और कई गैर-संज्ञा शब्द को अंग्रेजी में ही लिख देते हैं और संज्ञा शब्द का अनुवाद करने लगते हैं। यदि किसी संज्ञा शब्द का हिन्दी में अर्थ न हो तो उसका उपयोग वैसे भी कम ही होगा। और आज के समय में कई लोग उसका पहले ही अंग्रेजी शब्द जान जाते हैं, इस कारण उसका अनुवाद करने से वो कठिन बन जाता है। अर्थात समझने में कठिन हो जाता है। वैसे जिसने भी विलेज पंप को गाँव का पंप आदि करने के स्थान पर चौपाल करने का सुझाव दिया था, उसने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है। हमें भी अनुवाद इसी तरह करना चाहिए। ठीक वैसे ही उपयोगकर्ता शब्द के स्थान पर सदस्य शब्द का उपयोग बहुत ही अच्छा है। एक तो सदस्य लिखना बहुत ही छोटा होता है और इस शब्द का उपयोग भी बहुत आसानी से होता है। हम इस शब्द का मेम्बर के लिए भी कर सकते हैं और यूज़र के लिए भी कर सकते हैं। इस कारण इस शब्द का प्रचार काफी अधिक हो है। इस कारण इसे प्रचलित रखने में हमें थोड़ा कम मेहनत करना पड़ेगा। हमें अपनी सोच इसी तरह बदलनी होगी और अंग्रेजी के शब्दों के लिए कोई नया शब्द ढूँढने के स्थान पर इसी तरह दूसरे शब्द का उपयोग करना चाहिए। जैसे टाइप के लिए भी "लिखना" और उपयोगकर्ता के लिए भी "सदस्य" शब्द का उपयोग।

    भारतीयों में एक गुप्त शक्ति है जो उन्हें अदम्य बनाती है। कितने सारे पुस्तकालय जला दिए गये फिर भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ उन्होने बचा ली। दस-बीस वर्ष नहीं, हजारों वर्ष तक बचाये रखा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    हमला और आक्रमण में से हम किसी एक ही शब्द का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही किसी न किसी तरह से प्रचलित ही हैं। लेकिन आक्रमण शब्द किसी देश या साम्राज्य के मध्य युद्ध से जुड़ा है तो दूसरा "हमला" शब्द किसी पर भी चाकू से हमला करने को भी हम "हमला" कह सकते हैं। यदि हमें इन दोनों को प्रचलन में बनाए रखना है तो हमें इन दोनों का अलग अलग कार्यों में उपयोग करना चाहिए, ताकि लोग आसानी से तुरंत फैसला ले सकें और इन शब्दों का उपयोग कर सकें। पर "हमला" शब्द समाचारों में काफी प्रचलित है। इस कारण मेरी राय में इसे ही ___ हमला में उपयोग किया जाना चाहिए और "आक्रमण" शब्द दो देशों या साम्राज्य के मध्य लड़ाई में उपयोग होता है, तो उसे उसमें उपयोग करना ज्यादा अच्छा होगा।

    समाचार मुख्यतः 'श्रव्य-दृष्य' है, हिन्दी विकि पर 'लिखा' जाता है। दोनों की भाषा की अलग होगी। कोई नहीं मानेगा कि 'चाकू से हमला करना ठीक है' और 'चाकू से आक्रमण करना गलत'। किसी शब्दकोश में दिए अर्थ के अनुसार आपने लिखा हो तो कृपया उसका सन्दर्भ दीजिए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    अब हमला और आक्रमण वाली बात से हट कर खिड़की और वातायन में आता हूँ। इसमें तो साफ है कि लोगों को खिड़की शब्द के बारे में अच्छी तरह जानकारी होगा ही। खिड़की नाम से एक धारावाहिक भी बना था। शायद पिछले कुछ वर्षों में ही प्रसारित हो चुका है। कुछ हिन्दी गानों में भी "खिड़की" शब्द का उपयोग हुआ है। इनमें कुछ नए फिल्म भी हैं। पुस्तकों में भी साफ साफ कई जगह केवल और केवल खिड़की शब्द का उपयोग हुआ है। इसे बदलने का तो कोई कारण ही नहीं था।

    वैसे सलमा जी ने जब आक्रमण को हमला करने हेतु लेख के नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था, तो वहाँ मैंने कई सारे समाचार सन्दर्भ दिये थे, कि इतने सारे समाचार स्रोत "हमला" शब्द का ही उपयोग कर रहे हैं। वैसे सभी समाचार स्रोत इसका उपयोग न भी करें, पर पिछले कई लेखों का नाम इसी अनुसार ही रखा गया है। इस बारे में भी मैंने कहा था। उस समय मुझे जल्दी थी कि "हमला" शब्द के उपयोग करने से पाठकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी ही। पर उस दौरान आधे से अधिक समय तक उसका नाम आक्रमण ही रखा गया था, शायद उसके कारण जितने लोग आने थे, उससे थोड़े कम आए होंगे। वैसे आक्रमण शब्द तो प्रचलित ही है, लेकिन उसका इस तरह उपयोग नहीं किया गया है, इस कारण इस घटना को खोजने वाले भी "हमला" लिख कर ही खोजते या खोजेंगे।

    यह शुद्ध कपोलकल्पना है कि 'हमला' देखकर अधिक लोग हिन्दी विकी पर आयेंगे। हिन्दी विकी पर सामग्री खोजते हुए लोग आते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है- इसे ठीक करना होगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    वैसे हिन्दी विकिपीडिया में कुछ लेखों के नामों को बदलने से इस तरह के शब्द प्रचलित नहीं हो सकते, पर यकीनन इससे विकि पाठकों को अच्छा नहीं लगेगा, जो खिड़की वाला लेख देखने के लिए इसे खोलेंगे और नाम ही बिल्कुल अलग दिखेगा। मैंने ऊपर भी कहा है कि प्रचलित हिन्दी शब्दों के कमजोर होने से उसका लाभ पूरी तरह अंग्रेजी को ही मिलेगा। इस कारण इस लेख का नाम "खिड़की" ही रखना ठीक रहेगा, पर इसमें जानकारी के लिए आप "वातायन" लिख सकते हैं। ताकि लोगों को पता रहे कि इसे वातायन भी बोलते हैं।

    पढ़ाई की पुस्तकों में इसे खिड़की के नाम से ही देखा हूँ, कहीं भी वातायन नहीं देखा। क्या आपके पढ़ाई के पुस्तक में "वातायन" नाम लिखा है ? वैसे बचपन से ही हिन्दी नाम के रूप में "खिड़की" शब्द ही बताया जाता है। इसे अचानक से "वातायन" करने से किसको अच्छा लगेगा? जबकि कई जगह इसी शब्द का उपयोग मिल रहा है।

    यदि अंग्रेजों ने भी इस तरह से शब्दों को बदला होता तो बहुत से लोग इसका विरोध ही करते, पर उनके कार्य बहुत धीमे धीमे हुआ है। इस कारण कई सारे शब्द ऐसे हैं, जिसे हम जानते हुए भी उपयोग कर लेते हैं। हमें प्रचलित हिन्दी शब्दों से ही लेख का शीर्षक रखना चाहिए, ताकि लोगों को हिन्दी बहुत ही आसान लगे और अन्दर में उन शब्दों का उल्लेख करना चाहिए, जैसे अंगूर को द्राक्षा भी कहा जाता है।, खिड़की को वातायन भी कहा जाता है, आदि । इससे लोगों को धीरे धीरे ही इन शब्दों के बारे में पता चलेगा और हमें विकिपीडिया के साथ साथ दूसरे माध्यमों से भी इन शब्दों का प्रचार करना पड़ेगा, क्योंकि एक माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो प्रचार भी अच्छे से नहीं होगा और लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।

    बचपन से ही "अंगूर", "खिड़की" जैसे शब्द हिन्दी के ही बोले गए और पढ़ाई में भी इन शब्दों का उल्लेख था, ऐसे में उसे अचानक से बदलने से ऐसा लग रहा है जैसे मैं जिस हिन्दी को जानता हूँ और जिस कारण से विकिपीडिया में योगदान दे रहा, वो हिन्दी कोई और ही है।

    अ़़ब़ ऩुक़़्त़ा क़ी ब़ा़त़, ज़ो श़ा़य़द क़िस़ी भ़ी ह़िऩ़्द़ी म़ाध़्य़म़ क़े व़िद्यार्थी को पता ही नहीं होगी और इसके कारण मेरे कुछ दोस्तों का दिमाग भी खराब हो जाता है। वैसे मुझे इसके बारे में विकिपीडिया में आने से पहले कुछ पता ही नहीं था और न ही इसका उच्चारण पता है। पढ़ाये जाने वाले किसी भी पुस्तक में मैंने एक भी नुक्ता नहीं देखा। पता नहीं विकिपीडिया में पढ़ाई से जुड़े लेखों में भी नुक्ते का इतना उपयोग क्यों होता है। पर मुझे इससे अभी तो कोई समस्या नहीं है, पर कुछ फॉन्ट में नुक्ते के कारण अक्षर समझ ही नहीं आते थे, उसे बदलने के बाद ही मैं नुक्ते वाले अक्षरों को समझ पाया। खास कर ऐसे शब्द जिसमें नुक्ता भी हो और तिरछा किया गया हो, वो तो बिल्कुल कोई अलग शब्द ही लगने लगता है। इसके अलावा एक और समस्या दो अलग अलग नुक्ते में है।

    नुक्ते़ अ़ल़ग़ अ़ल़ग़ भ़ी ह़ोत़े है़ं, इ़स़क़ा प़त़ा़ भ़ी़ क़ई़ स़म़य़ क़े ब़ा़द प़त़ा च़ल़ा। जै़से फ़ = फ़, ज़ = ज़ दोनों ओ़़ऱ नु़क़्त़े है़ं, ल़ेक़िऩ द़ोऩों ए़क़ ऩह़ीं ह़ै। इ़स़क़े क़ाऱण़ ख़ोज़ऩे मे़ं और कड़ी जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है और कई बार एक से अधिक लेख भी बन जाता है। इसके कारण कुछ अन्य जगहों पर भी समस्या उत्पन्न हो गई है। खास कर लिखने वाले वेबसाइट में, जिसमें हिन्दी में कितने तेज लिख सकते हो, वो पता चलता है। वो सब ठीक से काम ही नहीं करता है। उसका कारण भी नुक्ता ही है। दो अलग अलग तरह के नुक्ते के कारण आप आसानी से लिख ही नहीं सकते। मैंने उन सभी को इस समस्या को हल करने लिए ईमेल भी किया था, पर एक का ही जवाब आया और वे भी समस्या को समझ नहीं पा रहे। चाहें तो पूरे विकि से नुक्ते को न हटाएँ, पर पढ़ाई से जुड़े लेखों में नुक्ते को रखना ठीक नहीं है, क्योंकि पुस्तकों में नुक्ते का उपयोग नहीं किया जाता है और शायद किसी भी हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी को नुक्ते के बारे में पता नहीं होगा । यदि वो किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी प्राप्त न किया हो। वैसे इनपुट टूल के कारण नुक्ता डालने में कोई समस्या नहीं आती है। पर इनस्क्रिप्ट उपयोग करने वालों को व्यर्थ में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पूरे विकिपीडिया से हटाएँ या न हटाएँ, पर मुझे लगता है कि इसे उन सभी लेखों से हटा देना ही सही होगा, जो पढ़ाई से जुड़े हैं। रसायन, भूगोल, गणित, विज्ञान आदि से। वैसे पूरे जगह से नुक्ता हटा भी दें तो एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लगभग सभी इनपुट टूल जैसे गूगल या माइक्रोसॉफ़्ट इनपुट टूल में अपने आप ही कई जगह नुक्ता आ जाता है। तो नुक्ता वाले लेख तो लोग बना ही लेंगे और खोजने वाले नुक्ते के साथ भी खोज सकते हैं।

    अंकों के बारे में हम लोगों ने पहले भी बहुत सी चर्चाओं में चर्चा किए हैं। शायद सभी का यही निर्णय निकला था कि लेखों में जो अंक पहले से है, उसे ही पूरे लेख में रखा जाये। उसे बदला न जाये। वैसे इसका एक और हल भी है, पूरी तरह उपयोग तो नहीं कर सकते पर उसका लाभ जरूर होगा। हम लेखों में जितना हो सके, उतने जगहों पर संख्या को अंकों के स्थान पर शब्दों में लिख सकते हैं। जैसे आठ लोगों की मौत, तीन लोग डूब कर मर गए, या उन्नीस लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत आदि। कुछ लोग जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करते हैं, वे लोग अंकों को अंग्रेजी में ही बोल देते हैं। इस समस्या का हल भी इसी से हो जाएगा। इससे उन लोगों को शब्द याद रहेगा और हमें भी अंकों के बारे में उतना सोचना नहीं पड़ेगा।

    संख्यासूचक शब्दों को अंकों में लिखा जाय या शब्दों में? - इस सम्बन्ध में एक अच्छी नीति हमे बतायी गयी थी। साहित्य आदि लिखते समय शब्दों का करें ( आठ पहर लिखिए, ८ पहर नहीं।) गणित, विज्ञान आदि में अधिक से अधिक अंकों का प्रयोग करना चाहिए। इतिहास में भी तिथियाँ आदि अंकों में लिखी जानी चाहिए ( भारत सन् १९४७ में स्वतन्त्र हुआ। )अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    ऊपर की सारी चर्चाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हमें हर परियोजना हेतु शब्दावली का निर्माण करना चाहिए और उन्हीं शब्दों का उपयोग लेखों में करना चाहिए। जैसे विकिपरियोजना फिल्म में फिल्म में उपयोग होने वाले सभी शब्दों का उसके अर्थ के साथ सूची रहेगा, जिससे कोई भी सदस्य आसानी से उन सूचियों से देख कर नाम लिख लेगा, इससे इस तरह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही साथ इससे हिन्दी के शब्दों का प्रचार भी काफी अच्छे से हो सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उस विषय पर लिखने वाले सदस्यों को होगा और वो भी कोई नया सदस्य या जो उस विषय पर पहली बार लिख रहा हो।

    प्रथम विश्व युद्ध या पहला विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध या दूसरा विश्व युद्ध में तो प्रथम और द्वितीय रखने में क्या समस्या हो सकती है ये तो समझ नहीं आ रहा, पर पाठ्यपुस्तकों में तो प्रथम और द्वितीय शब्द का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध लिखा रहता है।

    मैं जब क्रिकेट से जुड़ा लेख बना रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि कोई एक शब्दावली हर परियोजना में होनी चाहिए, जिसे देख कर आसानी से अनुवाद किया जा सके। जब गूगल से अनुवाद करते हैं तो उसमें कई बार सही शब्द नहीं आता है या अर्थ ही नहीं दिखाता है, इस कारण मजबूरी में अंग्रेजी शब्द का ही उपयोग कर लेते हैं। पर शब्दावली रहेगा तो तुरंत कोई भी उसका हिन्दी अर्थ लिख देगा। हो सकता है कि इससे कई लोगों को अनुवादक की जरूरत भी न पड़े। हिन्दी के शब्दों का प्रचार करने और विवादों को दूर रखने में ये उपयोगी सिद्ध होगा। पर इसका निर्माण सभी से पूछ कर और सभी की सहमति से ही करना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अलग अलग परियोजनाओं में अलग अलग तरह के शब्दों का उपयोग होता है। जैसे विकिपीडिया में हम रिवियू को पुनरीक्षण लिखते हैं और अन्य जगहों में "समीक्षा" लिखते हैं।

    एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ होते ही हैं। 'कम्प्लेक्स नम्बर' और 'फ्युएल कम्प्लेक्स' और 'इनफेरिआरिटी कम्प्लेक्स' में 'कम्प्लेक्स' का अर्थ समान नहीं है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें शब्दों के साथ साथ अनुवाद विकि पर भी ध्यान देना चाहिए, उसके लिए भी हमें एक परियोजना का निर्माण करना चाहिए, जिसमें हम सभी मिल कर शब्दों को चुन कर सूची का निर्माण कर सकें। कई बार वहाँ लोग ऐसे शब्द लिख देते हैं, जो दूसरे में कुछ और व तीसरे में कुछ और होती है। सबसे ज्यादा पुनरीक्षण शब्द को समीक्षा लिख दिया जाता है। हटाने के शब्द को निकालें या अवरोध वाले शब्द को बार बार ब्लॉक लिख देते हैं। प्रतिबंध और अवरोध को भी इधर उधर कर के लिखा गया है। उसमें कई सारे शब्द में मात्रा त्रुटि भी है और कई में व्याकरण त्रुटि भी है। इस कारण हमें इस परियोजना की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के अनुवादों को उसी समय सुधार कर लिया जाये और सभी जगह एक ही शब्द लिख रहे।

    हिन्दी विकिपीडिया में कई सारे अनुवाद अनुवादविकि के अनुवाद से अलग हैं, इस कारण कई सारे गलत अनुवाद दिखाई नहीं दे रहे हैं, कुछ दूसरे एक्स्टेंसन में भी कई लोगों ने खराब अनुवाद किए हैं। उन्हें भी ठीक करना पड़ेगा। पर उन सभी को ठीक करने से पूर्व हमें इस नई परियोजना का निर्माण करना पड़ेगा, जिससे शब्दों को चुनने में हमें कोई परेशानी न हो और कोई दूसरा सदस्य यदि कोई उल्टा सीधा अनुवाद कर दे तो हम उसे शब्दावली दिखा सकते हैं। पर अभी कोई दूसरे शब्द को सही बोले तो हम कुछ नहीं कर सकते। वैसे कई लोग वहाँ पृष्ठ, पन्ना, पेज, तीनों को ही लिख देते हैं। इस तरह की समस्या भी दूर हो जाएगी। -- (वार्ता) 17:01, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    @अनुनाद सिंह: जी, दो दिनों के लिए विकिपीडिया पर नहीं था न ही आपने मेरी अंतिम टिप्पणी पर कोई टिप्पणी की। ऊपर इस लंबी टिप्पणी के लेखक "सदस्य:स" जी हैं। आपके कुछ वाक्यों से ऐसा लग रहा जैसे इसे आप मेरी टिप्पणी समझ बैठे। स जी की उपरोक्त बातों में कई से सहमत और कई से असहमत हूँ और समय मिलते ही लिखूँगा। बस एक चीज नहीं समझ में आई, आप हर उस व्यक्ति को हुन्जजल का अवतार क्यों घोषित करने लगते जिससे आपकी असहमति हो? क्या आपको मालुम नहीं कि कठपुतली होना एक गंभीर ग़लती है और केवल संदेह के आधार पर किसी पर इसका आरोप लगाना भी? मेरे खाते पर हुंजाजल की कठपुतली होने का संदेह व्यक्त करके क्या साबित करना चाह रहे?--SM7--बातचीत-- 10:13, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    @SM7: तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    @अनुनाद सिंह, SM7, और : नेहल जी से मेरी व्यक्तिगत बातचीत हो गयी है और वो इस मुद्दे को इतना तूल देने के समर्थन में नहीं हैं। उनके हिंदुस्तानवासी जी और SM7 जी से कुछ छोटे विवाद (असहमतियाँ) हैं जिन्हें बहुत आसानी से सुलझा लिया जायेगा। इस पर इस तरह की लम्बी वार्ता और आपस में कठपुतली कहना शोभा नहीं देता। मुझे स जी, SM7 जी और Hunnjazal जी की शैली, भाषा और विचार अलग-अलग लगते हैं। कई बार देखने के नज़रिये से भी समानता दिखाई दे सकती है जैसे हम सभी हिन्दी विकि के योगदानकर्त्ता हैं और हिन्दी भाषा अपनी समानता को प्रदर्शित करती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप सभी लोग, कृपया अपनी गलतियाँ स्वीकार करके (यदि आपको नहीं लगता कि आपने गलती की है तो भी क्षमा माँग सकते हो) विवाद का अन्त करें। इस विवाद के समय को विकि-विकास में लगायें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:11, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    @अनुनाद सिंह: जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किये गए संदेह को मैंने सूचनापट पर रख दिया है और आशा करता हूँ इसका निर्णय बाकी के प्रबंधकगण करेंगे। आपसे उमीद करता हूँ कि आप नेहल जी के दायित्व छोड़ने के निर्णय पर चर्चा आगे बढ़ायेंगे। उक्त निर्णय में यदि भाषा शैली और/अथवा किसी अन्य नीतिगत प्रश्न पर निर्णय आप पहले आवश्यक समझते हों (अथवा कोई अन्य सदस्य आवश्यक समझता हो) तो कृपया अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्ताव के रूप में लिखें। यदि किसी को पहले उन विवादों पर निर्णय सुनाना आवश्यक लगता हो जिनके कारण आदरणीय नेहल जी ने अपने अधिकार त्याग की चर्चा आरंभ की तो कृपया उसे अलग और स्पष्ट अनुभाग में लिखें और सबकी राय लें।

    @SM7: जी, प्रबन्धक सूचनापट्ट पर आप के सन्देश को मैने पढ़ लिया है। संजीव कुमार जी ने संक्षेप में अपने विचार भी रख दिये हैं। आप और हुञ्जाल जी हिन्दी के प्रबन्धक हैं। क्या आपको नहीं लगता कि शंका को निर्मूल करने का सबसे अच्छा तरीक यह होता कि आप दो कदम और आगे जाकर अपना चेक यूजर कराने का प्रस्ताव स्वयं देते? हिन्दी विकी पर कठपुतली के इतिहास में हुञ्जाल जी का नाम भी अंकित है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:08, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    @अनुनाद सिंह: जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --SM7--बातचीत-- 18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    @SM7:जी, आश्चर्य है कि इतिहास से सहसा घृणा हो गयी, वैराग्य आ गया। क्या नैतिकता की सारी बातें इतिहास हो गयीं? आपको पता है कि सोने को आग से डर नहीं लगता क्योंकि आग में जाकर सोना शुद्धतर होकर निकलता है। एक प्रबन्धक अपनी जाँच से डरे तो जनता में क्या सन्देश जाएगा?


    @अन्य सदस्य -- यह अनुभाग मुझसे प्रश्न के रूप में लिखा गया था। जो मेरे वार्ता पन्ने पे किया जाना चाहिए था। अनुरोध करने पर वहाँ भी लिखा गया और पहले उन प्रश्नों का उत्तर माँगा जा रहा जिनकी वज़ह से आदरणीय नेहल जी को यहाँ आना पड़ा। मेरे उत्तर देने के विलम्ब को "कतराना" कहा गया। स्पष्ट कर दूँ कि जिन बातों पर मुझसे प्रश्न पूछा जा रहा उनका उत्तर मैं अभी कदापि नहीं दूँगा। कारण भी बता देता हूँ, मेरी स्पष्ट राय है कि विवाद पर चर्चा करने हेतु दायित्व छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है। जब तक इसका निर्णय नहीं होता किसी ऐसे विवाद पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा जिसे पहले ही सामान्य रूप से सुलझाया जा सकता था। नेहल जी (और एक और मित्र ने जाने की धमकी दी है) की कार्यशैली देखते हुए ही इस नतीज़े पे पहुँचा हूँ कि ये लोग मात्र ध्यानाकर्षण हेतु ऐसे मुद्दे इस रूप में उछालते है। यकीन न हो तो कृपया इसी पन्ने पे ऊपर देखें, (छोटा सा उदाहरण दे रहा) नेहल जी ने एक लेख को निर्वाचित घोषित कर दिया क्योंकि "मेरा ये करने का उद्देश ये था कि कोई तो आगे आये और इस विषय पर चर्चा करे।" और विकीतर वाट्स एप समूह में इसे "बम फोड़ने" की संज्ञा भी दी थी (क्षमा प्रार्थी हूँ अनौपचारिक समूह की बात लिखने के लिए)।

    उक्त तरीकों से शहीद बनने और त्याग की भावना (दायित्व त्याग) दिखाने का प्रयास ये लोग कर रहे -- और माननीय अनुनाद जी का कहना है कि पवित्र युद्ध में भाग लेने वाले (जिहादी) हम हैं। ख़ुद ये लोग टीम बना कर विकिपीडिया को पवित्र करने का अभियान चला रहे और आरोप हमपे कि हम जिहाद कर रहे। खिड़की को वातायन किया जा रहा कि यह शुद्ध किया जा रहा, और टोको तो हम जा रहे, तुम हमें छोड़ने पे मजबूर कर रहे इसलिए खलनायक हुए। सामने वाले को निन्दित करने का बेहतरीन तरीका खोजा है। आरोप लगा दो, ख़ुद अच्छे साबित हो गए।

    कृपया सदस्यगण इस तरह के आरोपों पर चर्चा करें और ऐसी प्रवृत्ति का उपचार सुझाएँ। --SM7--बातचीत-- 19:57, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    एक समय था जब हिन्दुस्तानीलेन्गुएज और हिन्दुस्थानवासी को एक समझा जाता था। फिर शनैः शनैः वो भ्रम दूर होता गया। अभी कुछ दिनों पूर्व की ही बात है, जब किसी पुरातन सदस्य का नाम ले कर कठपुतलि लेखा बनाई गयी थी, जिससे प्रबन्धक के लिये नामांकन किया और पुनरीक्षक पद के लिये भी आवदेन किया गया था। व्यवहार पर शंका करना और उसको व्यक्त करना अत्यावश्यक है। फिर वो असत्य या सत्य सिद्ध हो तो किसी की जय या पराजय नहीं होती, अपि तु समुदाय का हित होता है। अतः इसे आप अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाएँ।

    "कतराना" शब्द आज भी उचित है और निर्वाचित लेख के समय भी उचित ही था। विकिपीडिया पर स्वान्तः सुखाय कार्य होता है और कभी कभी निष्क्रिय होना भी अत्यन्त लाभकारी होता है। इस नीति का प्रबन्धकगण अनुचित लाभ ले रहे हैं। जब किसी चर्चा पर मत देने की बात आती है या निर्णय करने की बात आती है, तो जानकर या तो निष्क्रिय हो जोते हैं या अन्य बात करते हैं। अभी तो आपके द्वारा दो दिन ही विलम्ब से उत्तर (नहीं) दिया गया। परन्तु निर्वाचित लेख के समय तो बहुत दिन हो चुके थे। अब पुछा जाये तो अन्य ही कारण मिलेगा।
    आपको जो प्रश्न किये हैं, वे आपको किसी सदस्य के रूप में पुछे नहीं गये। वे प्रश्न प्रबन्धक के रूप में आप से किये गये हैं। अतः अपने दायित्व से भागने का प्रयास न करें। आपकी प्रथम टिप्पणी से मैं देख रहा हूँ कि आप बात को घुमा रहे हैं। फिर भी मैं आप जैसे चाहते हैं, वैसे करने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिये नहीं कि मुझे किसी को अनुचित सिद्ध करना है। इसलिये कि मुझे समस्या का समाधान चाहिए। परन्तु प्रबन्धक के रूप में आप समाधान करने के स्थान पर पहले क्यों नहीं किया? अधिकार की आड क्यों ली? यहाँ क्यों लिखा? अमुक लेख का शीर्षक क्यों बदला? इत्यादि प्रतिप्रश्न कर विवाद को बढा रहे हैं। वास्तव में यदि आप निष्पक्ष हैं और हिन्दी की एक शैली के प्रति पक्षपाती नहीं, तो अपना मत प्रस्थापित करने से बचते (कतराते) क्यों दिख रहे हैं?
    बम फोड़ना शब्द प्रयोग कोई अनुचित नहीं था। क्योंकि यही वास्तविकता है कि, जब सब से मत मांगा जाता है, तब कुछ लोग निष्क्रियता का आवरण ले लेते हैं। फिर जैसे निर्णय अन्तिम चरम पर होता है, तो विवाद उत्पन्न किया जाता है। क्या एक प्रबन्धक के रूप में आपको पता नहीं था कि उस लेख के सन्दर्भ में क्या समस्या चल रही थी? अब आप कहेंगे मेरा ध्यान नहीं था। परन्तु खिड़की का वातायन होने पर आपका ध्यान है और इतना विशाल विवाद आपके ध्यान में नहीं था? या आप प्रतीक्षा कर रहे थे कि देखते हैं मेरे विचार के अनुरूप निर्णय हो तो उचित है, अन्यथा मैं कूद पडूंगा। कौन प्रबन्धक बनेगा और किसको अमुक अधिकार मिलेंगे ये नेपथ्य में ही निश्चित हो जाता है। ये व्यक्ति ? इसने तो उस दिन मुझ से अमुक प्रश्न किये थे। ये नहीं। वो? हाँ वो अच्छा है। उसने उस समय अच्छा तर्क दिया था (जो मेरे अनुकूल था)। इसे आगे बढाते हैं।
    नेपथ्य में विवाद के समाधान पर कार्य करना कोई अनुचित कार्य नहीं है। सब चाहते थे कि निर्वाचित लेख पर कोई अपना मत देवें। परन्तु जिनके पास ये क्षमता थी वो अघोषित रूप से अपने दायित्व से भाग रहे थे और अपने अधिकारों का अवलम्बन (आड) लेकर अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वो अधिकार के अवलम्बन में चर्चा न करना यदि उचित है, तो मेरा अधिकार त्यागने की बात कर चर्चा करवाना भी उचित ही है। वास्तव में ये आरोप ही है कि मैंने अधिकारों के अवलम्बन में चर्चा करवाई। फिर भी उसका समाधान ये है कि, चाहे इस चर्चा का निर्णय पक्ष में या विपक्ष में आये मैं ये अधिकार त्याग दूंगा। इस वाक्य से मेरी मन्शा स्पष्ट है। द्राक्षा, वातायान इत्यादि की जो बात है, वो मैं स्वीकार करता हूँ। वहाँ स्थिति ये थी कि, मैंने अधिक शुद्ध शब्दों के प्रयोग का सोचा। क्योंकि समाज में स्थानप्राप्त शब्दों को तो सब जानते ही हैं। वो खोजेंगे तो अनुप्रेषण के माध्यम से वो खोज ही लेंगे। परन्तु उनको वास्तविक शब्द नहीं पता चलेगा। उदा.। खिड़की सब उपयोग सब करते हैं, तो उसे खोजा ही जाएगा। अतः उसको कोई समस्या नहीं है। परन्तु उससे किसी को वातायन शब्द का ज्ञान नहीं होगा। यदि हम खड़की को अनुप्रेषित कर वातायन की ओर भेजें, तो अंगूर जानने वाले को वातायन शब्द का भी बोध होगा और खिड़की शब्द तो वो जानता ही है। परन्तु आप लोगो के ऐनक में ये कृत्य अन्यथा है। अतः मैं स्वीकारता हूँ कि वो मेरी क्षति थी। परन्तु यहाँ जो विषय है, उस में जानकर किसी के द्वारा प्रयुक्त शब्द को परिवर्तित कर अपने सीमित (पक्षपाती) ज्ञान के आधार पर एक ही शब्द उपयोग करने के लिये अन्य को विवश किया जा रहा है। इन दोनों अंशों को आपने स्पष्ट रूप से समान सिद्ध करने का प्रयास किया।
    दो व्यक्तिओं के मध्य मतभेद होता है और तृतीय व्यक्ति आता है, जिसे समाधान ज्ञात है। अब वो व्यक्ति समाधान देगा और विवाद समाप्त करेगा। परन्तु यहाँ तर्क दिया जाता है कि, उस में से एक व्यक्ति यदि ऐसे करता तो विवाद होता ही नहीं या समाधान हो सकता था, अतः मैं समाधान नहीं दूंगा। ये हास्यास्पद और स्पष्टरूप से उत्तर देने से बचने का प्रयास ही कहा जाएगा। क्योंकि वो उस द्वितीय व्यक्ति के पक्ष का तर्कसंगत पाता है और अपनी विचारधारा के अनुरूप व्यक्ति के पक्ष को और अपने पक्ष को तर्कहीन।
    संजीवजी से मेरी विस्तृत बात हुई है। मैं उनसे भी निवेदन किया है और उसका ही यहाँ पुनरावर्तन कर रहा हूँ। मैं विवाद नहीं चाहता और न मैंने विवाद आरम्भ किया है। मैंने लेख बनाया और उस में जितने भी तथ्यों का अभाव बताया गया वो मैंने लेख में अन्तर्भूत किये। परन्तु एक पक्षपाती रूप से शीर्षक और लेख में प्रयुक्त हिन्दी शब्द को आक्रमण, दायित्व इत्यादि शब्दों के प्रयोग से रोका गया। संख्या विवाद जो वास्तविक विवाद है भी नहीं। क्योंकि अंक परिवर्तक नामक उपकरण बना हुआ है। जिसे जो चाहे वो अंक देख सकता है। फिर भी वो अन्य के प्रयुक्त अंक को परिवर्तन करते हैं। इससे अधिक लेख में दिये उचित सन्दर्भों को नीकाला गया और पक्षपातपूर्ण लेख सज्ज किया गया। तो ऐसा करने वाले को दण्ड हो मैं नहीं चाहता परन्तु हिन्दी शब्दों के प्रयोग के लिये स्वतन्त्रता हो इतना ही हो ऐसा मैंने कहा।
    जब मैंने खिड़की का वातायान किया और अंगूर का द्राक्षा किया तो उसे पूर्ववत् कर दिया गया, तो अब इस अनुचित कृत्य के लिये कार्यवाही की याचना मुझे किसी भी प्रकार का भयादोहन (blackmail) नही लगता। किसी अन्य पद्धति से हो सकता था, परन्तु वास्तविकता ये है कि नहीं हुआ। अब नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिये ऐसी नीति का त्याग कर पूर्वकाल में असिद्ध को सिद्ध करना चाहिये। अस्तु। ॐNehalDaveND 08:39, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]

    सलमाजी भारत नामका एक देश है, जहाँ शताब्दीयों से नहीं युगों से मूर्तिपूजक, मूर्तिपूजा के न मानने वाले, ईश्वरवादी, ईश्वर में न मानने वाले लोग रहते हैं। उन लोगो की भावना को आहत करने वाले कुछ तत्त्वों को जब कहा जाता है कि, ये करना है तो जिस देश में ऐसा होता है, वहाँ चले जाएँ। तब वो कहते हैं कि ये देश उतना ही हमारा है, जितना तुम सबका। उस तर्क को मैं दे रहा हूँ। यदि हिन्दी के शब्दावली विभिन्न भाषाओं से प्रभावित है और भाषाविज्ञान भी उसके लिये तर्क देता है, तो किसी एक ही पक्ष की भाषा के उपयोग करने वालों का विरोध क्यों न करूं? और ये भाषा जितनी आपकी है उतनी मेरी भी है, तो मैं कहीं जा कर क्यों लिखूँ? मैं यहाँ लिखूँ या नहीं ये कोई मुजाहिद निश्चित नहीं करेगा। ॐNehalDaveND 09:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]


    • दोस्तों यहाँ चर्चा विश्वकोश निर्माण की नहीं, भाषा निर्माण की हो चली है। ये हमारे बस में नहीं है और हमारा काम भी नहीं है। कृपया यहाँ विकिपीडिया पर अपनी राजनीतिक आस्था लेकर युद्ध न चलाया जाए। हमारा मकसद हिन्दी में विश्वकोशीय जानकारी देना है, किसी राजनीतिक पद्धति या शब्द को प्रचारित करना नहीं है। इसके लिये ही साधारण शब्द उपयोग करने की अनुशंसा है और की गई है। कृपया इसी को ध्यान में रखें। जो कोई (मतलब हर कोई) ऐसा नहीं कर सकता वो जाने को स्वतंत्र है। उसके लिये इतना बवाल और शोर-शराबा करने की जरूरत नहीं। हम में से हर कोई किसी न किसी मकसद के लिये आया था यहाँ पर, तो जाहिर है जब वो मकसद पूरा होते हुए न लगे तो मन उखड़ जाता है और कुछ करने का मन नहीं करता। इसका उपाय यही हो सकता है कि मकसद बदल लिया जाए या विदा ली जाए। परिपक्व लोग इसे शांति से करेंगे और कुछ नहीं। पर इससे वास्तविकता नहीं बदलती। खैर इस मामले को तूल न दिया जाए और जो विकिपीडिया निर्माण के लिये आए हैं, वो अपने काम में लग जाए। जिनको कुछ और करना है वो दूसरा माध्यम तलाश लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 10:55, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    @हिंदुस्थान वासी: जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    इसके लिये कोई नीतिगत चर्चा पृष्ठ बना के विचार किया जाना चाहिए। ये मुद्दा कई महीनों के अंतराल पर उठता रहता है, इसका समाधान होना चाहिए। "प्रचलित" शब्द कैसे तय होंगे इसपर भी बात होनी चाहिए, खासतौर से शीर्षक में। अंदर पाठ में तो ज्यादा किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल मुद्दा संस्कृत या फ़ारसी का न बनाकर (विश्वकोश की) भाषा की सरलता और उपयोगिता पर होना चाहिए।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    विश्वकोश का निर्माण का आधार भाषा है यहाँ पर। हिन्दी भाषा में विश्वकोश बनाने के लिये ही सब प्रयत्न कर रहे हैं। परन्तु जो लोग अपनी राजनीतिक आस्था को गुप्त रख कर अन्यों पर राजनीतिक आस्था के लिये युद्ध करने का आरोप करें, तो उन्हें दर्पण देख लेना चाहिए। यहाँ किसी के जाने के और न जाने के विषय मैं जो बात हो रही है, वो किसी ऐसे व्यक्ति के कारण आरम्भ हुई जो अपनी मनमानी करना चाहता है। किसी अन्य को विवश करना चाहता है कि उसको और उसके राजनीतिक आस्था वालों को जो शब्द आता है, उसका ही सब लोग उपयोग करें। 'तार्किक रूप से सही' बोल कर मनमानी कर लते हैं, अतः आप से वैसे भी हि.वि के सदस्यों की चिन्ता की अपेक्षा नहीं है। परन्तु ध्यान रहे, जो अधिकार आपके पास है, वो निर्माण के लिये विनाश के लिये नहीं। जाने न जाने की चर्चा तो एस.एम.7 जी ने पहले ही समाप्त करवा दी। अब यहाँ चर्चा समाधान की हो रही है, जो आपके स्वभाव में नहीं। ॐNehalDaveND 12:03, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    नेहल जी, ये तो साफ़ है कि आप संस्कृत शब्द का प्रचार ही करना चाहते हैं और ऐसे शायद संस्कृत विकिपीडिया के लिये नए सदस्य खोज रहे हैं। उसे हिन्दी बताकर सबको "शुद्ध" करना चाहते है। क्या मैंने कोई शब्द जबरदस्ती करने के लिये हो-हल्ला किया है? जो लोगों को सही लगा होने दिया। अब आप कभी जाने का और कभी न जाने की कहते हैं। कोई ढंग का लेख बनाइये, क्यों शब्द को प्रचारित करने में हमारा समय बर्बाद कर रहे।
    आप बार-बार अमरनाथ हमला की चर्चा को ले आते हैं। उसकी सच्चाई सबको दिख रही है। वहाँ सब लोग हमला शब्द करने के साथ थे (आप को छोड़कर), वो भी तर्क के साथ। आप ही नए-नए जुगाड़ निकाल रहे थे उसको न होने देने से। हर किसी का सम्पादन हटा रहे थे। जरूर आपका उन लोगों के प्रति सहानुभूति हो सकती है और आपका लेख के साथ लगाव भी। पर आप वहाँ सिर्फ एक तरफा ही लिख रहे थे जिसे आप "सच्चाई" मानते हैं। मैंने उस लेख में कोई सम्पादन नहीं किया है। नाम बदलने की चर्चा खुली हुई थी मैंने उसको बंद किया। उसके बाद से आप यहाँ पर बचकानी हरकत कर रहे जो आपको शोभा नहीं देता। आपको पुचकारने का काम खत्म, अब बड़े हो जाइए और परिपक्वता से कार्य करें।
    आपके साथ शब्द प्रचार में बिल्कुल साथ नहीं दिया जाएगा। इस विषय (विदेशी शब्द से हिन्दी को "शुद्ध" करना) में कोई समाधान की गुंजाइश नहीं है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इनको प्रचारित करने का कोई और साधन खोज लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? ॐNehalDaveND 03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
    इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, यदि ऐसा होता रहा, तो सर्वदा शब्द युद्ध में ही सम्पादक व्यस्त रहेगा। क्योंकि उसने जो शब्द लिखें, जो उसके मन में हैं, उसे बारंबार परिवर्तित करने से कार्य कभी आगे नहीं बढ़ेगा। अंक परिवर्तक निर्मित है, जिसे जो अंक चाहिये वो देखें। उस में किसी लेख में जाकर अंको के परिवर्तन करने की आवश्यकता क्यों हैं? तब जब कुछ लोग अरबी अंक को लिखना चाहते हैं और कुछ देवनागरी। एक शब्द के तो अनेक पर्यायवाची शब्द होते हैं, तो मुझे जो पर्याय अच्छा लगता है, उसे ही में जा कर लेखों में परिवर्तित कर दूं, तो मुझे आप विकिकार्यो में विघ्न उत्पादन करने की श्रेणी में डालते हैं और समान कार्य कोई अन्य करता है, तो उसे पुचकारते हैं। ये प्रबन्धक के मत अनुरूप कार्य करने वालों के प्रति पक्षपात नहीं तो क्या है। मैं केवल शब्दों के प्रयोग में स्वतन्त्रता तो चाहता हूँ। इस में सब ने राजनीति, धार्मिकता और बहुत कुछ जोड़ दिया। उसका उत्तर इसलिये दिया क्योंकि वो आरोप लगा रहे थे। वास्तव में शुद्ध और स्तय विचार मेरा शब्दों के परिवर्तन से होने वाले विवादो के प्रति थी। परन्तु चर्चा को बारं बार यहाँ वहाँ ले जाया गया। इससे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले और समाधान भी नहीं। आप से तो समाधान की कोई अपेक्षा भी नहीं थी अतः अधिकार छोड़ जा रहा था। परन्तु आपके स्थान पर सत्यंजी ने पुछा की पुनर्विचार करें अन्यथा मैं कुछ कहे बिना ही त्याग देता। क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि, आप बिना कुछ चर्चा किये मेरे अधिकार हटा देंगे और सह समाप्त हो जाएगा। परन्तु ये चर्चा चली। वास्तव में सत्यं जी मेरे विरुद्ध केवल दिख रहे हैं, परन्तु प्रत्येक समय वो किसी न किसी प्रकार मुझे मार्ग बताते गये और अन्त में मैंने उनके संकेतो को ग्रहण किया और अधिकार त्याग की बात को अनुचित स्वीकार कर समस्या का समाधान करना चाहा। परन्तु अभी आपके प्रत्युत्तर से स्पष्ट है, कि मैंने पहले विचार जो किया था कि समाधान असम्भव है, वहीं होगा। अब @Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, , Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार:

    @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: प्रबन्धकगण और अन्य सदस्य जो निर्णय ले मेरे लिये स्वीकार्य होगा। अधिकार की ये बात थी ही नहीं शब्द स्वतन्त्रता की बात थी। जिसे अधिकार की आड़ लेना कहा गया। परन्तु ऊपर मैंने जो सत्य था वो सब के सम्मुख प्रस्थापित किया। अब पुचकारना कहें या चर्चा करना आप सब निर्धारित करें। शब्द प्रयोग की स्वतन्त्रता ही न हो ऐसा कैसे हो सकता है? ॐNehalDaveND 03:46, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]