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18 सितंबर 2019

  • 02:5902:59, 18 सितंबर 2019 अन्तर इतिहास +18 तबला→‎इन्हें भी देखें: डा. राजेश औदीच्य फर्रुखाबाद : 'दिन गिनत गिनत नन तकत तकत तन कत्त कत्त' यह कुछ शब्द आपको पढ़ने में भले ही अटपटे लग रहे हों, लेकिन यही वह शब्द हैं जिन्होंने फर्रुखाबाद को शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक पहचान दी। अफसोस इस बात का है कि इन शब्दों को गठने वाले को ही उसकी जन्म भूमि के लोगों ने भुला दिया है। हम यहां बात कर रहे हैं तबला के उस्ताद हाजी बिलायत अली की। तबला वादन में उन्होंने ऐसी शैली दी जिसके मुरीद दुनिया भर के लोग हुए। इसके बाद ही फर्रुखाबाद तबला घराने की मजबूत नीं... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन