विदेह वंश

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
यह पृष्ठ हिन्दू देवी सीता से संबंधित निम्न लेख श्रृंखला का हिस्सा है-
सीता

प्राचीन काल में आर्यजन अपने गणराज्य का नामकरण राजन्य वर्ग के किसी विशिष्ट व्यक्‍ति के नाम पर किया करते थे जिसे विदेह कहा गया। ये जन का नाम था। कालान्तर में विदेध ही विदेह हो गया।[1]

वैदिक काल में विदेह (पूर्वी दिशा में)

इतिहास[संपादित करें]

  • विदेह राजवंश का आरम्भ इक्ष्‍वाकु के पुत्र निमि विदेह के मानी जाती है। यह सूर्यवंशी थे। इसी वंश का दूसरा राजा मिथि जनक विदेह ने मिथिलांचल की स्थापना की। इस वंश के २५वें राजा सिरध्वज जनक थे जो कौशल के राजा दशरथ के समकालीन थे।
  • जनक द्वारा गोद ली गई पुत्री सीता का विवाह दशरथ पुत्र राम से हुआ।
  • विदेह की राजधानी मिथिला थी। इस वंश के करल जनक अन्तिम राजा थे।
  • वर्तमान भागलपुर तथा दरभंगा जिलों के भू-भाग विदेह क्षेत्र था।
  • मिथिला के प्रजा ने विदेह राजवंश के अन्तिम राजा करलजनक को समाप्त कर गणतंत्र का नींव रखा ।
  • उल्लेखनीय है कि विदेह राजतन्त्र से बदलकर (छठीं सदी ई० पू०) गणतन्त्र हो गया था। यही बाद में लिच्छवी/वज्जि महासंघ के नाम से विख्यात हुआ।
  • गणराज्य की शासन व्यवस्था- सारी शक्‍ति केन्द्रीय समिति या संस्थागार में निहित थी।
  • संस्थागार के कार्यभार- आधुनिक प्रजातन्त्र संसद के ही समान थी।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्राचीन बिहार के मुख्य जनपद मगध, अंग, वैशाली और मिथिला, भारतीय संस्कृति और सभ्यता की विशिष्ट आधारशिला हैं।

शासक[संपादित करें]

शासकों की सूची-

वाल्मीकीय रामायण के अनुसार मिथिला पर रामायण काल तक निम्नलिखित राजाओं ने शासन किया-

  • मिथि - मिथिला के संस्थापक राजा, ये निमि के पुत्र थे।
  • जनक (प्रथम जनक)[2]
  • उदावसु[3]
  • नन्दिवर्धन
  • सुकेतु
  • देवरात
  • बृहद्रथ
  • महावीर
  • सुधृति
  • धृष्टकेतु
  • हर्यश्व
  • मरु
  • प्रतीन्धक
  • कीर्तिरथ
  • देवमीढ
  • विबुध
  • महीध्रक
  • कीर्तिरात
  • महारोमा
  • स्वर्णरोमा
  • ह्रस्वरोमा
  • सीरध्वज जनक - सीता के पिता सर्वविदित जनक

सर्वाधिक प्राचीन पुराणों में से एक तथा अपेक्षाकृत सुसंगत श्रीविष्णुपुराण का आधार अधिक उपयुक्त है। सीरध्वज के पुत्र भानुमान् से लेकर कृति (अन्तिम) तक कुल 32 राजाओं के नाम श्रीविष्णुपुराण[4] में दिये गये हैं और उन्हें स्पष्ट रूप से 'मैथिल' (इत्येते मैथिला:) कहा गया है।

  • भानुमान्
  • शतद्युम्न
  • शुचि
  • ऊर्जनामा
  • शतध्वज
  • कृति
  • अंजन
  • कुरुजित्
  • अरिष्टनेमि
  • श्रुतायु
  • सुपार्श्व
  • सृंजय
  • क्षेमावी
  • अनेना
  • भौमरथ
  • सत्यरथ
  • उपगु
  • उपगुप्त
  • स्वागत
  • स्वानन्द
  • सुवर्चा
  • सुपार्श्व
  • सुभाष
  • सुश्रुत
  • जय
  • विजय
  • ऋत
  • सुनय
  • वीतहव्य
  • धृति
  • बहुलाश्व
  • कृति

इस अन्तिम राजा कृति के साथ ही जनकवंश की समाप्ति मानी गयी है। इसे ही अन्यत्र 'कराल जनक' भी कहा गया है।[5] यहाँ परिगणित तेरहवें राजा क्षेमावी का अपर नाम कुछ लोगों ने 'क्षेमारि' भी माना है तथा महाभारतकालीन राजा क्षेमधूर्ति से उसकी समानता की बात कही है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. मिथिला का इतिहास - डाॅ. रामप्रकाश शर्मा, कामेश्वर सिंह संस्कृत वि.वि.दरभंगा; तृतीय संस्करण-2016.
  2. 'जनको मिथिपुत्रकः' - वा.रा.,पूर्ववत्-1.71.4.
  3. 'जनकादप्युदावसुः' - वा.रा., पूर्ववत्-1.71.4.
  4. श्रीविष्णुपुराण, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-2001ई.-4.5.30-32.
  5. मिथिला का इतिहास - डाॅ. रामप्रकाश शर्मा, कामेश्वर सिंह संस्कृत वि.वि.दरभंगा; तृतीय संस्करण-2016., पृ.29,30.