"पोवाड़ा": अवतरणों में अंतर
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'''पोवाड़ा''' [[महाराष्ट्र]] का प्रसिद्ध लोक गायन है।मुख्यतः यह शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल का |
'''पोवाड़ा''' [[महाराष्ट्र]] का प्रसिद्ध लोक गायन है।मुख्यतः यह शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल का यशोगान तथा स्तुति है। |
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पोवाडा वीर रस के गायन एवं लेखन प्रकार है जो [[महाराष्ट्र]] में लोकप्रिय है। पोवाडा गाणे वाले कलाकार को [[शाहिर]] कहते है। मराठी भाषिको को यह स्फूर्ति देणे वाला गीत प्रकार है। भारत में इसका उदय १७वी शताब्धि में हुआ। इसमें ऐतिहासिक घटना सामने रखकर गीत की रचना की जाती है। इस गीत प्रकार की रचना करनेवाले गीतकारों को शाहिर कहां जाता है।<ref>{{स्रोत बातमी |दुवा=http://www.powade.com/|शीर्षक= महाराष्ट्रीयन लोकगीते एक संग्रहण |प्रकाशक=पोवाडे.कॉम |दिनांक=२५ जुलै २०१६| प्राप्त दिनांक=}}</ref> |
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इसी दौरान यह व्यवसाय करनेवाले जो गायक सामने आये है उन्हें गोंधली कहते है। |
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पोवाडा मराठी साहित्य की एक प्रमुख विधा है पोवाडा जिसे गोंधल (गोंधिया) दलित जाति के लोग गाते थे पर आगे चलकर, शिवाजी के बाद, सभी जातियों के लोगों ने इसे अपना लिया. युद्धों का वर्णन पोवाडा गायकों का प्रमुख विषय होता था जिसका वे बेहद सजीव और ओजपूर्ण वर्णन करते थे. वह भीतरी कलहों और बाहरी आक्रमणों का काल था. अतः अपने आश्रयदाताओं को उनकी पूरी ताकत से युद्ध लड़ने के लिए प्रेरित करना, उस काल के कवि का प्रमुख कर्तव्य-सा बन गया था। लेकिन महात्मा फुले ने पोवाडा का जनजागृति के लिए इस्तेमाल किया. आजादी की लड़ाई के दिनों में और आजादी के बाद पोवाडा क्रमशः राष्ट्रीय आन्दोलन और जनान्दोलनों का गीत बन गया. |
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15:55, 15 मार्च 2017 का अवतरण
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पोवाड़ा महाराष्ट्र का प्रसिद्ध लोक गायन है।मुख्यतः यह शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल का यशोगान तथा स्तुति है।
पोवाडा वीर रस के गायन एवं लेखन प्रकार है जो महाराष्ट्र में लोकप्रिय है। पोवाडा गाणे वाले कलाकार को शाहिर कहते है। मराठी भाषिको को यह स्फूर्ति देणे वाला गीत प्रकार है। भारत में इसका उदय १७वी शताब्धि में हुआ। इसमें ऐतिहासिक घटना सामने रखकर गीत की रचना की जाती है। इस गीत प्रकार की रचना करनेवाले गीतकारों को शाहिर कहां जाता है।[1]
इसी दौरान यह व्यवसाय करनेवाले जो गायक सामने आये है उन्हें गोंधली कहते है।
पोवाडा मराठी साहित्य की एक प्रमुख विधा है पोवाडा जिसे गोंधल (गोंधिया) दलित जाति के लोग गाते थे पर आगे चलकर, शिवाजी के बाद, सभी जातियों के लोगों ने इसे अपना लिया. युद्धों का वर्णन पोवाडा गायकों का प्रमुख विषय होता था जिसका वे बेहद सजीव और ओजपूर्ण वर्णन करते थे. वह भीतरी कलहों और बाहरी आक्रमणों का काल था. अतः अपने आश्रयदाताओं को उनकी पूरी ताकत से युद्ध लड़ने के लिए प्रेरित करना, उस काल के कवि का प्रमुख कर्तव्य-सा बन गया था। लेकिन महात्मा फुले ने पोवाडा का जनजागृति के लिए इस्तेमाल किया. आजादी की लड़ाई के दिनों में और आजादी के बाद पोवाडा क्रमशः राष्ट्रीय आन्दोलन और जनान्दोलनों का गीत बन गया.
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