"महाड़ सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Bronze_sculpture_depicting_Mahad_water_moment_by_B_R_Ambedkar.png|thumb|कांस्य मूर्ति में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा महाड आंदोलन का चित्रण]]
'''महाड़ सत्याग्रह''' [[भीमराव आंबेडकर|डॉ बाबासाहेब आंबेडकर]] जी की अगुवाई में 20 मार्च 1927 को [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[रायगढ़]] जिले के [[महाड]] स्थान पर दलितों को सार्वजनिक तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया प्रभावी सत्याग्रह था।<ref name="pib">{{साँचा:Cite press release|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2003/rmar2003/20032003/r200320038.html|title=March 20 observed as social empowerment day to commemorate Mahad Satyagrah by Dr. Ambedkar|publisher=[[Press Information Bureau]]|date=20 March 2003|accessdate=31 March 2014}}</ref> इस दिन को भारत में [[सामजिक सशक्तिकरण दिवस]] के रूप में मनाया जाता है।<ref name="pib">{{साँचा:Cite press release|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2003/rmar2003/20032003/r200320038.html|title=March 20 observed as social empowerment day to commemorate Mahad Satyagrah by Dr. Ambedkar|publisher=[[Press Information Bureau]]|date=20 March 2003|accessdate=31 March 2014}}</ref>
'''महाड़ सत्याग्रह''' [[भीमराव आंबेडकर|डॉ बाबासाहेब आंबेडकर]] जी की अगुवाई में 20 मार्च 1927 को [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[रायगढ़]] जिले के [[महाड]] स्थान पर दलितों को सार्वजनिक चवदार तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया प्रभावी सत्याग्रह था।<ref name="pib">{{साँचा:Cite press release|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2003/rmar2003/20032003/r200320038.html|title=March 20 observed as social empowerment day to commemorate Mahad Satyagrah by Dr. Ambedkar|publisher=[[Press Information Bureau]]|date=20 March 2003|accessdate=31 March 2014}}</ref> इस दिन को भारत में [[सामजिक सशक्तिकरण दिवस]] के रूप में मनाया जाता है।<ref name="pib">{{साँचा:Cite press release|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2003/rmar2003/20032003/r200320038.html|title=March 20 observed as social empowerment day to commemorate Mahad Satyagrah by Dr. Ambedkar|publisher=[[Press Information Bureau]]|date=20 March 2003|accessdate=31 March 2014}}</ref> इस सत्याग्रह में हजारों की संख्सा में आंबेडकरवादी दलित लोग सामिल हुए थे, सभी लोग महाड के चवदार तालाब पहूँचे और डॉ॰ आंबेडकर ने प्रथम अपने दोनों हातों से उस तालाब पाणी पिया फिर हजारों सत्याग्रहों उनका अनुकरन किया। यह डॉ॰ आंबेडकर का पहला सत्याग्रह था और विश्व इतिहास में यह ऐतिहासिक है क्योकि पानी के लिए किया है यह विश्व का एकमात्र पहला एवं एकमात्र सत्याग्रह है।

सवर्ण हिंदुओं द्वारा अछूतों को तालाब का पानी पाने के अधिकार नकारा गया था, जबकि सवर्ण हिंदू दलितों को हिंदू धर्म का हिस्सा मानते थे। सभी हिंदू जाति समूहों एवं अन्य धर्म के लोग मुस्लिम, ईसाई तक भी उस ताबाल का पानी पी सकते थे। ऐसी असमानता के विरोध में डॉ॰ आंबेडकर ने क्रान्ति के पहली सुरूवात की।


== पृष्टभूमि ==
== पृष्टभूमि ==

06:09, 31 मार्च 2017 का अवतरण

कांस्य मूर्ति में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा महाड आंदोलन का चित्रण

महाड़ सत्याग्रह डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी की अगुवाई में 20 मार्च 1927 को महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के महाड स्थान पर दलितों को सार्वजनिक चवदार तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया प्रभावी सत्याग्रह था।[1] इस दिन को भारत में सामजिक सशक्तिकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।[1] इस सत्याग्रह में हजारों की संख्सा में आंबेडकरवादी दलित लोग सामिल हुए थे, सभी लोग महाड के चवदार तालाब पहूँचे और डॉ॰ आंबेडकर ने प्रथम अपने दोनों हातों से उस तालाब पाणी पिया फिर हजारों सत्याग्रहों उनका अनुकरन किया। यह डॉ॰ आंबेडकर का पहला सत्याग्रह था और विश्व इतिहास में यह ऐतिहासिक है क्योकि पानी के लिए किया है यह विश्व का एकमात्र पहला एवं एकमात्र सत्याग्रह है।

सवर्ण हिंदुओं द्वारा अछूतों को तालाब का पानी पाने के अधिकार नकारा गया था, जबकि सवर्ण हिंदू दलितों को हिंदू धर्म का हिस्सा मानते थे। सभी हिंदू जाति समूहों एवं अन्य धर्म के लोग मुस्लिम, ईसाई तक भी उस ताबाल का पानी पी सकते थे। ऐसी असमानता के विरोध में डॉ॰ आंबेडकर ने क्रान्ति के पहली सुरूवात की।

पृष्टभूमि

हिन्दू जाति प्रथा में दलितों (जिन लोगो को दबाया गया हो समाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से) को समाज से पृथक करके रखा जाता था। उन लोगों को सार्वजनिक नदी, तालाब और सड़कें इस्तेमाल करने की मनाही थी। अगस्त 1923 को बॉम्बे लेजिस्लेटिव कौंसिल के द्वारा एक प्रस्ताव लाया गया, कि वो सभी जगह जिनका निर्माण और देखरेख सरकार करती है, ऐसी जगहों का इस्तमाल हर कोई कर सकता है।[2] जनवरी 1924 में, महाड जोकि बॉम्बे कार्यक्षेत्र का हिस्सा था। उस अधिनियम को नगर निगम परिषद के द्वारा लागु किया गया। लेकिन हिन्दुओं के विरोध के कारण इसे अमल में नहीं लाया जा सका।

विज्ञापन

Flyer published before Mahad Satyagraha in 1927

सन्दर्भ

  1. Press Information Bureau (20 March 2003). March 20 observed as social empowerment day to commemorate Mahad Satyagrah by Dr. Ambedkar. प्रेस रिलीज़. http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2003/rmar2003/20032003/r200320038.html. अभिगमन तिथि: 31 March 2014. 
  2. Sangharakshita (1 January 2006). Ambedkar and Buddhism. Motilal Banarsidass Publishe. पपृ॰ 53–55. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-3023-3.

इन्हें भी देखिए