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{{Infobox holiday
|holiday_name = डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जयंती
|type = Secular
|longtype = Secular; [[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर]] का जन्म दिवस
|image = Ambedkar Jayanti Procession.png
|caption = [[चैत्य भूमि]] में आंबेडकर जयंती
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|nickname = भीम जयंती
|observedby = [[भारत]] एवं +65 देशों में
|date = 14 अप्रेल
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|duration = 1 दिवस
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|relatedto = [[अशोक विजयादशमी]]}}

'''आंबेडकर जयंती''' या '''भीम जयंती''' [[भीमराव अम्बेडकर|डॉ॰ भीमराव आंबेडकर]] जिन्हें '''बाबासाहेब''' के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन [[१४ अप्रैल]] को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है।<ref> http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015 </ref> इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके [[मानवाधिकार|मानवाधिकार आंदोलन]], संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
'''आंबेडकर जयंती''' या '''भीम जयंती''' [[भीमराव अम्बेडकर|डॉ॰ भीमराव आंबेडकर]] जिन्हें '''बाबासाहेब''' के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन [[१४ अप्रैल]] को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है।<ref> http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015 </ref> इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके [[मानवाधिकार|मानवाधिकार आंदोलन]], संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।


उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल [[महू]] ([[मध्य प्रदेश]]), [[बौद्ध धर्म|बौद्ध धम्म]] दीक्षास्थल [[दीक्षाभूमि, नागपुर]] और उनका समाधी स्थल [[चैत्य भूमि]], [[मुंबई]] में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध [[विहार]] में भी भीमराव की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है।
उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल [[महू]] ([[मध्य प्रदेश]]), [[बौद्ध धर्म|बौद्ध धम्म]] दीक्षास्थल [[दीक्षाभूमि, नागपुर]] और उनका समाधी स्थल [[चैत्य भूमि]], [[मुंबई]] में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध [[विहार]] में भी भीमराव की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है।


[[गुगल]] ने भीमराव की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया।<ref>{{cite news|title=B.R. Ambedkar, a hero of India's independence movement, honoured by Google Doodle|url=http://www.telegraph.co.uk/technology/google/google-doodle/11534732/B.R.-Ambedkar-a-hero-of-Indias-independence-movement-honoured-by-Google-Doodle.html|accessdate=9 January 2016|agency=The Telegraph}}</ref><ref>{{cite news|title=Google doodle marks Dr BR Ambedkar's 124th birthday|url=http://timesofindia.indiatimes.com/tech/tech-news/Google-doodle-marks-Dr-BR-Ambedkars-124th-birthday/articleshow/46915919.cms|accessdate=9 January 2016|agency=The Times of India}}</ref><ref>Google Honored Dr. Babasaheb Ambedkar with Google Doodle https://drambedkarbooks.com/2015/04/13/google-honored-dr-babasaheb-ambedkar-with-google-doodle/</ref> तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था।
[[गुगल]] ने डॉ॰ आंबेडकर की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया।<ref>{{cite news|title=B.R. Ambedkar, a hero of India's independence movement, honoured by Google Doodle|url=http://www.telegraph.co.uk/technology/google/google-doodle/11534732/B.R.-Ambedkar-a-hero-of-Indias-independence-movement-honoured-by-Google-Doodle.html|accessdate=9 January 2016|agency=The Telegraph}}</ref><ref>{{cite news|title=Google doodle marks Dr BR Ambedkar's 124th birthday|url=http://timesofindia.indiatimes.com/tech/tech-news/Google-doodle-marks-Dr-BR-Ambedkars-124th-birthday/articleshow/46915919.cms|accessdate=9 January 2016|agency=The Times of India}}</ref><ref>Google Honored Dr. Babasaheb Ambedkar with Google Doodle https://drambedkarbooks.com/2015/04/13/google-honored-dr-babasaheb-ambedkar-with-google-doodle/</ref> तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था।


== १२५वी आंबेडकर जयंती ==
== १२५वी आंबेडकर जयंती ==
इस साल २०१६ में [[भारत सरकार]] ने बडे पैमाने पर भीमराव की १२५वी जयंती मनाई गई। [[संयुक्त राष्ट्र]] ने भी पहली बार भीमराव की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे भीमराव को '''विश्व का प्रणेता''' कहकर उनका गौरव किया।<ref>United Nations to celebrate Dr. Babasaheb Ambedkar’s Jayanti but at what cost? [https://drambedkarbooks.com/2016/04/11/united-nations-to-celebrate-dr-babasaheb-ambedkars-jayanti-but-at-what-cost/]</ref> [[संयुक्त राष्ट्र]] के ७० वर्ष के इतिहास में वहां पहली बार भारतीय व्यक्ति डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी की जयंती मनाई गई, भीमराव के अलावा विश्व में केवल दों ऐसे महापुरूष हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र ने मनाई हैं – [[मार्टिन लूथर किंग]] और [[नेल्सन मंडेला]]।<ref>http://prahaar.in/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%A4-%E0%A4%AC%E0%A4%BE/</ref> भीमराव, किंग और मंडेला ये तीनों महापुरूष [[मानवाधिकार]] संघर्ष के सबसे महान नेता रहे हैं।
इस साल २०१६ में [[भारत सरकार]] ने बडे पैमाने पर भीमराव की १२५वी जयंती मनाई गई। [[संयुक्त राष्ट्र]] ने भी पहली बार डॉ॰ आंबेडकर की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे डॉ॰ आंबेडकर जी को '''विश्व का प्रणेता''' कहकर उनका गौरव किया।<ref>United Nations to celebrate Dr. Babasaheb Ambedkar’s Jayanti but at what cost? [https://drambedkarbooks.com/2016/04/11/united-nations-to-celebrate-dr-babasaheb-ambedkars-jayanti-but-at-what-cost/]</ref> [[संयुक्त राष्ट्र]] के ७० वर्ष के इतिहास में वहां पहली बार भारतीय व्यक्ति डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी की जयंती मनाई गई, भीमराव के अलावा विश्व में केवल दों ऐसे महापुरूष हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र ने मनाई हैं – [[मार्टिन लूथर किंग]] और [[नेल्सन मंडेला]]।<ref>http://prahaar.in/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%A4-%E0%A4%AC%E0%A4%BE/</ref> भीमराव, किंग और मंडेला ये तीनों महापुरूष [[मानवाधिकार]] संघर्ष के सबसे महान नेता रहे हैं।


आंबेडकर जयंती 2016 पूरे भारत एवं अन्य कई देशों के लोगों द्वारा [[14 अप्रैल]], [[गुरूवार]] को मनाया गया।
आंबेडकर जयंती 2016 पूरे भारत एवं अन्य कई देशों के लोगों द्वारा [[14 अप्रैल]], [[गुरूवार]] को मनाया गया।


== डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म दिवस ==
== डॉ॰ आंबेडकर का जन्म दिवस ==
भारत के लोगों के लिये भीमराव डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और उनके योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 2017 में ये उनका 126 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। ये भारत के लोगों के लिये एक बड़ा क्षण था जब वर्ष 1891 में उनका जन्म हुआ था।
भारत के लोगों के लिये बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और उनके योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 2017 में ये उनका 126 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। ये भारत के लोगों के लिये एक बड़ा क्षण था जब वर्ष 1891 में उनका जन्म हुआ था।


इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया गया। अपने घर में उनकी मूर्ति रखने के द्वारा भारतीय लोग एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।
इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया गया। अपने घर में उनकी मूर्ति रखने के द्वारा भारतीय लोग एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।
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आंबेडकर जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जाती हैं। अधिकांश रूप से आंबेडकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य में, राज्य के हर जिले में और जिले के लाखों गावों में मनाई जाती हैं। भारतीय समाज, लोकतंत्र, राजनिती आदी में भीमराव आंबेडकर का गहरा प्रभाव पडा हैं।
आंबेडकर जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जाती हैं। अधिकांश रूप से आंबेडकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य में, राज्य के हर जिले में और जिले के लाखों गावों में मनाई जाती हैं। भारतीय समाज, लोकतंत्र, राजनिती आदी में भीमराव आंबेडकर का गहरा प्रभाव पडा हैं।


;डॉ. भीमराव आंबेडकर जी का जन्मदिवस या जयंती मनाने वाले देश
;डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी का जन्मदिवस या जयंती मनाने वाले देश
[[भारत]], [[अमेरिका]], [[ऑस्ट्रिया]], [[बहरीन]], [[ब्राज़ील]], [[डेनमार्क]], [[बांग्लादेश]], [[मिस्र]], [[जर्मनी]], [[ग्वाटेमाला]], [[हांगकांग]], [[इंडोनेशिया]], [[इराक]], [[आयरलैण्ड]], [[सउदी अरब]], [[दक्षिण आफ़्रिका]], [[जापान]], [[मेडागास्कर]], [[मंगोलिया]], [[नेपाल]], [[ओमान]], [[फ़्रान्स]], [[श्रीलंका]], [[सेशेल्स]], [[दक्षिण सूडान]], [[स्पेन]], [[स्विट्ज़रलैण्ड]], [[तंज़ानिया]], [[संयुक्त राजशाही]] ([[ग्रेट ब्रिटेन]], [[लंदन]]), [[युक्रेन]], [[कनाडा]], [[हंगरी]], [[म्यान्मार]], [[कुवैत]], [[आस्ट्रेलिया]], [[मलेशिया]], [[न्यूज़ीलैण्ड]], [[थाईलैण्ड]], [[चीन]], [[पाकिस्तान]], [[दुबई]], [[कैलिफ़ोर्निया]], [[सैन फ्रांसिस्को]] आदी देश आंबेडकर जयंती मनाते हैं।<ref>संपूर्ण विश्व में १२५वी आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=QhgBUoVjeFw]</ref><ref> अलग देशों में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=BtjBVEZPKm8]</ref><ref>https://m.youtube.com/watch?v=NkrcFfmrLJo</ref><ref>साजोकाजा, हंगरी में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=frgibv0sviI]</ref><ref>https://m.youtube.com/watch?v=jw-L_TSnb1I</ref><ref>पॅरिस में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=BF1RmLsxWv8]</ref><ref>जापान में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=Zz_blsLe1xE]</ref><ref>कूवैत में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=ZXiGmkYcDMU]</ref><ref>न्यूझीलैंड में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=jw-L_TSnb1I]</ref><ref>ऑस्ट्रेलिया में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=N-X1bOIC2Yo]</ref><ref>नेपाल में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=7Oe5pl87qhE]</ref>
[[भारत]], [[अमेरिका]], [[ऑस्ट्रिया]], [[बहरीन]], [[ब्राज़ील]], [[डेनमार्क]], [[बांग्लादेश]], [[मिस्र]], [[जर्मनी]], [[ग्वाटेमाला]], [[हांगकांग]], [[इंडोनेशिया]], [[इराक]], [[आयरलैण्ड]], [[सउदी अरब]], [[दक्षिण आफ़्रिका]], [[जापान]], [[मेडागास्कर]], [[मंगोलिया]], [[नेपाल]], [[ओमान]], [[फ़्रान्स]], [[श्रीलंका]], [[सेशेल्स]], [[दक्षिण सूडान]], [[स्पेन]], [[स्विट्ज़रलैण्ड]], [[तंज़ानिया]], [[संयुक्त राजशाही]] ([[ग्रेट ब्रिटेन]], [[लंदन]]), [[युक्रेन]], [[कनाडा]], [[हंगरी]], [[म्यान्मार]], [[कुवैत]], [[आस्ट्रेलिया]], [[मलेशिया]], [[न्यूज़ीलैण्ड]], [[थाईलैण्ड]], [[चीन]], [[पाकिस्तान]], [[दुबई]], [[कैलिफ़ोर्निया]], [[सैन फ्रांसिस्को]] आदी देश आंबेडकर जयंती मनाते हैं।<ref>संपूर्ण विश्व में १२५वी आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=QhgBUoVjeFw]</ref><ref> अलग देशों में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=BtjBVEZPKm8]</ref><ref>https://m.youtube.com/watch?v=NkrcFfmrLJo</ref><ref>साजोकाजा, हंगरी में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=frgibv0sviI]</ref><ref>https://m.youtube.com/watch?v=jw-L_TSnb1I</ref><ref>पॅरिस में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=BF1RmLsxWv8]</ref><ref>जापान में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=Zz_blsLe1xE]</ref><ref>कूवैत में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=ZXiGmkYcDMU]</ref><ref>न्यूझीलैंड में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=jw-L_TSnb1I]</ref><ref>ऑस्ट्रेलिया में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=N-X1bOIC2Yo]</ref><ref>नेपाल में आंबेडकर जयंती [https://m.youtube.com/watch?v=7Oe5pl87qhE]</ref>


५५ से अधिक देशों में हर वर्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी की जयंती मनाई जाती हैं।
६५ से अधिक देशों में हर वर्ष डॉ॰ आंबेडकर जी की जयंती मनाई जाती हैं।


== संयुक्त राष्ट्र में आंबेडकर जयंती ==
== संयुक्त राष्ट्र में आंबेडकर जयंती ==
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संयुक्त राष्ट्र के अगले महासचिव पद के उम्मीदवारों में शामिल क्लार्क ने कहा, ‘हम वर्ष 2030 के एजंडे और दुनिया भर के गरीब एवं वंचित लोगों के लिए डॉ॰ आंबेडकर की सोच को हकीकत में बदलना सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ अपनी बेहद करीबी साझेदारी को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
संयुक्त राष्ट्र के अगले महासचिव पद के उम्मीदवारों में शामिल क्लार्क ने कहा, ‘हम वर्ष 2030 के एजंडे और दुनिया भर के गरीब एवं वंचित लोगों के लिए डॉ॰ आंबेडकर की सोच को हकीकत में बदलना सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ अपनी बेहद करीबी साझेदारी को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’


भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती [[14 अप्रेल]] [[2016]], [[बुधवार]] को इस वैश्विक संस्था में मनाई गई थी। उसका आयोजन नागरिक समाज के समूहों [[कल्पना सरोज]] फाउंडेशन और फाउंडेशन आॅफ ह्यूमन होराइजन के साथ मिल कर किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास समूह की अध्यक्ष क्लार्क ने राजनयिकों, विद्वानों और डॉ॰ आंबेडकर के अनुयायियों को अपने संबोधन में कहा कि “यह अवसर ऐसे ‘बहुत महान व्यक्ति की विरासत’ को याद करता है, जिन्होंने इस बात को समझा कि ‘अनवरत चली आ रहीं और बढ़ती असमानताएं’ देशों और लोगों की आर्थिक और सामाजिक कल्याण के समक्ष मूल चुनौतियां पेश करती हैं।”
भारतीय संविधान के शिल्पी, दलित मसिहा, [[बोधिसत्व]] बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती [[14 अप्रेल]] [[2016]], [[बुधवार]] को इस वैश्विक संस्था में मनाई गई थी। उसका आयोजन नागरिक समाज के समूहों [[कल्पना सरोज]] फाउंडेशन और फाउंडेशन आॅफ ह्यूमन होराइजन के साथ मिल कर किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास समूह की अध्यक्ष क्लार्क ने राजनयिकों, विद्वानों और डॉ॰ आंबेडकर के अनुयायियों को अपने संबोधन में कहा कि “यह अवसर ऐसे ‘बहुत महान व्यक्ति की विरासत’ को याद करता है, जिन्होंने इस बात को समझा कि ‘अनवरत चली आ रहीं और बढ़ती असमानताएं’ देशों और लोगों की आर्थिक और सामाजिक कल्याण के समक्ष मूल चुनौतियां पेश करती हैं।”


[[न्यूजीलैंड]] की पूर्व [[प्रधानमंत्री]] क्लार्क ने कहा कि “डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे 60 साल पहले थे। वंचित समूहों के समावेश और सशक्तीकरण, श्रम कानूनों में सुधार और सभी के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने पर आंबडेकर की ओर से किए गए काम ने उन्हें ‘भारत और अन्य देशों में हाशिए पर जी रहे लोगों के लिए प्रतीक बना दिया।”<ref>http://www.jansatta.com/international/he-struggled-for-people-around-the-globe-plea-in-un-to-declare-ambedkar-jayanti-world-equality-day/85974/#sthash.uNBoiKuT.dpuf</ref>
[[न्यूजीलैंड]] की पूर्व [[प्रधानमंत्री]] क्लार्क ने कहा कि “डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे 60 साल पहले थे। वंचित समूहों के समावेश और सशक्तीकरण, श्रम कानूनों में सुधार और सभी के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने पर आंबडेकर की ओर से किए गए काम ने उन्हें ‘भारत और अन्य देशों में हाशिए पर जी रहे लोगों के लिए प्रतीक बना दिया।”<ref>http://www.jansatta.com/international/he-struggled-for-people-around-the-globe-plea-in-un-to-declare-ambedkar-jayanti-world-equality-day/85974/#sthash.uNBoiKuT.dpuf</ref>
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भीमराव के व्यापक विकास लक्ष्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने डॉ॰ अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई है, और इस अवसर पर संरा से इस दिन को '''अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस''' घोषित करने की मांग की गयी है।
भीमराव के व्यापक विकास लक्ष्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने डॉ॰ अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई है, और इस अवसर पर संरा से इस दिन को '''अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस''' घोषित करने की मांग की गयी है।


पंजाब असेंबली स्पीकर [[चरनजीत सिंह अटवाल]] ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कहा, ‘मेरा मानना है समानता के लिए भीमराव का जीवनपर्यंत संघर्ष केवल भारत के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए था।‘ इसलिए उनके लिए सच्चा सम्मान व श्रद्धांजलि यही होगा कि इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ‘अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस (World Equality Day)’ घोषित कर दे। न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कहा कि अंबेडकर के आदर्श आज के लिए मायने रखते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने अपना सतत विकास लक्ष्य के कार्यक्रम को शुरू किया।
पंजाब असेंबली स्पीकर [[चरनजीत सिंह अटवाल]] ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कहा, ‘मेरा मानना है समानता के लिए बाबासाहेब का जीवनपर्यंत संघर्ष केवल भारत के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए था।‘ इसलिए उनके लिए सच्चा सम्मान व श्रद्धांजलि यही होगा कि इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ‘अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस (World Equality Day)’ घोषित कर दे। न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कहा कि अंबेडकर के आदर्श आज के लिए मायने रखते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने अपना सतत विकास लक्ष्य के कार्यक्रम को शुरू किया।


क्लार्क ने कहा, ‘ अंबेडकर असमानता के कारण अच्छे लोगों में बदलावों को समझा और संरा ने अपने लक्ष्य में असमानता को हटाने का निर्णय लिया है।‘ क्लार्क अब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यकर्म की प्रमुख और आगामी चुनावों में संरा की जनरल सेक्रेटरी के लिए उम्मीदवार हैं। संरा में भारतीय मिशन के द्वारा पहली बार इस मौके को मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
क्लार्क ने कहा, ‘ अंबेडकर असमानता के कारण अच्छे लोगों में बदलावों को समझा और संरा ने अपने लक्ष्य में असमानता को हटाने का निर्णय लिया है।‘ क्लार्क अब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यकर्म की प्रमुख और आगामी चुनावों में संरा की जनरल सेक्रेटरी के लिए उम्मीदवार हैं। संरा में भारतीय मिशन के द्वारा पहली बार इस मौके को मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
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राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया। कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन, कल्पना सरोज का फाउंडेशन इस मौके के लिए को-स्पांसर कर रहा।
राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया। कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन, कल्पना सरोज का फाउंडेशन इस मौके के लिए को-स्पांसर कर रहा।


== आंबेडकर के योगदान ==
==डॉ॰ आंबेडकर के योगदान ==


* निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया। बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिये समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिये उन्होंने विरोध किया। दलित वर्ग के जातिच्युतता लोगों के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिये अस्पृश्यों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘बहिष्कृत हितकरनी सभा’ कहे जाने वाले एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। “मूक नायक, बहिष्कृत भारत और जनता समरुपता” जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा उन्होंने दलित अधिकारों की भी रक्षा की।
* निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया। बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिये समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिये उन्होंने विरोध किया। दलित वर्ग के जातिच्युतता लोगों के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिये अस्पृश्यों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘बहिष्कृत हितकरनी सभा’ कहे जाने वाले एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। “मूक नायक, बहिष्कृत भारत और जनता समरुपता” जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा उन्होंने दलित अधिकारों की भी रक्षा की।
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==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==
* [[धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस]]
* [[बुद्ध जयंती]]
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* [[स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी]]
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06:25, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण

डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जयंती

चैत्य भूमि में आंबेडकर जयंती
अन्य नाम भीम जयंती
अनुयायी भारत एवं +65 देशों में
प्रकार Secular; डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म दिवस
उत्सव उत्सव
तिथि 14 अप्रेल
आवृत्ति वार्षिक
समान पर्व अशोक विजयादशमी

आंबेडकर जयंती या भीम जयंती डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है।[1] इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध विहार में भी भीमराव की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है।

गुगल ने डॉ॰ आंबेडकर की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया।[2][3][4] तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था।

१२५वी आंबेडकर जयंती

इस साल २०१६ में भारत सरकार ने बडे पैमाने पर भीमराव की १२५वी जयंती मनाई गई। संयुक्त राष्ट्र ने भी पहली बार डॉ॰ आंबेडकर की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे डॉ॰ आंबेडकर जी को विश्व का प्रणेता कहकर उनका गौरव किया।[5] संयुक्त राष्ट्र के ७० वर्ष के इतिहास में वहां पहली बार भारतीय व्यक्ति डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी की जयंती मनाई गई, भीमराव के अलावा विश्व में केवल दों ऐसे महापुरूष हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र ने मनाई हैं – मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला[6] भीमराव, किंग और मंडेला ये तीनों महापुरूष मानवाधिकार संघर्ष के सबसे महान नेता रहे हैं।

आंबेडकर जयंती 2016 पूरे भारत एवं अन्य कई देशों के लोगों द्वारा 14 अप्रैल, गुरूवार को मनाया गया।

डॉ॰ आंबेडकर का जन्म दिवस

भारत के लोगों के लिये बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और उनके योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 2017 में ये उनका 126 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। ये भारत के लोगों के लिये एक बड़ा क्षण था जब वर्ष 1891 में उनका जन्म हुआ था।

इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया गया। अपने घर में उनकी मूर्ति रखने के द्वारा भारतीय लोग एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।

आंबेडकर जयंती क्यों मनायी जाती है

भारत के लोगों के लिये उनके विशाल योगदान को याद करने के लिये बहुत ही खुशी से भारत के लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता थे जिन्होंने भारत के संविधान का ड्रॉफ्ट (प्रारुप) तैयार किया था। वो एक महान मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने भारत के निम्न स्तरीय समूह के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की जरुरत के लक्ष्य को फैलाने के लिये भारत में वर्ष 1923 में “बहिष्कृत हितकरनी सभा” की स्थापना की थी। इंसानों की समता के नियम के अनुसरण के द्वारा भारतीय समाज को पुनर्निर्माण के साथ ही भारत में जातिवाद को जड़ से हटाने के लक्ष्य के लिये “शिक्षित करना-आंदोलन करना-संगठित करना” के नारे का इस्तेमाल कर लोगों के लिये वो एक सामाजिक आंदोलन चला रहे थे।

अस्पृश्य लोगों के लिये बराबरी के अधिकार की स्थापना के लिये महाराष्ट्र के महाड में वर्ष 1927 में उनके द्वारा एक मार्च का नेतृत्व किया गया था जिन्हें “सार्वजनिक चॉदर झील” के पानी का स्वाद या यहाँ तक की छूने की भी अनुमति नहीं थी। जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत करने के लिये भारतीय इतिहास में उन्हें चिन्हित किया जाता है। वास्तविक मानव अधिकार और राजनीतिक न्याय के लिये महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 1930 में उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिये आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के लोगों की सभी समस्याओं को सुलझाने के लिये राजनीतिक शक्ति ही एकमात्र तरीका नहीं है, उन्हें समाज में हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिलना चाहिये। 1942 में वाइसराय की कार्यकारी परिषद की उनकी सदस्यता के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों को बचाने के लिये कानूनी बदलाव बनाने में वो गहराई से शामिल थे।

भारतीय संविधान में राज्य नीति के मूल अधिकारों (सामाजिक आजादी के लिये, निम्न समूह के लोगों के लिये समानता और अस्पृश्यता का जड़ से उन्मूलन) और नीति निदेशक सिद्धांतों (संपत्ति के सही वितरण को सुनिश्चित करने के द्वारा जीवन निर्वाह के हालात में सुधार लाना) को सुरक्षा देने के द्वारा उन्होंने अपना बड़ा योगदान दिया। बुद्ध धर्म के द्वारा अपने जीवन के अंत तक उनकी सामाजिक क्रांति जारी रही। भारतीय समाज के लिये दिये गये उनके महान योगदान के लिये 1990 के अप्रैल महीने में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

आंबेडकर जयंती कैसे मनायी जाती है

पूरे भारत भर में वाराणसी, दिल्ली सहित दूसरे बड़े शहरों में बेहद जुनून के साथ अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। कचहरी क्षेत्र में डॉ अंबेडकर जयंती समारोह समिति के द्वारा डॉ अंबेडकर के जन्मदिवस उत्सव के लिये कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित होता है। वो विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं जैसे चित्रकारी, सामान्य ज्ञान प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, चर्चा, नृत्य, निबंध लेखन, परिचर्चा, खेल प्रतियोगिता और नाटक जिसके लिये पास के स्कूलों के विद्यार्थीयों सहित कई लोग भाग लेते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिये, लखनऊ में भारतीय पत्रकार लोक कल्याण संघ द्वारा हर वर्ष एक बड़ा सेमीनार आयोजित किया जाता है।

आंबेडकर जयंती कहां मनाई हैं

आंबेडकर जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जाती हैं। अधिकांश रूप से आंबेडकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य में, राज्य के हर जिले में और जिले के लाखों गावों में मनाई जाती हैं। भारतीय समाज, लोकतंत्र, राजनिती आदी में भीमराव आंबेडकर का गहरा प्रभाव पडा हैं।

डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी का जन्मदिवस या जयंती मनाने वाले देश

भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बहरीन, ब्राज़ील, डेनमार्क, बांग्लादेश, मिस्र, जर्मनी, ग्वाटेमाला, हांगकांग, इंडोनेशिया, इराक, आयरलैण्ड, सउदी अरब, दक्षिण आफ़्रिका, जापान, मेडागास्कर, मंगोलिया, नेपाल, ओमान, फ़्रान्स, श्रीलंका, सेशेल्स, दक्षिण सूडान, स्पेन, स्विट्ज़रलैण्ड, तंज़ानिया, संयुक्त राजशाही (ग्रेट ब्रिटेन, लंदन), युक्रेन, कनाडा, हंगरी, म्यान्मार, कुवैत, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैण्ड, थाईलैण्ड, चीन, पाकिस्तान, दुबई, कैलिफ़ोर्निया, सैन फ्रांसिस्को आदी देश आंबेडकर जयंती मनाते हैं।[7][8][9][10][11][12][13][14][15][16][17]

६५ से अधिक देशों में हर वर्ष डॉ॰ आंबेडकर जी की जयंती मनाई जाती हैं।

संयुक्त राष्ट्र में आंबेडकर जयंती

पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई। संस्था के शीर्ष अधिकारी ने इन प्रख्यात भारतीय समाज सुधारक को हाशिए पर जी रहे लोगों के लिए ‘एक वैश्विक प्रतीक’ करार दिया और उनके विजन को पूरा करने के लिए भारत के साथ मिल कर काम करने की इस वैश्विक निकाय की कटिबद्धता प्रदर्शित की।

यूएनडीपी की प्रशासक हेलेन क्लार्क ने भारत के स्थायी मिशन द्वारा इस वैश्विक निकाय में डॉ॰ आंबेडकर की 125 वीं जयंती पर पहली बार आयोजित विशेष समारोह में अपने संबोधन में कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र में इस महत्त्वपूर्ण वर्षगांठ को मनाए जाने पर मैं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से भारत की सराहना करती हूं।’

संयुक्त राष्ट्र के अगले महासचिव पद के उम्मीदवारों में शामिल क्लार्क ने कहा, ‘हम वर्ष 2030 के एजंडे और दुनिया भर के गरीब एवं वंचित लोगों के लिए डॉ॰ आंबेडकर की सोच को हकीकत में बदलना सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ अपनी बेहद करीबी साझेदारी को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

भारतीय संविधान के शिल्पी, दलित मसिहा, बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती 14 अप्रेल 2016, बुधवार को इस वैश्विक संस्था में मनाई गई थी। उसका आयोजन नागरिक समाज के समूहों कल्पना सरोज फाउंडेशन और फाउंडेशन आॅफ ह्यूमन होराइजन के साथ मिल कर किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास समूह की अध्यक्ष क्लार्क ने राजनयिकों, विद्वानों और डॉ॰ आंबेडकर के अनुयायियों को अपने संबोधन में कहा कि “यह अवसर ऐसे ‘बहुत महान व्यक्ति की विरासत’ को याद करता है, जिन्होंने इस बात को समझा कि ‘अनवरत चली आ रहीं और बढ़ती असमानताएं’ देशों और लोगों की आर्थिक और सामाजिक कल्याण के समक्ष मूल चुनौतियां पेश करती हैं।”

न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री क्लार्क ने कहा कि “डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे 60 साल पहले थे। वंचित समूहों के समावेश और सशक्तीकरण, श्रम कानूनों में सुधार और सभी के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने पर आंबडेकर की ओर से किए गए काम ने उन्हें ‘भारत और अन्य देशों में हाशिए पर जी रहे लोगों के लिए प्रतीक बना दिया।”[18]

इस मौके पर संपोषणीय विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असमानता से संघर्ष विषयक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें डॉ॰ आंबेडकर से जुड़े कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टान कचनोवस्की और एसोसिएट प्रोफेसर अनुपमा राव एवं हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विख्याता क्रिस्टोफर क्वीन ने हिस्सा लिया।

क्लार्क ने कहा कि, “अांबेडकर के विजन एवं कार्य का आधार असमानताएं एवं भेदभाव घटाना भी नए विकास एजंडे के मूल में है जिसे 2030 तक हासिल करने के प्रति विश्व ने कटिबद्धता दिखाई है। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को असमानताएं दूर करने के लिए जरूरी दूरगामी उपायों की गहरी समझ थी।”

भीमराव के व्यापक विकास लक्ष्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने डॉ॰ अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई है, और इस अवसर पर संरा से इस दिन को अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस घोषित करने की मांग की गयी है।

पंजाब असेंबली स्पीकर चरनजीत सिंह अटवाल ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कहा, ‘मेरा मानना है समानता के लिए बाबासाहेब का जीवनपर्यंत संघर्ष केवल भारत के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए था।‘ इसलिए उनके लिए सच्चा सम्मान व श्रद्धांजलि यही होगा कि इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ‘अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस (World Equality Day)’ घोषित कर दे। न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कहा कि अंबेडकर के आदर्श आज के लिए मायने रखते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने अपना सतत विकास लक्ष्य के कार्यक्रम को शुरू किया।

क्लार्क ने कहा, ‘ अंबेडकर असमानता के कारण अच्छे लोगों में बदलावों को समझा और संरा ने अपने लक्ष्य में असमानता को हटाने का निर्णय लिया है।‘ क्लार्क अब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यकर्म की प्रमुख और आगामी चुनावों में संरा की जनरल सेक्रेटरी के लिए उम्मीदवार हैं। संरा में भारतीय मिशन के द्वारा पहली बार इस मौके को मनाए जाने का निर्णय लिया गया।

राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया।

राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया। कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन, कल्पना सरोज का फाउंडेशन इस मौके के लिए को-स्पांसर कर रहा।

डॉ॰ आंबेडकर के योगदान

  • निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया। बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिये समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिये उन्होंने विरोध किया। दलित वर्ग के जातिच्युतता लोगों के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिये अस्पृश्यों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘बहिष्कृत हितकरनी सभा’ कहे जाने वाले एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। “मूक नायक, बहिष्कृत भारत और जनता समरुपता” जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा उन्होंने दलित अधिकारों की भी रक्षा की।
  • उन्होंने एक सक्रिय सार्वजनिक आंदोलन की शुरुआत की और हिन्दू मंदिरों (1930 में कालाराम मंदिर आंदोलन) में प्रवेश के साथ ही जल संसाधनों के लिये अस्पृश्यता को हटाने के लिये 1927 में प्रदर्शन किया। दलित वर्ग के अस्पृश्य लोगों के लिये सीट आरक्षित करने के लिये पूना संधि के द्वारा उन्होंने अलग निर्वाचक मंडल की माँग की।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा देने के लिये उन्हें काँग्रेस सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था और 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किये गये जहाँ उन्होंने भारत के नये संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किया जिसे 26 नवंबर 1949 में संवैधानिक सभा द्वारा अंगीकृत किया गया।
  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी क्योंकि वो एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे। अर्थशास्त्र पर अपने तीन सफल अध्ययनशील किताबों जैसे “प्रशासन और ईस्ट इंडिया कंपनी का वित्त, ब्रिटिश इंडिया में प्रान्तीय वित्त के उद्भव और रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और समाधान” के द्वारा हिल्टन यंग कमीशन के लिये अपने विचार देने के बाद 1934 में भारत के रिजर्व बैंक को बनाने में वो सफल हुये।
  • इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना में अपनी भूमिका निभायी क्योंकि कि उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री विदेश से हासिल की थी। देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिये औद्योगिकीकरण और कृषि उद्योग की वृद्धि और विकास के लिये लोगों को बढ़ावा दिया। खाद्य सुरक्षा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उन्होंने सरकार को सुझाव दिया था। अपनी मूलभूत जरुरत के रूप में इन्होंने लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वच्छता और समुदायिक स्वास्थ्य के लिये बढ़ावा दिया। इन्होंने भारत की वित्त कमीशन की स्थापना की थी।
  • भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।
  • डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का भारत के विकास में जितना योगदान रहा है, उतना शायद ही किसी और राजनेता का रहा हो। एक अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, शिक्षाविद् और कानून के जानकार के तौर पर अंबेडकर ने आधुनिक भारत की नींव रखी थी और देश उनके इस योगदान को लेकर आज भी जागरूक नहीं है।

- डॉ॰ अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उन पर आधुनिक भारत का संविधान बनाने की जिम्मेदारी थी और उन्होंने एक ऐसे संविधान की रचना की जिसकी नज़रों में सभी नागरिक एक समान हों, धर्मनिरपेक्ष हो और जिस पर देश के सभी नागरिक विश्वास करें। एक तरह से भीमराव अंबेडकर ने आज़ाद भारत के DNA की रचना की थी।

- इसके अलावा डॉक्टर अंबेडकर की प्रेरणा से ही भारत के Finance Commission यानी वित्त आयोग की स्थापना हुई थी।

- डॉ॰ अंबेडकर के Ideas से ही भारत के केन्द्रीय बैंक की स्थापना हुई, जिसे आज हम भारतीय रिज़र्व बैंक के नाम से जानते हैं।

- दामोदर घाटी परियोजना, हीराकुंड परियोजना और सोन नदी परियोजना जैसे 8 बडे बांधो को स्थापित करने में डॉ॰ अंबेडकर ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

- भारत में Employment Exchanges की स्थापना भी डॉक्टर अंबेडकर के विचारों की वजह से हुई थी।

- भारत में पानी और बिजली के Grid System की स्थापना में भी डॉक्टर अंबेडकर का अहम योगदान माना जाता है।

- भारत को एक स्वतंत्र चुनाव आयोग भी डॉ॰ भीमराव अंबेडकर की ही देन है।

ये वो योगदान है जिन्हें आज़ादी के बाद की तमाम सरकारों ने हमेशा ही अनदेखा किया है। यानी योजनाएं और विचार अंबेडकर के थे, लेकिन उनका श्रेय दूसरे लोगों ने लूटा।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015
  2. "B.R. Ambedkar, a hero of India's independence movement, honoured by Google Doodle". The Telegraph. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
  3. "Google doodle marks Dr BR Ambedkar's 124th birthday". The Times of India. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
  4. Google Honored Dr. Babasaheb Ambedkar with Google Doodle https://drambedkarbooks.com/2015/04/13/google-honored-dr-babasaheb-ambedkar-with-google-doodle/
  5. United Nations to celebrate Dr. Babasaheb Ambedkar’s Jayanti but at what cost? [1]
  6. http://prahaar.in/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%A4-%E0%A4%AC%E0%A4%BE/
  7. संपूर्ण विश्व में १२५वी आंबेडकर जयंती [2]
  8. अलग देशों में आंबेडकर जयंती [3]
  9. https://m.youtube.com/watch?v=NkrcFfmrLJo
  10. साजोकाजा, हंगरी में आंबेडकर जयंती [4]
  11. https://m.youtube.com/watch?v=jw-L_TSnb1I
  12. पॅरिस में आंबेडकर जयंती [5]
  13. जापान में आंबेडकर जयंती [6]
  14. कूवैत में आंबेडकर जयंती [7]
  15. न्यूझीलैंड में आंबेडकर जयंती [8]
  16. ऑस्ट्रेलिया में आंबेडकर जयंती [9]
  17. नेपाल में आंबेडकर जयंती [10]
  18. http://www.jansatta.com/international/he-struggled-for-people-around-the-globe-plea-in-un-to-declare-ambedkar-jayanti-world-equality-day/85974/#sthash.uNBoiKuT.dpuf

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