Parakhtimessharma के सदस्य योगदान
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22 मई 2018
- 08:2308:23, 22 मई 2018 अन्तर इतिहास +312 सदस्य वार्ता:Parakhtimessharma/प्रयोगपृष्ठ No edit summary
- 08:1908:19, 22 मई 2018 अन्तर इतिहास +13,682 न सदस्य वार्ता:Parakhtimessharma/प्रयोगपृष्ठ नया पृष्ठ: '''धरोहर विध्वंशकांे पर कार्रवाई करे सरकार - डॉ0 शर्मा''' Published on May 18, 2018 E...
3 मई 2018
- 11:2311:23, 3 मई 2018 अन्तर इतिहास +156 सदस्य वार्ता:Parakhtimessharma No edit summary टैग: Reverted
- 11:1711:17, 3 मई 2018 अन्तर इतिहास +450 छो सदस्य वार्ता:Parakhtimessharma No edit summary टैग: Reverted
- 11:0611:06, 3 मई 2018 अन्तर इतिहास +6,826 सदस्य वार्ता:Parakhtimessharma No edit summary टैग: Reverted
21 मार्च 2018
- 11:0511:05, 21 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +184 छो सदस्य:Parakhtimessharma/प्रयोगपृष्ठ संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष एवं सत्तावनी शहीद स्मारक के प्रस्तावक डॉ0 सुरेश चन्द्र शर्मा ने आरोप लगाया कि 1857 के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर स्थानीय प्रशासन ने महज प्रदर्शन के लिए आयोजनों की औपचारिकतायें पूरी कर दिखाई किन्तु सत्तावनी शहीदों की याद में उनसे कोई ठोस कार्य नहीं किया गया। आगे कहा कि शहीदों की स्मृति को अजर-अमर बनाने के लिए जिलाधिकारी के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने के 8 वर्ष बाद भी कोई प्रगति नहीं हो सकी। इसी बीच मथुरा में सत्तावनी क्रान्ति के शुरूआती दिन 29 मई 1857 को अख्तियार खाँ की गोली के शिकार 67वीं नेटिव इन्फैंट्री के लेफ्टिनेंट पी0 एच0 सी0 बर्लटन की मजार का स्मारक पत्थर भी चोरी हो गया। कहा कि यदि प्रशासन गंभीर रहा होता तो अख्तियार खाँ और बर्लटन के बीच टकराव के गवाह सदर क्षेत्र के कचहरी घाट स्थित घटना स्थल को शानदार स्मारक का दर्जा मिल गया होता और उसी के साथ मथुरा मण्डल के अमर शहीदों के नाम भी स्मारक पर अंकित हो गये होते। डॉ0 शर्मा ने रोष जताया कि बदकिस्मती से अख्तियार खाँ के साथ न तो जीते जी और न ही शहादत के बाद इंसाफ किया गया और क्रान्ति दमन के दौरान सिकन्दर
- 10:5410:54, 21 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +9,018 न सदस्य:Parakhtimessharma/प्रयोगपृष्ठ संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष एवं सत्तावनी शहीद स्मारक के प्रस्तावक डॉ0 सुरेश चन्द्र शर्मा ने आरोप लगाया कि 1857 के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर स्थानीय प्रशासन ने महज प्रदर्शन के लिए आयोजनों की औपचारिकतायें पूरी कर दिखाई किन्तु सत्तावनी शहीदों की याद में उनसे कोई ठोस कार्य नहीं किया गया। आगे कहा कि शहीदों की स्मृति को अजर-अमर बनाने के लिए जिलाधिकारी के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने के 8 वर्ष बाद भी कोई प्रगति नहीं हो सकी। इसी बीच मथुरा में सत्तावनी क्रान्ति के शुरूआती दिन 29 मई 1857 को अख्तियार खाँ की गोली के शिकार 67वीं नेटिव इन्फैंट्री के लेफ्टिनेंट पी0 एच0 सी0 बर्लटन की मजार का स्मारक पत्थर भी चोरी हो गया। कहा कि यदि प्रशासन गंभीर रहा होता तो अख्तियार खाँ और बर्लटन के बीच टकराव के गवाह सदर क्षेत्र के कचहरी घाट स्थित घटना स्थल को शानदार स्मारक का दर्जा मिल गया होता और उसी के साथ मथुरा मण्डल के अमर शहीदों के नाम भी स्मारक पर अंकित हो गये होते। डॉ0 शर्मा ने रोष जताया कि बदकिस्मती से अख्तियार खाँ के साथ न तो जीते जी और न ही शहादत के बाद इंसाफ किया गया और क्रान्ति दमन के दौरान सिकन्दर टैग: यथादृश्य संपादिका: बदला