"आंबेडकर जयंती": अवतरणों में अंतर

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बाबासाहेब के योगदान
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* भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।
* भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।


==इन्हें भी देखिए ==
* [[दलित बौद्ध आंदोलन]]
* [[जय भीम]]
* [[दीक्षाभूमि, नागपुर]]
* [[चैत्यभूमि]], [[मुंबई]]
== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

17:58, 14 दिसम्बर 2016 का अवतरण

आंबेडकर जयंती या भीम जयंती आधुनिक भारत के निर्माता एवं भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है।[1] इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी संविधान निर्माता एवं दलितों के मसिहा के अलावा डॉ. आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। बाबासाहेब विश्व भर में उनके मानवाधिकारी आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध विहार में भी बाबासाहेब की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 50 से अधिक देशों में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है।

गुगल ने बाबासाहेब की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया।[2][3][4] तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था।

इस साल २०१६ में भारत सरकार ने बडे पैमाने पर बाबासाहेब की जयंती मनाई। संयुक्त राष्ट्र ने भी पहली बार बाबासाहेब की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे बाबासाहब को विश्व का प्रणेता कहकर उनका गौरव किया।[5]

आंबेडकर जयंती 2016

आंबेडकर जयंती 2016 पूरे भारत एवं अन्य कई देशों के लोगों द्वारा 14 अप्रैल, गुरूवार को मनाया गया।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म दिवस

भारत के लोगों के लिये बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और उनके योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 2017 में ये उनका 126 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। ये भारत के लोगों के लिये एक बड़ा क्षण था जब वर्ष 1891 में उनका जन्म हुआ था।

इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रुप में घोषित किया गया। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया गया। अपने घर में उनकी मूर्ति रखने के द्वारा भारतीय लोग एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।

आंबेडकर जयंती क्यों मनायी जाती है

भारत के लोगों के लिये उनके विशाल योगदान को याद करने के लिये बहुत ही खुशी से भारत के लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता थे जिन्होंने भारत के संविधान का ड्रॉफ्ट (प्रारुप) तैयार किया था। वो एक महान मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने भारत के निम्न स्तरीय समूह के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की जरुरत के लक्ष्य को फैलाने के लिये भारत में वर्ष 1923 में “बहिष्कृत हितकरनी सभा” की स्थापना की थी। इंसानों की समता के नियम के अनुसरण के द्वारा भारतीय समाज को पुनर्निर्माण के साथ ही भारत में जातिवाद को जड़ से हटाने के लक्ष्य के लिये “शिक्षित करना-आंदोलन करना-संगठित करना” के नारे का इस्तेमाल कर लोगों के लिये वो एक सामाजिक आंदोलन चला रहे थे।

अस्पृश्य लोगों के लिये बराबरी के अधिकार की स्थापना के लिये महाराष्ट्र के महाड में वर्ष 1927 में उनके द्वारा एक मार्च का नेतृत्व किया गया था जिन्हें “सार्वजनिक चॉदर झील” के पानी का स्वाद या यहाँ तक की छूने की भी अनुमति नहीं थी। जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत करने के लिये भारतीय इतिहास में उन्हें चिन्हित किया जाता है। वास्तविक मानव अधिकार और राजनीतिक न्याय के लिये महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 1930 में उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिये आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के लोगों की सभी समस्याओं को सुलझाने के लिये राजनीतिक शक्ति ही एकमात्र तरीका नहीं है, उन्हें समाज में हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिलना चाहिये। 1942 में वाइसराय की कार्यकारी परिषद की उनकी सदस्यता के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों को बचाने के लिये कानूनी बदलाव बनाने में वो गहराई से शामिल थे।

भारतीय संविधान में राज्य नीति के मूल अधिकारों (सामाजिक आजादी के लिये, निम्न समूह के लोगों के लिये समानता और अस्पृश्यता का जड़ से उन्मूलन) और नीति निदेशक सिद्धांतों (संपत्ति के सही वितरण को सुनिश्चित करने के द्वारा जीवन निर्वाह के हालात में सुधार लाना) को सुरक्षा देने के द्वारा उन्होंने अपना बड़ा योगदान दिया। बुद्ध धर्म के द्वारा अपने जीवन के अंत तक उनकी सामाजिक क्रांति जारी रही। भारतीय समाज के लिये दिये गये उनके महान योगदान के लिये 1990 के अप्रैल महीने में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

आंबेडकर जयंती कैसे मनायी जाती है

पूरे भारत भर में वाराणसी, दिल्ली सहित दूसरे बड़े शहरों में बेहद जुनून के साथ अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। कचहरी क्षेत्र में डॉ अंबेडकर जयंती समारोह समिति के द्वारा डॉ अंबेडकर के जन्मदिवस उत्सव के लिये कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित होता है। वो विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं जैसे चित्रकारी, सामान्य ज्ञान प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, चर्चा, नृत्य, निबंध लेखन, परिचर्चा, खेल प्रतियोगिता और नाटक जिसके लिये पास के स्कूलों के विद्यार्थीयों सहित कई लोग भाग लेते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिये, लखनऊ में भारतीय पत्रकार लोक कल्याण संघ द्वारा हर वर्ष एक बड़ा सेमीनार आयोजित किया जाता है।

आंबेडकर के योगदान

  • निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया। बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिये समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिये उन्होंने विरोध किया। दलित वर्ग के जातिच्युतता लोगों के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिये अस्पृश्यों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘बहिष्कृत हितकरनी सभा’ कहे जाने वाले एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। “मूक नायक, बहिष्कृत भारत और जनता समरुपता” जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा उन्होंने दलित अधिकारों की भी रक्षा की।
  • उन्होंने एक सक्रिय सार्वजनिक आंदोलन की शुरुआत की और हिन्दू मंदिरों (1930 में कालाराम मंदिर आंदोलन) में प्रवेश के साथ ही जल संसाधनों के लिये अस्पृश्यता को हटाने के लिये 1927 में प्रदर्शन किया। दलित वर्ग के अस्पृश्य लोगों के लिये सीट आरक्षित करने के लिये पूना संधि के द्वारा उन्होंने अलग निर्वाचक मंडल की माँग की।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद पहले कानून मंत्री के रुप में सेवा देने के लिये उन्हें काँग्रेस सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था और 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किये गये जहाँ उन्होंने भारत के नये संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किया जिसे 26 नवंबर 1949 में संवैधानिक सभा द्वारा अंगीकृत किया गया।
  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी क्योंकि वो एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे। अर्थशास्त्र पर अपने तीन सफल अध्ययनशील किताबों जैसे “प्रशासन और ईस्ट इंडिया कंपनी का वित्त, ब्रिटिश इंडिया में प्रान्तीय वित्त के उद्भव और रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और समाधान” के द्वारा हिल्टन यंग कमीशन के लिये अपने विचार देने के बाद 1934 में भारत के रिजर्व बैंक को बनाने में वो सफल हुये।
  • इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना में अपनी भूमिका निभायी क्योंकि कि उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री विदेश से हासिल की थी। देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिये औद्योगिकीकरण और कृषि उद्योग की वृद्धि और विकास के लिये लोगों को बढ़ावा दिया। खाद्य सुरक्षा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उन्होंने सरकार को सुझाव दिया था। अपनी मूलभूत जरुरत के रुप में इन्होंने लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वच्छता और समुदायिक स्वास्थ्य के लिये बढ़ावा दिया। इन्होंने भारत की वित्त कमीशन की स्थापना की थी।
  • भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।

इन्हें भी देखिए

सन्दर्भ

  1. http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015
  2. "B.R. Ambedkar, a hero of India's independence movement, honoured by Google Doodle". The Telegraph. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
  3. "Google doodle marks Dr BR Ambedkar's 124th birthday". The Times of India. अभिगमन तिथि 9 January 2016.
  4. Google Honored Dr. Babasaheb Ambedkar with Google Doodle https://drambedkarbooks.com/2015/04/13/google-honored-dr-babasaheb-ambedkar-with-google-doodle/
  5. United Nations to celebrate Dr. Babasaheb Ambedkar’s Jayanti but at what cost? [1]