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पृष्ठ आइ॰डी (page_id) | 42811 |
पृष्ठ नामस्थान (page_namespace) | 0 |
पृष्ठ शीर्षक (बिना नामस्थान) (page_title) | 'नौरादेही संरक्षित वन और अभयारण्य' |
पूर्ण पृष्ठ शीर्षक (page_prefixedtitle) | 'नौरादेही संरक्षित वन और अभयारण्य' |
कार्य (action) | 'edit' |
सम्पादन सारांश/कारण (summary) | 'छोटा सा सुधार किया।' |
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अपनी बायो डायवर्सिटी के कारण नौरादेही वन्य जीव सेंक्चुरी का स्थान सबसे अलग है। [[सागर]], [[दमोह]] और [[नरसिंहपुर]] जिलों में फैली इस वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में ट्रैकिंग, एडवेंचर और वाइल्ड सफारी का आनंद लिया जा सकता है। नौरादेही सेंक्चुरी की स्थापना सन् 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है।
इस सेंक्चुरी में वन्यजीवों की भरमार है, जिनमें तेंदुआ मुख्य है। एक समय यहां कई बाघ भी पाए जाते थे लेकिन संरक्षण नहीं मिलने के कारण अब वे लुप्त हो चुके हैं। तेंदुआ भी इसी हश्र की ओर अग्रसर है। चिंकारा, हरिण, नीलगाय, सियार, भेडि़या, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर,मोर, चीतल तथा कई अन्य वन्य जीव इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। वनविभाग इसके संरक्षण का काम करता है।
यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ नई योजनाएं बनाई गई हैं। नौरादेही सेंक्चुरी में पहुंचने के लिए डीजल या पैट्रोल स चलने वाले ऐसे किसी भी वाहन के प्रयोग की छूट है जो पांच वर्ष से अधिक पुराना ना हो। यह MP राज्य का सबसे बडा अभ्यारण है। इसमे सागौन,साल,बांस और तेंदु के पेड बहुत मात्रा
मे पाये जाते है। यहाँ मृगन्नाथ(MRAGENDRANATH) की गुफाएँ बहुत ही रोमान्चक तथा धार्मिक है।
{{सागर जिला}}

[[श्रेणी:सागर ज़िला]]
[[श्रेणी:मध्य प्रदेश के वन्य अभयारण्य]]' |
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अपनी बायो डायवर्सिटी के कारण नौरादेही वन्य जीव सेंक्चुरी का स्थान सबसे अलग है। [[सागर]], [[दमोह]] और [[नरसिंहपुर]] [[जबलपुर]](~~~~) जिलों में फैली इस वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में ट्रैकिंग, एडवेंचर और वाइल्ड सफारी का आनंद लिया जा सकता है। नौरादेही सेंक्चुरी की स्थापना सन् 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है।
इस सेंक्चुरी में वन्यजीवों की भरमार है, जिनमें तेंदुआ मुख्य है। एक समय यहां कई बाघ भी पाए जाते थे लेकिन संरक्षण नहीं मिलने के कारण अब वे लुप्त हो चुके हैं। तेंदुआ भी इसी हश्र की ओर अग्रसर है। चिंकारा, हरिण, नीलगाय, सियार, भेडि़या, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर,मोर, चीतल तथा कई अन्य वन्य जीव इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। वनविभाग इसके संरक्षण का काम करता है।
यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ नई योजनाएं बनाई गई हैं। नौरादेही सेंक्चुरी में पहुंचने के लिए डीजल या पैट्रोल स चलने वाले ऐसे किसी भी वाहन के प्रयोग की छूट है जो पांच वर्ष से अधिक पुराना ना हो। यह MP राज्य का सबसे बडा अभ्यारण है। इसमे सागौन,साल,बांस और तेंदु के पेड बहुत मात्रा
मे पाये जाते है। यहाँ मृगन्नाथ(MRAGENDRANATH) की गुफाएँ बहुत ही रोमान्चक तथा धार्मिक है।
नये जंगली पक्षी - डस्की ईगल ओउल ,पेंडेट सैडग्राउज ,जो पहली बार अभ्यारण में देखे गए गिद्धों की 3 प्रजातियां इंडियन वडा किंग वल्चर और इंडियन वल्चर भी सामने आई हैंप्रमुख पक्षियों में सिने रशीद मोर ग्रीन सेट फाइबर क्रेस्टेड 3G वाट कस्टर्ड वेडिंग सल्फर बैली पॉपुलर पेटेंट स्टाफ यूरेशियन डॉटर ब्राउन फिश ऑयल फैमिली की गर्ल ओरिएंटल हनी चार्ट भी देखे गए (~~~~)
{{सागर जिला}}

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[[श्रेणी:मध्य प्रदेश के वन्य अभयारण्य]]' |
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-अपनी बायो डायवर्सिटी के कारण नौरादेही वन्य जीव सेंक्चुरी का स्थान सबसे अलग है। [[सागर]], [[दमोह]] और [[नरसिंहपुर]] जिलों में फैली इस वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में ट्रैकिंग, एडवेंचर और वाइल्ड सफारी का आनंद लिया जा सकता है। नौरादेही सेंक्चुरी की स्थापना सन् 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है।
+अपनी बायो डायवर्सिटी के कारण नौरादेही वन्य जीव सेंक्चुरी का स्थान सबसे अलग है। [[सागर]], [[दमोह]] और [[नरसिंहपुर]] [[जबलपुर]](~~~~) जिलों में फैली इस वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में ट्रैकिंग, एडवेंचर और वाइल्ड सफारी का आनंद लिया जा सकता है। नौरादेही सेंक्चुरी की स्थापना सन् 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है।
इस सेंक्चुरी में वन्यजीवों की भरमार है, जिनमें तेंदुआ मुख्य है। एक समय यहां कई बाघ भी पाए जाते थे लेकिन संरक्षण नहीं मिलने के कारण अब वे लुप्त हो चुके हैं। तेंदुआ भी इसी हश्र की ओर अग्रसर है। चिंकारा, हरिण, नीलगाय, सियार, भेडि़या, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर,मोर, चीतल तथा कई अन्य वन्य जीव इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। वनविभाग इसके संरक्षण का काम करता है।
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यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ नई योजनाएं बनाई गई हैं। नौरादेही सेंक्चुरी में पहुंचने के लिए डीजल या पैट्रोल स चलने वाले ऐसे किसी भी वाहन के प्रयोग की छूट है जो पांच वर्ष से अधिक पुराना ना हो। यह MP राज्य का सबसे बडा अभ्यारण है। इसमे सागौन,साल,बांस और तेंदु के पेड बहुत मात्रा
मे पाये जाते है। यहाँ मृगन्नाथ(MRAGENDRANATH) की गुफाएँ बहुत ही रोमान्चक तथा धार्मिक है।
+नये जंगली पक्षी - डस्की ईगल ओउल ,पेंडेट सैडग्राउज ,जो पहली बार अभ्यारण में देखे गए गिद्धों की 3 प्रजातियां इंडियन वडा किंग वल्चर और इंडियन वल्चर भी सामने आई हैंप्रमुख पक्षियों में सिने रशीद मोर ग्रीन सेट फाइबर क्रेस्टेड 3G वाट कस्टर्ड वेडिंग सल्फर बैली पॉपुलर पेटेंट स्टाफ यूरेशियन डॉटर ब्राउन फिश ऑयल फैमिली की गर्ल ओरिएंटल हनी चार्ट भी देखे गए (~~~~)
{{सागर जिला}}

[[श्रेणी:सागर ज़िला]]
[[श्रेणी:मध्य प्रदेश के वन्य अभयारण्य]]
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1 => 'नये जंगली पक्षी - डस्की ईगल ओउल ,पेंडेट सैडग्राउज ,जो पहली बार अभ्यारण में देखे गए गिद्धों की 3 प्रजातियां इंडियन वडा किंग वल्चर और इंडियन वल्चर भी सामने आई हैंप्रमुख पक्षियों में सिने रशीद मोर ग्रीन सेट फाइबर क्रेस्टेड 3G वाट कस्टर्ड वेडिंग सल्फर बैली पॉपुलर पेटेंट स्टाफ यूरेशियन डॉटर ब्राउन फिश ऑयल फैमिली की गर्ल ओरिएंटल हनी चार्ट भी देखे गए (~~~~)'
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