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रघुराज प्रताप सिंह [[कुंडा]] की सीट से, स्वतंत्र पूर्वक सन् [[1993]] में राज्य स्तरीय चुनाव में भाग लिया और विजयी होकर [[विधायक]] बने। तब वह सिर्फ 26 वर्ष के थे। सन् [[1999]] में इण्डियन जनरल इलेक्शन में इन्होंने [[राजकुमारी रत्ना सिंह]] के खिलाफ (जो कि इसी परिवार से ही सम्बंधित हैं), अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को उतार दिया। राजा भैया कद्दावर राजनेता छवि के प्रभाव से उनके भाई भी उस चुनाव में जीत गए थे।
राजा भैया ने [[1993]] में हुए [[विधानसभा]] चुनाव से [[कुंडा]] की राजनीति में कदम रखा था। तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं। उनसे पहले [[कुंडा]] सीट पर [[कांग्रेस]] के नियाज हसन का डंका बजता था। हसन [[1962]] से लेकर 1989 तक [[कुंडा]] से पांच बार [[विधायक]] चुने गए।
राजा भैया [[1993]] और [[1996]] के [[विधानसभा चुनाव]] में बीजेपी समर्थित, तो [[2002]] और [[2007]], [[2012]] के चुनाव में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और एसपी की [[मुलायम सिंह यादव|मुलायम सिंह]] सरकार में भी [[मंत्री]] बने। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में खाद्य एवं रसद मंत्री है।
राजा भैया को सन 1997 में [[भारतीय जनता पार्टी]] के [[कल्याण सिंह]] के मंत्रीमंडल में कबानी मंत्री, वर्ष 1999 व 2000 में [[राम प्रकाश गुप्ता]] और [[राजनाथ सिंह]] के कैबिनेट में खेल कूद एंव युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। साल 2004 में [[समाजवादी पार्टी]] के [[मुलायम सिंह यादव]] की सरकार में रघुराज प्रताप खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने।
[[15 मार्च]], [[2012]] को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने, लेकिन [[2 मार्च]] 2013 को [[कुंडा]] में तीहरे हत्याकांड मामले में डी. एस. पी. जिया उल हक के हत्या मामले राजा भैया का नाम आने पर इन्होने [[4 मार्च]], 2013 को मंत्री पद से इस्तिफा दे दिया। हालांकि बाद में [[केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो]] के प्रारंभिक जाँच में ही राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिल गई। सी.बी. आई . की अंतरिम रिपोर्ट में राजा भैया को पूरी तरह क्लीन चिट मिल गयी और 11 अक्टूबर को उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्मान सहित पुनः कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया और वर्तमान सरकार में रघुराज प्रताप सिंह खाद्य, रसद एवम् आपूर्ति विभाग के मंत्री हैं।
== सन्दर्भ ==
<references/>2. [https://www.youtube.com/watch?v=Pe79JZ9J_Ng रघुराज प्रताप सिंह डाक्यूमेंट्री]
[[श्रेणी:भारतीय राजनीतिज्ञ]]
[[श्रेणी:जीवित लोग]]
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के लोग]]
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-== राजनैतिक करियर ==
-रघुराज प्रताप सिंह [[कुंडा]] की सीट से, स्वतंत्र पूर्वक सन् [[1993]] में राज्य स्तरीय चुनाव में भाग लिया और विजयी होकर [[विधायक]] बने। तब वह सिर्फ 26 वर्ष के थे। सन् [[1999]] में इण्डियन जनरल इलेक्शन में इन्होंने [[राजकुमारी रत्ना सिंह]] के खिलाफ (जो कि इसी परिवार से ही सम्बंधित हैं), अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को उतार दिया। राजा भैया कद्दावर राजनेता छवि के प्रभाव से उनके भाई भी उस चुनाव में जीत गए थे।
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-राजा भैया ने [[1993]] में हुए [[विधानसभा]] चुनाव से [[कुंडा]] की राजनीति में कदम रखा था। तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं। उनसे पहले [[कुंडा]] सीट पर [[कांग्रेस]] के नियाज हसन का डंका बजता था। हसन [[1962]] से लेकर 1989 तक [[कुंडा]] से पांच बार [[विधायक]] चुने गए।
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-राजा भैया [[1993]] और [[1996]] के [[विधानसभा चुनाव]] में बीजेपी समर्थित, तो [[2002]] और [[2007]], [[2012]] के चुनाव में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और एसपी की [[मुलायम सिंह यादव|मुलायम सिंह]] सरकार में भी [[मंत्री]] बने। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में खाद्य एवं रसद मंत्री है।
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-राजा भैया को सन 1997 में [[भारतीय जनता पार्टी]] के [[कल्याण सिंह]] के मंत्रीमंडल में कबानी मंत्री, वर्ष 1999 व 2000 में [[राम प्रकाश गुप्ता]] और [[राजनाथ सिंह]] के कैबिनेट में खेल कूद एंव युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। साल 2004 में [[समाजवादी पार्टी]] के [[मुलायम सिंह यादव]] की सरकार में रघुराज प्रताप खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने।
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-[[15 मार्च]], [[2012]] को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने, लेकिन [[2 मार्च]] 2013 को [[कुंडा]] में तीहरे हत्याकांड मामले में डी. एस. पी. जिया उल हक के हत्या मामले राजा भैया का नाम आने पर इन्होने [[4 मार्च]], 2013 को मंत्री पद से इस्तिफा दे दिया। हालांकि बाद में [[केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो]] के प्रारंभिक जाँच में ही राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिल गई। सी.बी. आई . की अंतरिम रिपोर्ट में राजा भैया को पूरी तरह क्लीन चिट मिल गयी और 11 अक्टूबर को उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्मान सहित पुनः कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया और वर्तमान सरकार में रघुराज प्रताप सिंह खाद्य, रसद एवम् आपूर्ति विभाग के मंत्री हैं।
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== सन्दर्भ ==
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0 => '== राजनैतिक करियर ==',
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