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24 मई 2019

  • 13:4813:48, 24 मई 2019 अन्तर इतिहास +55 मिथिलाप्राचीन काल के बाद मध्यकाल आते आते इस क्षेत्र में पाषाण प्रतिमाएं बनने लगी। वर्षो पूर्व विजयकान्त मिश्र के द्वारा इस क्षेत्र की प्रतिमाओ पर कार्य किया गया था, हाल के वर्षों में पुनः मिथिला की पाषाण प्रतिमाओं पर गंभीरता से कार्य होना शुरू हुआ है जिसमें शिवकुमार मिश्र, जलज तिवारी, सुशान्त कुमार आदि लोगों के द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है।कला प्रकाशन, वाराणसी से प्रकाशित दरभंगा प्रक्षेत्र की पाषाण प्रतिमाएं एवं मिथिला साहित्य संस्थान से प्रकाशित मिथिला भारती नामक पत्रिका महत्वपूर्ण स्रोत है। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:0113:01, 24 मई 2019 अन्तर इतिहास +69 सदस्य:Sushant bgsप्राचीन भारतीय साहित्य में विदेह की चर्चा मिलती है, जो कभी गणतंत्र तो कभी राजतंत्र का हिस्सा रहा।इसकी राजधानी मिथिला थी,किन्तु इस मिथिला की वास्तविक स्थिति की जानकारी आज भी अज्ञात है। कालान्तर में विदेह तीरभुक्ति/तिरहुत बन गया और राज्य की राजधानी मिथिला एक स्थान विशेष से सम्पूर्ण क्षेत्र के सन्दर्भ में चर्चित हो गया। तिरहुत को तीन भौगोलिक क्षेत्र में विभाजित किया जा सकता है जो पश्चिम से पूर्व की ओर सम्प्रति सम्पूर्ण उत्तरी बिहार में चम्पारण से पूर्णिया तक अथवा गंडक से महानन्दा नदी तक एवं हिम... वर्तमान टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन